by—- -अनिल नरेन्द्र
भारतीय जनता पार्टी अब मोदी-शाह प्राइवेट लिमिटेड बनती जा रही है। यह दोनों जिस तरह चाहते हैं वैसे ही सरकार और पार्टी चल रही है। भाजपा संसदीय बोर्ड के पुनर्गठन पर इस तरह की चर्चा स्वाभाविक ही है। जिस तरह अटल जी, आडवाणी जी और डॉ. मुरली मनोहर जोशी को संसदीय बोर्ड में न शामिल कर मार्गदर्शक मंडल में रखा गया है उससे नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं। भाजपा का कहना है कि वह बुजुर्ग नेताओं की बजाय युवा नेतृत्व को जिम्मेदारी सौंपने की नीति पर चल रही है। मगर इतना होता तो शायद किसी को आलोचना का मौका नहीं मिलता। जिस तरीके से अमित शाह ने बागडोर संभाली उसी से लग गया था कि यह दोनों मिलकर सबसे पहले उन नेताओं को पार्टी मामलों से हटाएंगे जिनसे इनको खतरा है। पहले विपक्ष को समाप्त किया और अब पार्टी के अंदर किसी भी तरह की चुनौती देने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। नरेन्द्र मोदी ने उन लाल कृष्ण आडवाणी को अपमानित किया है जिन्होंने मोदी को हाथ पकड़ कर राजनीति सिखाई। अमित शाह ने भाजपा की डोर संभाली तभी तय हो गया था कि पार्टी के फैसले गुजरात मॉडल की तर्ज पर होंगे। इन दोनों ने गुजरात में भी यही किया। सबसे पहला काम गुजरात में यह किया कि भाजपा-संघ के उन नेताओं को हटाया जो मोदी की राय से सहमत नहीं थे। अटल जी का स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण वे पार्टी की गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी नहीं कर पाते मगर यह बात लाल कृष्ण आडवाणी और डॉ. जोशी के मामले में सही नहीं है। उनकी उम्र जरूर अधिक हो चली है पर पार्टी में उनकी सक्रियता लगातार बनी रही है। मैं आडवाणी जी के साथ कई यात्राओं पर गया हूं, दोनों विदेश और देश में। मैं दावे से कह सकता हूं कि आडवाणी जी युवाओं से भी ज्यादा फिट हैं। हमसे पहले वह तैयार खड़े हो जाते थे, हम नींद और थकान के कारण उन जैसी चुस्ती नहीं दिखा सकते थे। चाहे वह आडवाणी हों, चाहे मुरली मनोहर जोशी, दोनों पार्टी के गठन से महत्वपूर्ण फैसलों में साझीदार रहे हैं। इस बार भी वे लोकसभा चुनाव जीत कर आए हैं इसलिए उन्हें संसदीय बोर्ड से बाहर रखना चौंकाता है। साफ है कि आडवाणी और डॉ. जोशी द्वारा मोदी को कुछ समझाना उसे उन्होंने अपना विरोध समझा और दोनों को निकाल बाहर किया। आडवाणी इसी हिटलर शाही प्रवृत्ति का विरोध कर रहे थे। वह मोदी के प्रधानमंत्री बनने का विरोध नहीं कर रहे थे पर उनके काम करने और बदला लेने की प्रवृत्ति का विरोध कर रहे थे। वह पार्टी जनों को यह समझा रहे थे कि मोदी को इतना फ्री हैंड न दो कि पछताना पड़े पर उस समय किसी ने आडवाणी के विरोध का कारण नहीं समझा और यह कहकर बात टाल दी कि चूंकि वह प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं इसलिए वह मोदी का विरोध कर रहे हैं। आज मोदी जी का क्या हाल है। आते ही उन्होंने सबसे पहला काम मीडिया से दूरी बनाई। वह न तो मीडिया से मिलते हैं और न ही मीडिया को कहीं ले जाते हैं। साधारण कार्यकर्ता तो दूर मंत्री तक प्रधानमंत्री से नहीं मिल सकते। अगर मंत्रियों को पीएम से कुछ जरूरी बात करनी है तो उन्हें अमित शाह को बताना पड़ता है। जहां तक डॉ. जोशी का सवाल है उन्हें इसलिए अपमानित किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने नरेन्द्र मोदी के लिए अपनी बनारस की लोकसभा सीट छोड़ने से मना कर दिया था। इसकी खुन्नस नरेन्द्र मोदी को होगी, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। सरकार