मै सबसे पहले इस लेख के माध्यम से सभी लोगों से ये कह देना चाहता हूं कि क़पया वे इस्लाम को मुसलमानों के कामों या उनके चरित्र से और उनकी बातों से न समझें. बहुत अफसोस की बात है कि मुसलमान इस्लाम से बहुत दूर होते जा रहे हैं. मै इस्लाम के बारे में जो भी बात करूंगा वो कुरआन और हदीस के आधार पर करूंगा. इस्लाम इंसानी समाज में सुधार के लिए ही आया था, परन्तु इस्लाम अपनी जगह वैसे ही रहा और मुस्लिम समाज का चरित्र पतन होता रहा .
मुसलमानों की सामाजिक सरंचना धर्म और कुरआन के निर्देशों पर आधारित है, इस्लाम जाति व्यवस्था को स्वीकार नहीं करता है. और यह बतलाता है की जन्म, वंश और स्थान के आधार पर सभी मुसलमान बराबर हैं. और मुसलमानों में हिन्दुओ जैसी कोई बंद जाति व्यवस्था नहीं है। यह एक सैधांतिक बात है. परन्तु जब हम मुसलमानों को व्यवहार की द्रष्टि से देखते हैं तो पता चलता है कि किसी ना किसी रूप में मुस्लिम समाज में भी इस्लाम के विरुद्ध जाति व्यवस्था कि जड़ें गहरे तक पायी जाती है. और सभी मुसलमान खुद को एक नहीं मानते हैं। केवल इतना ही नहीं, विवाह इत्यादी में भी एक-दूसरे से सम्बन्ध स्थापित करने में भी कुछ सामजिक और जातीय नियमों का पालन करते हैं। अर्थात विवाह सम्बन्ध स्थापित करने में भी मुसलमान पूर्ण स्वतंत्र नहीं है। कुछ ऐसा प्रतीत होता है की भूगोलिक प्रजातीय, जनजातीय और राजनैतिक विभेदों के परिणाम स्वरुप मुस्लिम समाज में भी सामाजिक ( unch-neech )संस्तरण की व्यवस्था विध्यमान है। भारतीय मुसलमानों पर अरब/ तुर्की और फारस के मुसलमानों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव है। फलस्वरूप इनमें भी एक ऐसा सामाजिक संस्तरण (social stratification) पनप गया है जिसको समझा जाना आवश्यक है।
भारत में सामाजिक संस्तरण के विकसित होने का कारण ( उच्च – दलित )हिन्दुओं का मुस्लिम में परिवर्तित होना रहा। यधपि परिवर्तित मुसलमान पूर्णतया अपने मूल जाति-धर्म को छोड़ नहीं पाए और न ही पूर्णतया परिवर्तित हुए। हां सम्बन्ध दोनों ओर रखा !! मुस्लिम सामाजिक सरंचना के सम्बन्ध में दो तथ्य उल्लेखित किया जाना जरूरी है। पहला, मुस्लिम समाज में सामाजिक संस्तरण व्यवहार में विध्यमान है। और दूसरा, मुस्लिम प्रशासकों ने अपनी ओर से हिंदू जनसख्या के भाग को मुस्लिम जनसँख्या में परिवर्तित होने की पूरी पूरी छूट भी दी थी।
उपरोक्त दो तथ्यों से फिर दो तथ्य सामने आ जाते हैं, पहला, मुस्लिम समाज में वो मुसलमान जिनके पूर्वज विदेश से आकार बसे ( ब्यापार के सिलसिले में )। और दूसरा, वो मुसलमान जो अपनी जाती या धर्म परिवर्तित करके मुसलमान बन गए। मोटे तौर पर भारतीय मुसलमानों को तीन स्तरों में विभक्त किया जा सकता है। पहला, उच्च जाती के मुसलमान जिन्हें “अशरफ” शब्द से पुकारा जाता है। दूसरा, धर्म परिवर्तन द्वारा बने मुसलमान और तीसरा, जिनको व्यवसाय के परिवर्तन स्वरुप मुसलमानों में शामिल किया गया-।
इस सम्बन्ध में दूसरी विचारधारा प्रसिद्द विद्वान नजमुल करीम साहब की है इनके अनुसार भारतीय मुसलमानों को हिन्दुओ की भाँती चार खंडों में विभक्त किया गया है- सैय्यद, मुग़ल, शैख़ और पठान।
इस सम्बन्ध में उनका कहना है कि अशरफ मुसलमानों में वो मुसलमान आते हैं जो विदेशो से आकार भारत में बस गए और ये लोग खुद को भारतीय मुस्लिम जाति संस्तरण में सबसे ऊँचा मानने लगे । “अशरफ” शब्द अरबी भाषा के शरीफ शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है ‘आदरणीय’ अर्थात वे मुसलमान आदरणीय हैं जो अशरफ मुसलमान है! धर्म परिवर्तित वे मुसलमान हैं जो मूलतः हिन्दुओं की उच्च जातियों से परिवर्तित हैं। इन्होंने अपनी स्थिति अशरफ मुसलमानों से ऊँची समझी और व्यवसायिक मुसलमानों से खुद को ऊपर माना!! श्रेष्ट मुसलमानों ओर व्यवसायिक मुसलमानों के बीच का यह वर्ग है। तीसरे मुसलमान वे हैं जो प्रारंभ में हिंदू थे जिनके पूर्वजो ने कुछ मुसलमान व्यवसाय अपना लिए और फिर वे मुसलमान बन गए। ये मुसलमान भारत के सभी प्रान्तों में पाए जाते हैं।
, सैय्यद मुसलमानों में, वे लोग अपने को मानते हैं, जो मुस्लिम समाज में हिंदुओं की तरह ब्राह्मणों का स्तर रखते हैं। वैसे ‘सैयद’ का शाब्दिक अर्थ “राजकुमार” से है। ये लोग अपने नाम के आगे मीर और सैय्यद शब्दों का प्रयोग करते हैं। सैय्यदों में अनेको उपजातिया हैं, जिनमें असकरी, बाकरी, हसीनी, हुसैनी, काज़मी, तकवी, रिज़वी, जैदी, अल्वी, अब्बासी, जाफरी और हाशमी जातियां आती हैं।
