तीन दिन पहले इसराइल के अनुसार सेकंड लीफटननट हादार गोल्डन को हमास के छापा मार 72 घंटे संघर्ष शुरू होने के बाद अपहरण कर ले गए. इसलिए इस्राएल के संघर्ष विराम के चार घंटे बाद मजबूरन फिर से बमबारी करनी पड़ी और 100 के लगभग ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए. बाकी दुनिया हमास द्वारा अपहरण की पुरजोर खंडन के बावजूद हादार गोल्डन दिन दहाड़े अपहरण इजरायली दावे पर आमना और सदकना कहते हुए कहा कि यह घटना इस बात का सबूत है कि हमास को युद्ध विराम से कोई दिलचस्पी नहीं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बांका मून, अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी और राष्ट्रपति ओबामा हादार गोल्डन की बिना शर्त तत्काल रिहाई की मांग करते हुए कहा कि ऐसी घटिया हरकतों से गाजा में संघर्ष विराम की संभावना अविश्वसनीय भरपाई नुकसान पहुंच रहा है. गाजा के आम नागरिकों की हत्याएं भी दुखद है लेकिन लीफटननट हादार गोल्डन अपहरण एक बहीमाना क्रिया है जो जितनी भी निंदा की जाए कम है.
अमेरिका बेचारा हादार गोल्डन! अभी 23 साल का ही तो सुन था. कुछ ही सप्ताह बाद उसकी शादी होने वाली थी. उसके दादा और दादी नाजियों के गैस चैंबर में धकेल जाने से बाल बाल बचे और फिर दोनों ने बतौर शकराना फ़िलिस्तीन में आकर इस्राएल के स्वतंत्रता में भरपूर भाग लिया.
गाजा के नागरिकों की मौतें भी दुखद है लेकिन लीफटननट हादार गोल्डन अपहरण एक बहीमाना क्रिया है जो जितनी भी निंदा की जाए कम है.
इसलिए जिस तरह इसराइल हवाई सेना ने हादार कथित अपहरण के गम में संघर्ष विराम की निश्चिन्तता में आवश्यकताओं जीवन खरीदने वाले अधिकारी गाजा को निशाना बनाया समान हादार की मौत की पुष्टि के शोक में एक स्कूल पर हमला कर दिया जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा में कई फिलिस्तीनी शरण लिए हुए थे. अब आप कहेंगे कि मुझे 1700 के लगभग फिलिस्तीनियों शरीर और 9000 घायल और पांच लाख दरबदर योग्य गाजा और संयुक्त राष्ट्र के झंडे ोालेदफ़ातर और स्कूलों में शरणार्थी डेढ़ लाख लोग और उनके भवनों पर होने वाली बमबारी क्यों नहीं आती. मुझे गाजा लगातार कई वर्षों के समुद्री, हवाई और बुरी नाकाबंदी क्यों दिखाई नहीं देती. केवल लीफटननट हादार गोल्डन दुख क्यों मरा जा रहा हूँ. मुझे टीवी चैनलों पर संयुक्त राष्ट्र फूट फूट कर रोने वाला अधिकारी क्रिस गनेसी क्यों नहीं आता. में चार बच्चों का उल्लेख क्यों नहीं करता जो तट पर खेलते हुए किसी इसराइली युद्ध नाव गोले का निशाना बन गए. क्रीम अबू ज़ैद की बात क्यों नहीं करता जो गाजा वर्तमान युद्ध शुरू होने से सोलह दिन पहले पैदा हुआ. तईस को न समझ में आने वाले धमाकों से डर कर माँ की छाती से चिमटा रहा और अब से तीन दिन पहले अपनी उम्र के 40 दिन पूरे कर शरीर यहीं पे छोड़ गया.
