मैं आजकल के जिस टीवी चैनल पर जाता हूं, कश्मीर का सवाल जरूर उठा दिया जाता है। जब मैं एंकरों और दूसरे साहबान से पूछता हूं कि आप बताइए कश्मीर का हल क्या है तो उनके पास कोई ठोस, सगुण, साकार जवाब नहीं होता है। हां, आजकल एक नई बात सबके मुंह से सुन रहा हूं। कोई भी यह नहीं कह रहा है कि हम डंडे के जोर से कश्मीर ले सकते हैं। लगभग सब समझदार लोग अब पाकिस्तान में मानने लगे हैं कि कश्मीर का हल बातचीत से ही हो सकता है। इस संबंध में मेरी बात उन बड़े फौजियों से भी हुई, जिन्होंने कभी तलवार के जोर पर भारत से कश्मीर छीनने की कोशिश की थी।
प्रश्न यह है कि पाकिस्तान में यह हवा कैसे बदली और क्यों बदली? इसका मूल कारण मुझे यह दिखाई पड़ता है कि अब पाकिस्तान के लोग थकान महसूस करने लगे हैं। उन्होंने देख लिया कि चार-चार युद्ध कर दिए लेकिन वे कश्मीर की एक इंच जमीन भी नहीं छीन सके, बल्कि अपने हजारों जवान और घुसपैठिए खो दिए, करोड़ों-अरबों रुपए का गोला-बारूद बरबाद हुआ और कश्मीर के नाम पर एक ऐसी जमात खड़ी हो गई, जो खुद पाकिस्तान के गले को आ जाती है। उग्रवाद, आतंकवाद, हिंसा- ये सब कश्मीर-आंदोलन के अंजाम (बाय-प्रोडक्ट) हैं। लोग कश्मीर का हल अब भी चाहते हैं लेकिन बातचीत से चाहते हैं।
अब बातचीत का रास्ता उन्हें बेहतर इसलिए भी लगता है कि उनके मन से भारत का डर निकल गया है। वे भी परमाणु-शक्ति हैं, जैसा कि भारत है। उन्हें पहले डर था कि भारत उनसे कई गुना बड़ा है। वह हमला कर सकता है, पाकिस्तान को तोड़ सकता है, उससे वह कश्मीर भी छीन पाकिस्तान सकता है लेकिन अब तो दोनों बराबरी की ताकतवाले देश हो गए हैं। तो अब वे क्या करें?
जब हर चैनल पर मुझसे यह सवाल पूछा जाता है तो मैं कहता हूं कि कश्मीर-विवाद में दो नहीं, चार पार्टियां हैं। भारत और पाकिस्तान के अलावा दोनों कश्मीर भी हैं। दोनों कश्मीरों के लोगों और नेता को तय करने दो कि कश्मीर का भविष्य कैसा हो? सबसे पहले कश्मीर के दोनों हिस्सों को एक-दूसरे के लिए खोल दिया जाए। कश्मीरी लोग भारत या पाकिस्तान में विलीन नहीं होना चाहते। ठीक है। वे चाहते हैं-आजादी। आजादी तो उन्हें मिलनी ही चाहिए। पूरी आजादी। वैसी ही आजादी, जैसी दिल्ली और लाहौर के लोगों को है। लेकिन आजादी का मतलब अलगाव तो नहीं है? आजादी और अलहदगी में हमें फर्क करना होगा। मैं अपने हुर्रियत के नेताओं और पाकिस्तानी कश्मीर के नेताओं से भी कहता हूं कि यदि आप कश्मीर को स्वतंत्र और सार्वभौम राष्ट्र बनाकर अलग कर देंगे तो उसकी आजादी खत्म हो जाएगी। वह बारह खसम की खेती बन जाएगा। उसका जीना हराम हो जाएगा। ऐसे कश्मीर का सबसे ज्यादा विरोध पाकिस्तान करेगा। पाकिस्तान के कई प्रधानमंत्रियों से हुई मेरी व्यक्तिगत बातचीत में और सार्वजनिक बयानों में भी उन्होंने अपनी इस राय को नहीं छुपाया है। उन्होंने साफ-साफ कहा है कि यदि कश्मीर में जनमत-संग्रह होगा तो आजादी का तीसरा विकल्प कश्मीर को नहीं दिया जा सकता।
वास्तविकता यही है। इसलिए दोनों कश्मीरों को पूर्ण स्वायत्तता (आजादी) देकर खुद-मुख्तार बनाया जाना चाहिए और जो कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी की खाई बन गया है, उसे दोस्ती का पुल बनाया जाना चाहिए।
Kashmir Aazad Bharat ka ek rajya h, esme aazad karne wali kaun si baat h. Aap nirarthak padesham na ho.
ंऊड़ॅ
इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ईमानदारी के साथ सार्थक प्रयास किये जाने चाहियें।
kashmir bharat ka hissa hai gulam nahi fir aazadi kis baat ki.
श्रीमान वेद प्रताप वेदिक जी, वैसे तो आपको टी वी चॅनेल्स की चीख पुकार वाले प्रोग्राम (सॉरी उन प्रोग्राम्स को राजनीतिक पार्टीयो के नुमाइंडो का डिस्कसन कहते है) मे देख कर और कुछ एक जगह आपके लेखन से ऐसा कुछ भी निष्कर्ष नही निकलता जो आप को औरो से अलग प्रतिभाशाली पत्रकार साबित करता हो….बाकी पोपुलर होने के कुछ सटीक नुस्खे नीचे लिखे है जो हमेशा कामयाब रहते है (पोपुलर होने का मतलब सिर्फ पोपुलर होना ही माना जाये इसे कुख्यात और विख्यात के तराजू मे ना तोला जाये:)
1-अमिताभ बच्चन की बुराई कर दीजिये
2-नंगेपन को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जोड़ दीजिये (हमसे उन नामचीन नंगो के नाम बुलवाने का अपराध मत करवाइये)
3-कश्मीर मुद्दे पर अपनी राय दे दीजिये पर राय ऐसी हो कि उसका भारत मे विरोध हो और कश्मीर मे स्वागत !!….एकाध नॉवेल लिखने वाले भी इस मुद्दे पर बोल कर आज करोड़ो कमा रहे है, पोपुलर हुए सो अलग (कुख्यात और विख्यात से अलग) !!
हार्दिक बधाई क्योकि अब आप भी काफी पोपुलर हो चुके है 🙂