शैख़ जातियों में, उस्मानी सिद्दीकी, फारुखी , खुरासनी, मलिकी और किदवई इत्यादी जातियां आती हैं। इनका सैय्यदों के बाद दूसरा स्थान है। शैख़ शब्द का अर्थ है मुखिया, परन्तु व्यवहार में मुसलमानों के धार्मिक गुरु शैख़ कहलाते थे, भारत के सभी प्रान्तों में ये लोग पाए जाते हैं।
मुगुल लोगों में, उजबेक, तुर्कमान, ताजिक, तैमूरी, चंगताई, किब और जिंश्वाश जाति के लोग आते हैं। माना जाता है कि ये लोग मंगोलिया में मंगोल जाती के लोग हैं और अपने नाम के आगे ‘मिर्ज़ा’ शब्द का प्रयोग करते हैं।
पठानों में, आफरीदी, बंगल, बारक, ओई, वारेच्छ, दुर्रानी, खलील, ककार, लोदहो, रोहिल्ला और युसुफजाई इत्यादी आते हैं। इनके पूर्वज अफगानिस्तान से आये थे। अधिकांशतः ये लोग अपने नाम के पीछे ‘खान’ शब्द का प्रयोग करते हैं।
राजस्थान के मुस्लिम राजपूतों में तलवार के बल पर और मनसबदारी, ऊँचे ओहदों, धन, प्रशासन और सरकारी सम्मान इत्यादि के लालच में और वैवाहिक संबंधो के कारण बहुत राजपूत जातियां मुस्लमान बनी। इन में मुसलमान होने से पहले ही ऊँच-नीच का भेदभाव अत्यंत तीव्र था और मुसलमान होने के बाद भी इन्होंने जातिगत भेदभाव बनाये रखा। इसी कारण ये अपने से निचली जातियों में खान पान और वैवाहिक सम्बन्ध नहीं रखते, जो आज भी बरकरार है। ये केवल अपने सामान और ऊँची अशरफी जातियों तक सीमित हैं। इन जातियों में, चंदेल, तोमर, बरबुजा, बीसने, भट्टी, गौतम, चौहान, पनबार, राठौर, और सोमवंशी हैं।
मुसलमानों में कुछ जातियों को व्यवसाय के आधार पर भी समझा जा सकता है, इनमें अंसारी (जुलाहे/बुनकर), कुरैशी (कसाई) छीपी, मनिहार, बढाई, लुहार, मंसूरी (धुनें) तेली, सक्के, धोबी नाई (सलमानी ), दर्जी (इदरीसी), ठठेरे जूता बनाने वाले और कुम्हार इत्यादी शामिल हैं। ये व्यावसायिक जातियां थी जो पहले हिंदू थी और बाद में मुसलमान में परिवर्तित हो गईं। इसके अतिरिक्त अनेक व्यवसायिक जातियां है जैसे-आतिशबाज़, बावर्ची, भांड, गद्दी, मोमिन, मिरासी, नानबाई, कुंजडा, दुनिया, कबाड़ियों, चिकुवा फ़कीर इत्यादी।
मुसलमानों में अस्पृश्य जातियां भी है। हालाँकि पैगम्बर मुहम्मद (S.A.W.) ने मनुष्यों में भेदभाव नहीं माना था, परन्तु भारतीय समाज की दशा में ये अलग तरह से सामने आया और मुस्लिमो में भी छुआछूत और भेदभाव की बाते सामने आईं। यद्यपि ये हिन्दुओं जैसी कठोर नहीं थी, फिर भी अशरफ और राजपूत जातियां इनसे दूर ही रहीं। इन जातियों में अनेक उपजातियां मिलती है जैसे- गाजीपुरी, रावत, लाल बेगी, पत्थर फोड, शेख, महतर, बांस फोड और वाल्मीकि इत्यादी।
इस प्रकार आसानी से समझा जा सकता है कि भारतीय मुस्लिमों में जातीय व्यवस्था के भारत के संदर्भ में क्या आधार रहे हैं।,…
कुरान की ऊटपटाँग गलतियाँ और विरोधाभास :-
(१) क्या कुरान में मिलावट हो सकती है ?
नहीं ( 6:34, 6:115, 10:64, 18:27 )
हाँ ( 2:110, 16:101 )
(२) मुहम्मद से कितने फरिश्तों ने बातें कीं ?
सिर्फ एक ( 19:16-19 )
एक से ज्यादा ( 3:42, 3:45 )
(३) अल्लाह का एक दिन ईंसानों के हिसाब से कितना लम्बा है ?
1000 साल ( 22:37, 32:5 )
50000 साल ( 70:4 )
(४) काफिरों की दोस्ती शैतानों से कौन करवाता है ?
अल्लाह ( 7:27 )
काफिर खुद ( 7:30 )
(५) क्या फराओन को मार दिया गया बचाया गया ?
मार दिया गया ( 17:102-103, 28:40, 43:45 )
बचा लिया गया ( 10:90-92 )
(६) क्या सभी यहूदी और ईसाई जहन्नुम या दोखज में भेजे जायेंगे ?
हाँ बिलकुल भेजे जायेंगे ( 3:85, 5:72 )
नहीं भेजे जायेंगे ( 2:62, 5:69 )
(७) क्या मुहम्मद ज़कात माँगता है ?
हाँ ( 2:195, 8:41, 9:103, 9:111, 47:38, 57:10 )
नहीं ( 12:104, 36:21, 42:23, 52:40, 68:46 )
(८) यहूदियों और ईसाईयों के साथ कैसा सलूक करना चाहिए ?
उनसे मुहब्बत से पेश आओ ( 2:109 )
उनके खिलाफ लड़ो ( 9:29 )
(९) पहले क्या आया जन्नत या ज़मीन ( धरती ) ?
पहले जन्नत आई ( 79:27-30 )
पहले ज़मीन आई ( 2:29, 41:9-12 )
(१०) क्या अल्लाह सब कुछ माफ कर देगा ?
हाँ अल्लाह किसी को भी किसी भी बात के लिए माफ कर देगा ( 4:110, 39:153 )
नहीं कुछ बातें हैं जिनके लिए अल्लाह किसी को कभी माफ नहीं करता ( 4:48, 4:116, 4:137, 4:168, 9:80, 47:34, 63:3-6 )
(११) अल्लाह ने मुहम्मद को लड़ाई में कितने फरिश्तों की सहायता दी ?
