दुबई सिटी (समाचार डेस्क) दुबई दुनिया की सबसे ऊंची इमारत और महंगे और सबसे खूबसूरत होटल वजह से तो प्रसिद्ध था ही लेकिन अब यहाँ मादक मुक्त( Alcohal Free ) शराब भी दुनिया में धूम मचा दी है जिसमें सोने पन्नी भी तैरते नज़र आते हैं. लोटाह परनीमेयम फूड्स द्वारा शुरू करवाई गई इस शराब में मादक ( Alcohal ) नहीं है लेकिन उसका स्वाद बिल्कुल वास्तविक शराब जैसा है. कंपनी के प्रमुख प्रबंधक टोनी कोली ने बताया कि इस अनूठी शराब अधिक आकर्षक बनाने के लिए इसमें सोने पन्नी डाले जाते हैं जो शाही मिजाज के अनुरूप हैं और ग्राहकों को एक भव्य पेय पदार्थ अनुभव करवाती है. कुछ यूरोपीय ग्राहकों मादक मुक्त ( Alcohal Free ) शराब पीकर बहुत खुशी जताई. उनका कहना था कि यह सराहनीय है कि इस पेय पदार्थ का स्वाद अच्छा शराब जैसा है लेकिन इसमें मादक नहीं है. चौबीस कैरेट शुद्ध सोने पन्नी वाली शराब की एक बोतल की कीमत 150 डॉलर (लगभग 9000 रुपये) है. लेकिन दुखद बात यह है की मुसलमानों का ध्यान पाने के लिए पेय पदार्थ को वैध शराब कहकर बाजार में लाया गया है . इसे हम इस्लाम के साथ एक भौंडा मजाक कह सकते है .
दुबई में मुसलमानो के लिए हलाल शराब बाजार में लाया गया !

Kiya murkhta hai sarab halal ho gae khub piyo.
वही भारत में मुसलमानो के लिए अलग बिल्डिंग ? पिछले दिनों नोएडा में एक ओनली मुस्लिम सोसाइटी के एड को लेकर विवाद हुआ था इसी पर एक बहस sikander hayat
September 08,2014 at 12:40 PM IST
इस हालात के लिए कुछ हिन्दू तत्व भी जिम्मेदार हे जो पढ़े लिखे अच्छे प्रोफाइल वाले मुस्लिम लोगो को भी मकान नहीं देते हे ये देश का एक ऐसा वर्ग जो मांस नहीं खाता हे मगर इंसानो का खून चूसने ( आर्थिक शोषण ) या शराब नशे से इसे परहेज़ नहीं हे देश में सबसे ज़्यादा सम्पत्ति इन्ही लोगो के पास हे इस वर्ग की एक दिली इच्छा जो संघी- महासभाई साहित्य ने इसमें पैदा की हे वो हे मुसलमानो के साथ भी वही वयवहार करने की हे जो ये वर्ग सदियों तक दलितों आदिवासियों आदि के साथ करता आया हे मगर मसला ये हे की मुस्लिम चाहे जितनी घिसी पिटी हालत में हो भी फिर भी आप उसकी वही गत या दुर्गत नहीं कर सकते हे जो आप सदीयों तक दलितों आदिवासियों की करते आये हे मुसलमानो में भी पैसे वाले लोगो की कोई कमी भी नहीं हे तो वो ये सब कर रहे हे हालांकि में सौ दफे कह चूका की मुस्लिम यूनिटी इक्वेल्टी जैसी भी कोई चीज़ प्रेक्टिकल में नहीं हे सो ये फ्लेट मार्किट रेट और रेंट से एक पैसा कम में नहीं होंगे भले ही बनाने वाले खरीदने वाले कितने ही बड़े नमाज़ी या हाजी क्यों न हो दाम वही होंगे जो बाकी जगह भी होंगे फिर इन्हे खरीदने वाले अमीर जब इन्हे किराय पर देंगे तो किराया भी मार्किट रेट से एक सिंगल पैसा कम न होगा भले ही किरायदार मुस्लिम कितना ही जरूरतमंद क्यों न हो इनमे रहने वाले भी बाकी सोसाइटियों की तरह एक दूसरे को नाम से नहीं नंबर से जानेंगे पार्किंग निकास आदि की बातो लेकर विवाद यहाँ भी होंगे ( नोट – मेरे भी 2 बड़े भाइयो ने नॉएडा एन सी आर में फ्लेट लिए है मिली जुली आबादी की बिल्डिंगों में )
sikander hayat को जवाब )- sikander hayat
September 08,2014 at 10:35 PM IST
किसी बढिया प्रोफाइल वाले मुस्लिम को भी अपना फ्लेट ना देना हिन्दू जेन सवर्ण वर्ग की सरासर बदमिज़ाजी है यही नही उन्हे यह बददिमागी बड़ी
