लायंस हन्नान अंसारी
शूद्र महर्षि शम्बूक की ह्त्या किसने की थी? एकलव्य का अंगूठा किसने काटा? विधटनकारीचार वर्ण किसने बनाये? मगध राज्य पर हमला के लिए सिकन्दर को किसने बुलाया था? भारतिय इतिहास का स्वर्णिम प्रुष्ठ लिखने वाले ब्रहद्रथ मौर्य की हत्या, बौध्धो का नरसंहार व विश्वविध्यालयो पुस्तकालयो को किसने ध्वस्त किया? हिटलर को भी बौना व फ़ीका बनाने वाली काले कानूनो की किताब मनुस्मुति का लेखक कौन था? ब्रह्मा सत्या जगत मिथ्या के मिथ्यावाद की आड में गुप्तकाल के स्वर्ण युग की विनाश लीला किसने की? प्रुथ्वी को इक्कीस बार क्षत्रिय विहीन किसने किया? सोमनाथ के मंदिर का झण्डा झुकाकर मोहम्मद बिन कासिम की विजय किसने सुनिश्चित की? सोमनाथ के मंदिर का जो फ़ाटक हाथियो से भी नहीटूट्ता उसे मोहम्मद गजनी के लिए किस गद्दारव लालची ने खोला? मोहम्मद गोरी को जयचन्द की चिठ्ठी ले जाने वाला कौन था? बंगाल का वह गद्दार राजा कौन था जो मोहम्मदबख्तियार के डर से महल के पीछे के दरवाजे भाग गया था? अकबर की भंडैती किसने की, तथा भारतिय बहू बेटियो के मीना बाजार किसने लगवाया?
महाराजा रणजीत सिन्ह व दयानंद सरस्वती को भोजन के साथ जहर किसने दिया? सतगुरु रैदास की वाणी को किसने जलाया तथा उनकी हत्या किसने की? शिवाजी का राज्याभिषेक बगैर नहाये बाये पैर के अंगूठे से किसने किया? तथा उनकी व उनके पुत्र की हत्या किसने की? पेशवा बाजीराव कौन था,जिसके डर से सुन्दर महिलाये जहर खाकर आत्म हत्या कर लेती थी? स्वामी विवेकानंद को शूद्र कहकर विश्व्धर्म परिषद मे जाने का विरोध किसने किया था? महात्मा ज्योतराव फ़ूले की हत्या के लिए हत्यारे किसने भेजे थे? भारत का बटवारा किसने और क्यो करवाये थे? गांधी की हत्या किसने की? बाबा साहेब अम्बेडकर को किसकी साजिश से जहर दिया गया? इन्दिरा गांधी को अकाल तख्त उडाने व हजारो सिक्खो की हत्या करने के लिए किसने उकसाया था? इन्दिरा गांधी को किस पन्डे ने मन्दिर परिसर मे नही घुसने नही दिया था? वो जनरल कौन थे जो दवा कराने के बहाने भारत चीन युध्ध का मैदान छोडकर दिल्ली भाग आया था? बीस साल तक विभिन्न मन्त्रालयो के अति गोपनिय दस्तावेजो की मोटी रकम लेकर विदेशो को बेचने वाला कुमार नरायन अययर कौन था? राजीव गांधी की हत्या किसने कराई?
ये सभी लोग मुस्लिम नही बल्कि हिन्दू (ब्राहमण) थे विदेशी आर्य-ब्रह्मणवादियोने न सिर्फ भारत के आक्रमणकारी रहे है बल्कि उन्होंने अपने स्वार्थ के लिए हर किसी को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया है.
■ब्रह्मणवादियोने अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए हुन, ग्रीक, पोर्तुगीज, मुस्लिम, अंग्रेज, और फ्रेंच इ. को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया है. (pg.14, Who is Ruling India, 1982).
■ ब्राह्मणवादी राजा हेमू ने और राणासांगा क्षत्रिय ने अपनी मंत्री लालचंद ब्रह्मण के कहने पर बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए निमंत्रण दिया. सम्राट बाबर का सलाहगार भी हिमुशी नामक हिन्दू था.
■मुहम्मद गौरी को भारत पर हमला करने के लिए जयचंद ने बुलाया था.
■नन्दवंश के सम्राट महा परमनन्द का सर्वनाश करने के लिए चाणक्य ब्राह्मन ने सिकन्दर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया था.
■वल्लभी नामक गुजरात के एक धनपति सेठ ने मोहम्मद बिन कासिम के संपर्क करके उसे गुजरात के शहरों पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया था.
■जमोरिन ब्रह्मण ने पुर्तगालियों को, अभिचंद वैश्य ने अंग्रेजों को, राजा दहीर (ब्रह्मण) ने मुहम्मद बिन कासिम को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किये था.
■ब्रह्मणवादियोने हिटलर को अवतार तक कहा और उसे भारत पर हमला करने की दावत दी. [PG.18,80 Dialogue Of The Bhoodevtas]
इसलिए इनसे कोई उम्मीद रखना यानि खुद को धोखा देना है.
आप ने तो बरह्मनो क पुरा इतिहास हि खोल दिया है. इस मे कोइ शक नहि के समजिक रच्ना को बर्बाद किया है.
बेशक शर्मा जि उच्च वर्ग ने हमेशा निचे तब्के के लोगो को जतियो मेन बान्त कर हुमत किया .जो प्रकिर्तिक न्याय के विरुध है
Tera Allah kya he? O MAHILA HE YA PURAS YA HIJDA HE??? Or jb mulman nhi the to islam kaha tha?or tu kiski pedaes he..Halala ki??
Kya tu btayega ki muslmano ne bharat desh pr kitne Akrmn kiye or Hmari ma bhno ki ijjt luti?? Kya teri ma ak vesya he jo tere jesa dlla peda kiya jo hindu or dalito ko alg btakr unme jgda krwa rha he??
जिस प्रकार इन्सान के शारीर में शिर छाती पेट और पैर है वैसे ही हमारे हिन्दू धर्म में ब्राहमण छत्रिय वैश और शुद्र हें इन में किसी का महोत्त कम नहीं है और एक दुसरे के साथ तालमेल के बिना किसी का कोई महॊत नहीं है,इस तरह विष वामन करने वाले विधर्मी कुचक्र से हमे कमजोर बना कर अपना स्वार्थ शिद्ध करते रहे हें
Pagal log insan ek hi raste se paida hota hai
मुस्ल्मन क्य्र अन्ग्जो केय गुलम हुअ
Lions ansari. , Apne kuch uper examples diye. 50 – 50 sach hai, yani sach ke sath aadha jhoot bhi parosa hai? Valmiki ramayan me kaha hai shambhuk vadh.
Ek taraf ram kshtriya to badnam karoge, dusri taraf sympathy bhi dikhate ho, kshatriyon ka 21 bar vadh hua.
Bamiyan me lord Buddha ki murtiya jisne tudwayi?
Sabse jyada indonesia ke bouddist ki mob linching muslimon ne ki.
Nalanda aur tax shila, aadi ke granth, tripitika aadi ko nast muslimon ne kiya.
Kaling ke raja ne kya bigada tha ashok ka.?
Dawate islam bhi di jati hai aur buddhan sharam gachhami., Kyu nahi kahate vasudhav kutumbkam.
Bhaichara dikhate ho to kyu gair muslimon ko kaba sharif ka taraf nahi karne dete, wo to ibrahim ke jamane se tha. Sabhi jate the.
Khud ko badalne ki aukat hai, jo mita sako. Mamu, chachu, khaluu ki ladkiya aur milkiyat me aayi loundi haram likh sako.
Kilo meter ki post nahi likhata, number likho , deen ke hawale, taarikhi mutaala karke aana. 9026849988. Lekin shastrarth haar jeet ka faisala 1 sikh, 1 cristian aur 1 jain ( retired judges)karenge. Na ki koi hindu, arya, muslim, atheist, bouddist etc. Haar jeet ke baat sorry chota ward hoga, nafrat failane wali ke liye. Khud jute marne honge. Bolo challenge kabul hai kya, mere liye bhi yahi.
सत्य बेहद कड़वा है यह कईयों का हाजमा खराब करेगा। परन्तु लेखक ने बहुत सारी बातें छोड़ दी हैं- सारी न सही पर देवदासी प्रथा याद दिलाने लायक है। अपनी वासनापूर्ति के लिए इसी वर्ग ने सुगम रास्ता बनाया।
जय प्रकश जि यह सच्च है कि सच्चि बात बहुत कद्वि होति है ..देवदासि पर्था पर लेख मैने लिखा है बहुत जल्द आप्को पध्ने को मिलेगा
दम है तो हलाला पर लिखो ना
जो अपने लिष्ट ब्राहमणो की पेश की है वह जन्मना ब्राह्मण हो सकते है इन मे सभी विद्वान नही थे को चपरासी भी संभवहै अगर हिन्दू समाज मे कमिया न होती तो यह देश हजार साल तक ग़ुलाम क्यो रहता ! मनु जी के 4 वर्ण हर्गिज गलत नही थे उसका दुरुपयोग आवश्य गलत था ! आज तो उससे ज्यादा वर्ग बन चुके है ! विद्वान व्यापारी सैनिक मजदूर आदि आज भी है और आगे भी रहेंगे हर देश मे रहेंगे ! केवल ब्राहमणो का ही दोष नही था बल्कि उनकी बातो पर विश्वास करक्के उनकी बातो की छानबीन ना करके भी उस पर अमल करना भी गलत कहा जायेगा !
मेरे दोस्त , ६००० साल से १०% सवर्न समाज ने ९०% पर हुकुमत कर्ने के लिये ये कुत्सित विचार दलितो पर थोपा .. धर्म्गरन्थ सुन्ने और पध्ने कि मनहि और सुन्ने पर तो दलितोन के कान मे शिशा तक दाल्ने का नियम था ..अब आप कैसे उम्मेीद कर सक्ते हैन कि दलित समाज पध्लिख लेता ..
ये सब बाते करने वाले ये सब हआ ये तो जरुर लिखा लेकिन ये क्यु हुआ ये नहि लिखा
हर बात के पिच्हे का सच जान ले उसके बाद हि अपनेी राय दे तो ज्यादा हेी आच्हा रहेगा !
जय हिद ! जय भारत् !
श्री मान आपको इतिहास का बड़ा बेवकूफी भरा ज्ञान है। हर व्यकि अपने हिसाब से उसकी व्याख्या करता है और ब्राह्मणों के विरुद्ध सबको भड़काता है। स्वयं में पुरुषार्थ की तो कमी है इसलिए अपनी नाकामियो का दोष ब्राह्मणों पर लगा के स्वयं संतुष्ट हो रहे है।
कई बार भारतीय समाज की कल्पना करने की कोशिश करता हूं कि आज जो भारतीय समाज है वो कैसे बना होगा ?
मन में सवाल उठता है कि अगर वेदों और शास्त्रों की रचना इसी भूमि में ही हुई है तो करोड़ों गैर ब्राह्मण लोगों को संस्कृत का एक अक्षर भी क्यों नहीं आता ?
अगर ब्राह्मणों ने इन मेहनतकशजातियों को ज्ञान से वंचित रखा तो भी दस हज़ार साल तक ब्राह्मणों के साथ रहने से कुछ समुदाय थोड़ी बहुत संस्कृत तो जानते ही ?
लेकिन करोड़ों लोग अपनी अपनी जुबाने बोलते रहे , किसी को संस्कृत क्यों नहीं आयी ? और हमसे कहा जा रहा है कि हमारी सनातन प्राचीन भाषा संस्कृत है .
ऐसा कैसे हुआ कि एक ही स्थान पर,एक ही समुदाय में से कुछ लोग ज्ञान का काम करने लगे और उसी समुदाय के कुछ लोग सेवा का काम करने लगे और अति घृणित शूद्र बन गये ?
अगर शूद्र और ब्राह्मण एक ही नस्ल के होते तो दोनों जातियों के बीच में जो अति घृणा और दूरी है वह नहीं हो सकती थी. दुनिया भर में एक ही समुदाय में भिन्न पेशे के लोगों के बीच ऐसी घृणा कहीं भी नहीं है . अगर यह एक स्वाभाविक प्राकृतिक प्रक्रिया होती तो दुनिया में दूसरी जगह भी ऐसा हुआ होता , लेकिन ऐसा कहीं भी नहीं हुआ .
घ्रणा और दूरी मुग़ल राज्य के बाद आई ! आज भी डाक्टर और नर्स, कम्पाऊन्डर मेकाफी आंतर होता है जब की एक ही दिशा मे कार्य करतेहै ! चपरासी और अफसर मे अंतर होता है ! यह देश लाखो साल पुराना है सिर्फ आदम उसका जन्म नही हुया है ! समाज मे, राजनीति मे उत्थान और पटन आते रहते है! हर देश मेआए है कभी मुग़लो का शासन था बाद मे अंग्रेज़ भी आये
क्यों साहब इराक सीरिया अफगानिस्तान मे क्या हो रहा वहाँ तो सारे लोग एक ही समुदाय से आते हैं और वहाँ तो ब्राह्मण भी नहीं हैं फिर वहाँ क्यों मारकाट मचान है उससे भी क्रुर अमानवीय कहीं कुछ हो सकता है क्या उन्होने तो मनुस्म्रीती नहीं पढ़ी होगी
करन राय
वीरें एक बात याद रखो की बर्हम्ण, हो या जया राजपूत. , वैश्य शुद्र हर धर्म में होते है्
तुम बात करते हो इस्लामिक स्टेट की तो वहा मुस्लिम धर्म में भी धर्म के ठेकेदार बैठै है बामण लोग. .( मुल्ला मौलवी).
सही कहा करण जी आपने,ये मुल्ले नहीं सुधरने वाले
Kiyo siriya me afganistan irak me Hindu lad rha he are dab se gatiya kom he to Muslim apani galtiyo ko or atnkavadi dharam ko chupane ke kiye log kiya kiya nark kar rhe he wo hame samj me aayega he okk Tum jese 2 kodi ke inshan se kiya bat karni
mere dost ansari aapne bahut kuch lika brahmino ke baare mein aur sab kuch bura hi likha kyonki apko sirf bura hi samajh aata hai…apko batana chahuga sanskrit ki aaj bhi rajasthan mein bahut school hai aur vahan ke vidhyarthi sudh sanskrit bolte hai..rahi baat muglo ko bharat pein akraman karne ki to yeh to sabit kar diya ki akraman se pehle sab hindu the even pakistan mein bhi fir kyo tum hindu aur musalman ban kar ladane ki baat karte ho…kyo nahi sub dharam ke logo ko shanti se ek pariwar ki tarah rehne ki liye kaho…aaj siriya mein koi hindu nahi hai lekin vehan siya ko sunny mar rahe hai..suny ko siya..myanmar mein bushist rohingya musalmano ko maar rahe hai kya vo bhi hindu hai..fir nepal mein etne hindu vo to kabhi bhi bharat ke hinduo ke saath milkar kisi ko nahi maar rahe…yaar rakho dunia mein jo log lad rahe hai unka ek hi dharam hai “swarth” …agar achhha banana hai to sabse pehle aur ant tak ek bhartiya bankar raho bharat ki kashme khao..maukaparast mat bano…
आप बिलकुल सही कह रहे हो सांप पे तो एक बार बिस्वास किया जा सकता है इनपे कभी नहीं ,जितने भी विद्वान पैदा हुए सबको इन्होंने ब्राह्मण बना दिया देश को जात के नाम पे बाँट दिया, आप ही देख लो ;पश्चिम बंगाल की मुख्या मंत्री ब्राह्मण गाय को खाना जन्म सिद्ध याधिकार मानते है और यूपी के ब्राह्मण देवी माँ सबसे बड़े गिरगिट है ये
काहे को फोकट का ज्ञान बाट रहे हो,,आपके अंदाजे से सृष्टि नही चलती,,,,जो भी लिखा है आपने उसका सिर पैर भी लिखो ,,,,एकलव्य का अंगूठा द्रोणाचार्य ने इसलियें काटा क्योंकि महाभारत जैसी विराट लीला रचनी थी परमेश्वर को,,,चार वर्ण की बाते करते हो,,,कभी अपना अस्तित्व भी बताओ कि 1000,2000 साल पहले मुस्लिमो का अस्तित्व क्या था या उससे 1000 साल पहले मुस्लिम था भी या नही ,,,बात करते हो हमारे धर्म की सनातन है अपना धर्म,,,याद रखो 5 उंगलिया है और पांच की पांचो अलग अलग साइज की ,,,,चारो वर्ण के अलग अलग कार्य थे,,,जब तक उसका सदुपयोग हुआ वे वरदान थे,,श्राप बनाने वालों ने गलती की उनका दुरुपयोग करके,और उसका फायदा भी खूब उठाया मुगलो ने,,जाति, जाति को बाटते हुए आगे बढे,याद रखो जल के बिना जीवन नही लेकिन तभी तक जब तक उसका सदुपयोग हो लेकिन जब उसी जल का दुरुपयोग होता है तो वही मृत्यु का कारण बनता है सांसो को रोककर,,,इसलिए अगर सार्मथ्य है तो पूर्ण सत्य लिखो नही तो लिखना छोड़ो,,, वैसे काम तो तुम लोगो का यही रहा है कि दूसरे के स्वर्णिम इतिहास को काला अध्याय बताके खुद के हलाला ,मुताह जिसमे की बच्चियों के संग बलात्कार से बड़े अत्याचार किये जाते है,,,को छिपाते हो,,,,अरे कभी ये भी लिखो की जिसे तुम प्यार की निशानी कहते हो ,वो ताजमहल शाहजहाँ के पैदा होने से 233 साल पहले बनाया जा चुका था,,,,कभी उस प्रेम कहानी पर भी प्रकाश डालो जिसमे मुमताज 14वां बच्चा देते हुए हुए अपने प्यार शाहजहाँ पे कुर्बान??हो गयी थी,,,अरे लिखने से पहले सोच करो,,,,की ये वही भारत है,,,, जिसने उन वीरो की जना है जिसने 900 इस्वी में आये अरबियों को अरब तक दौड़ा के काटा था,
गलत सोच को दर्शाता है, तुरंत हटा देना चाहिये इस तरह के लेख को
बख़्तियार ख़िलजी, आपका अपना मुस्लिम इनवेडर, ने बुखार ठीक ना होने पर नालन्दा विश्वविद्यालया को जलवा दिया था| तुम्हारे जैसे किसी गधे ने झूठी कॅहानी गाड़ी है की हिटलर को ब्राह्मणों ने अवतार बोला था| इंदिरा गाँधी को किसी ब्राह्मण की जरूरत नहीं थी सलाह देने की| जरनैल सिंह को उन्होने ने हीं शरण दी थी पंजाब में राजनीति जमाने के लिये क्यूंकि वहाँ कांग्रेस की एक भी सीट नहीं आती थी| बाद में देहरादून में सेना से अभ्यास करवाया दो दिन और स्वर्ण मंदिर पर सोचा समझा अटॅक करवा दिया| मूल बात यह है की तुम मुसलमान होने के नाते अपने पुरखों के गलत कामों को छुपा रहे हो और ब्राह्मणों पर निकाल रहे हो मगर सही लोग ऐसा होने ना देंगे|
1. जब तुमको गाँव से बाहर बस्ती बनाकर रहने के लिए मजबूर
किया गया था । तब 5000 साल तक आपका भगवान
कहाँ था ?
2. जब आपको 5000 साल तक शिक्षा से वंचित रखा गया तब
आपका भगवान कहाँ था ?
3. जब 5000 साल तक आपको संपत्ति रखने का अधिकार
नहीं था तब आपका भगवान कहाँ था ?
4. जब आपको गले में हांड़ी लटकाकर चलने के लिए मजबूर
किया गया तब पाँच हजार साल तक आपका भगवान
कहाँ सोया हुआ था ?
5. जब पाँच हजार साल तक आपको पीछे झाड़ू बाँधकर चलने के
लिए मजबूर किया गया तब आपका भगवान कहाँ था ?
6. जब आपके प्राणों का मूल्य कुत्ते, बिल्ली, मेंढक के प्राणों के
बराबर समझा जाता था तब पाँच हजार साल तक
आपका भगवान कहाँ था ?
7. जब आपको सुबह शाम चलने पर प्रतिबन्ध था सिर्फ दोपहर
को कोई थाली वगैरह बजाते हुए चलने दिया जाता था तब
आपका भगवान कहाँ था ?
8. जिस पानी में कुत्ते बिल्ली मल मूत्र विसर्जित करते रहते थे
उसी पानी को आपको पीने नहीं दिया जाता था । तब
आपका भगवान कहाँ था ?
9. जब आपकी बहू बेटियों को किसी जानवर की तरह कोई
भी ले जा सकता था तब आपका भगवान कहाँ था ?
10. जब आपको सिर्फ काम कराने के लिए बंधुआ मजदूर की तरह
प्रयोग किया जाता था तब आपका भगवान कहाँ था ?
11. जब आपको मंदिर में नहीं घुसने दिया जाता था तब
आपका भगवान कहाँ था ?
12. जब आपको धर्म कर्म से वंचित रखा गया था तब
आपका भगवान कहाँ था ?
13. जब आपके छूने से ही ये लोग अपवित्र हो जाते थे तब
आपका भगवान कहाँ था ?
14. जब कोई तुम्हारी बीमारी का इलाज
तुम्हारी जाति की वजह से करने से इंकार कर देता था और तुम
इलाज के आभाव में तड़प तड़पकर दम तोड़ देते थे तब आपका भगवान
कहाँ था ?
15. जब पानी के अभाव में तुम प्यासे ही तड़प तड़पकर दम तोड़ देते
थे तब तुम्हारा भगवान कहाँ था ?
आज जब भारतीय संविधान के वजह से जब आपको इन सबसे
मुक्ति मिल गयी और अधिकार मिल गए तो तुम्हारे
करोडो भगवान पैदा हो गए ? धिक्कार है तुम पर और तुम्हारे
इंसान होने पर.
अरे आप किन पांच हज़ार सालों की बात कर रहे हैं और किसके बारे में| कबीर जी के समय में जाओं तो सारे शूद्र भवन निर्माण, वैध (उपचार) गीरी, धन के लिये नौकरी करने वाले, जासूस आदि कम करते थे| झाड़ू लगा कर चलना वाले समय में तो देश ग़ुलाम था| शूद्र को सिर्फ जनेऊ पहनने का अधिकार नहीं था, वा अपने समाज के मंदिर जहां विश्वकर्मा, आश्विनी कुमार और कृशन का पूजन करते थे| कबीर और रविदास जी की बांके बिहारी और जगन्नाथ पूरी की यात्रा से यह ही साबित होता है उस समय लगभग सभी मंदिरों में शूद्र जाया करते थे| रविदास जी जैसी घटनाएं बहुत कम होती थी तभी रविदास जी का मुकदमा राजा के दरबार में लड़ा गया था जहां रविदास जी ने ही बिना शास्त्रों से उपया बताये अपना सीना फाड़ कर जनेऊ निकले थे| बहुत बाद में मुस्लिम शासकों ने, फिर अंग्रेज़ों ने समाज को तोड़ना शुरु किया| शूद्र सबसे आसन लक्ष्या थे और जरूरी थे क्यूंकि सभी प्रकार का भवन निर्माण, इंजिनियर और चिकित्षा उनके हाथ में थी| उनको मुख्यधारा से अलग किया गया, अलगाव का बीज बोया गया, उनको वेदों और जनेऊ के पाबंदी का आसरा देकर भडकाया गया| यह सब मुस्लिम, तैमूर और अंग्रेज़ों ने किया ताकि आसानी से धर्म परिवर्तन कराया जा सके और इल्जाम ब्राह्मणों पर डाल दिया गया| जिन 5000 सालों की आप बात कर रहे हो उस समय तो हम ग़ुलाम थे आपके मुस्लिम शाशकों के और अंग्रेज़ों के| पूरा इतिहास उन्होने बदला और शूद्रा को इंजिनियर से सफाई वाला उन्होने बनाया, हिन्दू और ब्राह्मणों ने नहीं|
कपोल्कल्पित कहानिय का कोइ जवाब नहि होत
हम करे तो चमत्कार
अन्य करे तो बलात्कार
आपने एकलव्य और शम्बूक का उदहारण दिय वाल्मीकि व्यास आदि का उदाहरण नहीं दिया
सारी नौटंकी मुल्लों और ईसाईयों की देन है
किस मनुस्मृति की बात कर रहे हो
मनुस्मृति में ६०० श्लोक थे आज २४०० है बाकी के किसने लिखें
ज्यादा बकैती कर ७२ फिरके मुल्लों और दूसरों को ऊँगली करता है
आप के कथा कथित कपोल कल्पित बाते पढ़ कर अफ़सोस हो रहा है जरा अपने धर्म की भी बाते करो। अक्ल ठिकाने आजायेगी।
Bhai Aap agar Muslim ho to nischit roop se aapke purvaj hindu ya Baudh rahe honge
Isn’t it?