3000 फरिश्तों की सहायता दी ( 3:124-126 )
1000 फरिश्तों की सहायता दी ( 8:9-10 )
(१२) क्या कोई भी ईंसान अपना अपना दीन या मज़हब को मानने को आज़ाद है ?
हाँ बिलकुल है ( 2:256, 18:29, 109:6 )
नहीं बिलकुल नहीं ( 3:32, 3:28, 3:85, 4:89, 4:114, 5:51, 18:29, 30:45, 60:1 )
काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं और तुम्हारे लिए खुला निशाना भी ( 4:101, 9:12-14, 9:29, 9:123 )
काफिरों को कत्ल कर दो ( 4:89, 9:5 )
(१३) धरती और जन्नतों को बनाने में कितना समय लगा ?
छे दिन लगे ( 7:45, 10:3, 11:7, 50:38, 57:4 )
आठ दिन लगे ( 41:9-12 )
१४) ईंसान को किस चीज़ से बनाया गया ?
पानी से ( 24:45, 25:54 )
थक्के (clot) से ( 96:1-2 )
मिट्टी से ( 15:26, 32:7, 38:71 )
धूल से ( 30:20, 35:11 )
(१५) क्या अल्लाह दयालू या रहीम है ?
हाँ ( 1:1-3, 1:163, 2:37, 2:54, 2:128, 2:143, 2:160, 2:173, 2:182, 2:192, 2:218 )
नहीं ( 2:7, 2:17, 4:56, 4:168-9, 5:33, 7:50 )
(१६) क्या अल्लाह अपने पैगम्बरों में फर्क करता है ?
हाँ ( 2:253 )
नहीं ( 2:285 )
(१७) सबसे पहला मुसलमान कौन था ?
अब्राहम ( 2:132 )
मूसा ( 7:143 )
मुहम्मद ( 39:12 )
(१८) क्या हजरत नूह के बेटे बाढ़ में मर गए थे या नहीं ?
हाँ ( 11:42-43 )
नहीं ( 21:76, 37:75-77 )
(१९) धरती और जन्नत पर जो सब कुछ है क्या वो अल्लाह का हुक्म मानता है ?
हाँ मानता है ( 30:26 )
नहीं मानता ( 2:34 )
तो क्या आप कह सकते हैं कि कुरान किसी बुद्धमान व्यक्ति ने लिखी या कही है ? ये महामूर्ख व्यक्ति के गपोड़े हैं । ये अल्लाह बड़ा विचित्र है जो अपनी बात बात पर मुकर जाता है, और ऐसे ही सब अल्लाह और मुहम्मद के अनुयायी हैं ।
—
very currect
दुनिया में सबसे कम पढने लिखने वाली कौम???
जवाब हिन्दुत्व
दुनिया में एक भी आविष्कार नहीं करने वाली कौम????
जवाब हिन्दुत्वदुनिया में सबसे कम विश्वसनीय कौम ??
जवाब हिन्दुत्व
दुनिया में सबसे ज्यादा झगडालू कौम ??
जवाब हिन्दुत्व
दुनिया में सबसे ज्यादा आतंकवादी पैदा करने
वाली कौम??
दुनिया में सबसे ज्यादा बच्चे पैदा करने वाली कौम ??
जवाब हिन्दुत्व या सुवर इसीलिए तो आज हिन्दुस्तान की लोकसंक्या 125 करो याने चीन को पीछे 2030 ताक छोड़ देंगे
दुनिया में पडौसी देशों में सबसे ज्यादा घुसपैठ करने वाली कौम ???
जवाब हिन्दुत्वदुनिया में सबसे ज्यादा अपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहने वाली कौम ???
जवाब हिन्दुत्वदुनिया में सबसे ज्यादा बे-इज्ज़त होने वाली कौम ??
जवाब हिन्दुत्वदुनिया की सबसे मुफ्तखोर कौम ????
जवाब हिन्दुत्व
दुनिया की सबसे ज्यादा एहसानफरामोश कौम ????
जवाब हिन्दुत्व
दुनिया में हर जगह मार खाने वाली कौम???
जवाब हिन्दुत्वदुनिया को जीतने का दिन में ख्वाब देखने वाली कौम ???
जवाब हिन्दुत्व
दुनिया को एक ही मज़हब का अनुयायी बनाने का टुच्चा सपना देखने वाली कौम ??
जवाब हिन्दुत्व
1) अगर हिन्दू धर्म कई हज़ार
साल
पुराना है, तो फिर भारत के
बाहर इसका प्रसार
क्यों नहीं हुआ और एक
भारत से बाहर के धर्म
“इस्लाम” को इतनी मान्यता
कैसे हासिल हुई कि वो आपके
अपने पुरातन धर्म से ज़्यादा
अनुयायी कैसे
बना सका?
…
(2) अगर हिन्दू धर्म के अनुसार
एक जीवित
पत्नी के रहते, दूसरा विवाह
अनुचित है, तो फिर राम के
पिता दशरथ ने चार विवाह
किस नीति अनुसार किये थे?
(3) अगर शिव के पुत्र गनेश
की गर्दन शिव ने काट
दी, तो फिर यह कैसा भगवान है,
जो उस कटी गर्दन को उसी
जगह पर क्यों नहीं जोड़ सका,
क्यों एक निरीह जानवर
(हाथी) की हत्या करके
उसकी गर्दन गणेश की धढ
पर लगाई? एक
इंसान के बच्चे के धढ़ पर
हाथी की गर्दन
कैसे फिट आ गयी?
(4) अगर हिन्दू धर्म में मांसाहार
वर्जित है,
तो फिर राम स्वर्ण मृग
(हिरन) को मारने क्यों गए थे?
क्या मृग हत्या जीव
हत्या नहीं है?
(5) राम अगर भगवान है,
तो फिर उसको यह
क्यों नहीं पता था कि रावण की
नाभि में अमृत
है, अगर उसको घर का भेदी
ना बताता कि रावण
की नाभि में अमृत है, तो उस
युद्ध में रावण
कभी नहीं मारा जाता।
क्या भगवन ऐसा होता है?