बनने के बाद इसके संकेत मिलने लगे थे। डॉ. जोशी एक सफल मानव संसाधन विकास मंत्री रहने के बावजूद उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है और उनको अपमानित करने,जख्म पर नमक छिड़कने के लिए एक नौसिखिया स्मृति ईरानी को कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। आडवाणी को लोकसभा अध्यक्ष बना सकते थे। उनका राजनीतिक अनुभव, तजुर्बा पार्टी व सरकार के काम आता और फिर जहां तक मुझे याद है कि आडवाणी ने कभी भी मोदी की नीतियों का विरोध नहीं किया। पार्टी में वरिष्ठतम नेता होने के बावजूद उन्हें लोकसभा में प्रधानमंत्री के पास वाली सीट पर नहीं बैठने दिया गया। यह सब उन्हें सम्मान देने का सूचक तो नहीं कहा जा सकता। अब यह बात छिपी नहीं है कि नरेन्द्र मोदी अपनी परिधि में ऐसे किसी भी व्यक्ति को नहीं रखना चाहते जो उनका विरोधी रहा हो या विरोध कर सकता है। इस बात में भी दम लगता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी आडवाणी के विद्रोही तेवरों से नाराज चल रहा था और वह उन्हें किनारे करने का मौका तलाश रहा था, सो अमित शाह ने इसके लिए सही मौका तलाश कर लिया और अपने `साहेब’ की इच्छा पूरी कर दी। आडवाणी-जोशी के आंसू पोंछने के लिए उन्हें मार्गदर्शक मंडल में भेजकर नीति-निर्धारण संबंधी अधिकारों से दूर कर दिया गया। मार्गदर्शक मंडल जैसी कोई व्यवस्था भाजपा के संविधान में नहीं है, इसलिए उनसे कितना मार्गदर्शन लिया जाएगा, अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं। कांग्रेस के राशिद अल्वी ने चुटकी लेते हुए कहा कि मार्गदर्शक मंडल नहीं, यह तो मूकदर्शक मंडल और ओल्ड एज होम है। 34 साल की भाजपा में पहली बार मार्गदर्शक मंडल जैसी समिति बनाई गई है। इसे तीनों बुजुर्ग नेताओं की सम्मानजनक विदाई के मंच के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल भाजपा यह संदेश नहीं देना चाहती कि उसने पार्टी के तीनों संस्थापकों को दरकिनार कर दिया। भाजपा ने मार्गदर्शक मंडल की जानकारी वाली जो विज्ञप्ति भी जारी की है जिसमें जिन पांच नामों की सूची दी गई है उसमें आडवाणी से पहले नरेन्द्र मोदी का नाम है। सूची का क्रम हैö1. अटल बिहारी वाजपेयी, 2. नरेन्द्र मोदी, 3. लाल कृष्ण आडवाणी, 4. मुरली मनोहर जोशी, 5.राजनाथ सिंह। आडवाणी-जोशी के बाद अब नम्बर है राम लाल का। साफ है कि मोदी-शाह प्राइवेट लिमिटेड ही अब भारत पर राज करेगी।
भाजपा नहीं मोदी-शाह प्राइवेट लिमिटेड कहो

सुषमा सवराज जी जैसी बड़ी नेता की दुर्गत भी सामने हे विदेश मंत्री हे मगर देश विदेश कही नहीं दिख पा रही हे ? विपक्ष को तैयारी कर लेनी चाहिए मुझे य आभास हो रहा हे की जल्द ही सुषमा जी आडवाणी जी किसी बगावत का बिगुल बजा देंगे पहले मुझे भाजपा सरकार से ऐतराज़ न था मगर अब यशवंत भाई की बात खरी लग रही हे की संघ परिवार के लोगो की रग रग में निगेटिविटी भरी हुई हे इस सरकार को दफा करने या फिर राज्यों में हराकर कमजोर करने में हम सभी को जुट जाना चाहिए में अपने सभी परिचितों पर भी केजरीवाल से जुड़ने और चंदा देने का दबाव बना रहा हु
मोदी जीकी सबसे ज़्यादा वाहवाही इसलिए हो रही हे की उन पर भरष्टाचार का कोई आरोप नहीं हे उनके हाथ साफ़ हे सही हे पश्चमी देशो में भी नेताओ पर करप्शन के आरोप आमतौर पर नहीं होते मगर इनडाइरेक्ट क्या होता हे ? किस तरह तरह से बड़ी कम्पनियो को फायदा पहुचाया जाता हे ? वैसे ही एक बड़े वाम नेता कहते हे की मोदी जी को पी एम बनाने की मुहीम में शायद 15 हज़ार करोड़ खर्च हुआ हे ?