बकवास पर बकवास किये जा रहे हो कबीर और रविदास जी ने तीर्थ व्रत ,मूर्तीवाद ,जातिवाद ,वर्णवाद वेद शास्त्र का विरोध किया है और जनेऊ दिखाने वाली बात झूठा प्रचार व पागलपन है ब्राह्मणोँ का ।
Yeah Jo Muslim bandhu Jo kahe sab thik hai toh apni yougyta bataye
१.agar yeah murti pooja nahi karte toh west hi side main muh karke namaz ada kyuon karte hain Allah toh har jagah hai.
२.agar murti pooja nahi toh shab-e-barat main candle agarbatti kyuon.
३.agar murti pooja nahi toh chand ke deedar kyuon
४.agar murti pooja nahi toh kisi ki kabar par mattha kyuon jhukana sar toh allha ke aagey jhukna bataya hai.
Matlab yeah ki apni utpatti ka pata nahi aur manu smriti par aur hinduon par ungali uththayai hain.
Love u dost….. Proud of u,,,BHARAT MAATA KI JAY
मुस्लिमों के पैशाचिक कार्य तो सब जानते ही हैं, लेकिन कुछ उनके कुछ सौ साल के कुकर्मों को आवरण बनाकर यह सवर्न अपने हजारों सालों के पैशाचिक और अमानवीय अत्याचारों के काले कारनामों के जगत प्रसिद्ध इतिहास को कभी भी नहीं छुपा सकते।
केवल पक्ष-विपक्ष में बोलने से कुछ नहीं होता है, हजारों सालों में जो भी घटित हो चुका है वहीं सत्य है। दलित हजारों सालों से सिर्फ और सिर्फ अत्याचार ही सह रहे हैं। और सवर्न अब भी यही चाहते हैं।
यह तो हम भी जानते है और यह भी जानते है की ईसा मसीह को इस लिये सलीब पर नहीं चढ़या गया की उन्होने ईसाई धर्म स्थाफ़िट किया था बल्कि इसलिये की उन्होने घोषणा करी थी क़ी वो यहूदियों के राजा है| जब रोमन ने ईसाई धर्म अपनया तो यहूदियों को मारा गया ताकि वो यह सच दुनिया को ना बता सकें और उनका धर्म इस्लाम के मुकाबले खड़ा हो सके|
fuck off !!!! ye sirf aapki gandi soch hai… they are two parts of every thing – positive and negative..
little nit agree with you but blog but not with comment posted on 25th June’14.
Contact with a good doctor for further help.
Sahi bat hai
Abe chutiye ham se baat kar raha hai. Mugalo ne talwar dikha di to dharm badal ke mulla ho gye tere purvaz. Jab arab me tum log balo chaat rahe the n tab hamne shahar basa diye the jake dekh sindu ghati ko duniya ki phli university hamare yaha the nalanda aur takshshila me
२८वे वेद व्यास जी जो एक शुद्र के घर जन्म ले कर भी ब्राह्मण बन गए उनका बचपन का नाम कृष्ण देव था।
इन्होंने ही जया नामक ग्रन्थ लिखा जो बाद में महाभारत नाम से मशहूर हुआ।
हिन्दुओ के दो सबसे प्रमुख ग्रन्थ बाल्मीकि जी और कृष्ण देव (वेद व्यास) जी ने लिखे थे यह दोनों जन्म से शुद्र थे।
अगर शिक्षा से दूर रखा जाता था शुद्रो को तो उन्होंने इतने विशाल ग्रन्थ कैसे लिखे।
अब यह मत बोलना की उस समय google से डाउनलोड किये होंगे।
केशव जी,इन (मुल्ले) कुत्ते की दूम कभी सीधा नहीं हो सकता
Mr arora teri language se hi pta chalta h teri soch kitni kamjor h. Apni language ko sudharo. History uthao sc st yaha ke mool niwasi thy.
आंसारी मियां कम से कम इतिहास ढंग से पढ लो| जिन ब्राह्मणो के आप नाम ले रहे हो वो इतिहास में है ही नहीं| चार वर्णों की व्यवस्था तुम्हारे तो क्या आज के किसी भी विद्वान की समझ में नहीं आ सकती| ब्राह्मण का कर्या ज्ञान देना, क्षत्रिय का काम देश की रक्षा करना और युध करना, वैश्या का काम व्यपार करना, शूद्रा का काम निर्माण, रखरखाव और उपचार करना होता था| आप मुग़लों के आकार्मन से पूर्व शूद्र ही इस देश के बड़े बड़े इंजिनियर हुआ करते थे और उनके पूज्या भगवान होते थे – विश्वकर्मा और आश्विनी कुमार| ग़ुलामी ने सबके मस्तिष्क फेर दिये और शंबूक जैसे काल्पनिक पात्र, बुध को विष्णु का अवतार मनना और साई बाबा को भगवान मानना जैसे काम हुये| एकलव्या का अंगूठा माँगना द्रोण का निजी निर्णया था समाज का नहीं| तुम्हारे जैसों के चक्रों में आके तो मनु समृति पढ़ाई नहीं जाती और विदेशों का गंद गलत इतिहास राजनीति शाश्त्र के विद्यार्थियों को पदाहाया जाता है| मगध के प्रस्त होने से सालों पहले सिकंदर वापिस चला गया था मलेरिया से भाग कर| परम् नन्द कोई क्षत्रिया राजा नहीं था बल्कि एक नाई और रानी की अवैध औलाद था| नाई से राजा को मार कर सत्ता हासिल करी थी| रानी मौरवी जान पर खेल कर जंगल भागी थी और उनका पुत्र मौर्या राजा नन्द का सेनापति बना| चाणक्य ने मगध में चंद्रगुप्ता मौर्या के साथ नागा साधुओं के भेष में प्रवेश किया और श्राप देकर नन्द को राज्य से निकल दिया| पुरु और कलिंग के महाराज को मगध जितने के लिये बुलाया और आपस में लड़वा कर मारवा दिया| मुग़लों और फिर अंग्रेज़ों के राज में भारत का इतिहास इतना बदला की भारत में सदियों से रहने वालों को आर्यन बता कर बहार से आने वाले लडाके बता दिया जोकि सरसर गलत है| अरे सनातन धर्म तो तबसे है जब पशिम में सिर्फ समुन्दर होता था और जमीन आणि शुरु हुई थी| इस्लाम और क्रिस्चियन तो बहुत बाद की पैदाइश है| बाबर को तो किसी ने नहीं बुलाया था, भाई वो तो इस्लाम का प्रचार करने निकला था और इब्राहीम लोदी को मारकर भारत पर विजय पाने| भूलो मत हेमू तो पैदा भी नहीं हुया था जब दिली पर लोदी और बाबर का शाशन था| शिवाजी को उनकी रानी ने जहर दिया और रणजीत सिंग जी के मरने का करण बीमारी थी| दयानंद सरस्वती को नन्ही जान नाम की मुस्लिम वेश्या ने विष दिलवाया था|
Brahmins destroyed the Indus civilization before about 5000 years. This triggered the Class struggle between invader Brahmins and aboriginal Indian Shramanas. Due to this class struggle (brahmin Vs shraman or Brahmin Vs Shudra), Buddha was successful in his revolution.To abort this class struggle and to do counter-revolution, brahmins created caste system. If we want to be successful as like the Buddha, we should also should unite all the castes (SC ST OBC Nt Dnt Vjnt ExCt and Converted minorities) under the umbrella of “Mulnivasi”. Brahmins are “videshi”. Thus, a real class struggle will be revived again (mulnivasi Vs videshi). Then, success will be ours only!! So, dear fellows, dont think more…just follow me and follow BAMCEF and Bharat Mukti Morcha!!!
1933 में तानाशाह अडोल्फ हिटलर जब जर्मनी की सत्ता पर काबिज हुआ था, तो वहां भी उसने एक नस्लवादी साम्राज्य की स्थापना की थी। उसके साम्राज्य में यहूदियों को सब-ह्यूमन करार दिया गया और उन्हें इंसानी नस्ल का हिस्सा नहीं माना गया।
यहूदियों के प्रति हिटलर की इस नफरत का नतीजा होलोकास्ट के रूप में सामने आया, यानी समूचे यहूदियों को जड़ से खत्म करने की सोची-समझी और योजनाबद्ध कोशिश। होलोकास्ट इतिहास का वो नरसंहार है जिसमें छह साल में तकरीबन 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें 15 लाख बच्चे थे। इस दौरान कई यहूदी अपनी जान बचाकर देश छोड़कर भाग गए, तो कुछ कंसनट्रेशन कैंप्स में क्रूरता के चलते तिल-तिल मरे।
यूक्रेन के यहूदियों को देश से निकालने की चेतावनी
इजरायल की सबसे बड़ी न्यूज वेबसाइट Ynet न्यूज और यूक्रेन की डोनबास न्यूज एजेंसी में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि यूक्रेन के यहूदियों की संपत्ति जब्त करने और उन्हें देश से बाहर निकालने की चेतावनी भी दी गई है।
डोनेस्क के एक नागरिक ने इजरायली को भेजी पर्चे की तस्वीर
इजरायल के मैनुयल शेचर नाम के शख्स ने Ynet न्यूज वेबसाइट को बताया कि डोनेस्क में रहने वाले उसके एक दोस्त ने सोशल मीडिया के जरिए उसे शहर में बांटे गए लीफलेट की कॉपी भेजी।
मैनुयल ने दोस्त से प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया, “शाम की प्रार्थना सभा से लौट रहे सैकड़ों यहूदियों को नकाबपोश लोगों ने यह पर्चें बांटे और उसमें लिखे इंस्ट्रक्शन्स मानने के आदेश दिए।” ये था हित्लर का नन्गा खेल जिसे आर एस एस अप्ना आधर्श मान्ति है
ऐरियन और प्लूतार्क (दोनों यूनानी ) india के बिषय में लिखा है .उसके पहले मेगास्थनीज ने लिखा .मेगास्थनीज चंद्रगुप्त के दरबार में सेल्यूकस का दूत था . उसने लिखा कि पोलबेथ्रा (पाटलीपुत्र ) 9 मील लंबाई में गंगा के किनारे किनारे फैला है . 9 मील मतलब करीब 14 किलोमीटर . उसने यह भी लिखा कि नगर के चारों तरफ 600 फीट चौड़ा और 48 फीट गहरा खाई था जो सुरक्षा की दृष्टि से बनाया गया था . नगर का बाहरी दिवार
मजबूत लकड़ी से बना था जिसमें उपर के हिस्से पर तीर चलाने के लिये होल बने थे .यह ईसा पूर्व चौथी शताब्दी की बात है . बाद में ह्वेनसांग और मेगास्थनीज के लिखे का आधार बनाकर अंग्रेज पुरातत्वविद 1876 से 1897 तक अथक प्रयास कर वहीं पाटलिपुत्र खोज निकाला जिसका वर्णन मेगास्थनीज ने किया था .पाटलिपुत्र बाँकीपुर से पटना सीटी तक फैला था . लेकिन आश्चर्य जनक रूप से मेगास्थनीज ने किसी राजमहल का वर्णन नहीं किया है ! अगर ये यूनानी चंद्रगुप्त के बिषय में नहीं लिखते तो लोग ब्राम्हणी साहित्य रामायण महाभारत पढ़ते रह जाते पाटलिपुत्र के गौरव का पता नहीं चलता !
यह तुम्हारा संगठित हिन्दू समाज मे फुट डालने का कुत्सित प्रयास है , लोग तुम्हारी कुटिल चालो मे नही पडेंगे
1) ब्राम्हण केरलनाथ आदि शंकराचार्य, 788-820 Century AD का कार्यकाल है। इसने 820 AD में केदारनाथ में अपने प्राणत्यागे थे। और ब्राम्हण केरलनाथ आदि शंकराचार्य, की समाधि केदारनाथ में बनाई गई, इसके गुनाहों को छुपाने के लिए ब्राम्हण केरलनाथ आदि शंकराचार्य को देवभूमि का महादेव के नाम से प्रचलित किया गया। जहा प्राकृतिक विपदा से भारी संख्या में जानमाल की हानि हुई है।
2) केरलनाथ आदि शंकराचार्य, यह व्यक्ति विश्वजगत का सबसे बड़ा खतरनाक षडयंत्रकारी और कुर जघन्य हत्त्यो का अपराधी है। केरलनाथ आदि शंकराचार्य, शास्त्रार्थ के बहाने बौद्धो से शास्त्रार्थ करके ब्राम्हण राजा सुन्घवा के सहयोग से बौद्धों की हत्त्याये करता था। इसके ठोस प्रमाण शंकर दिग्वीजय में मिलते है। और श्री लालमणि जोशी ने इसे प्रमाणि करते हुए कहा है की केरलनाथ आदि शंकराचार्य, कुमारिल भट्ट और ब्राम्हण राजा सुन्घवा को “बौद्ध भिक्षु और उपासक” को जलते देख इनको बहोत मजा आता था। (Discerning the Buddha pp. 216 by L.M.Joshi Published by Munshiraam Manoharlal, New Delhi)
3) 727 AD to 820 AD इस काल में बौद्ध भिक्षु और बौद्ध शिक्षा प्रणाली पर ब्राम्हण केरलनाथ आदि शंकराचार्य, ब्राम्हण कुमारिल भट्ट, ब्राम्हण वाचस्पति मिश्र और ब्राम्हण राजा सुन्घवा द्वारा बौद्धों पर किये गए हमले और जघन्य हत्त्याये मुस्लिम आक्रमणकारियों से माहाघातक, जादा खतरनाक और केदारनाथ की प्राकृति आपदा से भी खतरनाक थे।
4) अगर भारत के धरती से बुद्ध के नैतिक आचार संहिता के शिक्षा को किसी ने तहसनहस किया है वह मात्र ब्राम्हण केरलनाथ आदि शंकराचार्य, और इसके जघन्य अपराधी ब्राम्हण कुमारिल भट्ट, ब्राम्हण वाचस्पति मिश्र और ब्राम्हण राजा सुन्घवा है अन्य कोई नहीं है…
आप्क समाज सन्गथित कब था ??
सिया सुन्नी की जो किरकिरी हुई है उसका द्यान हटाने के लिये अफ़ज़ल साहब की हिन्दुओ के बीच के मतभेद को . . की तैयारी का कुछ होने वाला नही है.. हिन्दू गद्दारो की वजह से ही भारत इतने साल ग़ुलाम रहा.. और पूरा भारत वर्ष इसको भुगत रहा है.. आब तो सब अमन चैन से रेहते है.. एकता और भाईचारे का ज़ॅंडा गढने वाला इस्लाम की पतली हालत क्यू है वो अफ़ज़ल मियां को बताना चाहिये..
आज के सन्दर्भ मे देखिये न भायेी ..विश्व का एक्मात्र हिन्दु देश नेपाल मे लोक्तन्तर आ गया और हिन्दु धर्म को मन्ने वले लोग कम होते जा रहे है … आप इस्लम कि चिन्ता चोर कर अप्ना धर्म बचाने कि कोशिश करे … आज भि दुनिया मेन एक नम्बेर पर है..
खिसयानी बिल्ली खंबा नोचे.. दूसरो के धर्म को नीचा दिखाने से उसका धर्म कभी बड़ा नही हो जाता..
HANNAN ANSARI jee hum kaha ISLAM ki chinta kar rahe hai… ye to aaplogo ki aadat dusre dharam par discussion karne ki…
jyada mujhe dharam ko lekar bolna pasand nahi… apne dharam ka khayal rakhiye aur hum (hindu) apne dharam ka…
ansari ji hindu ke kam hone ka matlab samajhiye hindu ek vaidik dharm hai jo ki sadiyo se chala aa raha hai or iske allawa jo bhi dharme bane hai wo logo ne apne hisab se apni suvidha ke anusar banaye hai duniya se humanity khatam hoti ja rahi hai or ye duniya sarvnash ki or bad rahi hai
क्या बकवास है अफ़ज़ल साहेब.. खुद के फसाद को रोक नही सकते तो औरो पर कीचड़ उछालना सुरु कर दिया.. आप की कॉम मे अक्कल नही है ?? जो दूसरो के बहेकावे मे आ जाये ?? हकीकत ए है की कुरान मे “” क्षमा “” या माफ करने को नही सिखाया है.. मार-काट से सुरु हो कर वही खतम होता है.. वापिस अपने पुरखो की तरफ नज़र करे.. किस मुस्किल मे उन्होने इस्लाम को अपनाया होगा ??
बार बार ये भाड़े के लोग मुगलो को कोसते
रहते है…और खुद को सबसेबढ़ा हिंदुस्तान
के रखवाले साबित करते है…इतिहास
उठाकर देखलों ८00 साल सेज़्यादा मुगल
सल्तनत कायम रही है हिंदुस्तान मे लेकिन
इन ८00 साल मे ८ बार भी दंगे जेसी कोई
चीज़ नही होने दी उन्होने…और
आज़ादी के ६७ साल मे ही कम से कम
६0.000 छोटी बढ़ी घटनाए घट
गयी होगी…अब बताए इस मुल्क के
असली रखवाले कौन थे…वो मुगल शाशक
या ये तथाकथित देश प्रेमी???????? और
एक बात अगर वो ज़ोर जबरदस्ती इस्लाम
फेलाते जो उन पर सबसे बढ़ा झुटा इल्ज़ाम
है तो इस वक़्त हिंदुस्तान मे ७० करोड़
हिन्दू और २२ करोड़ मुस्लिम नही होते
बल्कि इसका उल्टा होता…ये ६० करोड़
हिन्दू भाई इस बात की गवाही दे रहे है
की मुगल कितने ताकतवर होने की बाद
भी रहमदिल थे…और आज उनके वंशज
फकीरी की ज़िंदगी जी रहे है उस
हिंदुस्तान मे जहा के कभी वो “बादशाह”
थे..अगर वो चाहते तो हिंदुस्तान
का नाम कोइ मुस्लिम नाम दे सकते थे पर
वो ऐसा न किये हा फिरंगियो ने हमारे
देश का नाम बदल दिया जो हम अज गर्व
से कहते है इंडिया ज़रा दिल की गहरई से
सोचो गे तो इस बात पर
भरोसा हो जायेगा के हम भी देश से
उतना ही प्यार करते है जितना और कोइ
करता है……………..
I am sure that u will got this KNOWLEDGE from “MADARSE”.
ansari ji mujhe ye samajh nahi ataa hai ki hindustani musalman kya kahi arab country se aya hai jo ki muglo ko hamesha apna hero batata hai ye baat to aap khud except ker rahe ho ki muglo ne bharat per attake kiya tha or ager koi bhi dusere mulk apne mulk pe hamla krta hai ya phir raj krta hai to wo us desh ki janta ka hero kaise ho sakta hai or dusra ye jaisa apne kaha ki bharat me 80% hindu hai aap shayad ye bhul chuke hai ke pakistan, bangladesh, me rehne wla her ek aadmi hindustani hi tha or dharm badalne ya phir naam badlne se haqikat change nahi hoti hai pakistan or bangla desh ke musalmano ko jode to bahrtiye upmahadeep me kareeb 30cr musalman + 25 cr today indian musleem means 55cr musalmaan jo ki hindu se musleem convert huye mugako ke aane ke baad or rahi baat islaam me udarta ki to wo to is baat se sabit hota hai ki pakistan or bangladesh bane ke baad waha se hinduo ka safaya ker diya gaya musalmano ne even kashmir to bharat ka hissa hai waha bhi musalmano ne hinduo ko bhaga diya ye kaisa islam dharm hai jo apne dharm ke alawa kisi or dharm ko samajhta hi nahi na hi respect krta
हालत इस्लाम की कभी पटली नहीं हूवी जो आज है वो हमेशा से रहा है अपितु आज इस्लाम को अन्य धर्म के लोग बहुत तेज़ी से अपनाने लगे हैं. वहीं हिन्दू की हालत अत्यधिक पटली नज़र आती है जब से शंकराचार्या ने साई राम पे आरोप लगाया है.
हम तो हमेशा कहते हैं गद्दार हिन्दुओं की वजह से हमने ग़ुलामी की लेकिन मुसलमानो ने जो हिंसा और नर्पिशच्ता कॅया नंगा नाच किया क्या इससे साबित होगा इस्लाम कॅया अर्थ शान्ती है? इस्लाम की उत्पत्ती तलवार से हुई है| 1400 सल तक इसका लूटमार खून खराबा इसके आल्वा इसकी कोई संस्कृति नेया थी ना है नेया होगी|े
कुछ गै़र-मुस्लिम की यह आम शिकायत हैं कि संसार भर में इस्लाम के माननेवालों की संख्या लाखों में नही होती यदि इस धर्म को बलपूर्वक नहीं फैलाया गया होता। निम्न बिन्दु इस तथ्य को स्पष्ट कर देंगे कि इस्लाम की सत्यता, दर्शन और तर्क ही हैं जिसके कारण वह पूरे विश्व में तीव्र गति से फैला न कि तलवार सें।
मुसलमानों ने स्पेन पर लगभग 800 वर्ष शासन किया और वहॉ उन्होने कभी किसी को इस्लाम स्वीकार करने के लिए मज़बूर नही किया। बाद में र्इसार्इ धार्मिक योद्धा स्पेन आए और उन्होने मुसलमानों का सफाया कर दिया और वहॉ एक भी मुसलमान बाकी़ न रहा जो खुलेतौर पर अजा़न दें सके।
– मुसलमान 1400 वर्ष तक अरब के शासक रहें। कुछ वर्षो तक वहॉ ब्रिटिश राज्य रहा और कुछ वर्षो तक फ्रांसीसियों ने शासन किया। कुल मिलाकर मुसलमानों ने वहॉ 1400 वर्ष तक शासन किया । आज भी वहॉ एक करोड़ चालीस लाख अरब नसली र्इसार्इहैं। यदि मुसलमानों नेतलवार का प्रयोग किया होता तो वहॉ एक भी अरब मूल का र्इसार्इ बाक़ीनही रहता।
– मुसलमानों ने भारत परलगभग 1000 वर्ष शासन किया। यदि वे चाहते तो भारत के एक-एक गै़र-मुस्लिम को इस्लाम स्वीकार करने पर मज़बूर कर देते क्योंकि इसके लिए उनकेपास शक्ति थी। आज 80/ गै़र-मुस्लिम भारत में हैं जो इस तथ्य के गवाह हैं कि इस्लाम तलवार से नहीं फैला।
– इन्डोनेशिया (Indonesia) एक देश हैं जहॉ संसार में सबसे अधिक मुसलमानहैं। मलेशिया (Malaysia) में मुसलमान बहु-संख्यक हैं। यहॉ प्रश्न उठता हैं कि आख़िर कौन-सी मुसलमान सेना इन्डोनेशिया और मलेशिया गइ ।?
– इसी प्रकार इस्लाम तीव्र गति से अफ़्रीकाके पूर्वी तट पर फैला। फिर कोइ यह प्रश्न कर सकता हैं कि यदि इस्लाम तलवार से फैला तो कौन-सी मुस्लिम सेना अफ़्रीका के पूर्वी तट की ओर गइ थी?
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और यदि कोई तलवार मुसलमान के पास होती तब भी वे इसकी प्रयोग इस्लाम के प्रचार के लिए नहीं कर सकते थें। क्योकि पवित्र क़ुरआन में कहा गया हैं-
‘‘ धर्म में कोर्इ जोर-जबरदस्ती न करो, सत्य, असत्य से साफ़ भिन्न दिखार्इ देता हैं।’’ (क़ुरआन, 2:256)
पवित्र कु़रआन हैं-
‘‘लोगो को अल्लाह के मार्ग की तरफ़ बुलाओ, परंतु बुद्धिमत्ता और सदुपदेश के साथ, और उनसे वाद-विवाद करो उस तरीक़े से जो सबसे अच्छा और निर्मल हों।’’ (क़ुरआन, 16:125)
क़ुरआन और पवित्र कब से हो गया है !!!!!!
Dobara ye baat mat kahna log bahut hasenge !!!!