(6) तुम कहते हो कि कृष्ण
तुम्हारे भगवन हैं,
तो क्या नहाती हुई निर्वस्त्र
स्त्रियों को छुपकर देखने
वाला व्यक्ति, भगवान हो
सकता है, अगर ऐसा काम
कोई व्यक्ति आज
के दौर में करे, तो हम उसे
छिछोरा कहते हैं। आप भगवान
क्यों कहते हो?
(7) सारे बलात्कारी हिन्दू ही
क्यों होते
हैं?
(8) शिव के लिंग (पेनिस )
की पूजा क्यों करते हैं?
क्या उनके शरीर में कोई और
चीज़ पूजा के
क़ाबिल नहीं?
(9) खुजराहो के मंदिरों में
काम-क्रीड़ा और उत्तेजक
चित्र हैं, फिर ऐसे स्थान को
मंदिर क्यों कहा जाता है,
क्या काम-क्रीडा, हिन्दू
धर्मानुसार पूजनीय है???
नोट: मैंने एक पक्ष रखा है कुछ बाते गलत हो सकती है और सही भी ही सकती हैं, जो गलत है किरप्या आप लोग उस को सही करें……..मेरा मक़सद किसी को ठेस पहूँचाना या आहत करना नही है……धननेवाद
दुनिया में सबसे कम पढने लिखने वाली कौम???
जवाब इस्लाम
दुनिया में एक भी आविष्कार नहीं करने वाली कौम????
जवाब इस्लाम
दुनिया में सबसे कम विश्वसनीय कौम ??
जवाब इस्लाम
दुनिया में सबसे ज्यादा झगडालू कौम ??
जवाब इस्लाम
दुनिया में सबसे ज्यादा आतंकवादी पैदा करने
वाली कौम??
दुनिया में सबसे ज्यादा बच्चे पैदा करने वाली कौम ??
जवाब इस्लाम या सुवर
दुनिया में पडौसी देशों में सबसे ज्यादा घुसपैठ करने वाली कौम ???
जवाब इस्लाम
दुनिया में सबसे ज्यादा अपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहने वाली कौम ???
जवाब इस्लाम
दुनिया में सबसे ज्यादा बे-इज्ज़त होने वाली कौम ??
जवाब इस्लाम
दुनिया की सबसे मुफ्तखोर कौम ????
जवाब इस्लाम
दुनिया की सबसे ज्यादा एहसानफरामोश कौम ????
जवाब इस्लाम
दुनिया में हर जगह मार खाने वाली कौम???
जवाब इस्लाम
दुनिया को जीतने का दिन में ख्वाब देखने वाली कौम ???
जवाब इस्लाम
दुनिया को एक ही मज़हब का अनुयायी बनाने का टुच्चा सपना देखने वाली कौम ??
जवाब इस्लाम
धर्म के ठेकेदारों का दोहरा चरित्र
देखिये-
1. कुत्ता आता है इनके भगवान पर मूत कर
चला जाता है । ये कुत्ते की पूँछ
भी नहीं उखाड़ पाते और बचाव में कहते हैं –
क्या संतान अपने पिता के ऊपर मूत्र त्याग
नहीं करती है । अगर एक इंसान इनके
भगवान के पास से भी गुजर जाये
तो वो भगवान अपवित्र हो जाता है । ये
उसके ऊपर लाठी डंडे लेकर चढ़ जाते हैं ।
2. एक चूहा अथवा बंदर आता है इनके
भगवान के भोग अर्थात भोजन को खाकर
झूठा करके चले जाते हैं । ये उनका एक बाल
तक भी नहीं उखाड़ पाते और कहते हैं कि ये
तो भगवान का रूप हैं । अगर एक
आदमी इसी काम को करता है तो ये
उसको काटने को दौड़ पड़ते हैं और
उसको नीच, दुष्ट, अधम और ना जाने
कैसी कैसी उपाधियों से नवाज डालते हैं ।
3. ये धर्म के ठेकेदार एक इंसान के पैर स्पर्श
करने के लिए अपना धन और समय
दोनों गंवाते हैं और अपने
आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं
जबकि एक इंसान के देखने छूने मात्र से
ही इनका अमंगल हो जाता है । ये नर्क के
भागी हो जाते हैं ।
4. ये धर्म के ठेकेदार पशुओं के साथ बिस्तर
साझा करते हैं लेकिन इंसानों के साथ
बैठना भी साझा नहीं कर सकते ।
5. ये जानवरों को माँ बाप कह सकते हैं
लेकिन इंसान को इंसान नहीं कह सकते ।
6. ये पत्थरों पर घी और दूध
की नदियाँ बहा सकते हैं लेकिन भूखे नंगे
इंसानों को दुत्कार कर भगा देते हैं ।
7. ये दूसरों से कहते हैं क्रोध मनुष्य का सबसे
बड़ा दुश्मन है । क्रोध मत करो लेकिन ये
खुद क्रोध की जिन्दी तस्वीर होते हैं ।
क्रोध तो इनकी नाक पर रखा होता है ।
किसी ने कुछ विपरीत विचार रखे
नहीं कि साँप की तरह जीभ लपलपाने लगते
हैं ।
8. ये दूसरो को उपदेश देते हैं मोह
माया का त्याग करो लेकिन खुद इस चक्कर
में लगे रहते हैं किस तरह से मूर्ख बनाकर
बेवकूफों से धन ऐंठा जाये ।
9. ये कहते हैं सादा जीवन उच्च विचार
लेकिन खुद आलिशान आश्रमों और बंगलो में
रहते हैं, वातानुकूलित गाडियों में चलते हैं ।
अब आप सोचो इनसे बड़ा धूर्त और
पाखंडी कोई और हो सकता है ?