सिकंदर हयात 2014-09-03 23:02
मोदी जी ने जापान में जाकर भारत की धर्मनिरपेक्षता का अपमान क्यों किया ? मोदी जी को बहुत अच्छी तरह से पता हे की उन्होंने जो कॉर्पोरेट के सहारे से चुनावो में उमीदो के पहाड़ो खड़े किये हे उनमे से खुद कर चूहे ही बाहर आने वाले हे ऐसे में उनकी सबसे बड़ी उमीद एक हिन्दू कठमुल्लावादी वर्ग हे गाहे बगाहे वो उसी की ख़ुशी के लिए भारत की धर्मनिरपेक्षता का अपमान करते रहेंगे ताकि इस वर्ग के कलेजे में ठंडक पड़ती रहे क्योकि इस भारत की इस धर्मनिरपेक्षता के पेड़ का वो सिर्फ अपमान कर सकते हे इसे हिला नहीं सकते क्योकि इस पेड़ के मालियों यानि गांधी नेहरू ने इसकी जड़े बहुत गहरी कर रखी हे
मोदी जी को पी एम यु पी ने बनाया यु पी में य हाल मुज्जफरनगर ने बनाया अब खबर हे की वेस्ट यु पी में बेहद समृद्ध जाती के छोटे किसानो की आत्महत्या या कोशिश की खबर आई हे ये तो होना ही था जब इनके नेता किसानो की एकजुटता की मुहीम छोड़ कर साम्प्रदायिकता में अपने राजीनीतिक भविष्य देखने लगे हे ऐसे ही मौको पर पूंजीपति और भी ज़्यादा खून चूसने लगते हे किसानो का हज़ारो करोड़ मिलो में अटका हे चुनाव हो चुके हे किसान बट चुके हे मेने पिछले साल ही कहा था की इस इलाके से मुसलमानो के पलायन से उन गावो की किसानी और अर्थवयवस्था को बहुत गहरा झटका लगेगा क्योकि य पलायन करने वाले मुस्लिम अधिकतर लेबर और गाव के स्किल्ड लेबर थे अब ये अधिकतर मुस्लिम बहुल इलाको में बसने का प्रयास कर रहे हे जिससे उन इलाको के अमीर मुसलमानो को कुछ फायदा हो रहा हे जमीन महगी हो गयी हे और लेबर की उपलब्धता बढ़ गयी हे
बेहद समृद्ध माने जाने वाले हमारे इलाके वेस्ट यु पी में गन्ना किसान की आत्महत्या या कोशिश की खबर आज एन ड़ी टी वि पर पहली बार आई हे इससे पहले इस इलाके से ऐसी खबरे मेरी जानकारी में तो नहीं थी पिछले साल साम्प्रदायिक तत्वों के बहकावे में आकर किसानो ने भयंकर भूल कर डाली थी
लेकिन ओम थानवी जी का ये कहना सही हे की मोदी हर जगह बेतकल्लुफ हे और हिंदी बोल रहे हे ये सबसे अच्छी बात हे मनमोहन जी होते तो अंग्रेजी में किसी बेदम बेजान गिटपिट कर रहे होते सब जानते ही हे सत्ता और वो भी लम्बी सत्ता कैसे अँधा कर देती हे गांधी जी ने चेताया था सत्ता से सावधान सत्ता भरष्ट बेलगाम करती हे हैरानी होती हे सोनियाराहुल जी की अकल पर कैसे पत्थर पड़ गए थे ? कैसे इन्होने देश पर एक बेजान रोबोट थोपे रखा जो नागरी भी पढ़ना ( बोलना ? ) भी न जानते थे आखिर समय भी इन्हे होश न था की इस बेजान रोबोट को हटाकर किसी चिदंबरम किसी गुलाम नबी अहमद पटेल को ही पी एम बनवा देते तो आज विपक्ष नेता पड़ तो हासिल होता