Indonesia muslim country hai pr waha aaj b log bhagwad gita pdte hai uspr amaal b krte hai…..aap apna dhrm dekhoo….dsre dhrm ki burayin mt kro…..aap ho muslim pr interest hindu dhrm me le rhe ho ..jhi se saavit hota hai aap pr kitna asr hai hindu dhrm ka
काफी हद तक आपका लेख सही है
आंसारी महोदय आप हिन्दू धर्म से इतना जलते किऊन हो भई और किसी के उपर उंगली उठाने से पहले जरा ये भी तो देखो 3 उंगली खुद के तरफ है और ये शूद्र और ब्राह्मण किऊन करते रहते हो भाई शूद्र का मतलब दलित होता है और हम हिन्दू महा दलित नरेन्द्र मोदी को प्रधान मंत्री बना दिये है तो बात यही पे खत्म हो गई हमारा देश का संविधान एक शूद्र ही लिखा है भाई अम्बेडकर जी शूद्र ही थे आप लोग पता नही किस जन्म की बात करते रहते हो की लड़वाने मे लगे हुए हो हमलोग को नीचा दिखाने मे लगे हुए हो पहले अपना तो देख लो तुमलोग का गुरु मुहम्मद पैगंबर सेक्स का भूखा था वो मुर्दा तक के साथ सेक्स किया था 50 साल के बुढापे मे वो 6 साल की आइषा को सेक्स के लिये घर ले के आया था यानी 50 साल मे उसको जवानी चढ़ी थी ये सब बात भूल गये क्या , जिसका गुरु ऐसा हो उसका चेला कैसा होगा अपना छोड़ कर हमेशा दूसरे धर्म की ही बात करेगा और आंसारी साहब कुरान उरान पढ़ते भी हो या नही की पैगंबर की तरह ही अनपढ हो जिसने भी कुरान अच्छी तरह से पढ़ा वो आतंकवादी बन गया है ओसामा बिन लादेन अपने आप को सच्चा मुसलमान कहता था 5 वक्त का नमाजी था बेचारा और सूरज कीचड़ के दलदल मे डूब जाता है रात मे सूरज अल्लाह के सिंहासन के पीछे चला जाता है रात भर आराम करता है फिर सुबह अल्लाह की मर्जी से वापस आ जाता है लेकिन सबसे हसी इस बात पे आती है की सारे के सारे मुसलमान कहते फिरते है की कुरान अल्लाह ने ही लिखा है तो अल्लाह भी पैगंबर की तरह अनपढ था क्या या अल्लाह है ही नही है तुम ही बताओ आंसारी भई की सूरज किस सिंहासन के पीछे चला जाता है या फिर अल्लाह को भी पता नही था की रात मे सूरज किधर जाता है खैर जिसका गुरु पैगंबर जैसा सेक्सी आदमी हो जो 6 साल की बच्ची तक को नही छोड़ा उसके बारे मे क्या बात करना , मनुस्मृति और कुरान मे जमीन आसमान का अंतर है , अपना देखो अपना आंसारी भई नही तो हिन्दुत्व अपना लो , पण्डित महेंदर पाल आर्या जी से डिस्कस कीजिये वो पहले एक मस्जिद के इमाम थे और वो छोड़ कर वैदिक धर्म मे आ गये और अब 20,000 मुस्लिम को हिन्दू बना दिये है
आपने हिन्दुओं का इतिहास बहुत अच्छी तरह पढ है. मुसलमानो का भी पढ़ा ही होगा. आपकी जानकारी बताती है दुनिया में सब जगह गद्दार हुए. कभी गद्दार मुसलमानों के किस्से भी लिखिए. और एका सवाल मौजूदा हालत के बारे मे – आज के मुसलमानों के बारे में आपका क्या खयाला है ? आज जो मुसलमान कहीं भी चैन से रहते नहीं दिखते क्या उसके लिए भी हिन्दू (ब्रह्मण) जिम्मेदार हैं ?
1965 में जब पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ था उस वक्त मुस्लिम रेजिमेंट और मुस्लिम राईफल्स को हमला करने के आदेश जारी किया गया। उस वक्त मुस्लिम रेजिमेंट और मुस्लिम राईफल्स ने पाकिस्तान पर हमला करने से साफ़ मना कर दिया था और लगभग बीस हज़ार मुस्लिम सेना ने पाकिस्तान के सामने अपने हथियार डाल दिए थे . जिस वजह से उस वक्त भारत को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था . सेना ने मुस्लिम राईफल्स और मुस्लिम रेजिमेंट के ऊपर बहुत ज्यादा यकीन कर के इनको भेजा गया था. लेकिन इसके बाद इन दोनों को हटा दिया गया .
उसके बाद 1971 में पाकिस्तान के साथ फिर युद्ध हुआ . उस वक्त सेना में एक भी मुस्लिम नहीं था. उस वक्त भारत ने पाकिस्तान के नब्बे हज़ार सेना के हथियार डलवा कर उनको बंदी बना लिया था और लिखित तौर पर आत्मसमर्पण करवाया था ।। तब से लेकर आज तक भारतीय सेना में मुस्लिम रेजिमेंट या मुस्लिम राईफल्स नाम की कोई सेना नही है .
मुस्लिम रेजिमेंट ने सन 1965 मे पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ने से साफ़ इंकार कर दिया,.इस वजह से इनकी पूरी की पूरी रेजिमेंट पर ही बैन लगा दिया गया, और पूरे रेजिमेंट को ही खत्म कर दिया गया,
गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार गद्दार
तो रोशन भाई ए बताये की ब्राह्मण रेजीमेंट सैन्य में क्यों नही है? उनमें देशभक्ति की कुछ कमी हे क्ख
Beta rajput rajiment hai deshbakti ke liye
लेखक जी आंसारी जी आपको ब्राह्मण से क्या दुश्मनी है आप तो ब्राह्मण ब्राह्मण किये हुये है और शूद्रा से क्या हमदर्दी है आप तो ब्राह्मण और सूद्र की लड़ाई करवाने पे लगे हुए है जैसा की शिया और सुन्नी मे होता है आपके सौ सुनार की अब हिन्दू के तरफ से एक लोहार का जवाब मिलेगा आप भड़काने पे भड़काने पे लगे हुए है पहले आप अपना देखिये सुद्रा मतलब तो दलित होता है और हम हिन्दू ने एक महा दलित को प्रधान मंत्री बना दिया है जिसका नाम है नरेन्द्र मोदी जी हाँ वो अति पिछड़ा बर्ग से ही आते है जिसके नाम सुनकर ही इस्लाम जगत थर थर कापता है इसलिये अब आपका दाल तो अब भारत मे नही गलेगा ये चाणक्य की धरती है
जहा आज इस्लाम अपनी करनी फरेब झूट के कारण पूरे विस्व् मे सबसे तेज़ी से मरने वाला धर्म हो गया है वोहीं हमलोग अपनी सांख्या पूरे विस्व् मे बढ़ा रहे है ये सब अंदर ही अंदर हो रहा है जिसका ना तो कोई प्रचार होता है ना प्रसार लगा ना जोर का झटका जोर से… हमलोग का संविधान एक शूद्र ही लिखा है जिसका नाम था अम्बेडकर और जवाहर लाल नेहरू जिन्होने अम्बेडकर को लिखने को कहा वो एक ब्राह्मण थे शूद्र को हमलोग 1947 से ही 50 % आरक्षण दे रहे है सभी जगह इसलिये आपका दाल तो अब नही गलेगा कुछ नया तरीका ढुंडिए ये तरीका नही चलेगा
यहा देखिये हिन्दू क्या है सभी मुसलमान इसको जरूर देखे सिर्फ 5 मिनिट का वीडिओ है यू ट्यूब का
https://www.youtube.com/watch?v=RX3mOVh1epo
यहा देखिये महिंदर पाल आर्या जी आप के लोगो और कुरान की क्या की क्या धज्जिया उड़ा रहे है और झुटे लोग टिक ही नही पा रहे है
https://www.youtube.com/watch?v=JCMlfBU4Kag
https://www.youtube.com/watch?v=K8w8k1HmFy0
इसमे ग्रूप वीडियो है पूरा वर्ल्ड का जिसमे जिसमे हर कोई धीरे धीरे हिन्दू धर्म मे आ रहा है लेकिन हमलोग इसको मेडिया या कही दूसरे जगह हो हल्ला या प्रचार नही करते है अंदर ही अंदर करते है और विदेशी लोग पूरी तेज़ी से हिन्दू धर्म मे आ रहे है जबकि आपके कुरान के कारण आज इस्लाम सबसे तेज़ी से मरने वाला समाज है
https://www.youtube.com/watch?v=TPlw86Dvbg8&index=1&list=PLUMAzYgvSa8cgLlH7RNtHPC60tZ9mOpl-
https://www.youtube.com/watch?v=qAhvd8Zzb88&index=34&list=PLFE122F1521B2DEA2
अब अपना जवाब दीजिये
ए बेव्कोूफ है अगर इस्मे हिम्मत है तो पैगम्बर के योउध कि काहानि बताये. और तरहि ब्र्ह्मनो कि बात तो दुनिया को दिय हुआ आयुर्वेद और योग दुनिया जान्ति है हिइन्दु धार्म को बता रहा है पुरि दुनिया मे अगर कोइ धारम् नाकारा हुआ है तो ओ इश्लाम है आज पुरि दुनिया मे दुत्कारा हु है
लायंस हन्नान अंसारी साहब आज ये ज़ेहर क्यू बो रहे है आप किसी जाती विशेष पर ऊँगली उठा कर गड़े मुर्दे उखाड़ने , घटिया मुद्दो को उछलने और वाहवाही पाने का प्रलोभन छोड़िये और ज़माने के साथ चलने की कोशिश करिये ईराक जल रहा है उसपर लिखिए , एशिया के बहुत सारे देश जो गुलाम रहे और स्वतंत्र हुए स्वतंत्र होने के बाद आज तक नारकीय ज़िंदगी बसर कर रहे है वह के लोग उसके बारे में लिखिए ! ये ब्राह्मण और मुसलमान का ज़ेहर बोना बंद समाज को दिशा देने के लिए लिखिए , दिशाहीन करने की कोशिस ना करिये वर्ना समाज में विकृतियों की जेड दुबारा गहरी होनी शुरू हो जाएंगी ! आज दुनिया गोब्लाइजेशन कल्चर के दौर से गुज़र रही है सीमा रेखा काम हो रहा है और एक दूसरे के करीब आने का चलन बढ़ रहा है ऐसे में प्लीज हमे भ्रमित करने की कोशिश करने वाले लेख ना पब्लिश करे दुनिया इसे पढ़ रही है !
डा.भीमराव आंबेडकर के अनुसार हिंदू धर्म एक वर्ण को ज्ञान प्राप्त करने, दुसरे को शस्त्र प्रयोग, तीसरे को धनार्जन करने व चौथे को केवल दुसरो की सेवा करने की हिदयद देता है जबकि प्रत्येक व्यक्ति को ज्ञान की, सुरक्षा के लिए शस्त्र की व जीवनयापन के लिए धन की आवश्यकता होती है। जो धर्म कुछ लोगो को शिक्षा प्रप्ति का अधिकार देकर शेष को निरक्षर व अज्ञानी बनाये रखने मे विश्वास रखता है व्ह धर्म नहीं होकर अनन्त काल तक लोगों को मानसिक दास बनाए रखने का एक षडयंत्र है। जो धर्म एक वर्ण को शस्त्र प्रयोग करने का अधिकार देकर शेष समाज को आत्मरक्षा के लिए उन पर आश्रित बनाए रखने मे विश्वास रखता है वह धर्म नहीं अपितु शेष समाज को दास बानाए रखने की कुटिल योजना है। जो धर्म एक वर्ण को धन बटोरने का अधिकार देकर शेष समाज को दीनता व दरिद्रता मे जीने लिए मजबूर करता है वह धर्म नहीं होकर तुच्छ स्वार्थपरता है ।
डा.बाबा साहेब आंबेडकर ने माहाराष्ट्र के नासिक जिले के येवला नामक स्थान पर १३ अक्टूंबर, १९३५ मे कहा था कि “हमने हिंदू धर्म से समानता का दर्जा प्राप्त करने के लिए हर प्रकार के प्रयास किए, सत्याग्रह किए परन्तु सब बेकार। हिंदू धर्म के समानता के लिए कोई स्थान नहीं है । हिंदू धर्म का त्याग करने से ही हमारी स्थिति मे कोई सुधार हो सकेगां। धर्मान्तरण के सिवाय हमारे पास कोई दूसरा मार्ग नहीं है । हमारे साथ यह व्यवहार ईसलिए हो रहा है क्योकि हम दुर्भाग्य से अपने आप को हिंदू कहेते हैं । यदि हम किसी अन्य धर्म का अवलम्बन कर रहे होते तो हमारे साथ ऐसा व्यवहार करने का कोई सहास नहीं करता। स्वयं के लिए कोई ऐसा धर्म चुन लो जो तुम्हे समानता का दर्जा व समता का व्यवहार दे। अब हम अपनी भूल का सुधार कर लेंगे। मै दुर्भाग्य से हिंदू धर्म मे अछूत का कलंक लेकर पैदा हुआ था जो कि मेरा दोश नहीं था किन्तु मै हिंदू धर्म मे रह कर मरुगां नहीं, यह मेरे वश मे है।” उन्होने कट्टर ब्राह्मणो को आत्मचिन्तन व सकारात्मक कदम उठाने के लिए २१ वर्ष तक ईन्तजार किया, ब्राह्मणो की बुनियाद सोच मे कोई परिवर्तन नहीं आता देख उन्होने सन्-१९५६ मे विजयादशमी को बौध्द धर्म ग्रहण कर लिया। उनके साथ लाखो अछूतो ने धर्म-परिवर्तन किया और धर्म-जनित शारीरिक, मानसिक व आर्थिक दासता से मुक्ति प्राप्त की।
मुस्लिम धर्म क्यों नहीं स्वीकार किया?
मुस्लिम धर्म तो आपके कथनानुसार स्वघोषित ज्ञान और दर्शन फैला है।
बाबा साहब ने ऐसा मुस्लिम धर्म में क्या देखा कि वे मुस्लिम न बन सके?
लेखक जी आंसारी जी आपको ब्राह्मण से क्या दुश्मनी है आप तो ब्राह्मण ब्राह्मण किये हुये है और शूद्रा से क्या हमदर्दी है आप तो ब्राह्मण और सूद्र की लड़ाई करवाने पे लगे हुए है जैसा की शिया और सुन्नी मे होता है आपके सौ सुनार की अब हिन्दू के तरफ से एक लोहार का जवाब मिलेगा आप भड़काने पे भड़काने पे लगे हुए है पहले आप अपना देखिये सुद्रा मतलब तो दलित होता है और हम हिन्दू ने एक महा दलित को प्रधान मंत्री बना दिया है जिसका नाम है नरेन्द्र मोदी जी हाँ वो अति पिछड़ा बर्ग से ही आते है जिसके नाम सुनकर ही इस्लाम जगत थर थर कापता है इसलिये अब आपका दाल तो अब भारत मे नही गलेगा ये चाणक्य की धरती है जहा आज इस्लाम अपनी करनी फरेब झूट के कारण पूरे विस्व् मे सबसे तेज़ी से मरने वाला धर्म हो गया है वोहीं हमलोग अपनी सांख्या पूरे विस्व् मे बढ़ा रहे है ये सब अंदर ही अंदर हो रहा है जिसका ना तो कोई प्रचार होता है ना प्रसार लगा ना जोर का झटका जोर से… हमलोग का संविधान एक शूद्र ही लिखा है जिसका नाम था अम्बेडकर और जवाहर लाल नेहरू जिन्होने अम्बेडकर को लिखने को कहा वो एक ब्राह्मण थे शूद्र को हमलोग 1947 से ही 50 % आरक्षण दे रहे है सभी जगह इसलिये आपका दाल तो अब नही गलेगा कुछ नया तरीका ढुंडिए ये तरीका नही चलेगा यहा देखिये हिन्दू क्या है सभी मुसलमान इसको जरूर देखे सिर्फ 5 मिनिट का वीडिओ है https://www.youtube.com/watch?v=RX3mOVh1epo यहा देखिये महिंदर पाल आर्या जी आप के लोगो और कुरान की क्या की क्या धज्जिया उड़ा रहे है और झुटे लोग टिक ही नही पा रहे है https://www.youtube.com/watch?v=JCMlfBU4Kag https://www.youtube.com/watch?v=K8w8k1HmFy0 इसमे ग्रूप वीडियो है पूरा वर्ल्ड का जिसमे जिसमे हर कोई धीरे धीरे हिन्दू धर्म मे आ रहा है लेकिन हमलोग इसको मेडिया या कही दूसरे जगह हो हल्ला या प्रचार नही करते है अंदर ही अंदर करते है और विदेशी लोग पूरी तेज़ी से हिन्दू धर्म मे आ रहे है जबकि आपके कुरान के कारण आज इस्लाम सबसे तेज़ी से मरने वाला समाज है https://www.youtube.com/watch?v=TPlw86Dvbg8&index=1&list=PLUMAzYgvSa8cgLlH7RNtHPC60tZ9mOpl- https://www.youtube.com/watch?v=qAhvd8Zzb88&index=34&list=PLFE122F1521B2DEA2 अब अपना जवाब दीजिये
अब यहाँ हंसारी जी जवाब नही देंगे इन्हें तो शरिया का क़ानून पसंद है शिया सुन्नी पठान बेहना आदि की उंच नीच मारकाट नही दिखाई देती
अब आप गैर ब्राह्मण वाद के द्वारा जहर मत फैलाईये क्योंकि जिन ब्राह्मणों ने अत्याचार किये वो मर चुके है आज ब्राह्मण खुद गरीब मजदूर बन चुका है चाहे वो पांडे हो यह शुक्ला, झा, दुबे …..
लायंस हन्नान अंसारी
its same sand samefull to u and your religen
allaha aur bhagwaan ko bat bat kar khushi nai mili
to
siya sunni ko lada deya iraq may aaj apni he bahen beti ki izzat ko nilam kar rahey ho aap log
aur
jab usey bhe maan nai bhara tou hindu bhai logo ko ap pandit thakur ke naam par laga rahey ho
ager pandit apney par aa gaya tou ak bar phir wahi ho jaye ga jo parshuram ney keya tha
jai hind
jai hindu
jai hindustaan
इतिहास मई अच्च्ची तरह जानता हु. इस दुनीयाकी शुरुआत भी इस्लाम से हुई,और बाद मे कई पैगंबर और रसूल आये. उन्होनेभि इस्लाम की दावत लोगोको दी. जिनमे प्रमुख जिनका जिक्र क़ुरान मे है, इब्राहीम,मूसा(यहूदी), ईसा(येषु), यूसुफ़, याकूब,नूह(नोहा). यहूदी और ईसाई भी मुसलमान थे. एह दुनिया ईलाम के बिना कभी नही रही. आज भी इस्लाम के प्रसार बहुत जोर से हो रहा हैं. दुनीयाके जाने माने लोग इस्लामकी शरण मे आ रहे है. क्युकी इस्लाम इस विश्व के पैदा करने वाले रब का भेजा हुआ धर्म है. इलाम मे दुनीयाकी जिंदगी और मौत के बाद की जिंदगी के बारेंमे सही मार्ग दर्शन मिलता है.
INSANO का इंसानी CODE OF CONDUCT
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“एकम ब्रह्म , द्वितीय नास्ते नेह न नास्ते किंचन ”
“There is only one God, not the second; not at all, not at all, not in the least bit.”
– Brahma Sutra of Humanism ”
लाइलाहा इलल्ला …नहीं है कोई माबूद सिवा अल्लाह के ……
वेदों में नराशंस या मुहम्मद के आने की भविष्यवाणी कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है … बल्कि धार्मिक गरन्थों में ईश्दूतों ( पैगम्बरों ) के आगमन की पूर्व सुचना मिलती रही है …
ईसाइयों , यहूदियों और बौद्धों के धार्मिक गरन्थों में ( ह ) मोहम्मद s.a.w.s के अंतिम ईश्दूत के रूप में आगमन की भविष्यवाणी की गई है ……
वेदों का ”नराशंस ” शब्द ‘नर ‘ और ”आशंस ” दो शब्द से मिलकर बना है ….’नर ‘ का अर्थ मनुष्य होता है और ”आशंस ” का अर्थ ”प्रशंसित ” …..सायं ने ‘नराशंस ” का अर्थ मनुष्यों द्वारा प्रशंसित बताया है …( सायं भाष्य , ऋग्वेद संहिता , 5/5/2 )
डॉ .वेद प्रकाश उपाधया जी कहते हैं की , इस शब्द से किसी देवता को भी न समझना चाहिए.
नर शब्द KA अर्थ मनुष्य होता है ….”नृशंस ‘ की तरह ”मोहम्मद ” शब्द का अर्थ ”प्रशंसित ” होता HAI .
”मोहम्मद ‘ शब्द ”हंद ” धातु से बना है …जिसका अर्थ प्रशंसा करना होता है ….
ऋग्वेद में ”कीरी” नाम आया है , जिसका अर्थ है ईश्वर प्रशंसक …
अहमद शब्द का यही अर्थ है …
अहमद , मोहम्मद साहब का एक नाम है ….
वेदों में ऋग्वेद सबसे पुराण है ….उसमें ”नराशंस ” शब्द से शुरू होने वाले 8 मंत्र हैं …..और सब में इस शब्द का जिक्र है ….
तैत्तरीय आरण्यक और शतपथ , ब्रह्मरं गरन्थों के अलावा यजुर्वेद , सामवेद , और अर्थवेद में भी ”नराशंस ” का जिक्र किया गया है ……………..
>>> क़ुरआन , सभी देवकृत ग्रंथों में सबसे अंत में आया ….और ऐश्वर्या गरन्थों की पुष्टि करते हुवे आया … एक insaan के लिए इन सभी में आस्था रखनी अनिवार्य है …….QURAAN ( 2:285 )
आज तक क़ुरआन के विद्वानो ने यह न सोचा की ”आदि गरंथ ” से यहाँ कौन से गरंथ की ओर संकेत है …….
उन्होंने यह विचार नहीं किया की संसार में केवल एक मात्र एक ही इंसानी धार्मिक क़ौम ऐसी है जो आदि गरंथ रखने का दवा करती है ….अरे क़ुरआन के बताये हुवे अडिगरंथ यही तो नहीं है ..कभी विचार ही नहीं किया ….
ये लोग निरंतर से यही मानते चले आ रहे हैं की ”आदिग्र्रन्थ ” संसार में कभी थे …..
लेकिन अब UNKA अस्तित्व नहीं है ….हिन्दू इन मुस्लिम लोगों से बड़े अपराधी हैं …उन्हों ने कभी मुसलमानो को यह नहीं बताया की तुम्हारे क़ुरआन में लिखित आदि गरंथ हमरे पास है …..यह वह वेद ही तो है
ये बताते भी तो कैसे …आज हिन्दू खुद वेदों से कट चुके हैं …खैर क़ुरआन खुद वेदों की पुष्टि करता है …..और वेद भी ……
इस प्रकार हमने देखा की यह दोनों प्रथम और अंतिम ग्रन्थ एक दूसरे की पुष्टि करते हैं ….