आप का इस्लाम का अनालिसीस ठीक है. समय के साथ- साथ सबकुछ बदलता रहता है. फिर भी विशुद्ध रूप का एक भी इस्लामी या मुस्लिम इस पृथ्वी पर ना था, ना है और ना होगा , क्यो की परिवर्तित (धर्मांतरित) लोग अपनी गुणो को ढोते रहते है. पैगम्बेर मुहम्मेद भी तो अपने आप को इस्लामी बनाये ही थे वे भी तो इस्लामी रूप मे अवतरित नही हुए थे. आज जो दुनिया भर मे इस्लाम और मुस्लिमो की तौहीन होती है उसका सबसे बड़ा कारण दुनिया भर मे हर जगह, हर जाती, धरम, विभिन्न मतावलम्बी, विचारो के लोगो को जैसे भी हो इस्लाम मे लाया गया. नतीजा सबकुछ खिचड़ी बन गया. अब ए ऐसा खिचड़ी बन गया है की आप समझदार ज्यादा है सबकुछ समझ रहे होगे. मुझे व्यक्तिगत रूप से निरीह और बेकसूर लोगो का मारा जाना कही भी ठीक नही लगता चाहे वो पाकिस्तान मे हो या इराक मे.
हर वस्तु अपने ही स्थान पर सही लगती है. यदि ट्रक में आप साइकल का पहिया जोड़ेंगें तो ट्रक कैसे चलेगा. हर इंसान चाहता है के उसके सन्तान की परवरिश अच्छे परिवेश में हो, छोटे से छोटा व्यक्ति भी चाहता है के उसके सन्तान की शादी-ब्याह उच्च कोटि के घराने में हो नहीं तो कम से कम उसके बराबरी में हो. लेकिन जब मियां- बीवी राज़ी तो क्या करे क़ाज़ी. अर्थात हर किसी को अपने बराबरी में ही उतना बैठना, शादी व्याह करना चाहिये, अधिक उँच नीच से किसी का कोई भला नहीं हो सकता.
आज मुस्लिम समाज सभी मुसलमानों में बराबरी नहीं मानता यह बात इस्लाम के विरुद्ध है …..शिया सुन्नी, पठान, ईरान के वंशज ….आअदी आपसा में व्याह शादी कहाँ करते है……
मुहमम्द जीके मरनेके बाद खलीफ़ा भी उनके रिश्तेदार और उन्ही की जाती के बने थे ! कुरानी अलल्ह और मुअहमा द जी एक वसीयतनामा क्यो नही बन आगये की उनके बाद कोई अन्य जाती का खलीफ़ा बनेगा क्या उस समउ य कोई अन्य योग्य नही था अगर नही थाकोई योग्य बनवा भी सकते थे ! फिर कोई विवाद भी नही होता जो हुआ ! मूलअरब देशो मेरहने वाले अमीर इस देश व अनेक देशो मे जाकर मुस्लिम कन्याओ से निकाह तो कर लेते है और उनमे से कुछ माहबाद तलाक़ देकर भी चले जाते है क्या वही अपनी कन्याओ का निकाह दूसरे देश के मुस्लिमो से कर सकते है फिर वह भी तो जाट पांत मानाने लगे !
ज़ाहिल मुसलमानो में जाती व्यवस्था.. जियादा उपयुक्त शीर्षक होता.. इस्लाम सदैव से बुलंद है प्रकाशमान है…सत्य है.. हाँ मुसलमानो का उरूज और जवाल आता जाता रहा है… पढ़े लिखे जाग्रत और सच्चे ईमान के साथ रहने वाले मुसलमानो में ना जाती प्रथा पहले थी ना अब है…. यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है… जिसने इस्लाम के यूनिवर्सल संदेश को समझा उसके लिये यह दीवारें खुद बा खुद गिर ही जाती हैं..
दुनिया में सबसे कम पढने लिखने वाली कौम???
जवाब हिन्दुत्व
दुनिया में एक भी आविष्कार नहीं करने वाली कौम????
जवाब हिन्दुत्वदुनिया में सबसे कम विश्वसनीय कौम ??
जवाब हिन्दुत्व
दुनिया में सबसे ज्यादा झगडालू कौम ??
जवाब हिन्दुत्व
दुनिया में सबसे ज्यादा आतंकवादी पैदा करने
वाली कौम??
दुनिया में सबसे ज्यादा बच्चे पैदा करने वाली कौम ??
जवाब हिन्दुत्व या सुवर इसीलिए तो आज हिन्दुस्तान की लोकसंक्या 125 करो याने चीन को पीछे 2030 ताक छोड़ देंगे
दुनिया में पडौसी देशों में सबसे ज्यादा घुसपैठ करने वाली कौम ???
जवाब हिन्दुत्वदुनिया में सबसे ज्यादा अपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहने वाली कौम ???
जवाब हिन्दुत्वदुनिया में सबसे ज्यादा बे-इज्ज़त होने वाली कौम ??
जवाब हिन्दुत्वदुनिया की सबसे मुफ्तखोर कौम ????
जवाब हिन्दुत्व
दुनिया की सबसे ज्यादा एहसानफरामोश कौम ????
जवाब हिन्दुत्व
दुनिया में हर जगह मार खाने वाली कौम???
जवाब हिन्दुत्वदुनिया को जीतने का दिन में ख्वाब देखने वाली कौम ???
जवाब हिन्दुत्व
दुनिया को एक ही मज़हब का अनुयायी बनाने का टुच्चा सपना देखने वाली कौम ??
जवाब हिन्दुत्व
कहते है की हिन्दू धर्म सब से
पुराना धर्म
है, जबकि ये आज तक
पता नही इनको की
1) हिन्दू शब्द न किसी वेद में है,
हिँदू शब्द ना पुराण, में ना
महाभारत में, न रामायण में। जबकि हिन्दू
नाम फारसियो का दिया हुआ नाम है,
जिसका अर्थ है, काला, चोर,कायर।
2) कहते है की वेद सब से पुराने
है,जबकि ये
तक पता नही वेद कब आये किसने
लिखे,
किसने सुने, वेद
की असली पाण्डुलिपि कहा है.