ऐसे प्रश्न मुझसे नहीं इन 395 अमरीकी सेनीटरों से पूछिए कि पांच सप्ताह की छुट्टी पर जाने से पहले इसराइल के ‘रॉकेट रोक’ आयरन डोम सिस्टम के आगे विकास के लिए दो 225 मिलियन डॉलर का बजट पारित हो गया. साउदी अरब के शाह अब्दुल्ला से पूछिए जिन्हें तीन सप्ताह बाद पता चला कि गाजा में कुछ लोग मर गए हैं. मिस्र के जनरल आलसीसी और अमीर कतर हमाद अलखलीफ़ा से पूछिए जो आक्रामक हमास और बेचारे इसराइल के बीच दलाल बिना शर्त कोशिश कर रहे हैं. जॉर्डन के राजा से पूछिए जो अब तक घोषित निंदा के लिए उपयुक्त शब्दों की तलाश में हैं. और महमूद अब्बास से पूछिए जो हर राहगीर के सामने रोहानसे हुए जा रहे हैं कि भाई साहब मैं मांगने वाला नहीं हूँ बस एक मिनट मेरी बात सुन लें. दुबई से पूछिये जो सिर्फ दुनिया के बड़े बड़े माल और इमारत बनाने मे मशगूल है.उन 51 इस्लामिक मुल्क से पूछिये जो फिलीस्तीन पे हो रहे जुल्म को देख कर अपनी आंखे बंद किये हुए है.
मुस्लिम दुनिया के लिए अच्छी खबर यह है कि 11000 किलोमीटर परे दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला ने गाजा के अनाथ और घायल फिलिस्तीनी बच्चों को गोद लेने की पेशकश की है. भरी मस्जिदों में अगर मुसलमानो दुआओं से फुर्सत मिले तो वेनेजुएला को इस्लामी सम्मेलन की अध्यक्षता पेश करने पर विचार कीजिएगा.
अनुवाद- अफ़ज़ल ख़ान
१. आज के दौर में ज्यादातर लेख, खबरे, ब्लॉग, आधी अधूरी जानकारी वाले होते है, या अटकलों और गुमान पर लिखे गए होते है, सही बात की तहकीक और पूरी जानकरी के आभाव में लिखी गई बाते पहले से गुमराह लोगो की गुमराहियों को और बढ़ाती है!
यहूदि पूरे ईसाई जगत में एक जनजाति थे, जो यूरोपीय शहरों में उपनगरीय इलाके में गंदे क्षेत्रों तक ही सीमित थी! इन्हें यीशु के हत्यारों को रूप में जाना जाता था (और आज भी ईसाई यही मानते है)!
यहूदियों से जानवरों की तरह व्यवहार किया जाता था और इन्हें ईसाई देशों में किसी भी प्रकार के अधिकार प्राप्त नहीं थे! इसके विपरीत यहूदियों को अरब इस्लामी दुनिया में नागरिकों के रूप में रहने की आजादी दी गई थी!
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ईसाई जगत में यहूदियों पर अत्याचार जर्मनी में एक भयानक स्तर पर पहुंच गया था, हिटलर और उसकी नाजी पार्टी के यातना शिविरों में हजारों, लाखो की तादाद में यहूदियों मारे गए!
द्वितीय विश्व युद्ध के अंत होने के बाद यूरोप जगत यहूदियों के अभिशाप से छुटकारा चाहते थे और हिटलर के खिलाफ लड़ाई में सहयोगी दलों का साथ देने के बदले में इनाम की मांग की और ब्रिटेन ने यहूदियों से फिलिस्तीन में एक राज्य का वादा किया! मित्र राष्ट्रों ने यहूदियों को फिलिस्तीन की अरब भूमि में अपने लिए एक राज्य की पेशकश कर दी, इस प्रकार यूरोप जगत के ईसाईयों ने उस जाती से छुटकारा प्राप्त किया जिसे वे गन्दी और नीच समझते थे!
इसराइल की परियोजना पर जियोनिस्ट (जो कि यहूदियों का एक समूह है) ने कार्य शुरू करना शुरू कर दिया, यहूदी फिलिस्तीन में खुले तौर पर और चुपके-चुपके आने लगे! हालाँकि अरब में भी कुछ यहूदी उस समय रहते थे लेकिन उन्होंने न तो यहूदी राज्य की कभी मांग की थी और ना ही वहां से अरबो को निकाले जाने की बात कही थी!
आज भी कई यहूदी लोग और उनके रब्बी (उनके धर्म गुरु) इस्राइल राज्य के विरुध है और इसके लिए कई बार उन्होंने प्रदर्शन भी किये ! (यू ट्यूब पर ऐसे वीडियो प्रमाण के लिए उपलब्ध है)!