अब इंसानी समस्याओं का समाधान
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निष्कर्ष यह निकला की यह सभी ईश्वरीय गरंथ जिनके एक सिरे पर वेद है , दूसरे सिरे पर क़ुरआन …एक ही इंसानी kaum को लेकर आये थे ….इन सभी में आस्था रखनी सभी के लिए आवश्यक है ….इनकी सहायता से वह असली इंसानी DHARM समझा जा सकता है जो ईश्वर /अल्लाह की इच्छा है …और सदा से चला आ रहा INSANO का इंसानी CODE OF CONDUCT है ….. जब समस्त संसार का धर्म एक होगा , नफरते समाप्त हो जाएँगी …आतंकवाद ख़त्म हो जायेगा .. ….लायंस हन्नान अंसारी …
बात सही हे की ब्राह्मणवाद सावरणवाद ने हिन्दुओ का ही भारत का भी काफी नुक्सान करवाया हे सही हे मगर लेखक ने भी कॉमेंट में कुछ जगह गलत बयानी की हुई हे बेहतर यही हे की हम इस बात को समझे की ब्राह्मणवाद सावरणवाद ने हिन्दुओ को ही कमजोर किया हे और मुस्लिम आत्मुग्धता ने उपमहादीप के मुस्लिमो को ही नुक्सान पहुंचवाया हे आज भी पंहुचा रही हे
इस तरह के कॉमेंट के में इसलिए सख्त खिलाफ हु की इससे आम मुस्लिम को मुस्लिम यूनिटी सुप्रियॉरिटी और एकवेल्टी का मुगालता जाता हे मुस्लिम यूनिटी सुप्रियॉरिटी इक्वेल्टी प्रेक्टिकल में होती तो में खुद इसका बहुत ज़्यादा वेलकम करता मगर य सब बाते प्रेक्टिकल में नहीं हे अब नहीं हे तो नहीं हे आम गरीब शरीफ मुस्लिम जब इनके पीछे भागेगा तो नुक्सान में ही रहेगा यही काबुल से कोहिमा के आम मुस्लिम के हालात हे
सारी मानव जाति का केवल एक धर्म है. संस्कृत में इसे एक अजन्मे ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण कहा गया है. आधे अधूरे समर्पण को धर्म नहीं , अधर्म कहा गया है. उस एक ईश्वर के प्रति समर्पण को संस्कृत में मनुष्य का परम कर्तव्य अर्थात धर्म कहा गया है। इसी समर्पण के लिए अरबी में कोई शब्द तो होना अनिवार्य है, सो है और समर्पण को अरबी में इसलाम कहते हैं। सनातन काल से मनुष्य मात्र का यही एकमात्र कर्तव्य अर्थात धर्म है. http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/BUNIYAD/entry/mandir_masjid
लायंस हन्नान अंसारी साहब आज ये ज़हर क्यू बो रहे है आप समाज में किसी जाती विशेष को गाली देकर ?उसे गलत तरीके से परिभाषित करके …? उसके इतिहास – भूगोल पर अनर्गल प्रलाप करके ..? उसकी अस्मिता पर ऊँगली उठा कर , आप जो बेबुनियाद आरोप लगा रहे है किसी जाति विशेष के ऊपर क्या आपके पास आपके द्वारा लगाए गए इन आरोपों का कोई लिखित दस्तावेज़ है जहा से आपने इसे इकठ्ठा किया है…? क्या इन आरोपों को आप साबित करेंगे अगर आपसे कहा जाए साबित करने के लिए …? क्या आपको पता है आपके इस लेख के लिए आप के ऊपर उस जाति विशेष के वंशाअनुआइयों द्वारा मान हानि का केश किया जा सकता है ….? मुझे तो जहा तक समझ आ रहा है आप एक भटके हुए लेखक है जिसे इतिहास का ए और बी तक नहीं पता वार्ना ब्राह्मणो और शिवा जी का यह सन्दर्भ ( शिवाजी का राज्याभिषेक बगैर नहाये बाये पैर के अंगूठे से किसने किया? तथा उनकी व उनके पुत्र की हत्या किसने की? ) लाने से पहले इतना भी आपको पता होता की महाराज शिवा जी मरहठा ब्राह्मण थे या राजपूत मुझे तो आप के अधूरे और झूठे इतिहास की जानकारी पर ही हसी आ रही है क्यों की लेखक का धर्म आप भूल गए और झूठी पब्लिसिटी पाने के लिए अपने दिमाक के फितूर को उकेर दिया पैन पर अपनी कोरी कल्पना के आधार पर ! लायंस हन्नान अंसारी गड़े मुर्दे उखाड़ने , घटिया मुद्दो को उछलने और वाहवाही पाने का प्रलोभन छोड़िये और ज़माने के साथ चलने की कोशिश करिये ईराक जल रहा है उसपर लिखिए , एशिया के बहुत सारे देश जो गुलाम रहे और स्वतंत्र हुए स्वतंत्र होने के बाद आज तक नारकीय ज़िंदगी बसर कर रहे है वहाँ के लोग उन लोगो के बारे में लिखिए ! ये ब्राह्मण और मुसलमान का ज़हर बोना बंद करिये ,अपने लेखक धर्म को समझिए , समाज को दिशा देने के लिए लिखिए , समाज को दिशाहीन और दिग्भ्रमित करने की कोशिश ना करिये वर्ना समाज में विकृतियों की जड़ दुबारा गहरी होनी शुरू हो जाएंगी ! आज दुनिया ग्लोबलाईजेशन कल्चर के दौर से गुज़र रही है, दुनिया में द्वेष की सीमा – रेखा कम हो रही है, मानवता और भाईचारा का दौर शुरू हो रहा है, लोगों के बीच दिलो की दूरियां और खटास कम करके एक दूसरे के करीब आने का चलन बढ़ रहा है ऐसे में प्लीज हमे भ्रमित करने की कोशिश करने वाले लेख ना पब्लिश करे , दुनिया इसे पढ़ रही है आपके लेखक होने पर सवाल उठ रहा है क्योकि आप का ये लेख विश्व सामाजिक समरसता के लिए , मानवता के लिए खतरा है इसकी जीतनी निंदा की जाए कम है ! आप से अनुरोध है प्लीज कुछ स्वस्थ लिखिए अगर सच्चे अर्थो में आप लेखक है ! सस्ती पब्लिसिटी पाने से उबरिये और सोचिये आप क्या लिख रहे है ? आप क्यों लिख रहे है ? आप किसके लिए लिख रहे है ? और समाज पर इसका क्या असर होगा ? ! सादर – अर्चिता वेद पाठक
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सहमत हु इस तरह के लेख से कोई फायदा नहीं हे ब्राह्मणवाद हिन्दुओ के लिए मसला हे इसने हिन्दुओ को ही नुक्सान करवाया हे इस पर किसी हिन्दू लेखक को ही लिखना चाहिए और हिन्दू लेखक लिखते भी हे मुस्लिम लेखक इस पर लिखेंगे तो क्लेश ही होगा हिन्दू कठमुल्लावाद को इससे फायदा ही होगा वही उपमहादीप के 60 करोड़ मुस्लिमो का सबसे बड़ा मसला कठमुल्लाशाही या कैपिटलिस्ट कठ्मुल्ल्लाशाही हे मुझे उमीद हे की अंसारी जी आगे इस पर लिखेंगे
इसी से मिलता जुलता एक हिन्दू विरोधी ही लेख पिछले दिनों नवभारत पर भी लिखा गया था जिसे हटा लिया गया था वहा भी मेने युवा मुस्लिम लेखक को सलाह दी थी की वो शायद सोशल मिडिया पर बहुत अधिक समय बिताते हे में कभी सोशल मिडिया पर नहीं गया मगर जानता हु की सोशल मिडिया पर हिन्दू साम्पर्दायिको का बहुत प्रचार और सकिरयता हे इसका कारण ये हे की भारत का मेनस्ट्रीम मिडिया टीवी सिनेमा हिन्दू साम्पर्दायिको को बिलकुल स्पेस नहीं देता ( पाकिस्तान मिडिया में खूब दिया जाता हे ) इसी कारण हिन्दू साम्प्रदायिक नेट पर बहुत अधिक भड़ास निकालते हे और इसी की परतकिर्या में इस तरह के लेख लिखे जाते हे और किसी की गलत बातो का जवाब दूसरी गलत बातो से दिया जाता हे इसीलिए में कहता हु की पार्टिकिर्यावादी नहीं बनना चाहिए गलत बात के जवाब में गलत और भड़काऊ बाते ना करे जहा तक आम हिन्दू का सवाल हे आम हिन्दू हमेशा ही इस्लाम और मुसलमानो का सम्मान ही करता हे और मिलजुल कर ही रहना चाहता हे अक्सर ही में देखता हु की एक मस्जिद के बाहर अक्सर ही सिंदूर बिंदी वाली औरते खड़ी होती हे छोटे छोटे बच्चो को लेकर उन्हें मौलानाओ से ब्लेसिंग दिलवाने के लिए
जिस दिन आप आरेसेस और जातिवादि हिन्दुओ के विचार और उन्च्नेीच क भेद खुद के अन्दर से मिता देन्गि इस तरह क लेख लिख्न लेखक चोर देन्गे
सिकंदर हयात जी मैं खुद ऐसे परिवेश में पली बढ़ी हूँ
जहां ब्राह्मण मुस्लिम सब एक साथ मिलकर ईद पर ईद और दीवाली पर दीवाली एक साथ मनाते है !
हम एक दूसरे की क़द्र करते है आज लायंस हन्नान अंसारी जी ने जो लेख अपडेट किया वह टिपिकल है आज के टाइम के लिए सही नहीं है समाज बदल रहा है और लायंस हन्नान अंसारी संकीर्ण सोच को दबाये बैठे है अपने दिल में जो घातक है आज के समाज के लिए !
कुल उच्च वेर्ग १४% देश के सन्साध्नो पर कब्जअ ५०% ……दलित ओ बि सि मुस्लिम ८६% कुल हिस्सा ५०% …पाथक जि जिस दिन इसका जवाब आप देदिजियेगा य देने के लायक हो जैयएगा मैन लिख्ना चोर दुन्गा …………
आरक्षण का सच:-आरक्षण किसे?
सरकारी सेवाओ मेंकिसका क्या अनुपात है, ये सच निम्न आकड़ें बता रहे हैं:-
ब्राहमणों की कुल जनसंख्या- 3.5%
मुख्य सचिव – 1/1
सचिव -350/500
राज्य सचिव – 14/28
राज्यपाल – 17/26
न्यायधीश- 200/352
राजदूत – 92/158
उपकुलपति – 66/92
आई.ए.एस. – 2800/3800
आई.पी.एस. -2050/3500
सरकारी सेवाओं में प्रतिशत:
ब्राह्मण – 70%
कायस्थ- 10%
मुस्लिम – 3%
ओबीसी -2%
एससी/एसटी – 4%
शेष जनता – 10%
जरा आँकड़ों पर नजर डाले और सोचें कि आरक्षण किसेमिल रहा है?ब्राह्मण हर जगह कब्ज़ा जमाये हुए हैं. यहबेजा कब्ज़ा उनकी योग्यता नही, बल्कि विशुद्ध रूप सेब्राह्मणवादी जातिवाद का परिणाम है.
साभार पी.ऐन. बेफलावत
सरकारी सेवाओं में प्रतिशत:
ब्राह्मण – 70% ” —– ? खेर अंसारी जी एक और जानकारी आपसे चाहूंगा की में तो एक खालिस सय्यद हु लेकिन में आपसे इस विषय में आंकड़े चाहूंगा की जैसे उपमहादीप में विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम आबादी 60 करोड़ मुस्लिम हे उसमे से जितने भी कामयाब- ऊँचे पदो पर अमीर और शक्तिशाली मुस्लिम हे जितने भी हे उनमे से कितने अज़लाफ़ हे कितने दलित आदिवासी मुस्लिम हे मुझे नहीं पता में आपसे इस विषय पर आंकड़े चाहूंगा दूसरा ये भी बताइये की कौन सा ऐसा मुस्लिम देश हे जहा गैर बराबरी और उंच नीच नहीं हे सारे मुस्लिम ही सही -जहा सब बराबर हो – ?
बेहद मशहूर सोशल साइट में काम करने वालों में पुरुषों और खासकर श्वेत पुरुषों का ही वर्चस्व ** अर्चिता पाठक जी आपकी परवरिश पर बात नहीं है ..बात है बराह्मणवाद के कुरूर चेहरे का ..भारत के किसी भी प्रान्त का न्यूज़ पेपर देखिये आज भी ६०% गाँव के दलित घोड़े पर चढ़ कर बारात नहीं ले जा सकते जिस गाँव में ब्राह्मण और ठाकुर रहते हैं ये लोग गोली मार देते हैं …कमसेकम हिंदी पेपर पढ़ा कीजिये ……बात करना और अमल करना दोनों में अंतर है आज भी इन उच्च वर्ग की सोच सदियों पुरानी है ..जिस दिन यह ख़त्म होगी भारत दुनिया का गुरु होगा ….
में भी नहीं भूल सकता की कितने ही गैर मुस्लिम हमारे आड़े समय में कितने काम आये हे दिल्ली की बड़ी लेडी डॉक्टर —- जी का तो में एहसान जिंदगी भर नहीं भूल सकता की पेशेवर ही नहीं व्यक्तिगत दिलचस्पी भी लेकर किस कदर बड़ी प्रॉब्लम से उन्होंने हमें निकाला था खेर अर्चिता जो आपने कहा वाही इस पुरे उपमहादीप की सच्चाई हे जो कोई नहीं बदल सकता की आपने कहा की ”जहां ब्राह्मण मुस्लिम सब एक साथ मिलकर ईद पर ईद और दीवाली पर दीवाली एक साथ मनाते है ” बात यही हे जो ब्राह्मण मुस्लिम के साथ मिलकर रहेगा वाही तो दूसरी हिन्दू जातियों सवर्णो गैर सवर्णो दलितों के साथ भी मिल्कुल कर रहेगा जो सुन्नी मुस्लिम किसी ब्राह्मण के साथ भाईचारा कयाम करगा वाही तो शियाओ से भी नफरत नहीं करेगा यही सच हे और रहेगा
लायंस हन्नान अंसारी साहब कृपया समाज के उत्थान के लिए लिखिए , पतन के लिए नहीं !
किसी जाति धर्म विशेष पर छिछली टिका – टिप्पड़ी करने से बचिए ! जबतक आपके पास टिका – टिप्पड़ी करने की कोई वजह या पुख्ता सुबूत ना हो !
भारतीय धर्म क़ानून की नज़र में मानवता को हमेसा महत्व दिया जाता रहा है आज भी दिया जाता है !
अंसारी साहब ये आप की पर्सनल डायरी नहीं है जिसपर आप कुछ भी लिख दे ! यह पब्लिक के बीच जाने वाली पब्लिक के द्वारा पढ़ी जाने वाली चीज है आज आपने अपने लेख के माध्यम से अपने अल्पज्ञान का परिचय दिया है !
आपत्तिजनक कहने से बचे जिससे सामजिक मूल्यों को खतरा हो ,जिसकी वजह से समाज के भीतर अशांति का माहौल पैदा हो और! आपत्तिजनक टिका -टिप्पड़ी करे तो उसका साक्ष्य भी प्रस्तुत करे उसका सुबूत भी दे ! अंसारी साहब आपने टिप्पड़ी तो कर दी एक जाति विशेष पर किन्तु उसका साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया ! आपने जिस चीज को आधार बनाया वह आधार आपके दिमाग की सस्ती उपज है जिसे पचना आज के समाज के लिए सम्भव नहीं है ! आप के इस हल्के बेतुके लेख का कोई महत्वा मुझे समझ नहीं आया लिहाज़ा आगे से जब भी कुछ लिखे तो जानकारियो सुबूतो से अपडेट भी रहे ! सौहार्द , भाई चारा बढ़ने की कोशिस के लिए लिखिए दंगा – फसाद के लिए नहीं ! आप अपनी राय अपनी डायरी तक रखे उसे पब्लिक प्लेस पर लाने से बचे !
दीपक जी …..जब कोई ब्राह्मण या ब्राह्मणवादी ,भोले भाले बेक़सूर अनजान मुसलमानों के या दलितों के खिलाफ बोलता या लिखता है तो सभी ब्राह्मण उसका खुले आम या मूक रहकर भरपूर समर्थन करते है ,पर जब मेरे जैसे लोग (जो ब्राह्मण जात के षड्यंत्र को भली भाति जानते है ) ,ब्राह्मणों का विरोध करते है तो ,सारे ब्राह्मण एकतरफा मुझे जैसे लोगो को कहते है की ”आप लोग ब्राह्मण जात का विरोध कर, सही नहीं करते”
ह्ह्ह्हह्ह वाह रे ब्राह्मण !! न्याय तुम करो को चमत्कार,और हम करे तो *****
ज़रा इधर भी गौर करे …….
वर्णप्रथा -ब्राह्मणों ने बनायी ,मुसलमानों ने नहीं
जातिप्रथा -ब्राह्मणों ने बनायी , मुसलमानों ने नहीं
छुआछूत -ब्राह्मणों ने बनाया , मुसलमानों ने नहीं
दहेज़ प्रथा -ब्राह्मणों ने बनाया , मुसलमानों ने नहीं
उंच नीच -ब्राह्मणों ने बनाया , मुसलमानों ने नहीं
सती प्रथा -ब्राह्मणों ने बनायी , मुसलमानों ने नहीं
बाल विवाह -ब्राह्मणों ने बनाया , मुसलमानों ने नहीं
महिलाओं की दासता -ब्राह्मणों ने बनायी,मुसलमानों ने नहीं
नक्सलवाद -ब्राह्मणों ने फैलाया ,मुसलमानों ने नहीं
जाती में भी उपजात ब्राह्मणों ने बनाया ,मुसलमानों ने नहीं
दलितों और हमारे रिजर्वेशन का विरोध -ब्राह्मणों ने किया ,मुसलमानों ने नहीं
आजाद भारत में मस्जिद तोड़ देश में दंगे और आतकवाद की सुरुवात करवाई -ब्राह्मणों ने मुसलमानों ने नहीं
इस देश पर कब्ज्जा -ब्राह्मणों का है ,मुसलमानों का नहीं
अब आप ही बताओ ,हमारा दुश्मन कौन ? षड्यंत्रकारी ब्राह्मण या भोले भाले नादाँ शोषित पीड़ित दलित और मुसलमान ?…..मैं जनता हूँ दीपक जी आपका विरोध ये स्वाभाव है जब जर्जर लोटा मांजा जाता है तो हाथ काट जाता है अब ये तो बर्दाश्त करना ही होगा …मंडल कमीशन का विरोध आप लोगों ने किया क्या इसके लिए भी सबूत की जरूरत है ..मनुिस्मिृति का लेखक मुस्लमान था क्या ? इसका भी सबूत चाहिए आपको ??? सच्ची बात को कबूल कीजिये और इंसानियत की राह प्रशस्त कीजिये वरना अब दलित जाग चूका है ….
”षड्यंत्रकारी ब्राह्मण या भोले भाले नादाँ शोषित पीड़ित दलित और मुसलमान ? ‘जहा तक मुसलमानो का सवाल हे तो मुसलमान सबसे पहले खुद अपनी हालत के लिए जिम्मेवार हे पार्टीशन कराकर मौलाना आज़ाद गफ्फार अल्लाबक्श जैसे मुसलमानो को नज़रअंदाज़ करके जिन्ना इक़बाल और मुस्लिम लीग के पीछे चल कर मुसलमानो ने खुद ही अपने पेरो पर कुल्हाड़ी चलाई देश में जो भी हालात हे समस्याएं हे हे उसके लिए किसी जाती को स्पेशली बुरा कहना गलत हे हम सभी जिम्मेदार हे
वैसे अगर आप दलित मुस्लिम यूनिटी चाहते हे तो मोस्ट वेलकम हे लेकिन ऐसा हो नहीं पायेगा यु पि में बसपा को एक भी सीट नहीं मिली दलित मुस्लिम फसाद भी हुए मुस्लिम बहुल गावो से भागे कुछ दलितों की मुस्लिम नेताओ ने भी सुध नहीं ली और मुसलमानो में हर जगह कुछ कटटरपन्ति भी हे ये कटटरपन्ति गैर मुस्लिमो वो भी दलितों के साथ तो क्या इतर फिरको के साथ भी एकता न बना सकते न चाहते हे बेहतर यही हे की जहा भी जो भी अच्छा हो शोषित हो उन सबके साथ बिना भेदभाव बिना कोई गड़ा मुर्दा उखाड़े ही यूनिटी बनाई जाई
अगर हम मान भी ले की मुसलमानो की हालत ख़राब हे और हिन्दुओ की हालात बेहतर हे तो इसकी सबसे बड़ी वजह यही हे की जैसा की राजेंदर यादव जी की पत्नी और वरिष्ठ लेखिका मन्नू भंडारी जी पूछती हे की भला गांधी नेहरू के सामने सावरकर गोलवलकर संघ महासभा की क्या बिसात थी ? मतलब ये हे की हिन्दुओ ने ये अक्लमंदी दिखाई की लाख उकसावो भड़कावो शिकायतों तेरी मेरी के बाद भी गांधी नेहरू के पीछे ही चलना उचित समझा इसी का फायदा हिन्दू हिन्दुस्तान को मिला जबकि मुसलमान जिन्ना इक़बाल मुस्लिम लीग और इनके ही छुटभय्ये संस्करणों के पीछे चला और नुक्सान में रहा दुःख की बात हे की आज भी मुसलमान अपनी हालात के लिए सारी दुनिया और ईरान तुरान को कोस ता हे मगर आत्मनिरीक्षण को तैयार नहीं हे रफीक जकारिया ने शायद अपने आखिरी भाषण में यही कहा था की ” मुसलमानो को आत्मनिरीक्षण की जरुरत हे ” में टाइप करके भेज़ता हु
जनाब आपको पता होना चाहिए की मरहूम जिन्ना पाकिस्तान के बिलकुल खिलाफ थे । जबतक वो काँग्रेस के प्रेसिडेंट रहे मगर नेहरू ने बृट मेजॉरिटी की बात की धम्की देकर एकसा सिविल कोड़ के ऊपर रेफ़्रेंदुम की बात कर डाली भारत मे मेजोरिटी किसकी थी ?? जिन्ना ने जो किया ठीक किया । हाँ काँग्रेस आरएसएस से भी खतरनाक राजनीति करती है आप माने या ना माने । गांधी और जिन्ना को पढ़िये । नैनपटल खुल जाएंगे ।
प्रदीप दुबे जी ये भला कैसे सम्भव है ? सदियों से समाज को रसातल मे ले जाने के लिए धर्म के ठेकेदारों ने न जाने कितने ढोंग आडंबर लिख डाले तब आपका विचार कहाँ विचरण कर रहा था ? झोपड़ी मे हुआ तो नेउरा महल मेन हुआ तो सुशील कुमार । वह रे धर्म की ब्याखया । मैं अच्छी तरह जनता हूँ की ये मेरी अपनी ड़ाएरी नहीं है । मगर आपको आकार इसपर टिपपड़ी करना पड़ा यही हमारी सार्थकता है । ….
जिस भारत में पार्टीशन के बाद भी शायद विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम आबादी पुरे पुरे अधिकारों और कुछ विशेषाधिकारों ( मुकेश अम्बानी एक से अधिक बीवियां नहीं रख सकता मगर हम रख सकते हे कई मुस्लिम देशो में आप रातो रात दूसरी शादी नहीं कर सकते हे यहाँ हम कर सकते हे ) और सवतंत्रता के साथ रह रही हो उससे तो हमें अनगिनत शिकायते हे दूसरी तरफ लेखक बताते हे के जी इतने बड़े २० यो देशो के अरब वर्ल्ड में ”। आज भी वहॉ एक करोड़ चालीस लाख अरब नसली र्इसार्इ हैं। ” हे बस इतना ही काफी हे की हे ? कैसे हालात हे कितनी धार्मिक आज़ादी हे कितने विशेषाधिकार हे कितने पद हे ? कुछ मत पूछिये
LIONS HANNAN ANSARI साहब मै गाँव के ज़मींदार परिवार से सम्बन्ध रखती हूँ भले ही पढाई लिखाई और नौकरी के चलते शहर में हूँ आज ! मुझसे ज्यादे गाव की परख आप को नहीं होगी मैंने आप की तरह कल्पनाओ में गाँव नहीं देखा है बल्कि गाँव के सत्य से रूबरू होती रही हूँ ! आपको बता दूँ महोदय कि भारत के गाँव में आज ऐसा कुछ भी नहीं मौजूद है जैसा आप दिखा रहे हो अपने लेख और अपने विचारो से , हमारे गाँव का ग्राम प्रधान दलित जाती का है , हमारा बी० डी० सी० मेंबर दलित और पिछड़ी जाती का , हमारा विधायक पिछड़ी जाती का है , हमारा जिला पंचायत सदष्य छोटी और पिछड़ी जाति का है , आज शिर्फ़ मेरे गाँव नहीं पुरे भारत की यही इस्थ्ति है ! कहे तो अपने गाँव और जिले स्तर के इन उपरोक्त पदो पर विराजमान सदष्यों से आप की बात – चित करवा दूँ मै उनका एड्रेस उनका फ़ोन नंबर आपको प्रोवाइड करवा दूँ क्यू की मै आंकड़ों को सत्यता के आधार पर प्रस्तुत करने में विश्वाश रखती हूँ आप की तरह कोरी कल्पना नहीं प्रस्तुत करती हूँ ! हमारे देश का प्रधानमन्त्री भी आज एक दलित ब्यक्ति ही है हमारे भारत में जिसने जैसा पेसा अपनाया उसकी जाति के रूप में वही उसकी पहचान बनी आगे चलकर ! अंसारी साहब हमारे यहाँ कर्म को तरजीह दी जाति है ! मै आपको बता दूँ आज दुनिया में जो आताताई अपने आप को सच्चा मुसलमान कह कर खुद को इस्लाम का दूत बताकर तालिबान , ईराक , कश्मीर , पाकिस्तान , हिन्दुस्तान मेरे कहने का मतलब है पुरे एशिया महादीप में यहाँ तक की विश्व में आतंकवादी कार्यो में लिप्त है आने वाले समय में जब उनका इतिहास लिखा जाएगा तो पता भारत में क्या लिखा जाएगा उनके लिए ,,,,,मानवता के हत्यारे ….हां अंसारी साहब यही लिखा जाएगा क्यू की उनका कर्म उन्हें इसी रूप में परिभाषित करता है ! आतंकवादी कभी सच्चा मुसलमान नहीं हो सकता न ही खुदा का नेक बंदा ही क्यों की वह मानवता के लिए अभिशाप है ! यानी कर्म आपका जैसा होगा वैसी ही आपकी परिभाषा भी होगी ! आज आपने गलत लेख लिखा है आपने समाज को भ्रमित करने का काम किया है पता है आपके इस लेख के आधार पर भारत में आपकी क्या परिभाषा होगी नहीं पता मै बताती हूँ आपको ….अंसारी साहब आप की परिभाषा होगी = एक संकीर्ण सोच से ग्रषित छिछला ब्यक्ति जिसने अपनी कलम मानवता को शर्मसार करने के लिए चलाई है , जिसके इस लेख से सामाजिक शांति भंग होने का खतरा दिख रहा है यह भड़काऊ और अराजक ब्यक्ति तो हो सकता है किन्तु लेखक नहीं क्यू की इसके विचार समाज के लिए स्वस्थकर नहीं है !