अगर कोई
कहे
की असली पाण्डुलिपि कहा है
तो कहते
है की वो तो अंग्रेज चुरा के ले गए।
3) अगर कहो की वेदों में
अवेज्ञानिक तथ्य
है, और टकराव है वेदों की शिक्षा में
जैसे
की कही मूर्ती पूजा को मना किया गया है
तो कही सही बताया गया है
कही एक
इश्वर को बताया गया है तो कही ३३
करोड़ बताया गया है, कही मॉस खाने
को कहा गया है
तो कही मना किया गया है, इन
ग्रंथो में
जात पात उच्च
नीच ,सती प्रथा आदि अनेक
कुरीतिया है ,
तो ये जवाब देते है
की असली वेद
तो अंग्रेज
चुरा के ले गए। अंग्रेजो ने वेदों और
पुराणों और मनुस्मृति और दुसरे ग्रंथो में
मिलावट कर दी।
4) अगर कहो की हिन्दू धर्म केवल
भारत में
ही क्यों है, तो जवाब देते है
की हिन्दुओ ने
कभी हिंसा नही की और
अपने धर्म
को दुसरे देशो में प्रचार नही किया।
अगर
हिन्दू इतने ही अहिंसक है
तो वेदों पुराणों, रामायण, महाभारत, में
केवल लड़ाई और खून
ख़राबा क्यों भरा पड़ा है।
5) यहाँ तक की हर भगवान् और
देवी देवता के पास तरह तरह के
हथियार
है। और सब ही हिन्दू ग्रंथो में
केवल लड़ाई
ही लड़ाई है। यहाँ तक
की सब से बड़े
भगवान ब्रम्हा विष्णु और महेश
भी लड़ाई
करते हुए मिलेंगे।
6) इतिहास अगर आप पढेंगे तो जानेंगे
की न
जाने कितने हिन्दू राजाओ हिन्दू धर्म
छोड़ दिया। जैसे की चन्द्रगुप्त मोर्य
ने
जैन धर्म अपना लिया और उसके बच्चो ने
भी। हर्षवर्धन ने जैन धर्म
अपना लिया।
अशोक ने बुद्ध धर्म अपनाया और बुद्ध धर्म
का प्रचार किया आज बुद्ध धर्म को हिन्दू
धर्म से ज्यादा माना जाता है, विश्व में
सैकड़ो देश बुद्ध धर्म को मानते है। लेकिन
हिन्दू धर्म केवल भारत में
ही बचा हुआ है।
गुरु नानक देव दे इस हिन्दू धर्म को छोड़
दिया और सिख धर्म
की नीव
रखी।
7) अगर हिन्दू इतने ही अहिंसक
है
तो भारत में अन्य धर्मो को मानने
वालो का क़त्ल अ आम क्यों किया जाता है,
और दंगे करके उनको मारा काटा जाता है।
जैसे कर्नाटक में इसाई का क़त्ल अ आम ,
गोधरा आसाम और भारत के कोने कोने में
मुस्लिमो का कत्ल अ आम। १९८४ में
सीखो का क़त्ल अ आम। सिक्किम
मडिपुर में
इसाई का क़त्ल अ आम। जबकि विश्व में
कही भी हिन्दुओ के
खिलाफ दंगे या क़त्ल अ
“वेद में जिनका हवाला हाशिये पर भी नहीं।
वे अभागे-आस्था विश्वास लेकर क्या करें?”
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हैदराबाद से झाँसी आ रहा था मेरे कम्पार्टमेंट में एक यादव जी और दो पंडित जी भी यात्रा कर रहे थे ..इधर उधर की तमाम बातें होती रहीं मगर जैसे ही शाम हुई पंडित जी ने मुझसे मेरी जाती पूछी और जब मैंने कहा ” मुस्लिम ” तो उठे और बगल के केबिन में बैठ गए फिर कंडक्टर आया उन्होंने कुछ कहा और वापस लौटकर मुझे कहा मियां जी आप ऊपर वाला शय्या ले लें मुझे बार बार बाथरूम जाना होता है .अभी मैं कुछ कहता की यादव जी ने बोला पंडित जी तबतक बैठिये न कुछ गपशप ही हो फिर सो लीजियेगा और यादव जी ने जो शुरू किया उसका सार प्रस्तुत हैं………..
कुछ यादव और पिछड़े अपने को हिन्दू होने पर फख्र करते है और मेरे जैसे लोगो के तथ्यात्मक तर्कों के विरुद्ध भद्दगी पर उतर आते हैं। हमें ऐसे साथियों के आचरण पर दुःख और अफ़सोस होता है और हंसी आती है। अब तो हम इतने अभ्यस्त हो गये है कि हमारे ये साथी जब गरियाते है तो क्रोध आने की बजाय हंसी ही आती है।बगावत के बीज वैसे ही अंकुरित नही होते। जब अपमान मिलता है तो स्वाभिमानी लोग बगावत पर उतर जाते है जबकि गुलाम मानसिकता के लोग उसे नियति,परम्परा,धार्मिक वसूल,ईश्वरीय आदेश आदि कहके स्वीकार कर अपने अपमान में ही पुरस्कार ढूंढते रह जाते हैं।
मै आज हिन्दू सनातन संस्कृति को लगभग-लगभग त्याग चुका हूँ। अज्ञानता में ही कुछ शेष बचा होगा वरना अपनी जानकारी में मै किसी हिन्दू संस्कार के प्रति आस्थावान नही हूँ,इसके पीछे जो कारण है वे देखने में छोटे किन्तु दिल पर चोट करने वाले हैं।
पहली घटना सन 1987 के आसपास की है। मै अपने एक बचपन के साथी की शादी में मैरवा(बिहार)गया। वह साथी ब्राह्मण था। बचपन में हम दोनों कलकत्ता 5 से 8 व गांव पर 9 एवं 10 एक ही साथ पढ़े और एक ही थाली में साथ -साथ खाए,घूमे,सिनेमा देखे। हममे खूब पटती थी। कही हमलोग इस दौरान बाभन और अहीर नही रहे लेकिन उस शादी में रात में बारात 3 बजे पहुंच पाई इसलिए खाने की नौबत ही नही आई। दूसरे दिन दोपहर में खाने का बुलावा आया जिसमे बुलावा लाने वाले ने कहा की नानजाति के लोग पहले खाना खाने चले। सभी गैर ब्राह्मण खाने हेतु चल दिए। मै लोगो से जब कौतुहलवस पूछा कि ये नानजाति क्या होती है तो लोगो ने बताया कि ब्राह्मण के इतर सभी लोग नानजाति होते हैं। ब्राह्मण सबके साथ नही खा सकता क्योंकि वह भूसुर है,पृथ्वी का देवता है। हम अभी ग्यारहवीं में पढ़ रहे थे। सभी गैर ब्राह्मणों अर्थात नानजातियों के साथ मै भी खाना खाने चला गया। हमलोग खाना खा लिए तब तक एक व्यक्ति आया और कहा की आपलोग अपना-अपना खाया हुआ जूठा पत्तल उठाते जाइएगा। हम सभी अपना-अपना पत्तल उठाये और घूरे पर फेंक आये। मैंने लोगो से पूछा कि शादी-विवाह में लोग बारातियों का पत्तल खुद फेंकते हैं पर यहाँ क्यों हमलोगों से उठवाया जा रहा है तो लोगो ने कहा कि ब्राह्मण सबसे श्रेष्ठ होते है और वे गैर ब्राह्मण का जूठन नही उठा सकते है।