आज मे भारत के मीडिया से नऔंमीद हो गया हु.इस नऔंमीदी मे सिर्फ एक किरण नजर आती है तो टीवी मीडिया मे रवीश कुमार और प्रिंट मीडिया मे ओम थानवी की . हमारा मीडिया आंख बंद कर भेद की चाल मे चाल जेया रहा है. समझ मे नही आ रहा है के भारत के मीडिया का क्या हो गा.
निराश मत होइए अफज़ल भाई इसी में आशा की किरण भी छुपी हुई हे लग यही रहा हे की मोदी जी के राज़ में हिन्दू कठमुल्लावाद बढ़ेगा कठमुल्लवाद कही का भी हो वो भयंकर नुक्सान ही करता हे (एक उदाहरण देखिये लवजिहाद की आड़ लेकर हिन्दू कठमुल्लाओं ने अपनी असली मंशा ज़ाहिर कर दी हे ये असल में हिन्दुओ में अंतर्जातीय विवाह जो अधिकतर लवमैरिज ही होते हे उन्हें रोकना चाह रहे हे ) दिल्ली में जगह जगह एक संस्था विशेष के कार्यकर्मो के पोस्टर दिखने लगे हे मेरा अंदाज़ा हे की इसके लिए पैसा बड़े छोटे व्यापारियों में बड़े जो होते हे वो ही देते हे और य लोग भी खूब पब्लिक का तेल निकाल रहे हे केजरीवाल का खतरा टालने के बाद बिज़ली कंपनिया लोगो को झटके दे रही हे जल्द ही कॉर्पोरेट भी अपने 15 हज़ार करोड़ की कई गुना मुनाफे के साथ वापसी की मुहीम शरू करेगा मतलब लोगो को जल्द ही समझ आ जाएगा ऐसे में हमें करना ये हे की अधिक से अधिक मुस्लिम कटटरपंत के खिलाफ आवाज़ उठाकर अधिक से अधिक उदारवादी मुस्लिम तैयार करने हे इससे हम हिन्दुओ का भी दिल जीत लेंगे जो आने वाले सालो में मोदी जी से निराश होंगे और अल्लाह करेगा तो राहुल और वाम पार्टियो की भी अक्ल कुछ ठिकाने आ जायेगी और उधर आप और केजरीवाल तो हे ही इन सबको मिलाकर इंशाल्लाह आने वाले सालो में कुछ बेहतर भी हम कर हो सकते हे
हयात भाई, इश्क प्यार लव मोहब्बत पहले भी होते रहे है और आगे भी होते रहेंगे मगर अभी तक “लव जेहाद” के नाम पर जितना सुना और देखा गया तो यही पाया कि हर बार मुस्लिम लड़के हिन्दू नाम रख कर पहले हिन्दू लड़कियॉ से इश्क करते है ??
कई केस सामने आये और अभेी भेी आ रहे हे जिसमे लड़की शिकायत कर रही है कि पहले उस मुस्लिम लड़के का नाम हिन्दू था !!…… शादिया हिन्दू लड़का और मुस्लिम लड़किया भी करती है (हालांकि ये सांख्या मुस्लिम लड़के और हिन्दू लड़कियॉ की जोड़ी की तुलना मे काफी कम है) मगर आश्चर्यजनक रूप से क्या कभी किसी मुस्लिम लड़की ने अपने हिदू प्रेमी को मुस्लिम नाम रख कर धोखा देकर अपने प्यार के जाल मे फाँसने का आरोप लगाया है ??