अप्रैल 1948 में, मेनाचेम बेगिन नाम के व्यक्ति के नेतृतव में एक यहूदी आतंकवादी संगठन ने फिलीस्तीनी अरब समुदाय में कत्ले आम मचाना शुरू किया जिसमे यरूशलेम के पास एक गांव में 250 अरब नागरिक मारे गए! (बाद में जो इसराइल के प्रधानमंत्री बना और 1978 में नोबेल शांति पुरस्कार से उसे सम्मानित किया गया) !
किसी की भी हत्या का समर्थन नही किया जा सकता मगर हत्या अलग अलग होती अलग अलग कारणो से होती है जब बॉम्ब गिराया जाता है तो आतक्वादी देख गिराया गया होगा अब बॉम्ब पा को पता नही के मरने वाले आतक्वादी है आ औरत बच्चे मगर जो पाकिस्तान मे किस्मस के दिन चर्च मे बॉम्ब ब्लास्ट काइया गया उनको ए अक्छी तरह पता था वो किसे मार रहे है बोको हरम के लोगो ने लड़कियतो स्कूल से उठाया था तो उन को पता था वो किया कर रहे है जा य्धा होता है तो सिपाही के साथ आम लोग भी मारे जाते है ए बात आप को सभी को पता है कत्ल जन बुज़ कर किया जाता है या फिर अनजाने मे हो जाता है अभी आप की मर्जी के आप इस लड़ाई को किस नजर से देखते है
अफ़ज़ल साहेब.. “” मुसलमानो का कुछ वैसा ही है की दर्द पेट मे है और शिर पकड़कर बैठे है.. “” आप को सुन्नी द्वारा मार गिराये जा रहे शिया ओ के बच्चो और औरतो की कोई फिकर नही है और वैसे ही सियाओ द्वारा.. लेकिन एक काफ़िर कॉम कुछ करती है तो “” मार डाला , मार डाला”” की बाँगे पुकारी जाती है.. जब की मार खाने की और मारने की अंदरूनी हेवानियत मुसलमानो की सबसे ज्यादा जाहिल है… ना मुसलमानो मे कोई गाँधी है, ना कोई विवेकानंद , ना कोई अन्ना हज़ारे, ना कोई सुनील दत्त, ना कोई मोरारी बापू, ना कोई शान्ती का पाठ पढ़ाने वाले मुस्लिम फ़कीर.. “” इतने मे ही समाज जाइये की आर्या संस्कृति के मूल मे क्या है और अरबी विकृति के मूल मे.. इसलिये आप की बात 51 देश तो क्या आप का पदोषी मुसलमान भाई भी नही मानेगा.. “” पानी कुए मे होगा तो खेत के लिये काम मे आयेगा.. “”
वर्तमान फलस्तीन और इस्राइल युद्ध के कुछ कारण ये हो सकते है – (अ) मुस्लिम ब्रदरहुड को सत्ता से बेदखल और हमास का समर्थन बंद हुआ, इस्राइल ने ऐसा अवसर मिलते ही हमास का समाप्त करना शुरू कर दिया! (आ) इस्राइल की वर्तमान सरकार प्रधानमंत्री बेंजामिन के नेतृतव में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार आदि से निपटने में असफल हो रही है, अत: जनता का ध्यान बटाने के लिए और अपनी साख नागरिको में बनाने के लिए युद्ध का सहारा लिया गया! (इ) इस्राइल नए नए हथियार बनाता है और उसे दुनिया में बेचता है, इस्राइली अर्थव्यस्था का बड़ा हिस्सा हथियारों के उत्पादन और निर्यात पर निर्भर है, आर्थिक मंदी से जूझ रहे देश हथियार निर्यात से अपनी अर्थव्यवस्था बचाए हुए है ! हर युद्ध में इस्राइल हथियारों का परिक्षण करता है और उसके बाद हथियारों की प्रदशनी भी लगाता है! 50% हिस्सा हथियारों का इस्राइल भारत को बेचता है! (ई) हाल ही अरब देशो में हुए जनता विद्रोह और सत्ता परिवर्तनों के बाद अरबों के विरोध और मानसिकता का विश्लेषण करना और भविष्य की रूप-रेखा तैयार उसके अनुसार तैयार करना! (उ) अमेरिका के व्यवहार (ख़ास तौर पर ओबामा प्रशासन) को जांचना की वो इस्राइल के प्रति क्या रवैया अपनाए हुए है! (ऊ) इस्राइल की स्थापना के बाद ही ग्रेटर इस्राइल का मैप भी तैयार कर लिया गया, उसी के अनुसार धीरे धीरे इस्राइल ने अपने क्षेत्रफल का विस्तार करता गया, जनसंख्या भी बढ़ी, अब बाकी हिस्सों को अपने में मिलाकर ग्रेटर इस्राइल के निर्माण की कोशिश और अपनी जनता के लिए भूमि को उपलब्ध कराना !