मेरे दिल को “नानजाति खाने चले और पत्तल उठाते जाइये “ये दोनों बाते गहरे तक चोट की।शाम को जनवासा था। ब्राह्मण होते हुए पूरे बाराती और घराती में कोई संस्कृत में श्लोक बोलने वाला नही था। मै उस समय जनवासा में खूब बोलता था। लोग मुझे बोलने के लिए ही जनवासा में ले जाते थे। वहाँ भी मेरे सहपाठी दुल्हे ने कहा कि चन्द्रभूषण मोर्चा सभालना है।मै तो दोपहर से ही अपमान की ज्वाला में जल रहा था ,मौका मिलते ही मै फूट पड़ा और कहा कि खाने की बारी तुम ब्राह्मण थे और बोलने की बारी हम ब्राह्मण होंगे,ऐसा नही चलेगा। मै कुछ नही बोला और ब्राह्मण का जनवासा बिनी किसी श्लोक के वैसे ही इत्र छिडक के खत्म हो गया और मै रात में ही ट्रेन से घर भाग आया जिससे रात में खाने के बाद पत्तल उठाने का अपमान पुनः न सहना पड़े।
दूसरी घटना मेरी बुआ के गांव अहिल्यापुर में हुई। मै अपनी बुआ के घर में अंदर चारपाई पर बैठा था तब तक दूध लेने एक भूसुर(ब्राह्मण)आ धमके। मेरी बुआ,फूफा,फुफेरे भाई चारपाई छोड़ खड़े हो दंडवत कर जमीन पर बैठ गये।मै चूँकि पहचानता था नही तो मेरी कोई प्रतिक्रिया नही हुई और ना ही चारपाई छोड़ा। मेरे ऐसा करने से जैसे पंडित जी पर बज्रपात हो गया। उन्होंने झट से पूछ लिया कि “क्या चौधरी यह कौन है?”हमारे फूफा ने कहा कि “यह डुमरी वाले मास्टर साहव का लड़का है।”उसने फिर कहा कि”तभी तो यह चारपाई नही छोड़ा।”मैंने ब्राह्मण महोदय की बाते खड़ी हिंदी मे लिख दिया है जो उन्होंने भोजपुरी में बड़े अपमानजनक तरीके से कहा था। उनकी हुलिया आपको बता दूँ तो कुछ इस तरह था-केवल धोती वह भी आधे पैर तक,गंदा इतना कि धुलने पर बाल्टी भर कचरा निकल जाय पर जाति का रुआब ऐसा कि बस मुझे चारपाई से न उठने पर मारा भर नही।
तीसरी घटना 1991 की है। मै बी एससी (कृषि) तृतीय वर्ष में प्लांट प्रोटेक्शन के प्रेक्टिकल की परीक्षा में अपने प्रोफेसर जो मेरे पिताजी के परिचित और मेरे ब्लाक प्रमुख भी थे, श्री विभव पाण्डेय जी के पास अन्य लडकों की देखा -देखी अपना रोल नम्बर लिख कर उन्हें देने चला गया। अन्य सवर्ण लडकों की पर्ची हंस-हंस के रख रहे पाण्डेय जी को जब मैंने अपनी पर्ची दी तो उन्होनें मुझसे पूछा कि” ये क्या होगा?”मैंने कहा कि “अन्य लोग किस काम के लिए दे रहे हैं”तो उन्होंने कहा “अच्छा-अच्छा”और रख कर मुझे अपेक्षित नम्बर नही दिया।
जाति के नाते होने वाली ऐसी घटनाये मन को कितना उद्वेलित करती है यह कोई स्वाभिमानी व्यक्ति ही समझ सकता है। समझौता कर जीने की आदत डाल चुके कुछ तथाकथित हिन्दू पिछड़े,यादव साथी इसे रूटीन वर्क मानके इसके साथ जीने की आदत बना लिए है,वे मेरे बगावती स्वर पर अपने भुसुरों को खुश करने और उनके लतियाये गये आशीर्वाद को लेने के लिए मुझे गरियाते है तो मुझे न उन पर गुस्सा आता है और न ही उनसे उम्मीद ही रहती है। हाँ हंस जरुर लेता हूँ लेकिन उन्हें यह बोल भी देता हूँ कि-
” फैलेगी आग जिस दिन,उस दिन पता चलेगा।
आँखों में कैसी-कैसी चिनगारिया लिए थे।।”
ansari shaab bada dukh hua ya padh kar ki aap ka sath itna ghore apmaan hua iskey leya ya prahman chama youga nai hai
takleef hoti hai samaj may faili aisi kurutiyo ko dakh kar , asha karta ho ki ap aap bhe pandit ho gaye hogey , pandit matlab vidvaan hota hai jo sisshit hota hai aur kisi sishit varg say aisi asha nai ki jati , phir bhe aisa hua wo nindiniya hai jo bhulaye nai bhulta aap ke sath hua is leya aap kah rahey hai hamerey sath hota tou bhe hum kahtey
aaj tak aak bat samaz may nai aayi nana jati dr . bheem rav ambedkar bhe they aisa rona wo kabhi kyu nai roye wo bhe ro shaktey they lakin unho ney khud ko sabit keya aur samaz sudhan ki puri kosis ki savidhaan ka nirman keya tab unhey sochna chaiya tha ki aap logo ko bharat de kar aisey kurarm karney waley pandito ko bharat say nikala de dena chaiya tha .