“लव जेहाद” का असली सच क्या है उस पर चर्चा करने से महत्वपूर्ण ये है कि ना जाने कितने ही केस रोज-2 सामने आ रहे है जब मुस्लिम लड़के अपना हिन्दू नाम रख कर हिन्दू लड़कियॉ को धोखा देकर उनको अपने जाल मे फसाँते है……बिना आग के धुवा नहेी उथता !!
आज की लड़की चाहती है कि उसका जीवनसाथी अपने पैरो पर खड़ा हो और कम से कम लड़की के प्रति ईमानदार हो बेशक उसका मजहब और जाती कोई हो !! पर जब उसका जीवनसाथी झूठ की बुनियाद पर बिल्डिंग बनाने की कोशिश करेगा तो ऐसी कमजोर बुनियाद वाली बिल्डिंग को गिरने से कोई नही रोक सकता !!
अफज़ल भाई वैसे तो हाल बुरा ही हे मगर कुछ लोग मुझे अच्छे लगते हे एक तो विनोद शर्मा जी य हमेशा मुझे बहुत ही सेंसिबल बात करते दीखते हे हमेशा दूसरा शरत परधान ये भी हमेशा कायदे की बात करते दीखते हे
शरद भाई मानता हु की कुछ लोग य कर रहे हे ये बता दू की ज़रूरी नहीं हे की लड़के नाम बदल कर ही हिन्दू लड़की को”” फंसा ” ” रहे हो ज़रूरी नहीं हे असल में लडकिया ( सभी नहीं ) आकर्षण के मामले बहुत भोली भी होती हे जो भी कोई पहला आढ़ा टेड़ा शख्स सामने आ जाता हे लम्बे समय तक मंडराता रहता हे उन्हें दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की कहता हे कुदरत ने उन्हें बनाया ही ऐसा हे की वो आकर्षित हो जाती हे ये कोई ख़राब चरित्र की बात कतई भी नहीं हे कुदरत का कानून हे यही बात मुस्लिम लड़कियों पर या दुनिया की सभी लड़कियों पर भी सच हे मगर भारतीय मुस्लिम लडकिया अभी घरो से बाहर बनिस्पत कम हे इस कारण ऐसा लगता हे की उनके साथ ऐसा नहीं हो रहा होगा शरद भाई में कह ही चूका हु की इस तरह की शादिया स्मार्ट लड़कियों को पाने की चाहत के लिए हो रही हे ( तारा जी भी एक बन्दुक चलाने वाली स्मार्ट लड़की हे ) भारतीय मुस्लिम समाज में अभी स्मार्ट ( स्मार्ट का मतलब कोई हूर परी नहीं बल्कि पूरा स्मार्ट व्यक्तित्व ) लडकिया कुछ कम ही हे ( जबकि पाकिस्तानी और ईरानी लडकिया भी बेहद स्मार्ट हो रही हे अब ) आज मुस्लिम समाज में स्मार्ट मुस्लिम लड़कियों की डिमांड ( जीवन साथी के लिए ) बहुत ज़्यादा हे सप्लाई बहुत ही कम हे डिमांड और सप्लाई की इसी कमी ने इस तरह की घटनाओ को बढ़ावा दिया हे आप देखे की अनगिनत बड़े बड़े भारतीय मुस्लिम नामो ने गैर मुस्लिम लड़कियों से शादी की हे ज़ाहिर हे इन्हे स्मार्ट लड़की की दरकार थी किरण राव देखने में साधारण हे मगर आमिर को उनका ओवर आल व्यक्तित्व स्मार्ट लगा उधर कठमुल्लो की भूमिका पर भी में कई बार लिख चूका हे लेकिन बात ये भी हे शरद भाई की य भी देखे की दिल्ली यूनिवर्सिटी की डॉक्टर चारु गुप्ता कह रही हे की एक तो इससे लोगो को एकजुट करने की कोशिश की जा रही हे संघ परिवार की घटिया राज़नीति साफ़ दिख रही हे दूसरा की इससे साफ़ दिख रहा हे की लड़कियों को कंट्रोल करके अंतर्जातीय शादियों पर भी लगाम कसने की कोशिश की जा रही हे