मै अफज़ल भाई से भी गुज़ारिश करुँगी की ऐसे अवांछित और अराजक लोगो के लेख यहाँ प्रकाशित ना करें जिससे मानवता को खतरा हो ! अगर उन्होंने मेरी बात नहीं मानी तो मै खुद को तो खबर की खबर से दूर ही करुँगी साथ ही अपने सारे फ्रेंड सर्किल से भी इससे दूर होने को बोलूंगी ! हमे ऐसे लोगो के लेख नहीं पढने, ऐसी पोर्टल या साइट से नहीं जुड़ना जहा स्वस्थ रचनाये प्रकाशित न की जाए जहा मानवता के खिलाफ लिखा जाए !
ऐसा मत कीजिये अफज़ल भाई बहुत ही समझदार आदमी हे मान भी लिया जाए की लेखक ने कोई गलत बात कर भी दी हे तो किसी को भी सभ्य भाषा में गलत बात करने का भी अधिकार हे बल्कि में तो कहता हु मोस्ट वेलकम हे की कोई गलत बात करे क्योकि इसी से हमें भी ” सही बात ” को हज़ारो लाखो लोगो तक पहुचाने का मौका मिलता हे मुद्दा अधिक से अधिक लोगो तक अपनी बात पहुचाना हे असल बात जनता की ही हे किसी व्यक्ति विशेष को मुद्दा मत बनाइये प्लीज़ न खुद साइट से दूर रहिये न किसी और को दूर करिये
Yeah ansari Ji aisi baat kar rahe hain inse badhkar murakh mujhey kahin door tak nazar nahi aa raha hai.
१.aap kis jagah ke vaashindey hain pata nahi par sach kabool kare yahaan ka Hindu hindu ke mandir nahi todta.par aapke community ke log Allah ka ghar tode daal rahe hain aur na jaane kitno ko shahar gauon nahi desh se nikala Jo Arabic bole jinda nahi Allah ka fanda.toh aap ki kalam ghaas char rahi thi.
२.jab auratuon ko zanjeer se bandh kar becha ja raha hai toh aapki buddhi ke nainpatal kis shatal par sawar hain
३,Isis musalmani group hai na.jab musalmani aourat ko dus dus aadami nouch rahe Thai tab aap kis kone main bill khoud rahe Thai
४.jab atankwaadiyuon ne masoom bachoon ko maar dala tha tab kis Granth ki rachna kar rahe Thai
Sach yeah hai ki Hindu shabd hi bahut hai aur tum ko yahan bolne ki pabandi nahi hai tum mehfooz ho isliye yeah gutarguon kar rahe ho agar doosarey mulk main hote toh ooper vote
Yaad rakhna Hindu shant hai musalman ko bhadka dogay toh woh atankwadi ban sakta par Hindu nahi
२.bharat ka musalman desh ke liye jeeta hai aur desh ke liye hi marega agar yeah na hota toh moulana kalam aur Abdul kalam desh ke tirangey main na hote .
Jai hind jai hind ke waasi jai hind ki sena
LIONS HANNAN ANSARI साहब आपने मुझे पेपर पढने की नसीहत दी है मै आपको बता दूँ मै भारत के सबसे ख्यातिलब्ध अखबार में कार्यरत हूँ और आप से बहुत छोटी उम्र की भी हूँ किन्तु तर्क वितर्क के मामले में सुबूत और साक्ष्य आप से ज्यादे सटीक और उचित प्रस्तुत कर सकती हूँ आप जैसे छिछले कोरी कल्पनाओ को आधार बनाकर लिखने वाले लेखको को मै वैसे भी तरजीह नहीं देती किन्तु आज आपने मानवता के खिलाफ लिखा है इस लिए मै आपके विरोध में आकर कड़ी हो गई हूँ और मेरा यह विरोध तबतक रहेगा जबतक आपके इस लेख को इस साइट से हटाया नहीं जाएगा ! मै अफजल भाई से भी यही कहूँगी इस अराजक लेख को जीतनी जल्दी हटा सकते है वो हटाये वार्ना हम जैसे और भी तमाम लो इस साइट से दूर होने को विवश होंगे !
सिकंदर हयात जी माना की हमे अभिब्यक्ति का अधिकार है लेकिन हमे ये भी नहीं भूलना चाहिए अभिब्यक्ति की एक मर्यादा भी है हम किसी जाती विशेष को सीधे सीधे गाली नहीं दे सकते उसपर दोषारोपण नहीं कर सकते ! हम अनुच्छेद 19 को अनदेखा नहीं कर सकते ! मुझे जिस बात से दुःख पंहुचा है वह LIONS HANNAN ANSARI के बेतुके उद्दहरणो और गलत साकक्ष्यों से पंहुचा है , दुनिया जिस लेख को पढ़ रही उसकी गलतियों को हम इतने हल्क़े में कैसे ले सकते है ! और इस तरह की भड़काऊ जो भी रचनाये यहाँ पब्लिश होती है वह एडिटर या संपादक की नज़र से या तो गुज़ारे बिना होती है या उन्हें संपादक मंडली की तरफ से छूट होती है अगर ऐसा है तो प्लीज इसे अपनी गलती माने अफज़ल सर या तो इस आर्टिकल को हटाये क्यों की यह एक जाति विशेष पर दोषारोपण है जिससे दुनिया को गुमराह किया जा रहा है ब्राह्मणो के प्रति ! आप सोच भी नहीं सकते की अगर यह लेख भारत में आज हिन्दू घरो में पहुंच जाए तो हमारे मुस्लिम भाइयो के लिए कैसा भय उत्पन्न हो जाएगा , हिन्दू भाइयो द्वारा इसे इस रूप में लिया जाएगा की यह किसी मुस्लिम लेखक द्वारा हमारे पूर्वजो के अपमान के लिए नियोजित तरीके से लिखा गया है ! सिकंदर सर आप नहीं सोच सकते इस छिछले लेख से कैसी गलत धरना बन जायेगी समाज में प्लीज इसे हटाइये प्लीज क्यों की मई अपने मुस्लिम भाइयो के लिए कोई खतरा उत्पन्न हो इस एक लेख से ऐसा नहीं चाहती प्लीज इसे हटाइये यह लेख एक जाति विशेष की अस्मिता पर दोसरोपण है भड़काऊं है !
अर्चना जी
इस लेख मे ऐसा कुछ नही है, जिस को हटाया जाये. आप शयेद गूगल पे विज़िट करे द्खे के दलितों ने इस से भी ज्यादा गन्दे गन्दे लेख ब्राह्मणो के खिलाफ है,इस मे ऐसा कुछ नही है. आप अपना कॉमेंट दे और आंसारी साहब का जवाब दे. लेख हटाने से कुछ नही हो गा.
अर्चिता सुनो मेरी बात देखो इन बातो को इतना दिल पर मत लो लेख हटेगा तो फिर हमने जो लेखक साहब का विरोध करते हुए इतने कॉमेंट लिखे वो भी तो हट जाएंगे हमारी भी तो मेहनत पर पानी फिर जाएगा देखो इससे भी 10 गुना भड़काऊ बाते नेट पर मौजूद हे तो क्या हो गया कौन सा भारत में गृहयुद्ध शरू हो गया नहीं न और कभी होगा भी नहीं एक बार मोहल्ला लाइव पर आरक्षण को लेकर हुई बहस इससे भी कई गुणा ज़्यादा ज़हरीली टिपणीया की गयी थी पुरे 80 % उपमहादीप में ही में ही जनता शोषित हे वो शोषकों को ना पहचान कर इसी परकार एक दूसरे को भला बुरा कहती ही रहती हे केवल धर्म ही नहीं बल्कि जाती नस्ल भाषा क्षेत्र और पता नहीं किस किस आधार पर ये सब चलता रहता हे लेकिन कही नहीं आम आदमी एकदूसरे का बिलकुल ही खून का प्यासा हो गया नहीं ना आज भी सभी जगह लोग साथ साथ रहते ही हे ताने तिश्ने तेरी मेरी तू तू में में भी चलती रहती हे कही नहीं लोगो ने एक दूसरे का बायकाट कर दिया कही भी नहीं . ये देखो पाकिस्तान मिडिया में रोज़ ही भारत के खिलाफ अनगिनत ज़हर उगल जाता हे https://www.youtube.com/watch?v=YxgQ_aolggI इसके बाद भी कोई ब्राह्मण पाकिस्तान जाकर कहे की में हिन्दुस्तान से आया ब्राह्मण हु तो दुकानदार हो सकता हे की पैसे ना ले या कम ले तो कही नहीं सभी पाकिस्तानी भारत से नफरत करने लगे कही नहीं आज भी जो भी हिंदुस्तानी या हिन्दू पाकिस्तान जाता हे वो यही कहता हे की जो इज़्ज़त और मोहब्बत पाकिस्तान में मिलती हे वो कही नहीं मिलती हज़ारो पाकिस्तान विरोधी लेख लिख चुके तरुण विजय जी ने भी पिछले दिनों लिखा की पाकिस्तान में उन्हें बेइंतिहा मोह्हबत भी मिलती हे तो अर्चिता इन बातो पर इतने भावुक या गुस्सेल मत बनो इन बातो से ऊपर उठिए सामने वाला गलत बात कर भी रहा तब भी उनको शान्ति से सधे हुए शब्दों में जवाब दो
डियर आंसारी जी, हजारो हजार साल पुरानी संस्कृति में इस तरह की विकृति आ जाना आश्चर्यजनक नही है वरन उसे स्वीकार ना करके सुधार की कोशिश ना करना आश्चर्यजनक होता है, लेकिन हमे तसल्ली है कि हिन्दुस्तान के एक बड़े वर्ग के प्रयासो से हालात दिन पर दिन बेहतर हो रहे है. आप इस समुदाय की आपसी घ्रणा (जो की भूतकाल में ही थी) को देख कर हैरान है परंतु आप विश्व के दूसरे सबसे बड़े कहे जाने वाले “एक समुदाय विशेष” द्वारा क़ाफ़ीरो के साथ साथ अपने ही मज़हबी भइओ के भी थोक में किये जा रहे कत्लेआम को नही देख पा रहे है ऐसा क्यो? जबकि इन के पास तो स्वयं परम पिता अल्लाह के हाथो से लिखी गयी एक “किताब विशेष” भी है, फिर भी? सिर्फ1400 सालोमेंही इतनी घ्रणा? अगर कभी समय मिले तो इस विषय मे भी सोचियेगा. शायद आप जैसा “ज्ञानी” इस घ्रणा को कम कर पाये. ———————————————————————————– अफजल भाई, आप बहुत सी ऐसी घटनाओ (जिनमे में से काफी को शायद आप साबित भी ना कर पाये) को आधार बना कर समाज के एक वर्ग को गद्दार साबित करना चाहा रहे है, कल अगर इसी तर्क के अनुसार हाल ही के कुछ वर्षो में हुई आतंकवादी घटनाओ की एक फेहरिस्त के आधार पर विश्व के एक बड़े वर्ग को आतंकवादी घोषित कर दिया जाये तो क्या आप उससे सहमत होगे? जनाब, गद्दार चाहे जयचंद हो या मीर ज़ाफ़र या फिर रजब अली, वो गद्दार ही होता है और सदियो तक उसका नसीब सिर्फ और सिर्फ लानत ही होता है.
नन्द किशोर शर्मा जी , सिकंदर हयात जी आप सायद मेरी बात नहीं समझ पा रहे है मै खुद एक लेखक हूँ मुझे कोई ऐतराज नहीं होता जब वाद – विवाद स्वस्थ तरीके से हमारे बीच होते है किन्तु LIONS HANNAN ANSARI साहब ने शब्दों के प्रयोग की भी सीमा रेखा लांघ कर लेखक की मर्यादा और गरिमा को भी तार तार किया है ! उनका ये कदम अवांछित है ! हमने इससे पहले कभी किसी लेख पर ऊँगली नहीं उठाई चाहे प्रदीप दुबे सर का लेख हो , अफज़ल भाई का लेख हो आप का लेख हो या प्रसून सर का , क्यों की सबने नै बात उठाई है हमेसा, सबने समाज को दिशा देने के लिए लिखा है किन्तु LIONS HANNAN ANSARI साहब ने तो अवांछित भाषा का प्रयोग करके मर्यादा की हाडे पार की है मै आपको उनके ही कमेंट का उद्दहरण देती हु आप मूल्यांकन करिये उनकी भाषा क्या दुनिया के सामने जाने लायक है और मुझे जवाब दीजिये क्या यह उचित प्रयोग है ……………..
(LIONS HANNAN ANSARI
JUN 27, 2014 – 08:48 PM
दीपक जी …..जब कोई ब्राह्मण या ब्राह्मणवादी ,भोले भाले बेक़सूर अनजान मुसलमानों के या दलितों के खिलाफ बोलता या लिखता है तो सभी ब्राह्मण उसका खुले आम या मूक रहकर भरपूर समर्थन करते है ,पर जब मेरे जैसे लोग (जो ब्राह्मण जात के षड्यंत्र को भली भाति जानते है ) ,ब्राह्मणों का विरोध करते है तो ,सारे ब्राह्मण एकतरफा मुझे जैसे लोगो को कहते है की ”आप लोग ब्राह्मण जात का विरोध कर, सही नहीं करते”
ह्ह्ह्हह्ह वाह रे ब्राह्मण !! न्याय तुम करो को चमत्कार,और हम करे तो *****
ज़रा इधर भी गौर करे …….
वर्णप्रथा -ब्राह्मणों ने बनायी ,मुसलमानों ने नहीं
जातिप्रथा -ब्राह्मणों ने बनायी , मुसलमानों ने नहीं
छुआछूत -ब्राह्मणों ने बनाया , मुसलमानों ने नहीं
दहेज़ प्रथा -ब्राह्मणों ने बनाया , मुसलमानों ने नहीं
उंच नीच -ब्राह्मणों ने बनाया , मुसलमानों ने नहीं
सती प्रथा -ब्राह्मणों ने बनायी , मुसलमानों ने नहीं
बाल विवाह -ब्राह्मणों ने बनाया , मुसलमानों ने नहीं
महिलाओं की दासता -ब्राह्मणों ने बनायी,मुसलमानों ने नहीं
नक्सलवाद -ब्राह्मणों ने फैलाया ,मुसलमानों ने नहीं
जाती में भी उपजात ब्राह्मणों ने बनाया ,मुसलमानों ने नहीं
दलितों और हमारे रिजर्वेशन का विरोध -ब्राह्मणों ने किया ,मुसलमानों ने नहीं
आजाद भारत में मस्जिद तोड़ देश में दंगे और आतकवाद की सुरुवात करवाई -ब्राह्मणों ने मुसलमानों ने नहीं
इस देश पर कब्ज्जा -ब्राह्मणों का है ,मुसलमानों का नहीं
अब आप ही बताओ ,हमारा दुश्मन कौन ? षड्यंत्रकारी ब्राह्मण या भोले भाले नादाँ शोषित पीड़ित दलित और मुसलमान ?…..मैं जनता हूँ दीपक जी आपका विरोध ये स्वाभाव है जब जर्जर लोटा मांजा जाता है तो हाथ काट जाता है अब ये तो बर्दाश्त करना ही होगा …मंडल कमीशन का विरोध आप लोगों ने किया क्या इसके लिए भी सबूत की जरूरत है ..मनुिस्मिृति का लेखक मुस्लमान था क्या ? इसका भी सबूत चाहिए आपको ??? सच्ची बात को कबूल कीजिये और इंसानियत की राह प्रशस्त कीजिये वरना अब दलित जाग चूका है ….
अरे अर्चिता इस कॉमेंट के जवाब में मेने 4 कॉमेंट लिखे तो हे लो एक और लिख देता हु अंसारी जी देखिये उपमहादीप के मुसलमानो में तो ब्राह्मण नहीं हे ना फिर भी छुआछूत और सती को छोड़ कर बाकी सभी समस्याएं हमारे यहाँ भी तो मौजूद हे नक्स्लवाद असमानता से उपजा असमानता मुस्लिम समाज में क्या कुछ कम हे ? क्या यहाँ भी करोड़पति और रोडपति हर जगह नहीं दीखते ? नक्स्लवाद पाकिस्तान में भी होता क्योकि वहा भी यही हाल हे उसी पर से ध्ययन हटाने के लिए ही तो पाकिस्तानी इस्टेब्लिश्मेंट भारत और हिन्दुओ से सतत दुश्मनी की मुद्रा में रहता हे कसाब जैसे लड़के जिन्हे ईद पर भी नए कपडे नहीं मिलते थे वो पाकिस्तानी नक्ससल न बने इसलिए तो उन्हें हाफिज सईद के पास भेजा जाता था
पाठको एक बात समझिए एक ब्राह्मण न्यूज़ एंकर ने अपने सवजातीय मालिको के शोषण से तंग आकर आत्महत्या की कोशिश की हे फ़र्ज़ कीजिये वो एंकर लड़की दलित या मुस्लिम होती तो ? बात ये हे की ये पूरा भारतीय उपमहादीप में आम जनता के लिए समस्याओं के अम्बार लगे हुए हे कभी भी अपनी किसी समस्या को जातिवादी या साम्प्रदायिक चश्मे से मत देखिये शोषण शोषण हे बस . में भले ही एक अशराफ मुस्लिम हु मगर हु बहुत ही आम आदमी जीवन में मेने भयंकर अपमान तनाव और शोषण झेला आम आदमी के सामने आने वाली एक भी समस्या ऐसी नहीं होगी जो मेने अपने खुले सीने पर न झेली हो न हमारे पास जायदाद थी न दूर दूर तक कीसी की भी सरकारी नौकरी थी न हम कभी पुश्तैनी इलाको और मकानो में रहे बड़ी फेमली कई बहने हिज़रत मुकदमेबाजी और सेकड़ो मुश्किलें हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ब्राह्मण शिया सुन्नी अपने पराय मेने तो सभी के हाथो परेशानिया ही झेली हर किसी के हाथो टपली ही खायी क्योकि कोई भी सुरक्षा कवच के अंडर में में नहीं रहा फादर की डेथ हो गयी बड़े भाई अलीगढ में पढ़ते थे ददिहाल बईमान ननिहाल आर्थिक मानसिक शारीरिक रूप से कमजोर , जायदाद कम वो भी मुकदमेबाजी में फंसी हुई किसी का भी सहारा नहीं लेकिन मेने कभी किसी भी बात अपमान शोषण को किसी खास चश्मे से नहीं देखा की ऐसा हे तो ऐसा हे में ये तो ये हे मुझे इसलिए परेशान किया जा रहा हे ये नहीं हो रहा वो नहीं हो रहा इन बातो में न पड़े कुछ नहीं रखा इन बातो में शोषण सब जगह हे उससे लड़े शोषितो को एकजुट करे
मोहतरम सिंकन्दर हयात साहब आप अशरफ मुस्लमान हैं ? जैसा की आपने कहा !! ये कब धरती पर आये .. इस्लाम में यानि क़ुरान और हदीस में अशरफ मुस्लमान का ज़िक्र किस आयत और किस सफे पर है मेहरबानी कर के बताएं आप ..
सर आपने ही नीचे कॉमेंट में अगड़ा पिछड़ा मुसलमान किया हे में तो कह ही रहा हु की एक सुन्नी सय्यद देवबंदी होने के बाद भी मुझे भी जमकर शोषण अपमान झेलना पड़ा वो हिन्दू या ब्राह्मण ने किया मुस्लिम शिया सुन्नी देवबंदी बरेलवी अशराफ अज़लाफ जिसने भी किया हो में उसे जाती के नाम से नहीं शोषक के नाम से याद रखता हु
वैसे सही कहा इस्लाम में सब बराबर हे कोई अशराफ अज़लाफ नहीं सब सामान जैसे कंघी के दाने सही हे लेकिन ये बात इस्लाम की हे दुनियादारी की बात अलग हे आदर्शो की बात करना उन पर चल कर दिखाना – दो अलग अलग बाते हे – ? मुसलमानो का हाल देखिये आपने अपनी लाइफ कितनी सोकोल्ड अशराफ -अज़लाफ अरेंज्ड मेरिज अटेंड की हे ( मेने तो एक सिंगल भी नहीं ) या कितनी अरब लड़की गैर अरब लड़के से शादी सुनी हे – ?
Bhut khub mai apse khush hua apne achi kekh likhi aur yaha bhi apka sawal bhut hi acha raha aap akele hi logo ko mazbur kar rahe hai likhne par kabile tareef hai apki lekhni kuch log dare huye hai
na hi galtio se sikh rahe hai
sikandar bhai aap buraa na maane apki knowledge abhi lekhni ke kaabil to nahi fr bhi apki koshish achi
kaum ya mazhab ya apka dharm koi bhi ho uski kamia syah pahlu ko nadarandaaz ni karna chahiye
sikandar bhai aap asharaaf ki baat kahkar mujhe musalmaan hone par sharmindaa kar rahe hai
q islaam ko baat rahe ho aap
plz aap mujhse contact krey ya aap mere no. Par contact krey
पिछड़ी जातियों के रिजर्वेशन (भागीदारी ) का विरोध हिन्दू धर्म में जैसे ”ब्राह्मण” करते है ,ठीक उसी प्रकार पिछड़े मुसलमानों के रिजर्वेशन (भागीदारी) का विरोध अगड़े मुसलमान भी करते है !!
(भारत में जब तक मूलनिवासी OBC ST SC से धर्म परिवर्तित मुसलमान , इस्लाम में घुसे विदेशी ब्राह्मणों को नहीं पहचानेगा ,तब तक भारत में न तो मुसलमान का भला हो सकता है और न इस्लाम का !!)
ब्राह्मण ,धर्मपरिवर्तित कर किसी भी धर्म में घुस जाय पर उसका ”वर्चस्ववादी” वाला चरित्र नहीं बदलता !!
सत्ता के केंद्र पर ब्राह्मणो का कब्जा है …सर जी यहाँ भी आपकी आवाज़ दबाने की कोशिश
भारत के प्रत्येक सत्ता के केंद्र पर ब्राह्मणो का कब्जा है । सरकार में ब्राह्मण ,विपक्ष में ब्राह्मण ,कम्युनिस्ट में ब्राह्मण ,ममता ब्राह्मण ,जयललिता ब्राह्मण संसद ब्राह्मणो के कब्जों में । सर्वोच्च न्यायलयों में ब्राह्मणो का कब्जा ,ब्यूरोक्रेसी में ब्राह्मणो का कब्जा ,मीडिया ,पुलिस ,मिलिटरी ,शिक्षा ,आर्थिक सभी जगह ब्राह्मणो का कब्जा है । एक विदेशी गया तो दूसरा विदेशी सत्ता में आ गया । हम अंग्रेजों के पहले ब्राह्मणो के गुलाम थे अंग्रेजों के जाने के बाद भी ब्राह्मणो के गुलाम हैं । यही वह हिन्दू शब्द है जो न तो वेद में है न पुराण में न उपनिषद में न आरण्यक में न रामायण में न ही महाभारत में । फिर भी ब्राह्मण हमें हिन्दू कहते हैं । मुक्त कर दो ब्राह्मणो अब नहीं रहना हमको हिन्दू का कलंक लेकर हम दलित थे रहेंगे ..