ak baat tou spast hai gandey sab hai koi zada koi kaam lakin jis bhe tarah ke artile aap barabar likh rahey hai wo bahoot he sarahiniya hai asha karta ho bahoot zaldi aap say jail may mulakaat hogi .
fool aur meethai aap ke leya hum le kar aaye gey
jail par bhe kuch likhney ka mauka mil jaye ga waha bhe bahoot zada unch neech pypt hai paisa aur garibi jail may bhe hawi hai murder karney waley ko sukh suvidha milti hai aur chori karney waley ko lathi , aap ki galat byan baji ke leya aap ko kya milegi ya aap anubhav zaroor batey
2 kauti ki website bana ke afzal miya lantarani kar rahey hai jinki samaz he nai hai kya aur kyu chapna chaiya 5 logo ki sampadak mandali bhe kisi kaam ki nai .
rahi bat hindu mushilmo ki tpou apni gazah sab sahi hai tum jaisey gandey loog aag laga kar apni roti seekhtey ho aur apna pate bhartey ho
रवि प्रकाश आपकि हताशा समज्ह सक्ता हु ..
ये होता है ऐसा ही रिएक्शन होता है ॥ जिसका भी पोंछ उठाओ सब मादा ही निकलते हैं । सामाजिक उठापटक मनुष्य की उत्पत्ति से ही होता आया है । जब इंसान थे तो सब ठीक जैसे ही बुद्धि आई खुदगरजी भी आई । और समाज बनकर भी बिखराव बढ़ता गया । जो आज है परतिउत्तर भी यही है मगर उबाल का अंत बिखरना ही है । यह भी पप्रकीर्ति है । ईश्वर आपको सद्बुद्धि दे ।
Issey yeh pata chalta hai ki hindu pahle the muslim baad me aaya
हिन्दुओ का इतिहास द्रोपती ने 5 पांडवो से शादी की तो क्या ये गलत नही है हम मुसलमान तो 4 औरते से शादी कर सकते है ऐसी औरते जो विधवा हो बेसहारा हो। लेकिन क्या द्रोपती सेक्स की भूखी थी। और शिव की पत्नी पार्वती ने गणेश को जन्म दिया शिव की गैरमूजदगी मे। पार्वती ने फिर किस के साथ सेक्स किया ।इसलिए शिव ने उस लडके की गर्दन काट दी क्या भगवान हत्या करता है ।श्री कृष्ण गोपियो नहाते हुए क्यो देखता था और उनके कपडे चुराता था जबकि कृष्ण तो भगवान था क्या भगवान ऐसा गंदा काम कर सकता है । महाभारत मे लिखा है कृष्ण की 16108 बीविया थी तो फिर हम मुस्लिमो को एक से अधिक शादी करने पर बुरा कहा जाता । महाभारत युध्द मे जब अर्जुन हथियार डाल देता तो क्यो कृष्ण ये कहते है ऐ अर्जुन क्या तुम नपुंसक हो गये हो लडो अगर तुम लडते लडते मरे तो स्वर्ग को जाओगे और अगर जीत गये तो दुनिया का सुख मिलेगा। तो फिर हम मुस्लिमो को क्यो बुरा कहा जाता है हम जिहाद बुराई के खिलाफ लडते है अत्यचारियो और आक्रमणकारियो के विरूध वो अलग बात है कुछ लोग जिहाद के नाम पर बेगुनाहो को मारते है और जो ऐसा करते है वे ना मुस्लिम है और ना ही इन्सान जानवर है। राम और कृष्ण के तो मा बाप थे क्या कोई इन्सान भगवान को जन्म दे सकता है। वेद मे तो लिखा है ईश्वर अजन्मा है और सीता की बात करू तो राम तो भगवान थे क्या उनमे इतनी भी शक्ति नही थी कि वे सीता के अपहरण को रोक सके। राम जब भगवान थे तो रावण की नाभि मे अमृत है ये उनको पहले से ही क्यो नही पता था रावण के भाई ने बताया तब पता चला। क्या तुम्हारे भगवान राम को कुछ पता ही नही कैसा भगवान है ये। और इन्द्र देवता ने साधु का वेश धारण कर अपनी पुत्रवधु का बलात्कार किया फिर भी आप देवता क्यो मानते हो। खुजराहो के मन्दिर मे सेक्सी मानव मूर्तिया है क्या मन्दिर मे सेक्स की शिक्षा दी जाती है मन्दिरो मे नाच गाना डीजे आम है क्या ईश्वर की इबादत की जगह गाने हराम नही है ।राम ने हिरण का शिकार क्यो किया बहुत से हिन्दु कहते है हिरण मे राक्षस था तो क्या आपके राम भगवान मे हिरण और राक्षस को अलग करने की क्षमता नही थी ये कैसा भगवान है।हमे कहते हो जीव हत्या पाप है मै भी मानता हू कुत्ते के बेवजह मारना पाप है । कीडी मकोडो को मारना पाप है पक्षियो को मारना पाप है। हिन्दु धर्म मे शिव भगवान ही नशा करते है तो उसके मानने वाले भी शराबी हुए इसलिए हिन्दुओ मे शराब आम है ।डाक कावड मे ऊधम मचाते है ना जाने कितनो की मौत होती है रास्ते मे कोई मुसाफिर आये तो गाली देते है । जितने त्योहार है हिन्दुओ के सब बकवास। होली को देखलो कहते है भाईचारे का त्योहार है। पर शराब पिलाकर एक दुसरे से दुश्मनी निकाली जाती है।होली से अगले दिन अखबार कम से कम 100 लोगो के मरने की पुष्टि करता है ।अब दीपावली को देखलो कितना प्रदुषण बुड्डे बीमार बुजुर्गो की मोत होती है। पटाखो के प्रदुषण से नयी नयी बीमारिया ऊतपन होती है। गणेशचतुर्थी के दिन पलास्टर ऑफ पेरिस नामक जहरीले मिट्टी से बनी करोडो मूर्तिया गंगा नदियो मे बह दी जाती है। पानी दूषित हो जाता है साथ ही साथ करोडो मछलिया मरती है तब कहा चली जाती है इनकी अक्ल जीव हत्या तो पाप है।