इस सबके पीछे कुछ कठमुल्लाओं की भूमिका की में कड़ी निंदा करता हु जैसा की मेने भड़ास पर रक़ीबुल उर्फ़ रंजीत के मामले में कॉमेंट दिया हे की सिकंदर हयात 2014-09-01 23:54
कुछ सत्यानाशी कठमुल्ला हमारे लिए शर्मिंदगी का सबब ही बनते हे बचपन से देखता भापता आ रहा हु इन कटरपन्तियो को इस्लाम की एक भी खूबी इनमे नहीं होती बस बिना सोचे समझे हर किसी को इस्लाम का पाठ पढ़ाने की कोशिश करते हे कन्वर्ट के लिए बेहद उत्सुक रहते हे बहुत से सुना हे की इसके लिए पैसा भी अरब देशो से खींचते हे खुद के क्या अमाल हे सामने वाला केसा हे केसा नहीं हे इन बातो से कठमुल्लाओं को कोई लेना देना नहीं होता अधिकांश मुस्लिम लेखक पत्रकार भी इनका कोई अध्ध्य्यन नहीं करते और संघ परिवार के खिलाफ बोलकर अपने फ़र्ज़ की इतिश्री समझ लेते हे इस सबके बीच कोई सबसे अधिक पीस रहा हे तो वो हे आम शरीफ और सीधा साधा मुस्लिम जिसकी हिन्दू कटटरपन्ति और मुस्लिम कटटरपन्ति दोनों जान खा रहे हे इस दोहरे दबाव का में भी खूब अनुभव कर चूका हु सिकंदर हयात 2014-09-02 09:21
तारा जी ने भी अपने और अपने परिवार की खता नहीं बताई हे इसमें कोई शक नहीं की पेसो की चमक में य लोग भी अंधे से ही हो गए थे और शादी से पहले ठीक से लड़के की जांच पड़ताल का फ़र्ज़ नहीं निभाया गया हमेशा याद रखिये की अगर आपके घर आपकी आर्थिक हैसियत से काफी ऊपर का रिश्ता आता हे तो सावधानी से जांच पड़ताल जरूर कीजिये इनमे कोई न कोई राज़ अवशय ही होगा ” लेकिन
लेकिन ये कहना की नाम बदल कर ये किया गया वो किया गया ये मुझे सही नहीं लगता ये वैसा ही हे जैसे आजकल कई केसिस में विवाह या प्रेम सम्बन्ध टुट्ने के बाद एकदूसरे अनगिनत झठे सच्चे गंदे आरोप लगा ही दिए जाते हे खुद ही सोचिये नाम बदल दिया ? अरे कोई हलवा हे क्या ? आज के सिक्योरिटी के ज़माने के ज़माने में जब ” चाट खाने ” के लिए भी आई कार्ड दिखाना पड़ता हे तब भला कोई कैसे नाम बदल कर ये कर देगा वो कर देगा ये संभव नहीं लगता बात वहीं हे की लडकिया आकर्षण में पूरी तरह से दिमाग से नहीं दिल से काम लेने लगती हे अति हर चीज़ की बुरी होती हे दिल दिमाग दोनों का बेलेंस होना चाहिए
आपकी इस साइट के माध्यम से सभी मुस्लिम पाठको से सिर्फ एक प्रतिक्रिया…. ” जब आप मुस्लिमो को खुले चेहरे वाली गैर मुस्लिम लड़कियो से मोहब्बत और निकाह करने मे कोई शर्म या पछतावा नही है तो फिर मुस्लिम लड़कियॉ को क्यो बुरके मे रख कर उनकी आज़ादी का गला क्यो घोटते हो ….उपर से बखान करते हो की इस्लाम मे महिलाओ को बहुत आज़ादी और इज़्ज़त है ??