”ब्राह्मण” ”ब्रह्म” के मुह से पैदा हुआ है ,इसलिए सभी जगहों पर उसका ज्यादा कब्जा है ,ऐसा ब्राह्मण मानते होंगे ,
पर हम लोग तो यही मानते है की ब्राह्मणों का कब्ज्जा इस देश पर इसलिए है क्यों की वो विदेशी है और जैसा एनी विदेशी मतलब ,हच ,हून,मुग़ल और अंग्रेज यहाँ के लोगो को षड्यंत्रों द्वारा आपस में लड़ाकर कब्ज्जा करते थे ,विदेशी ब्राह्मण भी यहाँ के मूलनिवासियो (ओबीसी SC ST )के साथ भी वही षड्यंत्र कर कब्ज्जा किये हुए है !!जय भीम जय भारत
भानु प्रकाश जी आप बेफिक्र रहिये ..हम लेखक क़लम चलाना बखूबी जानते हैं . जिसकी मार AK47 से भी घातक होती है ..
सही हे आप भारत के मूल निवासी चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम उनमे एकता बनाकर अगड़ो से भिड़ना चाहते हे बहुत अच्छी बात हे में तो आगाह ही कर रहा हु की उसके लिए भी आपको मुस्लिम कटटरपन्तियो से भी भिड़ना होगा क्योकि ये किसी से भी एकता बना ही नहीं सकते
कोई ज़बरदस्त दलित मुस्लिम एकता बन जाए तो बहुत अच्छा हे मगर अंसारी जी इतना आसान नहीं हे http://haqbaat.blogspot.in/2013/04/blog-post_21.html
भारतीय उपमहादीप के हाल दुनिया में सर्वाधिक जटिल हे संघ परिवार हमेशा ही चाहता रहा की मुसलमानो से नफरत के आधार पर हिन्दुओ को एकजुट करे जातिवाद ख़त्म करे मगर ऐसा हो न सका पाकिस्तान जबसे बना हिन्दू हिन्दुस्तान से नफरत को अपनी एकजुटता का आधार बनाता रहा मगर टूट गया आप ”ब्राह्मणो ” से नफरत के आधार पर कोई दलित मुस्लिम यूनिटी चाहेंगे तो अफ़सोस ऐसा भी हो न सकेगा
मान गए गुरु! आप तो हन्नान अंसारी से भी ज्यादा खतरनाक हैं।
मधुर विष
मीठी छुरी
अंसारी जी आपने लिखा ”————इस्लाम में घुसे विदेशी ब्राह्मणों को नहीं पहचानेगा—– ” सर ऊपर कॉमेंट्स में आप ही भारत पर जिस 1000 साल के मुस्लिम शासन काल के कसीदे पढ़ रहे थे थे जिसमे आपके हिसाब से कोई ज़ुल्म हुआ ही नहीं चारो तरफ अमन और इन्साफ था तो सर वो तो सारा विदेशी मुसलमानो का ही था शासन विदेशियो का प्रशासन अशराफ मुसलमानो का – ?
all over world may resg\ervation kisi bhe desh may ho tou bataye
makka madina ke leya haz yatra ke leya word k ksis bhe desh may subsidi de ja raghi ho tou bataye
kuch tou sharm karo kuch ya galat bhawana bhadka rahey ho ansari apni akla aur umer ka tou lehaaj karo tum
1933 में तानाशाह अडोल्फ हिटलर जब जर्मनी की सत्ता पर काबिज हुआ था, तो वहां भी उसने एक नस्लवादी साम्राज्य की स्थापना की थी। उसके साम्राज्य में यहूदियों को सब-ह्यूमन करार दिया गया और उन्हें इंसानी नस्ल का हिस्सा नहीं माना गया।
यहूदियों के प्रति हिटलर की इस नफरत का नतीजा होलोकास्ट के रूप में सामने आया, यानी समूचे यहूदियों को जड़ से खत्म करने की सोची-समझी और योजनाबद्ध कोशिश। होलोकास्ट इतिहास का वो नरसंहार है जिसमें छह साल में तकरीबन 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें 15 लाख बच्चे थे। इस दौरान कई यहूदी अपनी जान बचाकर देश छोड़कर भाग गए, तो कुछ कंसनट्रेशन कैंप्स में क्रूरता के चलते तिल-तिल मरे। १९२५ में आरएसएस की तंजीम इसी सोच का हिस्सा है ..आप हयात साहब टेबल का चिकनापन न देखें इसके अंदर का खोखलापन देंखें ..
अगर ऐसा ही हुआ था तो भी मोस्ट वेलकम हे आप यहूदी मुस्लिम एकता की ही राह सुझाईये में भी आपके साथ हु
लायंस हन्नान अंसारी साहब आपने जो लेख लिखा है पढ़ने के बाद मुझे वो हक़ीक़त याद आई जो मेरे दादा जी हम लोगों को सुनते समय फूट -२ कर रो दिया करते थे ..मेरे पिता जी के दो भाई इस लिए मार दिए गए थे की जब उनकी शादी की बारात बगल के गाँव में जानी थी और घोड़े पर बैठ कर पर्चावां के लिए जा रहे थे .तभी गाँव के दबंग छतरियों ने बन्दुक से गोली मार दी थी ..इसी पर्कार मेरे दूसरे चाचा की भी हत्या कर दी गई थी ..आज भी हमारे गांव में और सिर्फ हमारे गांव में ही नहीं जितने भी रिश्तेदार के गांव हैं वहां कोई बारात घोड़े पर गांव से नहीं निकल पाती
है . सवयं मेरे बाबूजी गांव के ठाकुरों के सामने कभी चारपायी पर नहीं बैठे ..आपने जो लिखा पढ़ कर मेरी आँखें भर गई है ..आपको कोटि कोटि धन्यवाद ..जय भीम
जिस
बुक या लेख की आलोचना बहुत होने लगे तो मेरे गुरु जी कहते थे की जरूर उस बुक या लेख में बहुत ही कड़वी सच्चाई लिखी गई है
अंसारी सर आपका लेख बहुत ही उपयोगी है . हम अपने बापूजी से जब पूछते हैं की आपके दरिद्रता का कारन क्या है हमें अधिक पढ़ाया लिखाया क्यों नहीं ? तो सर जानते हैं वो क्या कहते हैं ….वो कहते हैं जब गांव के स्कूल में उनके पिता जी यानि दादा जी पढ़ने के लिए भेजते थे तो क्लास के मास्टर जी जो जाती के ब्राह्मण थे बोलते थे की जो बकरी चरा का करबे पढ़ के ….बहुत जलील करते थे ये लोग ..आपने बहुत बड़ा काम किया है सर जी ऐसे लेख ही हम दलित समाज को जागरूक कर सकता है ..ये देश हमारा था है ..ब्राह्मणो का नहीं ..जय भीम जय भारत
सर जी आपका धयान इनपर भी होना चाहिए इसपर कोई लेख लिखिए
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भारत में ”रेल” की सुरुवात अंग्रेजो ने की
भारत में ”टेलीफोन” की सुरुवात अंग्रेजो ने की
भारत में ”उद्योग धंधे” लगाने का काम
अंग्रेजो ने किया
भारत में नए सिरे से लोगो को ”पढ़ाने” का काम
अंग्रेजो ने सुरु किया
भारत में ”डाक विभाग” अंग्रेजो ने सुरु किया
भारत में बड़ी बड़ी ”हॉस्पिटल” खोलने का काम
अंग्रेजो ने किया
भारत में बड़ी बड़ी ”युनिवार्सिटीया” खोलने
का काम अंग्रेजो ने शुरू किया
भारत में ”नौकरियों” की सुरुवात अंग्रेजो ने किया
भारत में मनोरंजन और
खेलो की बढ़ावा अंग्रेजो ने दिया
भारत में ”पुरातत्व विभाग” अंग्रेजो ने सुरु
किया ,जिसने भारत की प्राचीन सभ्यता और
प्राचीन बौद्ध/जैन धर्म को खोज निकाला
भारत में ”कपडे का कारखाना” अंग्रेजो ने सुरु
किया
भारत में ”बंदरगाह” अंग्रेजो ने बनाया
भारत में बड़े बड़े ”शहर” अंग्रेजो ने बसाया
भारत में ”लोकतंत्र का चुनाव” अंग्रेजो ने सुरु
किया
भारत में ”समान नागरिक अधिकार” अंग्रेजो ने
शुरू किया
भारत में बाल-विवाह ,सती प्रथा ,अंग्रेजो ने
क़ानून बना कर बंद किया
भारत में विधवा विवाह अंग्रेजो ने सुरु किया
इत्यादि इत्यादि बहुत कुछ अंग्रेजो ने सुरु किया
(600 सालो के राज में मुगलों ने शुद्र अतिशूद्र
(ओबीसी SC ST) को कोई भी विशेष अधिकार
बहाल नहीं किये ,इसीलिए ब्राह्मणों ने उनके खिलाफ 600 सालो तक कोई आंदोलन
नहीं चलाया !!
पर जैसे ही 150 साल के राज में अंग्रेजो ने जब शुद्र अतिशुद्रो (ओबीसी SC ST) को अधिकार देने लगे ,”ब्राह्मण” इस देश से अंग्रेजो को भगाने में जुट गए !!)
Lions Hannan Ansari
fatwa jari kyu nai kara detey waisey bhe bahoot purani adat hai tum jaisey logo ki chilana chori karo tum chamari karo tum jab koi rokey tou chilaoo tum jaisey loog apni ma , bahen beti ke bhe nai hotey isi leya jab sarvjanik roop say aisi asist bhasa ka prog kar rahey ho tou akley bhe apni bahen beti ka tou balatkar kartey he hogey itihas bhe utha kar dakh lo tum jaisey logo ka kya hua filhaal ak bat he kahna chaho ga
pandito say itnmi nafrat kyu bhai kya wo aap ke …………? baap hai ya tumhari bibi unki……………….?
jo bhe ho tumhara dard samaj shakta ho isi leya aur likho tumharey likhney say tumhari he ma…………………………?
baki bharat desh mahan hau yaha tum jaisey kutto ko goli marney ki permission nai hai.
is leya chilaooo jab thak j ana thoda pani peena aur phir chilana kya fark padta hai …
जनाब हन्नान अंसारी साहब आपका लाख लाख शुक्रिया की आपने इतना बेहतरीन लेख लिखा और साथ में ”खबर की खबर ”को भी धन्यवाद की उन्होंने इसे हम तक पहुँचाया ..
लम्हों ने खता की सदियों ने सजा पाई …….हमारे पुरखे भी इंसान ही जन्म लिए थे मगर उनकी गलती का नतीजा था की सदियों दर सदियों ब्राह्मणो के गुलाम रहे और दलित मलिन गलीज जीवन जीने को मजबूर हुवे ..मेरे पापा ने इस्लाम क़बूल किया और आज हमसबको इस बात का एहसास है की यही एक रास्ता हर इंसान का रास्ता है …जनाब अंसारी साहब मैं एक टीवी चैनल में काम करती हूँ और आज ही आपके लेख को पढ़ा तो मैं अपने आपको रोक न सकी …आप का लेख जिस समाज के लिए है उसे इसकी बहुत जरूरत है ..जिस्म को बचने के लिए नश्तर भी जरूरी है .
हम सबके अंदर जातिप्रेम और दलितघृणा कूट-कूट भरी हुई। किसी भी अवसर पर हमारी बुद्धि नंगे रूप में दलित विरोध की आग उगलने लगती है। दलितों से मेरा तात्पर्य आर्थिक रूप से पिछड़े मुस्लिम और शूद्रों से है। अछूतों से हैं।
सवाल उठता है अछूतों से आजादी के 67 साल बाद भी हमारा समाज प्रेम क्यों नहीं कर पाया? वे कौन से कारण हैं जिनकी वजह से हम आज भी दलितों से नफरत करते हैं। उन्हें पराया मानते हैं। मेरे** कुछ हिन्दुत्ववादी पाठक **हैं वे तो मुझपर बेहद नाराज हैं। मैं उनसे यही कह सकता हूँ कि अछूत समस्या, दलित समस्या मूलतः सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक समस्या ही नहीं बल्कि यह एक सांस्कृतिक तथा सामान वितरण की समस्या भी है।
दलित समस्या को हमने अभी तक राजनीतिक समस्या के रूप में ही देखा है। उसके हिसाब से ही संवैधानिक उपाय किए हैं। उन्हें नौकरी से लेकर शिक्षा तक सब चीजों में आरक्षण दिया है। आजादी के पहले और बाद में मौटे तौर पर वे राजनीतिक केटेगरी रहे हैं। उनकी सांस्कृतिक और आर्थिक नजरिए से हमने कभी सामूहिक मीमांसा नहीं की है। संस्कृति और आर्थिक जीवन के उन चोर दरवाजों को बंद करने का प्रयास ही नहीं किया जिनसे हमारे मन में और समाज में दलित विरोधी भावनाएं मजबूती से जड़ जमाए बैठी है..मेरे लेख से जिस किसी भी पाठक के दिल पर अगर खीरा निगाही का असर हुवा है तो यह मेरी सफलता तो है मगर इसपर आप सब से निवेदन है की इस लेख को पॉजिटिव लें और मंथन करें ..विरोध आप करके अपने अंह को संतुष्ट नहीं कर सकते जब तक की आपके पड़ोस का एक इंसान भी भूखा सो रहा होगा ….
अफ्झल शाब आप यह सिर्फ मुशिल्मो के विचर हे दल रहेय है इसेय पह्लेय १०ोम्मेन्त हुम नेय केय लकिन आप कि हिम्मत नै हुइ उसेय बुब्लिश कर्नेय कि आप भे पब्रहिमन विरोधि है य साफ हो गय धनवाद्
afzal shaab aap ney yaha sirf comment karney ke leya kuch khaas aur apney logo ko he azadi dei hai taki yaha jo chahey aap kah sakey ya behad he khatarnak ho raha hai
hum hrd minestery may is article ki ak copy mail and registery kar rahey hai sath may siv sena aur rss ko bhe
ki aap ke dwara jatigat hinsa ko bhadava deya ja raha hai
sath he yaha hindu aur brahaman ko comment ko publish naio keya ja rtaha isey ya baat saaf hotoi hai ki aap ki bhe mansik stati theek nai hai warna abhi tak aa isey apney website say hata deye hotey
hum sabhi hindu aur brahaman say apil karey gey ki is website ka bahiskaar karey
sath he mr pradeep dubey say bhe anirodh hai ki apna naam sampadak mandali say wapas le kar hindu jati aur brahaman samaj ka sath de
मुश्लिम ओब मय आतेय है आप को श्याद नै पत है सथ हे सविधान मय जो जतिओ ११ % तक है उन्कहि को य अधिकर है लकिन फिर भे भर्तिय गोवेर्न्मेन्त आज तक
mushilim ya koi bhe community jo minority may aati hai uska bhe ulakh savidhan may keya gaya hai jo bhe dharam 11% say kaam hai unki ko ya adhior hai ya mahanta hai is desh ki jaha 22% honey ke baad bhe mushilmano ko obc categery may rakh gaya hai phir bhe tum jaisey logo ko sharma nai aati ansari ak baat samaj lo dalit ko general categery say lada kar tum apni swarth siddhi nai kar shaktey aaj jo iraq may ho raha hai tumhari wahi manshikta hai india may karaney ki tum galat ho aur gandey bhe
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tu yaha bhe galat ho ummed say zada
ब्राह्मण साम्राज्य की टीम ने 2 महीने
की मेहनत कर भारत के समस्त राज्यों से
ब्राह्मण जनसँख्या जानने की कोशिश की हे
जिसके अनुसार सूची तयार हुई हे। उम्मीद हे
ब्राह्मण अपनी शक्ति पहचाने और एकजुट होकर
कार्य करे :
1) जम्मू कश्मीर : 2 लाख + 4 लाख
विस्थापित
2) पंजाब : 9 लाख ब्राह्मण
3) हरयाणा : 14 लाख ब्राह्मण
4) राजस्थान : 78 लाख ब्राह्मण
5) गुजरात : 60 लाख ब्राह्मण
6) महाराष्ट्र : 45 लाख ब्राह्मण
7) गोवा : 5 लाख ब्राह्मण
8) कर्णाटक : 45 लाख ब्राह्मण
9) केरल : 12 लाख ब्राह्मण
10) तमिलनाडु : 36 लाख ब्राह्मण
11) आँध्रप्रदेश : 24 लाख ब्राह्मण
12) छत्तीसगढ़ : 24 लाख ब्राह्मण
13) ओद्दिस : 37 लाख ब्राह्मण
14) झारखण्ड : 12 लाख ब्राह्मण
15) बिहार : 90 लाख ब्राह्मण
16) पश्चिम बंगाल : 18 लाख ब्राह्मण
17) मध्य प्रदेश : 42 लाख ब्राह्मण
18) उत्तर प्रदेश : 2 करोड़ ब्राह्मण
19) उत्तराखंड : 20 लाख ब्राह्मण
20) हिमाचल : 45 लाख ब्राह्मण
21) सिक्किम : 1 लाख ब्राह्मण
22) आसाम : 10 लाख ब्राह्मण
23) मिजोरम : 1.5 लाख ब्राह्मण
24) अरुणाचल : 1 लाख ब्राह्मण
25) नागालैंड : 2 लाख ब्राह्मण
26) मणिपुर : 7 लाख ब्राह्मण
27) मेघालय : 9 लाख ब्राह्मण
28) त्रिपुरा : 2 लाख ब्राह्मण
सबसे ज्यादा ब्राह्मण वाला राज्य: उत्तर
प्रदेश
सबसे कम ब्राह्मण वाला राज्य : सिक्किम
सबसे ज्यादा ब्राह्मण राजनेतिक वर्चस्व :
पश्चिम बंगाल
सबसे ज्यादा %ब्राह्मण वाला राज्य :
उत्तराखंड में जनसँख्या के 20 % ब्राह्मण
अत्यधिक साक्षर ब्राह्मण राज्य :
केरल और हिमाचल
सबसे ज्यादा अच्छी आर्थिक स्तिथि में
ब्राह्मण : आसाम
ब्राह्मण पर सर्वाधिक हिंसा ( मोखिक एव
शारीरिक) राज्य :
महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कश्मीर
सबसे ज्यादा ब्राह्मण मुख्यमंत्री वाला राज्य :
राजस्थान
सबसे ज्यादा ब्राह्मण विधायक वाला राज्य :
उत्तर प्रदेश
———————
भारत लोकसभा में ब्राह्मण : 48 %
भारत राज्यसभा में ब्राह्मण : 36 %
भारत में ब्राह्मण राज्यपाल : 50 %
भारत में ब्राह्मण कैबिनेट सचिव : 33 %
भारत में मंत्री सचिव में ब्राह्मण : 54%
भारत में अतिरिक्त सचिव ब्राह्मण : 62%
भारत में पर्सनल सचिव ब्राह्मण : 70%
यूनिवर्सिटी में ब्राह्मण वाईस चांसलर : 51%
सुप्रीम कोर्ट में ब्राह्मण जज: 56%
हाई कोर्ट में ब्राह्मण जज : 40 %
भारतीय राजदूत ब्राह्मण : 41%
पब्लिक अंडरटेकिंग ब्राह्मण :
केंद्रीय : 57%
राज्य : 82 %
बैंक में ब्राह्मण : 57 %
एयरलाइन्स में ब्राह्मण : 61%
IAS ब्राह्मण : 72%
IPS ब्राह्मण : 61%
टीवी कलाकार एव बॉलीवुड : 83%
CBI Custom ब्राह्मण : 72%
जय परशुराम जी की
ब्राह्मण एकता विजयत
इसि लिये अन्सरि कि …………… रहि है भै लोग चिलने दो पगल है अक दिन खुद हे मर जये ग
धर्म के ठेकेदारों का दोहरा चरित्र
देखिये-
1. कुत्ता आता है इनके भगवान पर मूत कर
चला जाता है । ये कुत्ते की पूँछ
भी नहीं उखाड़ पाते और बचाव में कहते हैं –
क्या संतान अपने पिता के ऊपर मूत्र त्याग
नहीं करती है । अगर एक इंसान इनके
भगवान के पास से भी गुजर जाये
तो वो भगवान अपवित्र हो जाता है । ये
उसके ऊपर लाठी डंडे लेकर चढ़ जाते हैं ।
2. एक चूहा अथवा बंदर आता है इनके
भगवान के भोग अर्थात भोजन को खाकर
झूठा करके चले जाते हैं । ये उनका एक बाल
तक भी नहीं उखाड़ पाते और कहते हैं कि ये
तो भगवान का रूप हैं । अगर एक
आदमी इसी काम को करता है तो ये
उसको काटने को दौड़ पड़ते हैं और
उसको नीच, दुष्ट, अधम और ना जाने
कैसी कैसी उपाधियों से नवाज डालते हैं ।
3. ये धर्म के ठेकेदार एक इंसान के पैर स्पर्श
करने के लिए अपना धन और समय
दोनों गंवाते हैं और अपने
आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं
जबकि एक इंसान के देखने छूने मात्र से
ही इनका अमंगल हो जाता है । ये नर्क के
भागी हो जाते हैं ।
4. ये धर्म के ठेकेदार पशुओं के साथ बिस्तर
साझा करते हैं लेकिन इंसानों के साथ
बैठना भी साझा नहीं कर सकते ।
5. ये जानवरों को माँ बाप कह सकते हैं
लेकिन इंसान को इंसान नहीं कह सकते ।
6. ये पत्थरों पर घी और दूध
की नदियाँ बहा सकते हैं लेकिन भूखे नंगे
इंसानों को दुत्कार कर भगा देते हैं ।
7. ये दूसरों से कहते हैं क्रोध मनुष्य का सबसे
बड़ा दुश्मन है । क्रोध मत करो लेकिन ये
खुद क्रोध की जिन्दी तस्वीर होते हैं ।
क्रोध तो इनकी नाक पर रखा होता है ।
किसी ने कुछ विपरीत विचार रखे
नहीं कि साँप की तरह जीभ लपलपाने लगते
हैं ।
8. ये दूसरो को उपदेश देते हैं मोह
माया का त्याग करो लेकिन खुद इस चक्कर
में लगे रहते हैं किस तरह से मूर्ख बनाकर
बेवकूफों से धन ऐंठा जाये ।
9. ये कहते हैं सादा जीवन उच्च विचार
लेकिन खुद आलिशान आश्रमों और बंगलो में
रहते हैं, वातानुकूलित गाडियों में चलते हैं ।
अब आप सोचो इनसे बड़ा धूर्त और
पाखंडी कोई और हो सकता है ?
मत्लब येह हुआ कि देश के सारे recources पर सिर्फ ५% जन सन्ख्या नियन्त्रन . बहुत शरम कि बात है. अब लोग reservation केी demand न कर तो क्या करे.
Yahoodiyon ka aur aap logo ka Bahut pyar chal raha hai kya? Aapka vishleshan pakshpati jars mullavadi/imamvadi partha par bhi najar ghuma kar dekh len.
Ab Hindu ekta wale ko dekho. Jars dekhen to sahi ki dusre v tisare no. Par kon hai unko bhi bata do janb.
Air ek bhai ne Sare kranti kari brahamn hi bata diye
Is sea ki had side hi pategi lago rahi Mina bhai
आप अग्निवेीर क ब्लोग पधिये मेरे पस इत्न समय नाहि है आप्के सवल कजवब दे सकु पर अग्निवेीर के ब्लोग पर आप्को सरे जसवलो के जवब मि जयेन्गे आप मै तो कहत हु कि जतिप्रथ ब्रम्ह्नो ने नहि मुस्लिमो ने हि लै है बल्विवह सति प्रथ सब मुस्लिमो कि देबन है जब मुस्लिम हिन्दु रज पर अक्रमन कर्ते थे त जो लोग मुसल्मन हो जते थे बह उन्क कुच नहि पर जो मुसल्मन नहि होते थे उस्न्से ये मुस्लिम सन्द्दस गु सफ कर्वते थे इस्लिये वह गु सफ कर्ने वल इन्सन फिर दिरे धिरे समज से बहर हो गय. बल्विवह मुस्लिम शसक जो लद्कि कुवरि रह्ति थि उसे उथकर ले जते थे इस्लिये बच्पन मे विवह होत थ. और सतिप्रथ तो आप्को पत हि है जोहर .इस्लिये क्रुपय आप्क गु (सनदसि ) गन्धे विचर आप्को हि मुबरक अच्हे और सच्हे ब्रम्हनो को गलि मत दो.
Hannan thoda padh likh liya kar bhai. Itana safed jhooth to shaitan bhi nahi bol sakata.
धर्म के नाम पर विदेशी ब्राह्मण यहाँ के मूलनिवासियो को जानवरों का मूत पिलाता है ,जूठे पत्तल पर लिटाता है ,कीचड़ पर सुलाता है ,और यहाँ के मूलनिवासी यह सब गंदा कार्य धर्म के नाम पर ख़ुशी ख़ुशी करते है !!