निसंदेह इस्रएल की जितनी निन्दा की जाए कम है परंतु 51 मुस्लिम देशों का मौन रहना उस से भी अधिक चिंता का विषय है परंतु जो लोग अपने अच्छे ईमान की हालत में हैं और जो आखिरत पर यकीन रखते हैं और जो मुसलमान दुनियाँ के अंतीम समय के संदर्भ में मुहम्मद स. अ. व़. के पेशन गोई के बारे में जानते हैं उनके लिये ए सब उनके ईमान को और अधिक शक्ति देने वाली बात है. चलिये संक्षिप्त में एक नज़र विश्व के अंतीम समय के संदर्भ में इस्लाम क्या कहता है देखते हैं………. 1) इसराएल प़ूरे विश्व का अकेला सूपर पॉवेर् बनेगा और विश्व के सभी अन्य देशों पर ज़ुल्म करेगा, 2) बहुत से मुस्लिम देश / शासक (जो केवल नाम मात्र के मुस्लिम होंगें) प्रतेयाक्ष या अपरतेयाक्ष रूप से यहूदियों के सहायक होंगें. 3) रिबा (सूद/ ब्याज) इस प्रकार से आम हो जाएगा के जो कोई मुस्लिम भी इस से बचना भी चाहे वो भी इसके गर्द- गुबार से बच नहीं पाएगा. 4) मुसलमानों की सँख्या अधिक होगी परंतु उनमें ईमान वाले नाम मात्र के ही होंगें, बुराई पूर्ण रूप से अच्छाई और अच्छाई पूर्ण रूप से बुराई का स्थान ग्रहन कर लेगी अर्थात सत्य को झूट और झूठ को सत्य कहा जाएगा. 5) बहरे तेबरियस (Galili Sea) जो इज़्रेल और जोर्डन के बीच स्थित है वो खुश्क अर्थात उसका पानी शुष्क हो जाएगा. 6) इसी बीच मेहदी आ. स. का उदय होगा जो 7 वर्षों तक खिलाफत की हुक़ुमत चलाएंगें जिसके बाद काना दज्जाल (यहूदियों का झूठा मसीहा) रिहा हो जाएगा जिसका साथ यहूदी देंगें, हक़ीक़त में दज्जाल एक धोका हो गा यहूदियों के लिये. फिर ईसा आ. स. का उदय होगा जो दज्जाल का वध/ क़त्ल करेंगें और विश्व के बाक़ी बचे सभी काफ़िर ईसा आ. स की नज़र पड़ते ही मर जाएंगें जो थोड़े बच जाएंगें वो प़ूरे ईमान पर होंगें, उसके कुछ वर्ष बाद ईसा आ. स. की मृत्यु (जिनको अल्लाह ने जिंदा उठा लिया था) होगी. उसके थोड़े ही वर्ष बाद अल्लाह इस दुनियाँ को हमेशा के लिये नष्ट कर देगा….
