रामोजी राव का नाम आज हर कोई जानता है। उन्होंने अपने अथक परिश्रम और अदम्य साहस से एक बड़े एम्पायर की स्थापना की। रामोजी राव का 8 जून 2024 को 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया, जिससे संपूर्ण देश में शोक की लहर दौड़ गई। आइए जानते हैं उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं और उपलब्धियों के बारे में।
प्रारंभिक जीवन
रामोजी राव का जन्म 16 नवंबर 1936 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था। उनके माता-पिता, वेंकट सुब्बाराव और वेंकट सुब्बाम्मा ने उनके दादा की याद में उनका नाम रामय्या रखा था, जिसे बाद में बदलकर रामोजी कर दिया गया। उन्होंने गुडीवाड़ा म्युनिसिपल हाई स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और बाद में गुडीवाड़ा कॉलेज से बीएससी की डिग्री हासिल की।
करियर की शुरुआत
रामोजी राव ने अपने करियर की शुरुआत दिल्ली में एक विज्ञापन एजेंसी के कलाकार के रूप में की। इसके बाद, 10 अगस्त 1974 को उन्होंने विशाखापत्तनम में तेलुगु दैनिक अखबार ‘ईनाडु’ की स्थापना की। ‘ईनाडु’ ने बहुत ही कम समय में लोकप्रियता हासिल की और चार साल के भीतर एक प्रमुख प्रकाशन बन गया।
मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री में योगदान
रामोजी राव ने मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अनूठी पहचान बनाई। उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े फिल्म स्टूडियो, रामोजी फिल्म सिटी की स्थापना की। साथ ही, उन्होंने टेलीविजन चैनलों के ईटीवी नेटवर्क का भी नेतृत्व किया। ईटीवी नेटवर्क तेलुगु भाषी दर्शकों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है।
अन्य व्यवसाय
रामोजी राव मार्गदर्शी ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ के अध्यक्ष भी थे। उन्होंने मार्गदर्शी चिट फंड, प्रिया फूड्स और कलंजलि सहित विभिन्न व्यवसायों की देखरेख की। उनके नेतृत्व में इन व्यवसायों ने नई ऊंचाइयों को छुआ।
पुरस्कार और सम्मान
रामोजी राव को 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उन्हें उनके अद्वितीय योगदान और उपलब्धियों के लिए दिया गया।
निधन
रामोजी राव का 8 जून 2024 को तेलंगाना के हैदराबाद में निधन हो गया। उन्हें सांस लेने में परेशानी के कारण 5 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सहित कई गणमान्य लोगों ने संवेदना प्रकट की।
रामोजी राव का जीवन संघर्ष, समर्पण और सफलता की मिसाल है। उन्होंने अपने जीवन में जो उपलब्धियां हासिल कीं, वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा और वे हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।