अरेरेरे मुझे घिन आती है ऐसे धर्मान्धो पर !!
हिंदू नाम का कोई धर्म नही है …हिन्दू फ़ारसी का शब्द है । हिन्दू शब्द न तो वेद में है न पुराण में न उपनिषद में न आरण्यक में न रामायण में न ही महाभारत में । स्वयं दयानन्द सरस्वती कबूल करते हैं कि यह मुगलों द्वारा दी गई गाली है । 1875 में ब्राह्मण दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की हिन्दू समाज की नहीं । अनपढ़ ब्राह्मण भी यह बात जानता है । ब्राह्मणो ने स्वयं को हिन्दू कभी नहीं कहा । आज भी वे स्वयं को ब्राह्मण कहते हैं लेकिन सभी शूद्रों को हिन्दू कहते हैं । जब शिवाजी हिन्दू थे और मुगलों के विरोध में लड़ रहे थे तथा तथाकथित हिन्दू धर्म के रक्षक थे तब भी पूना के ब्राह्मणो ने उन्हें शूद्र कह राजतिलक से इंकार कर दिया । घूस का लालच देकर ब्राह्मण गागाभट्ट को बनारस से बुलाया गया । गगाभट्ट ने “गागाभट्टी” लिखा उसमें उन्हें विदेशी राजपूतों का वंशज बताया तो गया लेकिन राजतिलक के दौरान मंत्र “पुराणों” के ही पढे गए वेदों के नहीं ।तो शिवाजी को हिन्दू तब नहीं माना । ब्राह्मणो ने मुगलों से कहा हम हिन्दू नहीं हैं बल्कि तुम्हारी तरह ही विदेशी हैं परिणामतः सारे हिंदुओं पर जज़िया लगाया गया लेकिन ब्राह्मणो को मुक्त रखा गया………….
ब्राह्मणो का योगदान –
भारत के क्रान्तिकारियो मे 90% क्रान्तिकारी ब्राह्मण थे जरा देखो कुछ मशहूर ब्राह्मण क्रान्तिकारियो के नाम
ब्राह्मण स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी
(१) चंद्रशेखर आजाद
(२) सुखदेव
(३) विनायक दामोदर सावरकर( वीर सावरकर )
(४) बाल गंगाधर तिलक
(५) लाल बहाद्दुर शास्त्री
(६) रानी लक्ष्मी बाई
(७) डा. राजेन्द्र प्रसाद
(८) पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल
(९) मंगल पान्डेय
(१०) लाला लाजपत राय
(११) देशबन्धु डा. राजीव दीक्षित
(१२) नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
(१३) शिवराम राजगुरु
(१४) विनोबा भावे
(१५) गोपाल कृष्ण गोखले
(१६) कर्नल लक्ष्मी सह्गल ( आजाद हिंद फ़ौज
की पहली महिला )
(१७) पण्डित मदन मोहन मालवीय
(१८) डा. शंकर दयाल शर्मा
(१९) रवि शंकर व्यास
(२०) मोहनलाल पंड्या
(२१) महादेव गोविंद रानाडे
(२२) तात्या टोपे
(२३) खुदीराम बोस
(२४) बाल गंगाधर तिलक
(२५) चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
(२६) बिपिन चंद्र पाल
(२७) नर हरि पारीख
(२८) हरगोविन्द पंत
(२९) गोविन्द बल्लभ पंत
(३०) बदरी दत्त पाण्डे
(३१) प्रेम बल्लभ पाण्डे
(३२) भोलादत पाण्डे
(३३) लक्ष्मीदत्त शास्त्री
(३४) मोरारजी देसाई
(३५) महावीर त्यागी
(३६) बाबा राघव दास
(३७) स्वामी सहजानन्द
यह है ब्राह्मणो का भारत की क्रांती मे योगदान , तुम्हारा क्या है ? जरा बताओ तो तुम किस अधिकार से स्वयं को भारतीय
कहते हो और ब्राह्मणो का विरोध करते हो ।मुझे गर्व है
मैं ब्राह्मण हूं ”
यदि ब्राह्मण नही होगा तो किसी का भी अस्तित्व
नही होगा
अथर्व वेद के 5/19/10 मे स्पष्ट लिखा है बाह्मणो की उपेक्षा व तिरस्कार की बात सोचने मात्र भल से सोचने वाले का सर्वस्व पतन होना शुरू हो जाता है ।क्योकि
ब्राह्मण दान देने पे आया तो
-दधीचि,
दान लेने पे आया तो
सुदामा
परीक्षा लेने पे आया तो
-भृगु,
तपोबल पे आया तो
कपिल मुनि
अहंकार को दबाने पे आया तो
अगस्त मुनि
धर्म को बचाने पे आया तो
आदि शंकराचार्य
नीति पे आया तो …
-चाणकय,
नेतृत्व करने पे आया तो
-अटल बिहारी,
बग़ावत पे आया तो
-मंगल पांडे,
क्रांति पे आया तो
-चंद्रशेखर आज़ाद,
संगठित करने पे आया तो
-केशव बलिराम हेगड़ेवार,
संघर्ष करने पे आया तो
-विनायक राव सावरकर- निराश हुआ तो
-नाथु राम गोडसे
और
क्रोध मे आया तो
-परशुराम
ब्राह्मण केवल प्रपन्च रचता है अपनी बड़ाई अपने से करता है और हमेशा मानवता का विरोध करता है और मानवता के समर्थकोँ की निँदा करता है और जो ब्राह्मणोँ का स्वार्थ पूरा करतेँ हैँ उन्हे अवतार बताता है चाहे वह आदमी मुसलमान ही क्योँ न हो उसे अवतार घोषित करके अपने धर्म के अनुयाइयोँ की नीच शूद्र कहता है ।
भाई इतने कुतर्क कहा से ढूढे हो देश की रक्षा के लिए ही नही वरण विश्व निर्माण के लिए ब्राह्मणों ने जो किया उसको भी ज़रा साथ ही बता देते
अन्सारी जी आप जैसे लोग भारत के लोगो को गुमरह कर रहे है क्यो किसी जाति पर इस तरह विष भरी बात कर अपमानित कर रहे ब्राहम्णो के इतिहास को गलत तरह से पेश करके आप कुछ हासिल नही कर पायेगे सूरज पर थुकने से क्या होगा शर्म करो मत लडाओ लोगो को
तिवारी
ब्राह्मणो का इतिहास गलत तरीके से पेश नही किया गया ब्राह्मण गलत है ही और ब्राह्मण अपनी गलती स्वीकार नही करता ।
अर्चिता जेी, भोले भाले दलित और मुस्लिमो से नफ़रत नही करिए, लेकिन भोले भाले ब्रह्मणो से भी नफ़रत नही करना चाहिए. और धूर्त और शोषक ब्राह्मानो से भी लड़िए तो कट्टरपंथी मुस्लिमो से भी संघर्ष करिए.
देखिए ब्राह्माणवाद से विरोध, और ब्राह्मण विरोध मे अंतर है. हमे इंसानो की बजाय, समस्या के मूल मे स्थित विचारो से लड़ना चाहिए.
ब्राह्मण, दलित, क्षत्रिय, पठान, सैयद आदि नस्ले हैं, कौन किस नस्ल मे पैदा होगा, उसमे उस इंसान का कोई अख्तयार नही. किसी की जाति की वजह से उससे नफ़रत करना, उसके जन्म को दोषी मानना है. अब कोई बताए की अगर कोई ब्राह्मण, ब्राह्माणवाद का विरोधी हो तो भी वो रहेगा तो ब्राह्मण ही, फिर बताए की वो क्या करे?
ये बात सही है की ब्राह्माणवाद की जड़े हिंदू समाज मे है, और कई सदियो से जारी इस परंपरा की वजह से समाज मे विषमता भी आई है, समय के साथ मे इसमे सुधार भी हुए, लेकिन बहुत कदम चलना बाकी है, लेकिन इसके लिए समाज सुधार की ज़रूरत है, ना की पूरे समुदाय से नफ़रत करने की. इस प्रकार तो एक संघी और आप जैसे दलित उत्थान की बात करने वाले व्यक्ति मे क्या अंतर रहा.
एक वर्ग, मुस्लिमो और ईसाइयो से नफ़रत फैला रहा है, और आप ब्राह्मानो से?
क़्या सहि सही ज्ञान के लिये मुझसे चर्चा करेंगे .. आपके सब जवाब मेरे हे पास यहाँ लिखूंगा परन्तु वो आपके लिए काफी नहीं ……..
https://www.facebook.com/profile.php?id=100009406117802 यहाँ संपर्क करे … जरा भी ज्ञान लेने चाहते हो …
आप सभी लोगो को कुछ नहीं पता पहले अध्ययन करे फिर बात करे
लायंस हन्नान अंसारी साहब आप से ही बात चीत करना चाहूँगा बात कृपया अन्य हिन्दू,मुश्लिम, सिख,इशाई सभी भाइयों से महज इतना कहना चाहता हूँ अंसारी साहब की प्रत्येक पंक्ति को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रत्येक शब्द की गंभीरता को समझने का प्रयत्न करें
सर्व प्रथम अपने बारे में कहना उचित समझता हूँ मैं सनातन व् हिन्दू धर्म में जाति विश्वकर्मा लोहार (शूद्र) वर्ण से आता हूँ
–> मेरा पहला सवाल अपने हिन्दू भाइयों से आखिर आज २२सवीं सदी में आप को क्या नहीं मिल रहा है वर्ण कोई भी हो खास कर शूद्रों व् अछूत शूद्रों को?
–> आज आप को ब्राम्हण के बराबर बैठने का दर्जा देने वाला कोई ब्राम्हण ही था
खैर पहले क्या हुआ था वो तो गलत था और मैं अपनी जाती के बारे में कुछ कहना चाहता हूँ कि
भगवान विश्वकर्मा ने ब्रम्हाजी की उत्पत्ति करके उन्हे प्राणीमात्र का सृजन करने का वरदान दिया और उनके द्वारा 84 लाख योनियों को उत्पन्न किया। श्री विष्णु भगवान की उत्पत्ति कर उन्हे जगत में उत्पन्न सभी प्राणियों की रक्षा और भगण-पोषण का कार्य सौप दिया। प्रजा का ठीक सुचारु रुप से पालन और हुकुमत करने के लिये एक अत्यंत शक्तिशाली तिव्रगामी सुदर्शन चक्र प्रदान किया। बाद में संसार के प्रलय के लिये एक अत्यंत दयालु बाबा भोलेनाथ श्री शंकर भगवान की उत्पत्ति की। उन्हे डमरु, कमण्डल, त्रिशुल आदि प्रदान कर उनके ललाट पर प्रलयकारी तिसरा नेत्र भी प्रदान कर उन्हे प्रलय की शक्ति देकर शक्तिशाली बनाया। यथानुसार इनके साथ इनकी देवियां खजाने की अधिपति माँ लक्ष्मी, राग-रागिनी वाली वीणावादिनी माँ सरस्वती और माँ गौरी को देकर देंवों को सुशोभित किया।
Wikipedia पर सर्च करने पर मिल जाएगा
परंतु मैं भी शूद्र में आता हूँ मुझे इस बात का क्षोभ कम है
और इन्ही ब्राम्हणों ने शूद्र घोषित किया है
परंत अंशारी साहब मुझे सिर्फ ये बताइये आप के पेट में हलचल क्यों हो रही है हमारे सनातन धर्म के बारे में कहने चले आये आखिर आपने
शिया शुन्नी का झगड़ा निपटा लिया क्या जो ज्ञान देने गये ?
वो कौन सा धर्म है जिसमे धर्म का प्रणेता अदिष्ठता बनाने लिए आपस में खून बहाया
व कौन सा धर्म है जिसमे महिलाओं को कोई अधिकार नहीं
व काउन सा धर्म है जिसमे राजगद्दी के लिए पुत्र ने बाप को कैद किया
व कौन सा धर्म है जिसमे बहन से भाई शादी कर सकता है
छि पहले खुद को शुधारें महोदय बाद में दूसरों पर ऊँगली उठाने का कष्ट करें
अभी और बोलूंगा लूंगा तो बिलकुल कपडे तार तार हो जाएंगे आपके
हिन्दू भाइयों से निवेदन है कृपया इ पोस्ट को सिर्फ इतना ही रहने दें यहाँ प्रतिक्रिया देने से लाभ नहीं है
रजनीश साहब
खबर की खबर में आप का स्वागत है और आशा करता हु के आप के कमेंट और विचार हमें हमेशा मिलते रहे गए . इस पोर्टल पर आप अपने बेबाक राय भेजते रहे गए . आप के सुझाव का भी स्वागत है .
हान्सारी जी…भांग खा के लिखने बैठे थे क्या???आपको तो सामान्य ज्ञान भी नही है।इतनी कुण्ठा???क्यों खुद को बेइज्जत करवा रहे हो?फेम के लिए कुछ भी??कम से कम किताब तो पढ़ी होती।आपकी कलम एक मूर्ख के हाथ मे तलवार है बस।इतिहास के तथ्य के लिए मुझसे सम्पर्क कर सकते हैं।अपनी ये कोरी बकवास हटा लिजिए…वरना FIR करवान मुझे आती है।
ये लेख अंसारी साहब ने हिंदुओं मे फूट डालने और उन्हें नीचा दिखाने के लिए लिखा है । इन्हें सारी बुराईयाँ ब्राह्मन और हिंदु धर्म मे ही नजर आती है । ब्राम्हनो ने हिटलर को अवतार कहा और अंबेदकर जहर दिया जैसी अनर्गल बातो को सच की तरह प्रस्तुत कर रहे हैं । जरा ये बताए कि आज विश्व मे आतंकवाद भी कहीं ब्राह्मन ही तो नहीं फैला रहे ? मुहम्मद साहब के नाती को ब्राह्मनो ने मरवाया या उनके ही एक खलिफा ने ? दलितो के लिए इनहोने खुब चींता जताई लेकिन शिया, अहमदिया आदि समुदायो पे हो रहे जुल्म के बारे मे कुछ नहीं कहा । हिंदु समाज मे कम से कम एक दुसरे के पुजा स्थल कोई बम से नहीं उड़ा रहा।
मनस्मृति की सारी कमियाँ बता दी । अब जरा कुरान के सुरा 1:191, 1:193, 4:24, 8:12, 8:67, 9:5, 9:29 आदि की भी व्याख्या कर दिजीए । वेद मे “निरासंश” और “नृसंश” अब मुहम्मद साहब हो गए ! क्या व्याख्या है!
मुसलमानो मे क्या ऊँच नीच नहीं है ? एक शेख एक जुलाहे को अपनी बेटी देता है ? क्या बाल बिवाह, बहुविवाह, नारी शोषन, दास प्रथा जैसी कुरीति इस्लाम मे नहीं थी ? खुद मुहम्मद साहब के पास कई गुलाम थे ।
अंसारी साहब के हिसाब से मुस्लिम सुल्तान और बादशाह बड़े मासुम थे । हिंदुओं की लाशो का ढेर लगाकर “गाजी” की उपाधी किन लोगो ने ली थी ? हजारो औरतो की इज्जत किन लोगो ने लुटी थी ? मंदीरो को किन लोगो ने तोड़ा था ? जजीया किसने लगाया ? जरा इतिहास की किताबों को पलट के देखिए कि मुगलो ने क्या क्या जुल्म ढाए थे ।
सही कहा आपने इनके ज़ुल्म इतने थे की आपने इन मुगलों को अपने घर का दामाद बना लिया ? जमींदारी गठियाने की लालच मे घर की इजज़त भी इनको सुपुर्द कर दी वाह रे लाशों के ढेर …………………. ॥
Anshari bhaiya ye ghatya publicity pane ki kosis sahi nhi h
Sudhar ja nhi Bhart Desk chodna pedga tujhe
Or Mujhe address btao tumhara agr tujhme himmat h to
मुस्लमान खुद छुआछूत का शिकार है ! क्या हन्नान साहब सऊदी के शेख से अपने घर के किसी मेमबर का शादी कर सकते है क्या….? जबाब आएगा नहीं क्युकी सऊदी के मुसलमान एशिया के किसी भी मुस्लमान को मुस्लमान नहीं मानता है ! वो कहता है की तुम लोग काफिर हो ! उसी तरह पाकिस्तान के मुस्लमान भारतीय मुसलमानो को मुहाजिर बोलते है ! छुआछूत और भेदभाव मुसलमानो में भी है ! आप शिया, सुन्नी ,वरेल्वी ,देवबंदी सभी एक दूसरे को अपने मस्जिद में नमाज अदा करने नहीं देते है ! आप लोगो में वोरा मुसलमानो को तो मुसलमानो का दर्ज ही नही देते !
मैं हिन्दू हूँ , मैं ब्राह्मणो से नफरत करता हूँ. जब तक ठाकुर, वैस्या ,शूद्र हिन्दू ब्राह्मणो की बात मानते रहेंगे तब तक हिन्दुओ को गुलामी करनी पड़ेगी, सैकड़ो वर्षो से हिन्दू ब्राह्मणो की बात मान रहे है ,इसलिए हिन्दुओ को गुलामी करनी पड़ रही है, जब किसी मुस्लमान को कोई हिन्दू मारता है , तब पूरी मुस्लिम कॉम उस मुसलमान को बचाने के लिए आती है , क्यों की इमामो ने मुस्लिमो को एकता के बंधन में बांध रखा है , लेकिन जब कोई मुस्लमान हिन्दू को मारता है तब कोई भी हिन्दू उस हिन्दू को बचने नहीं आता , क्यूंकि ब्राह्मणो ने हिन्दुओ को जाती के नाम पर बांट कर रखा हुआ है , देश के किसी भी हिन्दू को अपने हिन्दू होने पर गर्व नहीं है बल्कि अपने ब्राह्मण ,ठाकुर, शूद्र, वैश्य होने पर गर्व है, जब तक हिन्दू एक दूसरे की जाती से नफरत करते रहेंगे , तब तक हिन्दू हिन्दुओ के देश में ही मुसलमानो से मार खाते रहेंगे ,मेरे सामने मुंबई के एक हिन्दू इलाके में कुछ मुसलमानो के एक ब्राह्मण को मारा तो कोई भी हिन्दू उस ब्राह्मण को बचने नहीं आया , मानलो की ब्राह्मणो ने अन्य हिन्दुओ की जाती से भेदभाव नहीं करते अर्थात ब्राह्मणो के इमामो की तरह हिदुओ को एकता के बंधन में बांधा होता, तो उस ब्राह्मण को बचने के लिए सारे हिन्दू आते ,
ठाकुर, वैस्या ,शूद्र हिन्दू पर रोब ज़माने वाले को ब्राह्मण कहते है
, और मुसलमानो से मार खाने वाले को ब्राह्मण कहते है , जब तक ब्राह्मण हिन्दुओ के बची नफरत पड़ा कर हिन्दुओ को बाटते रहेंगे तब तक ब्राह्मण हिन्दुओ से मार रहेंगे , ब्राह्मण ये सोचते है की उन्होंने शुद्रो को डरा दिया तो पूरी दुनिया जीत ली , यह बाह्मणो की गलत फहमी है , अगर खुद को भगवान समझने वाले ब्राह्मणो की गाड़ में दम तो ब्राह्मण मुसलमानो से लड़कर बताये ,
Comment निसंदेह जाति व्यवस्था हिन्दू समाज पर कलंक समान है इस व्यवस्था ने समाज का जितना अहित किया अन्य किसी ने नही किया होगा परन्तु अंसारी महोदय का लेख किसी व्यवस्था विरोधी नही बल्कि ब्राह्मणों को नीच साबित करने का कुत्सित प्रयास मात्र है ..इस गलत परम्परा के लिए क्या मात्र ब्राह्मण दोषी हैं ? ब्राह्मणों को गाली देकर उन्हें खलनायक सिद्ध करके अंसारी महोदय क्या हित साधना चाहते हैं यह एक विचारणीय प्रश्न है
यही नही अंसारी जी ने जो बातें अपने लेख में लिखी हैं वो तथ्यों से कोसों दूर हैं .. अपनी बातों को सही साबित करने के लिए जिन घटनाओं का सन्दर्भ दिया गया है उन्हें भी अपनी सुविधानुसार तोडा मरोड़ा गया है
भारत का जो हिंदू है ना , उसे या तो मालूम ही नहीं है कि वह बीमार है, या फिर वह स्वस्थ होने का नाटक कर रहा है और किसी भी हालत में वह यह मानने को तैयार नहीं है कि वह सच्च मे बीमार है.। जब कि चिंता यह है कि वह बीमार आदमी समाज के दूसरे लोगों के लिए खतरा बना हुआ है. संघ उसी बीमार आदमी का प्रतिनिधि संगठन होने का दावा करता है.। वैसे यह बीमार आदमी कहीं भी हो सकता है.कांग्रेस से लेकर समाजवादी और वामपंथी कम्युनिस्ट तक उसके कई रूप हो सकते हैं. लेकिन वह जहां भी है, बीमार है और बाकियों के लिए दुख का कारण है। .
बीमार न होने का बहाना करता हुआ हिंदू कहता है कि वह जात-पात नहीं मानता.लेकिन सामाजिक नजर में ऐसा कहना नाकाफी है । हम इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं कि भारत में कभी क्रांति क्यों नहीं हुई.। तो इसका निष्कर्ष यह निकला कि कोई भी आदमी आर्थिक बराबरी लाने की क्रांति में तब तक शामिल नहीं होगा, जब तक उसे यकीन न हो जाए कि क्रांति के बाद उसके साथ बराबरी का व्यवहार और जाति के आधार पर उसके साथ भेदभाव नहीं होगा.। इस भेदभाव के रहते भारत के गरीब कभी एकजुट नहीं हो सकते.॥
ब्राह्मण एक जाति है, नस्ल है, जिसे व्यक्ति खुद नही चुनता, जबकि ब्राह्माणवाद एक जातिगत श्रेष्ठता पे टिकी सामाजिक और राजनैतिक व्यवस्था.
पूरे विश्व मे, पहली लोकतांत्रिक कम्युनिस्ट सरकार, केरल मे नम्बूदरीपाद के नेतृत्व मे बनी, जो नस्लीय तौर पे ब्राह्मण थे, लेकिन ब्राह्माणवाद के कट्टर विरोधी थे. इसी प्रकार पश्चिम बंगाल के कम्युनिस्ट आंदोलन मे अनेक ब्राह्मणों ने हिस्सा लिया, बल्कि आंदोलन को खड़ा करने मे उनकी मुख्य भूमिका थी. हन्नान साहब, ये कैसे कह रहे हैं कि इस देश मे क्रांति क्यूँ नही हुई, इतिहास के ये तमाम पड़ाव, क्रांति का ही हिस्सा रहे हैं, इन क्रांतियो मे कितने लोगो ने अपनी जाने दी, और वो किस जातीय पृष्ठभूमि से आए थे, इस्पे भी गौर करें.
इसी प्रकार, भारत मे समाजवाद के बड़े नामो मे “राम मनोहर लोहिया” का नाम आता है, जिन्होने आदर्श समाज के लिए कहा था कि इसमे रोटी और बेटी के रिश्ते मे लोग जाति नही देखेंगे. उनकी जातीय पृष्ठभूमि, सवर्ण थी, वो संपन्न वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखते थे.
पश्चिम बंगाल के तमाम बड़े कम्युनिस्ट नेताओ की आर्थिक स्थिति का पता करना साहब, वो मोहम्मद सलीम हो या ब्राह्मण नस्ल के बुद्धदेव भट्टाचार्य, एक आम इंसान जितनी ही मिल्कियत ही रखते हैं.
उसके उलट, धर्म और संस्कृति की महानता का राग अलापने वाले हिंदू और या तथाकथित इस्लाम के आलिम, दौलत-मंद बने बैठे हैं.
शोषण की बाते तो हन्नान साहब, ऐसा है कि मुगलो के दौर मे भी सवर्ण हिंदुओं का राजपाट मे अहम रोल था, राजपूतो ने अनेक संधियाँ करी थी. रनिवास और हरम मे अययाशियाँ थी, लेकिन आम ग़रीब मुसलमान की हैसियत भी, ग़रीब हिंदुओं जैसी ही थी.
मैं आपसे फिर आग्रह करूँगा कि दूसरे के घरो को दुरुस्त करने की सलाह, हम अवश्य दें, लेकिन अपने घर पे ध्यान देना ना भूले, आज हमको अपने घर की हालत ठीक करने और समस्या के कारणों की पड़ताल करने की भी बहुत ज़रूरत है.