Jaisa karoge wahi baroge
brajil ke pardhanmantri ne bhi ghaza hamle ke virodh me apne ambassdor ko wapas bula liya hai. dub maro islami desho
हमास सुन्नी हे मगर ईरान से करीबी रखता हे इसलिए सऊदी अरब क़तर सब चुप चाप कत्ले आम देखते रहे
साउथ अमेरिका अमेरिका के आगे दुम ना हिलाने क्रांतिकारियों की धरती रहा हे अफ़सोस वेन्ज़ुएला के ह्युगो शावेज़ अब हमारे बीच नहीं हे नहीं तो वो फिलीस्तीनियों का इतनी आसानी से कत्लेआम ना होने देते फिर भी वेनेजुएला की पहल सराहनीय हे शावेज़ के साथी बोलीविया के राष्ट्रपति ने तो इज़राइल को आतंकवादी देश घोषित कर दिया हे अरब शेख जब हमेशा की तरह अय्याशीयो मे बिज़ी होते है तब अमेरिका की एक मासूम लड़की रशेल कोरी फिलीस्तीनियों के लिए शहीद हो जाती हे तब क्रिस गनेसी फिलीस्तीनियों के लिए रो रहा हे फिलीस्तीनियों को समझ लेना चाहिए की अगर उन्हें इन्साफ और अपना मुल्क चाहिए तो भले गैर मुस्लिमो के साथ और इज़राइल विरोधी भले यहूदियों के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर लड़े भारत में भी भले ही घिनोने बज़रंगी फिलिस्तीनी बच्चो औरतो की मौत पर जश्न मन रहे हो मगर भारत का बहुमत फिलीस्तीनियों के साथ हे तो इनके साथ मिलकर लड़े मुस्लिम यूनिटी के झूठ में मुब्तिला ना रहे मुस्लिम यूनिटी जैसी कोई चीज़ नहीं हे
लेकिन पूंजीवादी पिशाचों का कमीनपन देखिये की जिसकी कोई इंतिहा नहीं हे ( अभी भारत में भी जो मासूम युवा लड़की बेमौत मारी गयी उसके पीछे भी पूंजीवादी पैशाचिक सोच होने का मुझे अंदेशा हे कों जाने शायद सोचा हो की तलाक में तो बहुत पैसा देना होगा उससे तो — अल्लाह तौबा ) इधर अमेरिकी पूंजीवादी पिशाचों का कारनामा देखिये जो बहुत सालो से मंदी का शिकार हे और हथियार उद्योग ही इनकी सबसे बड़ी उमीद हे इन्होने बजाय इज़राइल को रोकने के उलटे उसे हथियार थमाय मकसद साफ़ हे की इज़राइल की हैवानियत से सारी दुनिया में मुसलमानो का गुस्सा भड़केगा जिसको सबसे ज़्यादा आवाज़ मुस्लिम कटटरपन्ति और आतंकवादी देंगे जिसका प्रभाव भारत से लेकर अरब देशो से लेकर मोरररको लीबिया तक होगा और यहा की सभी सरकारे अपनी सुरक्षा के लिए धड़ाधड़ और हथियार खरीदेगी देखे तो मोदी सरकार भी इज़राइल से वो रक्षा प्रणाली खरीदने की बात कर रही हे जो भारत से 200 गुना आकाश वाले छोटे इज़राइल की रॉकेट – मिसाइल हमले से रक्षा करती है है कोई तुक ?
jis tarah filistino ka qatal hua hai use hum sahi nahi thahra skte hai, maakhir hamas ne jangbandi kar hi li, swal ye hai ke jab aap powerful nahi hai to jang kyo ladte hai aur jhut ka awaam ki hatya karwate hai
wasi
August 08,2014 at 04:27 PM IST
आप इस्लाम के बारे मे कैसे और कहाँ से जानते हैं?
1. दुनिया मे कहीं भी मुस्लिम दूसरे मुस्लिम से नही लड रहा. शिया मुस्लिम नही है, बल्कि इस्लाम के दुश्मन है, और यह हर रसूल और अल किताब (क़ुरान) पे ईमान रखने वाला जानता है. इस्लाम अमन और ईमान का पैगाम देता है. बिना ईमान के अमन, तूफान के पहले का सन्नाटा है. आखिरकार आखिरत के बाद की जिंदगी ही स्थायी है, वहां ईमान ही काम आता है.
2. मुसलमान का फ़र्ज़ है, राह से भटके हुये लोगो को जहन्नुम की आग से बचाना. हम खुदगर्ज नही, की सिर्फ अकेले ही जन्नत जाना चाहते हैं. जन्नत कोई मुम्बई का स्लॅम नही, जहां ज्यादा लोगो के आने से जगह कम हो जायेगी. दुनिया के तमाम लोगो को अल्लाह जन्नत मे पनाह दे सकता है. किसी भी इंसान को किसी भी प्रकार जहन्नुम (दोज़ख) की आग से बचाना, परोपकार का काम है.