नॉर्मल् लगती है क्योकि यही सलूक य सदियो तक दलितों आदिवासियो के साथ करते ही आये
है भगत सिंह के साथी और महान लेखक यशपाल अपनी किताब ” सिंहावलोकन ” मे इसी
साइकि को भारत विभाजन की एक बड़ी वजह कहते है
sikander hayat को जवाब )- sikander hayat
September 08,2014 at 11:00 PM IST
लेकिन मुसलमानो को भी समझना होगा की यह हिन्दुओ से मकान ना मिलने की
समस्याएं सबसे अधिक आज भारत की भयावह आर्थिक असमानता को ही दर्शाती हे
देश की अधिकतर सम्पत्ति मकान दूकान जमीन कुछ ही लोगो के हाथ में हे अब
बात को समझिये की किसी के पास कई मकान हे पैसा हे तो ही तो वह यह बदमिजाजी
दिखा सकता हे की सामने कोई मुस्लिम या कोई भी किराया या पैसा लेकर खड़ा हे
लेकिन अगला न देने पर अड़ा हे क्यों ? क्योकि उसकी आर्थिक इस्तिति उसे इसकी
इज़ाज़त देती हे इसलिए ना . अब कोई आम हिन्दू हे जिसने खून पसीने से कोई
सम्पत्ति बनाई हे फिर उसे फ़ौरन उसका रेंट चाहिए तो फिर वो थोड़े ही न
किरायदार की जाती धर्म वेज नॉन वेज देखेगा उसे तो फ़ौरन किराया चाहिए होगा
ऐसे ही हमारे पास भी खून पसीने से कमाया गया दिल्ली में एक फ्लेट हे हमारे
पास न किसी के शोषण से कोई भी सम्पति हे न कोई
पुश्तैनी जायदाद हे तो सव्भाविक हे की हम जैसे मकान मालिक कोई नखरे नहीं
करते हमें किराया चाहिए किरायदार की जाती धर्म अला फला हम नहीं पूछते हमें
सिर्फ पुलिस वेर्रिफिकेशन कराना होता हे किराया लेना होता हे बाकी हमें कोई
मतलब नहीं ना हमारे पास इतना फालतू टाइम हे . ऐसे ही मुस्लिम ही नहीं
मुंबई में सुना हे की गुजराती मांसहारी मराठी को भी मकान देने में नखरे
करते हे ज़ाहिर हे आपके आर्थिक हालात आपको इसकी इज़ाज़त दे रहे हे की आप मकान
खाली रख कर अपनी पसंद के ग्राहक का वेट कर सकते हे तभी तो ये हो रहा हे
तो ये समस्या हे जो भारत की भयानक आर्थिक खाई को भी दर्शाता हे
(sikander hayat को जवाब )- Ashish
September 11,2014 at 07:03 PM IST
यदि कोई मुसलमान यह वचन दे की वो उसके रसोई में बनने वाले मांस की महक मेरे घर तक नहीं आएगी तो में उसको अपने घर का निचला तल किराए पर देने को तैयार हूँ. नहीं तो किसी मच्छी खाने वाले बंगाली ब्राह्मण को भी घुसने नहीं दूंगा. और लगभग यही दुविधा सभी शाकाहारियों की होती है. मकान मलिक किरायदार को उसकी सुविधा से नहीं बल्कि अपनी सुविधा देख कर मकान देता है.
(Ashish को जवाब )- sikander hayat
September 11,2014 at 09:54 PM IST
फ़र्ज़ कीजिये आप ही दिल को बड़ा करके दे देते है किसी मांसाहारी मुस्लिम या हिन्दू को मकान दे देते है मांस की महक बर्दाश्त कर लेते है तो फिर आप एक आएसए इंसान बन जायेंगे जो सदियो से चले आ रहे दलित सवरन ब्राहम्ण आदि आदि के मसलो को सुलझा कर हिन्दू हिन्दू एकता का मार्ग बनायेगा इसी तरह कोई मुस्लिम मान लेता है की उसे बहुदेववादी बुतपरस्त हिन्दुओ के साथ ही रहना है तो ही उसका दिल इतना बड़ा हो पायेगा की वो मुस्लिम समाज के शिया सुन्नी देवबंदी बरेलवी अशराफ अज़लाफ आदि मसलो को सुलझा पाये सोच लीजिये आपने क्या करना है ? मांस की महक बर्दाश्त कर लेंगे तो देखिये आपकी उदारता और पॉवर बढेगी ही जो आपके ही काम आयेगी रुस्तमे हिन्द गामा पहलवान ने कहा था ” मेरी असली ताकत मेरी कुव्वाते बर्दाश्त ही है ”