…… अपने मजहब के नियमो पर कायम हो और सच्चे मुसलमान हो तो बिना बुरके वाली की तरफ नज़र भी उठा कर मत देखो !! ….पर मुसलमान ऐसा कर नही सकता क्योकि सच और ईमानदारी पर उसका हाथ हमेशा तन्ग ही रहा है….इसलिये हाथी के दांत की तर्ज पर कहेगा कुछ करेगा कुछ…..तल्ख् टिप्पणी के लिये गुस्ताखी माफ मगर फिलहाल तो सच ऐसा ही नज़र आता है !!
आपकी इस साइट के माध्यम से सभी मुस्लिम पाठको से सिर्फ एक प्रतिक्रिया…. ” जब आप मुस्लिमो को खुले चेहरे वाली गैर मुस्लिम लड़कियो से मोहब्बत और निकाह करने मे कोई शर्म या पछतावा नही है तो फिर मुस्लिम लड़कियॉ को क्यो बुरके मे रख कर उनकी आज़ादी का गला क्यो घोटते हो ….उपर से बखान करते हो की इस्लाम मे महिलाओ को बहुत आज़ादी और इज़्ज़त है ??
…… अपने मजहब के नियमो पर कायम हो और सच्चे मुसलमान हो तो बिना बुरके वाली की तरफ नज़र भी उठा कर मत देखो !! ….पर मुसलमान ऐसा कर नही सकता क्योकि सच और ईमानदारी पर उसका हाथ हमेशा तन्ग ही रहा है….इसलिये हाथी के दांत की तर्ज पर कहेगा कुछ करेगा कुछ…..टॉक टिप्पणी के लिये गुस्ताखी माफ मगर फिलहाल तो सच ऐसा ही नज़र आता है !!
हयात भाई, हमने कभी भी किसी बालिग लड़के लड़की को अपनी पसंद के खिलाफ नही लिखा पर झूठ बोल कर धोखा देना गुनाह है जिस पर सवाल भी उतना चाहिये और उस झूठ बोलने वाले को “माकूल” सज़ा भी मिलनी चाहिये !!
मुसलमान लडको को अगर स्मार्ट लड़कियॉ की चाहत है तो ये कोई जुर्म नही है और अगर मुस्लिम समाज मे स्मार्ट लड़किया है (आप भी मानते है) तो उन मुस्लिम युवाओ को आगे आकर अपने मुस्लिम समाज को समझाना चाहिये ताकि मुस्लिम लड़कियो को भी वैसा खुलापन और आज़ादी मिल सके जैसी गैर मुस्लिम लड़कियॉ को मिलती है !!….
.वैसे क्या ये ताज्जुब नही है कि गैर मुस्लिम लड़कियॉ की स्मार्टनेस से मुस्लिम युवक प्रभावित होते है मगर खुद मुस्लिम लड़कियॉ को स्मार्ट बनने के लिये कोई पहल नही करते बल्कि रोकते है…..ऐसा दोहरापन किसे बर्दाश्त होगा ??
केवल खान सितारे ही नहीं इरफान नवाज़ुद्दीन नसीर जैसे अभिनेता हबीब तनवीर सफ़दर हाश्मी जैसे बड़े रंगकर्मी एम जे अकबर कमाल खान जैसे पत्रकार आदि आदि ने गैर मुस्लिम लड़कियों से शादिया की हुई हे मुस्लिम लड़कियों के पिता इस हालात को खुले दिमाग से समझ ले कल को जाहिर हे वो भी अपने बेटियो के लिए काबिल लड़के चाहते होंगे ये तो कोई कहेगा नहीं की भाई हमें एडिटर नहीं हमें तो स्टिंगर दामाद चाहिए डॉक्टर नहीं हमें सिर्फ कम्पाउडर दामाद चाहिए तो ज़रा समझ ले की काबिल मुस्लिम लड़के भी कैसी लडकिया चाह रहे हे हालात भाप ले