आप पूरी क़ुरान को इस साइट पे जाके पढ सकते हैं, आपकी गलतफहमियां दूर हो जायेगी. और फिर भी जहन्नुम की आग मे जलना चाहे तो आपकी मर्जी.
http://www.quranhindi.com
जवाब दें
वासी भाई आपने इंकार किया था की आप जाकिर साहब के चेले नहीं हे जिस पर मेने शक जाहिर किया था लेकिन यहाँ आप सेम जाकिर साहब की लाइने रट कर बोल रहे हे ? ( ” हम खुदगर्ज नही, की सिर्फ अकेले ही जन्नत जाना चाहते हैं ” ) खेर वासी भाई बात ये हे की अच्छे से समझ लीजिये और जाकिर साहब को भी समझा दीजिये की ये हिन्दू लोग कभी भी अपना अवतारवाद बहुदेववाद मूर्तिपूजा कभी भी नहीं छोड़ेंगे क्योकि यही इनकी संस्कर्ति हे और इन्हे अपनी संस्कर्ति प्यारी हे जो
इन्होने हज़ारो साल की गुलामी में नहीं छोड़ी तो भला अब क्यों छोड़ेंगे ? इसी तरह शिया अपना अक़ीदा नहीं छोड़ेंगे बरेलवी अपनी मज़ारे नहो छोड़ेंगे ईसाई हज़रत ईसा को यहूदी हज़रत मूसा को कभी भी नहीं छोड़ेंगे और आप और में दोनों सुन्नी देवबंदी हमें इन्ही हिन्दुओ शियाओ बरेल्वियो ईसाइयो के साथ ही रहना होगा इनका दीन इनके लिए हमारा हमारे लिए बाकी अल्लाह जाने वासी भाई सुन लीजिये की अगले एक
से ३० सालो में हिन्दुओ शियाओ बरेल्वियो ईसाइयो की संख्या में एक से 30 % की कमी नहीं आएगी अगर आ गयी यानी में गलत सिद्ध हो गया या फिर ये कहने के पीछे मेरी कोई गलत नियत हे तो में खुद कहता हु की अल्लाह मुझे इस दुनिया और आख़िरत दोनों में इसकी कड़ी से कड़ी से कड़ी सजा दे वासी भाई इन्हे अल्लाह के सुपुर्द करिये और अपने ही अक़ीदे वाले लोगो की फ़िक्र कीजिये की इनका क्या होगा भला दुनिया की ऐसी
कौन सी बुराई हे जो इनमे हे और हममे नहीं हे ? हमारे ही अक़ीदे वाले हमारे रिश्तेदारो ने हमारी मुद्रा स्फीति को जोड़ ले तो लगभग एक करोड़ रूपये की संपत्ति कब्ज़ा और खा राखी हे तो भला क्या वो लोग जन्नत जाएंगे ? और ऐसे लाखो करोडो केस मिलेंगे तो वासी भाई इनके जन्नत जाने की फ़िक्र कीजिये इसी को ठीक करने में हमारी पूरी जिंदगी निकल जायेगी हिन्दुओ शियाओ ईसाइयो बरेल्वियो ईसाइयो पर से अपना ज़ेहन हटा लीजिये खुदा के वास्ते
बाकी में इस विषय पर अफज़ल; भाई की साइट पर लिखूंगा आप भी आइये और बात होगी
वासी साहब, मरने के बाद हम कहा जायेंगे की टेंशन मे कम से कम हम किसी किताब को पढ कर इस धरती की अपनी लाइफ खराब नही करने वाले और रही बात कि …..<>…..और अगर इसका जवाब आपकी क़ुरान सही और स्पष्ट तरीके से देती है तो सब कुछ सामने दिख रहा है जिसका मतलब कुछ यू निकलता है….इस दुनिया मे आये हो तो जाहिल बन कर रहो….दूसरो पर जबरदस्ती, उनका कत्ल सब जायज है …. ना खुद चैन से जियो और ना दूसरे को जीने दो …..भुखमरी, मुफ़लिसी, अशिक्षा और जाहिलियत को गले लगा कर सिर्फ मुसलमान मुसलमान चिल्लाते रहो??….जनाब आपकी क़ुरान आपको ही मुबारक 🙂