Meraj Ahamed (RIYADH)September 09,2014 at 03:17 PM IST त्रप्ति जी बड़ा अक्चा लिखा है लेकिन केवल मुस्लिम कालोनी और एक मुस्लिम बिल्ड़ेर का ही नाम क्यों ? लाखो ऐसी कालोनिया है जहा मुस्लिम को अपार्टमेन्ट नही दिये जाते , कभी सोच के देखिये की किराया देने के बाद घर की डील फाइनल होने के बाद कोई ए कह के माना करदे की हम मुस्लिमो को घर नही देते है लाखो ऐसे मुस्लिम है जो अक्छी जगह रहना चाहते है लेकिन उनको अक्छी कालोनियों मे मकान नही मिलते , एक संघता तो खुलेआम मुस्लिमो को पश कालोनियोँ मे घर ना मिले इसके लिये पूरे इंतेज़ाम करता है वैश्य कालोनी , जैन कालोनी और तमाम नाम से कालोनी मिल जायेंगी फिर एक मुस्लिम बिल्ड़ेर ने एक मुस्लिम सोसाइटी बनाने पर इतना हो हल्ला क्यों (Meraj Ahamed को जवाब )- sikander hayat
September 09,2014 at 07:04 PM IST
आपने लिखा ”मुसलमानो को अच्छी कॉलोनी में घर नहीं मिलता ” फिर देश के 20 करोड़ मुसलमान में से बहुमत कहा रहते हे ? रहते हे बड़े बड़े मुस्लिम बहुल इलाको में -इनमे भी पैसे वाले लोगो की कोई कमी भी नहीं होती हे सवाल ये हे की फिर आप जैसी अच्छी कॉलोनी चाह रहे हे वैसे ही अच्छी कॉलोनी क्यों नहीं मुस्लिम बहुल इलाको में ही क्यो नहीं हो जाती हे ? इसकी वजह हे की अधिकांश मुस्लिम नेता और रहनुमा कुछ पढ़े लिखे भी अच्छी कॉलोनी साफ़ सफाई अच्छा माहोल जैसी ”फ़ालतू बातो ” पर तो ध्यान ही नहीं देते हे पूरा ध्यान और राज़नीति -दंगे पंगे एन्कोउन्टर शिकायते मुआवजा आरक्षण कब्रिस्तान उर्दू कश्मीर अयोध्या और ज़रूरत से ज़्यादा मज़हबी बातो ( सिर्फ बाते अमल अमाल नहीं ) पर ही रहता हे मुसलमान नेता और आम आदमी भी चाहे करोड़पति अरबपति क्यों ना हो वो खुद समाज के लिए कुछ करने की जगह ” हाय हमारे साथ अन्याय तासुब्ब ” ही करता रहता हे sikander hayat को जवाब )- Meraj Ahamed (RIYADH)
September 10,2014 at 12:00 PM IST
आपने मुस्लिम समाज की समस्याओ को जिक्र कर रहे है लेकिन यहा बात हो रही है की एक मुस्लिम बिल्डर ने एक मुस्लिम कॉलोनी बनाए की सोची तो इतना हो हल्ला क्यों ? जबकि दूसरे समजो की कॉलोनिया सिर्फ उनके समुदाय के लिये ना जाने कितनी है |
(Meraj Ahamed को जवाब )- sikander hayat
September 10,2014 at 01:17 PM IST
मुस्लिम बिल्डर कॉलोनी भी बसाय आम मुस्लिम के बीच परचार करे बेचे उसमे मस्ज़िद भी हो मुझे इससे ज़रा भी अएतराज़ नही है अएतराज़ मुझे इससे होगा अगर इनमे गेर मुस्लिमो की एंट्री- बेचने या सबसे जरूरी बात की रेंट पर देने की भी रोक हो तो उससे अएतराज़ होगा ज़ेन कॉलोनी या वेश्य कॉलोनी वाले भी अगर किसी मुस्लिम या दलित जाट गुर्जर ईसाई नॉर्थ ईस्ट वालो की एंट्री ही बिल्कुल बेन करते है तो इस गुंडागर्दी का भी विरोध होना ही चाहिये फिर भाई य सोचिये कल को खुदा ना खास्ता शियाओ बरेलवियो की भी अलहदा बिल्डिंगे कॉलोनिया ब्न्ने लगी तो ? दूसरी बात मुसलमानो को अपनी तुलना ज़ेन पारसी वेश्य या किसी और से करनी ही नही चाहिये इतिहास ही अलग है फिर मुसलमान भारत और पूरे भारतीये उपमाहादीप मे थोड़े नही बल्कि 60 क्रोड है विभाजन से लेकर आतंकवाद से लेकर कासमीर से लेकर अयोध्या से लेकर बहुत सी समस्याए है सबसे बड़ी समस्याए है शुध एकेश्वरवादी मुस्लिमो का बहुदेववादी हिन्दुओ से केसे पूरी तरह से सहास्तितव हो ? हमे इन सब पर ठंडे दिमाग से विचार करना चाहिये कोई कुछ भी काहे भारतीये उपमाहादीप मे 60 क्रोड मुसलमानो और 90 क्रोड हिन्दुओ को रहना साथ साथ ही है