जनाब बहुत ही प्रचलित कहावत है की खराब मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है ? बाकी आप खुद समझदार हैं ॥
मादरचोद साले तुम्हारी मैया चोद रहे थे ब्राह्मण उस समय अपनी मैया से पूछ मदरचोद
कुल कटुआ हैन बभनन के चोदा इतिहास पढ़ के आऊ तोहरी माँ की चूत में
भोसड़ी के मादरचोद तुम्हारी मैया ऐसी चोदेंगे की उनकी बुर का भोसड़ा बन जायेगा मादर चोद
वाह अफजाल भाई वाह !! भारत की बहुत ऊंची ऊंची विभूतियाँ यहाँ सुशोभित हो रही हैं ?
अफ़ज़ल साहब, कुछ लोगो की फोरम से सफाई से फ़ायदा ही होगा.
हर संगठित धर्म मानवता के लिये खतरा है| आर्य द्रविड़ थ्यौरी डीएनए प्रमाण, ऐतिहासिक, नृविज्ञानशास्त्र आदि से प्रमाणित है| जाति व्यवस्था का निर्माण ही फूट डालो राज करो की नीति का हिस्सा था| हिंदू नाम का कभी कोई धर्म नहीं था, वैदिक आर्यों ने अपने फायदे और अपने कुकर्मों को छुपाने के लिये छद्म हिंदू धर्म का निर्माण कर लिया जिसकी आड़ में वह आज भी तथाकथित ८५% शूद्रों दलितों पर राज कर रहे हैं| उनकी वजह से ही देश नें करोड़ों दलितों शूद्रों ने इस्लाम मजबूरीवश या स्वेच्छा से अपनाया हालांकि ऐसे अधिकतर मुसलमान आज भी दोयम दर्जे के जीवन को जीने के लिये मजबूर हैं| देश के ८०-९०% मुसलमान पहले के दलित या शूद्र ही हैं और ५% मुसलमान जो तथाकथित शेख पठान या उच्च कुलीन मुसलमान हैं वह इन आर्यों से ही कन्वर्ट हुए हैं अपने फायदे के लिये ऐर वह आज भी ऐशो आराम की जिंदगी जी रहे हैं, वैदिक आर्य यानि तथाकथित सवर्णों के रोटी बेटी के संबंध भी उन कुलीन मुसलमानों के साथ आसानी से हो रहे हैं न माने तो हिंदू सेलेब्रिटी की मुसलमानों में विवाह गूगल कर लें| पसमंदा मुसलमान और दलित शूद्रों का लीनिएज एक ही है और यह आबादी का ९०% से ज्यादा हैं फिर भी धर्मों के नाम पर गुलाम हैं| हर दंगों में मारने और मरने वाले अधिकांश लोग इन्हीं वर्गों से आते हैं और यह लोग ही “अल्लाहू अकबर” और “जयश्रीराम” करने में सबसे आगे होते हैं| पता नहीं कब समझेंगे कि धर्म शोषण का आधार तैयार करता है| जरूरत है ब्राह्मणवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकने की जहां हर इंसान बराबर हो…
सुन अंसारी तू हिन्दू को हिन्दू से लड़ाने के लिए बेकार में मुर्दे उखाड़ रहा है| तू ये जो ज्ञान हम हिन्दुओ को और ब्राह्मणों को दे रहा है ये अपने इराक, सीरिया, अफगानिस्तान में रहने वाले मुसलमान भाइयो को दो तो ज्यादा अच्छा रहेगा जो सुन्नी आतंकी सीरिया और इराक में शिया और यहूदियो को मार कर अल्लाह ओ अकबर के नारे लगते हे| आज उन कुत्तो की वजह से इस्लाम आतंक का दूसरा नाम गया है| आज उन कुत्तो से सिर्फ भारत पूरा विश्व परेशान है| कुछ ब्राह्मणों की गलतियों की वजह से पुरे ब्राह्मणों को गाली नही दे सकता|
sir aapki batein interesting hai
i am impress but lekin mujhe aisa lagta hai ki aap ek vichar dhara mein bah bhi gaye hai
Muhammad bin qasim ki kayi story hai par aap wali to gajab hai
raja dahir ne Muhammad bin qasim invite kiya …..wah wah ansari ji kaya baat kar di aapne
(muslim version) (hindu version) aapki baat diniya se aalag
kalpana se bhi story banate hai sahi hai
fantasy ko history na kahiye …………..
आरे मियन तुम साले मदर्चोद कि औलद हिन्दु हि हो जो मियन बनके हिन्दुओन और ब्रह्मनोन को गलि दे रहे हो अरे सुअर खन सुरु करो और हिन्दु मेन तुम्हर स्वगत है
यह हिन्दू समाज को तोड़ने की साजिश हो रही है लेकिन ये संभव नहीं है जय हिन्द !
ईधर जयचन्द हुये तो क्या?? मीरजाफ़र तो आपके यहा भी भरे पडे है
हिन्दू समाज तो 6000 जतियों मेँ बंटा है और सब के सब एकदूसरे की टांग ही नहीं खीन्च्ते बल्कि एक दूसरे के खून के प्यासे हैं । रही बात तोड़ने की तो जुटा ही कब था ? क्या कोई ब्राहमन हिन्दू जाती यानि दलित या शूद्र के घर अपनी बेटी का विवाह करता है ? यह अलग बात है की वो ब्राहमन की लड़की लोवेरिया से पीड़ित हो कर शूद्र के साथ भाग जाए ।
http://www.newageislam.com/hindi-section/tales-of-arabs–racial-supremacy-%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A0%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%81/d/97746
ऊच नीच की बात हो तो इस लेख पर भी गौर फरमाये हन्नान साहब
आप ने जो लिन्क दिया है और जो वहान कि वास्तविक्ता है , का कोइ मेल नहि है उमाकान्त जेी ..
लेख एक पाकिस्तानी का है जो खुद उसके साथ घटित हुयी थी अब आप ही सही है ये कैसे मान लिया जाये????
Are ghatya pan ki bhi haad hot h.
Bas m mein kya kahna chahta Hu tu samjh
Boos. …..i ke
कुछ मीर जाफर के बारे में भी लिख दीजिये कि किस प्रकार मुसलमान की गद्दारी की वजह से भारत अंग्रेजों का गुलाम हुआ। कृपया कारण बता दीजिये कि क्यों आज भी भारतीय सेना में मुसलमानों को उच्च पद पर नहीं रखा जाता। इसलिए अगर चयनित होकर बात करोगे तो और बातों के भी जवाब दो।
—
ब्राह्मणो का योगदान –
भारत के क्रान्तिकारियो मे 90% क्रान्तिकारी ब्राह्मण थे जरा देखो कुछ मशहूर ब्राह्मण क्रान्तिकारियो के नाम
ब्राह्मण स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी
(१) चंद्रशेखर आजाद
(२) सुखदेव
(३) विनायक दामोदर सावरकर( वीर सावरकर )
(४) बाल गंगाधर तिलक
(५) लाल बहाद्दुर शास्त्री
(६) रानी लक्ष्मी बाई
(७) डा. राजेन्द्र प्रसाद
(८) पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल
(९) मंगल पान्डेय
(१०) लाला लाजपत राय
(११) देशबन्धु डा. राजीव दीक्षित
(१२) नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
(१३) शिवराम राजगुरु
(१४) विनोबा भावे
(१५) गोपाल कृष्ण गोखले
(१६) कर्नल लक्ष्मी सह्गल ( आजाद हिंद फ़ौज
की पहली महिला )
(१७) पण्डित मदन मोहन मालवीय
(१८) डा. शंकर दयाल शर्मा
(१९) रवि शंकर व्यास
(२०) मोहनलाल पंड्या
(२१) महादेव गोविंद रानाडे
(२२) तात्या टोपे
(२३) खुदीराम बोस
(२४) बाल गंगाधर तिलक
(२५) चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
(२६) बिपिन चंद्र पाल
(२७) नर हरि पारीख
(२८) हरगोविन्द पंत
(२९) गोविन्द बल्लभ पंत
(३०) बदरी दत्त पाण्डे
(३१) प्रेम बल्लभ पाण्डे
(३२) भोलादत पाण्डे
(३३) लक्ष्मीदत्त शास्त्री
(३४) मोरारजी देसाई
(३५) महावीर त्यागी
(३६) बाबा राघव दास
(३७) स्वामी सहजानन्द
jaha tk mera khyal hai tm apne bare me socho muslim hone ke purv tm kisi aur dharm ke upasak the aur mn se agar islam kubul kiya tha to apne mool dharm ke tm gaddar ho aur darkr kiya tha to kayar the aur aaj updeshk ho gaye ho. sahab milavat me badi takat hai apne mool ka na ho sake gair ke baap ke paav pakad kar badi vidvta aa gai. ab agar baat hi krni hai to apne dhrm me jhako jisme tamam log alag alag ibadatgah me jate ho kuch log to tm me aise hai jo dafnaye huye ko mante hai allah ko nahi aur ye to tmko virasat me mili hai ki apni chor dusro ki kami dekhoge jaha pr rahte ho vahi pr ladte rahte ho. sahi to ye hai ki tmse pura vishv paresan hai. tm achhe ho to proof kyu dete rahte ho chilla kar
bevkuf aur baddimak insan
aise lekh se kitne rupye ka benifit mil jata hai tujhe
Apni aankh men tinka bhi nazar nahi aata dusaron ki aankh men shahtir bhi nazar as jata h yah baat Ansari PR sateeक bathti h jab Rahab Dutत Mohiyal Imam Husain ki madaद me Karbla gaye the to vanha Anssri naam ki chiriya bhi nahi thi Ansari negativity se labalab v adhkacbara h Bharat ki azaadi men kitne Ansarion me kuर्baania do mujhe koi vidvan bataye muslmano men ७२ sects kanhna we aaye
Sirf Ek question agar apne sach me Indian history padi h Sare inventions Kisne kiye India me us time PR or Bharat ko us time PR vishwa guru Kisne banaya….. for eg Pata ho to ….who inveted ० …who invented ३००० kolind of surgeries even when the other countries of
world Evan not abled to make difference BTW their food n shit
Plz donot waste ur time n our Sirf do tarah k log hote h world me achhe or bure or wo apko har Desh har jati har religion me mil jaenge stop dividing people on this basis
दुसरों की बुराई करने से पहले एक बार अपनी तरफ भी देख लेना चाहिए । इन्हें ब्राम्हणों और हिंदु समाज मे केवल बुराईयाँ ही नजर आती है उनके अच्छे काम, उनका योगदान, उनकी उदारता, उनका त्याग नजर नहीं आती है।
सुना है एक फरिश्ता आसमानी किताब ले आया था, लेकिन उसे कोई पढा लिखा बँदा नही मिला,एक अनपढ,जाहिल को किताब दे गया, लेकिन वो कथित आसमानी किताब यहूदियो,ईसाईयो,हिन्दुओ,जैनियो,बौद्ओ,पारसियो इत्यादि को मुसलमान नही बना सकी,और तो और जिसे वो किताब मिली उसका चाचा भी उस किताब पर कभी ईमान नही लाया,क्या आसमानी किताब ऐसी होती है,जिसे बकरी खा जाती है,जबकि उसकी हिफाजत का जिम्मा कथित दो जँहा के मालिक ने लिया है,लेकिन एक बकरी से भी उस किताब की हिफाजत नही कर पाया, कुछ आया समझ मे।
Hamare liye to ek hi krantikari he baba bhim inke yogdan ke bina hamare liye ye azadi koi mayne ni lgti he kyoki hame to fir bhi azadi ni milti
मित्रो
इस पुरे पोस्ट में मुसलमान ही है जो हिन्दुओ को आपस में लड़ाने इस प्रकार का पोस्ट मन से बनाकर सोशल मीडिया में डालते है और हिन्दुओ में फूट पैदा करने का काम करते है।आज कल देश में ये काफी चल रहा है।फ्रंट में आदिवासी भाई या दलित वर्ग का कोई बंधू होता है और उनको फंडिंग सहित सब कुछ ये मुस्लिम ही देते है ताकि हिन्दुओ को संघटित न होने दे।
ऐसे तत्वों के खिलाफ fir दर्ज करावे ,समाज को सच्चाई बतावे, कुछ हिन्दू नामो से id भी ये मुसलमान ही चला रहे है
ये सुनियोजित ष ड्यंत्र है
बाकि इनको जवाब देने के लिए एक तारिक फतेह की काफी है जो रोज zee news में बैठकर इस्लाम की सच्चाई दुनिया के सामने ला रहा है
Bhai Rathee tu thik bol raha h
चुतिये आदमि कअ फर्झेी लेख !! ये सिर्फ मुसल्मनो के कुकर्मो पे पर्द दल्ल्ने कि सझिश है !!! सरे मुस्स्लिम देश जब कुत्ते कि मुत मारे ज रहे है ! लोग बोम्ब से मरे ज रहे हैन् तो ब्रह्मिन के शन्ति देश मे –लोगो को ब्रह्मिन हि दोशि लग रह है !!! ईरन से आफ्गनिस्तन से कश्मिर से ब्रह्मिन को भग दिय गय; क्य अब्ब भरत से भि भग जये कि तुम यह शरिय लगवो, और लोग अनप्नि बहन से शदि करे, और तुम हलआला करो !!! आभि अमेर्रिकआ, से एन्ग्लन्द से, औरस्त्रलिअ से , और मयन्मर से, चिन से मुसल्मनो को भगय ज रह है !!!! क़श्मिर् केरल आसम अलग होने कि मन्ग कर रहे है !!!! सो मुसल्मन अब्ब देश्भक्त कब नबन गय; सब गलत और फर्झि बात लिखि है, इस्स्क कोई इतिहस मे जिक्र नहि, दुस्स्रि बात मुसल्मन द्वर लिखि गयि -इस्लिये – आएसिस और आस्सायि क अगेन्त है !
iran ke parsi logon ko kisne khatam kiya. unka jabaran dharma parivartan kisne kiya sir ji ..
Abbas Pathan
21 hrs ·
पेरियारवादियों ने “सुवर को जनेऊ” पहनाने का प्रयास किया। ये सब उन्होंने ब्राह्मणवाद का विरोध करने के लिए किया।
सबसे पहले तो विरोध के इस कुंठित तरीके की मैं कड़े शब्दों में भत्सर्ना करता हूँ और दूसरी बात गौर करने की ये है कि ब्राह्मणो ने इस घटनाक्रम का जरा भी विरोध नही किया..कोई भी डिफ़ेंड करने नही पहुँचा इसलिए किसी को पता ही नही चला की सुवर के गले में जनेऊ पहनाकर ब्राह्मणो को अपमानित किया गया है। हमेशा की तरह पेरियारवादियो का विरोध उनतक ही सिमटकर रह गया।
अब सोचिये यही कोई सुवर को टोपी पहनाकर मुल्लावाद का विरोध कर देता या सुवर के गले में लाल या नीला पट्टा डालकर अम्बेडकरवाद अथवा वामपंथ का विरोध कर देता तो??? अब तक तो हंगामा बरपा हो जाता, टीवी चैनलो की चांदी हो गयी होती.. सारे मौलवी और मुस्लिम अथवा दलित बुद्धीजीवी स्टूडियो में बैठकर शोर मचा रहे होते, सोशल मिडीया पे ट्रेंड चल गये होते और मानवधिकार वालो के कान खड़े कर देते सब मिलकर.. चारो तरफ अशांति ही अशांति बरपा होती, आपको अपना अस्तित्व खतरे में नजर आने लगता। कुछ तो ऐसा मुंह बनाते मानो सुवर का बाल हलक में चिपक गया हो। डिफ़ेंड का वो स्तर होता की सबको पता चल जाता की जनाब की तुलना सुवर से हुई है। सामने वाला रातों रात भावी नेता हो जाता और तुम शोर मचाते रह जाते।
लेकीन देखिये 100 साल से अधिक पुराने इस ब्राह्मण विरोधी मूवमेंट को अधिकांश लोग जानते ही नही, क्योकि ब्राह्मणो ने कभी गरमा गरम प्रतिक्रिया नही दी और ना ही कभी आपा खोया। ब्राह्मणो ने कभी भी पेरियारवादियो को नेता नही बनने दिया। यदि ब्राह्मण प्रतिक्रिया देते तो आज सलमान रुश्दी की तरह कोई पेरियारवादी भी ऑक्सफ़ोर्ड युनिवेर्सिटी में लेक्चर दे रहा होता, कोई स्थानीय पत्रिका “चार्ली हेब्दो” भी विश्वभर में प्रसिद्ध हो गयी होती।
सलमान रुश्दी की लेखनी में कोई बहुत गहरी बातें नही होती, आप दो पेज पढ़कर सो जाएंगे.. चार्ली हेब्दो की 2000 प्रतिया नही बिकती थी आज लाखो प्रतियां छपने से पहले एडवांस बुकिंग हो जाती है। दरअसल विवाद बिकते है और उन्हें मुर्ख खरीदकर घर लाते है।
एक बार फिर साबित हो गया कि ब्राह्मण मुर्ख नही है, वे दूरदर्शी है.. सीखिए कुछ ब्राह्मणो से।Abbas Pathan
नरेश शर्मा i
3 hrs ·
साभार – डॉ. शारिक़ अहमद ख़ान की वाल से, भाषा फ़ारसी है, पढ़िए और ब्राह्मण होने पर फक्र महसूस करिये
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जब सिकंदर ने हिंदोस्तान पर हमला किया तो उसने ब्राह्मणों के बारे में सुना कि यह पवित्र और ज्ञानी लोगों का ऐसा गिरोह है जिसने अपने दिल से दुनियावी ख़्वाहिशों और डर को निकाल दिया है.. जब कोई ब्राह्मण सिकंदर से मिलने नहीं आया तो सिकंदर नाराज़ हो गया और ब्राह्मणों के शहर पर अपना लश्कर लेकर हमला करने के लिए निकल पड़ा.. ब्राह्मणों को जब पता चला तो वो जाकर सिकंदर से रास्ते में ही मिले.. ब्राह्मणों ने सिकंदर से कहा कि दुनिया के बादशाह हम लोग फ़क़ीर लोग हैं.. हम लोग दर्शन के अध्ययन और उपार्जन में लगे रहते हैं.. हमारे पास न आपसे सुलह के लिए वक़्त है न लड़ने के लिए ताक़त.. हमारे पास इल्म की दौलत के अलावा दूसरी कोई दौलत नहीं है.. इस दौलत के लिए तो हमसे लड़ना नहीं चाहिए.. सिकंदर ने ये सुना तो शर्मिंदा हुआ और अपना लश्कर छोड़कर पैदल ब्राह्मणों के साथ उनके शहर की तरफ़ चल पड़ा.. वहाँ जाकर सिकंदर ने देखा कि ये पूरा गिरोह ही पढ़ने -लिखने में लगा हुआ है.. गुफ़ाओं में रहता है और पत्तों से अपने बदन को ढके हुए है.. सिकंदर ने उन लोगों से मुसलसल कई दिनों तक बात की और ज्ञान प्राप्त किया..सिकंदर बहुत ख़ुश हुआ.. सिकंदर ने कहा कि आप लोग मुझसे दुनिया की कोई चीज़ भी मांग सकते हैं.. ब्राह्मणों ने कहा कि शाश्वत और अनंत जीवन दे दीजिए..ये सुन सिकंदर ने जवाब दिया कि यह मेरी ताकत के बाहर है.. मेरा हुक़्मनामा इस लफ़्ज़ ‘ शाश्वत जीवन ‘ से ख़ाली है.. अब ब्राह्मणों ने कहा कि सिकंदर जब तुम ये रहस्य जानते हो तो क्यों लालच में पड़े हो.. कब तक ज़मीन के लिए हमलावर बनकर ख़ून बहाते रहोगे..मान लो कि पूरी दुनिया तुम्हारे कदमों में हो और तुम्हारे हुक्म की ग़ुलाम हो तो भी तुम्हें क्या मिलने वाला है.. आख़िर में हर एक इंसान को ये दुनिया छोड़नी ही पड़ेगी और अपने दिल में शाश्वत दुख का बीज बोना पड़ेगा…
सिकंदर और ब्राह्मणों को बीच जो गुफ़्तगू हुई उसे फारसी शायर, इतिहासकार, दार्शनिक और सूफ़ी ‘ जामी ‘ ने कलमबंद किया है..
” सिकंदर चो बरहिन्द लश्कर कशीद..
खिरद मंदिर बरहमाना शुनीद..
गरोहे ख़ुदादानी हिकमत शिनास..
बुरीदा जि गीती उमीदो हिरास..
नआमद अजेशाँ कसे सूए ऊ..
ज़ि तकसीरे शाँ गर्म शुद खूए ऊ…
बर अंगेख़्त लश्कर पये कहरे शाँ..
शताबाँ रुख़ आबुर्द दर शहरे शाँ..
चो जाँ बरहमना ख़बर याफ़तन्द..
ब तदबीर आँ कार बश्ताफ़्तंद…
रसीदन्द पेशश दर अस्नाए राह..
बअज़र्श रसादन्द के पादशाह..
गरोहे फ़क़ीरेम हिकमत पयोह..
चि ताबीं रूख़े मरहमत ज़ी गरोह..
न मारा सरे सुल्ह ने ताबे जंग..
दरीं कार बिह गर नुमाई दिरंग..
न दारेम जुज़ गंजे हिकमत मताँ..
कि शायद ज़ि कस बर सरे आँ निज़ा..
अगर गंज़े हिकमत हमीं वायदत….
बजज़ कुंजकावी नमी शायदत…
बुबद कारशे गंज ताअतवरी ….
न किश्वर कुशाई ओ ग़ारतगरी..
सिकंदर चो बिशुनीद ईं अर्ग़ेहाल..
ज़ि लश्कर कशीदन कशीद इनफ़आल..
व आँ चन्द तन राहे जाँ बरगरिफ़्त….
दिल अज़ मुल्क़ोमालो जहाँ बरगरिफ़्त…
पस अज़ कतए हामूँ व कोहे रसीद…
दर ऊ कंदा हर सू बसे ग़ार दीद…
गरोहे निशस्ता दराँ ग़ारहा….
फ़िरो शुस्ता दस्त हमाँ कारहा…
रिदा ओ अज़ार अज़ गिया बाफ़्ता..
अमामा व फ़र्क़ अज़ गिया ताफ़्ता…
कुशादंद बाहम ज़ुबाने ख़िताब…
बसे शुद ज़िहर सू सवालो जवाब..
बसा रम्ज़े हिकमत कि परदाख़तन्द..
बसा सिर्रे मुश्किल कि हल साख़्तन्द…
चो आमद बसर मजलिसे गुफ़्तगू…
सिकंदर बराँ हाज़रां कर्द रू…
कि हर च अज़ जहाँ एहतयाज़े शुमास्त..
बिखादेह अज़ मन कि यकसर खास्त…
ब गुफ़्तंद माराँ दरीं ख़ाकदाँ…
न बायद बजुज़ हस्तिए जाविदाँ…
ब गुफ़्ता कि ईं नीस्त मकदूर मन..
बज़ीं हर्फ़ ख़ालीस्त मनशूरे मन…
बगुफ़्तंद यूँ दानी ई राज़ रा…
यरा बन्दाई शहवतो आज़ रा…
पये मुल्क़ ता चंद खूँ रेखतन..
बहर किशवरे लश्कर अंगेख़्तन..
गरिफ़्तम कि गीती हमा आने तुस्त..
जहाँ सर बसर ज़ेरे फ़रमाने तुस्त…
चि हासिल चो भी वायद आख़िर गुज़ास्त..
ब दिल तुख़्मे अन्दोह जावेद काश्त…
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डॉ. शारिक़ अहमद ख़ान
2 hrs ·
मुसलमानों के यहाँ से रवायतें ख़त्म हो रही हैं..पहले मुसलमान ख़ुद रंग खेलते थे.आज के दौर में होली के रंग की छींट पड़ जाने से कई बार दंगे तक हो चुके हैं.हमारे आज़मगढ़ के गांवों के मुसलमान किसानों का एक त्योहार होता था ‘ ऊख बुवाई ‘ मतलब खेतों में गन्ना बोने का त्योहार..शारिक़ ने बचपन में ख़ुद ये त्योहार देखा है. गन्ने की खेती अकेले हो नहीं सकती लिहाज़ा भोर में फ़जर की नमाज़ पढ़ने के बाद लोग उसके खेत में जाते जिसके खेत में गन्ने की बुवाई की पारी होती.भीगे हुए गन्ने आते, लोग बैठकर टुकड़े काटते,अपने हल बैल ले जाते, ऊख बुवाई होती.सुबह नाश्ते में शर्बत -चना बंटता.सूरज चढ़े चाश्त की नमाज़ के वक़्त ऊख भोज होता जिसमें खेत में ही कंडे और लकड़ी पर हल्का और सादा नाश्ता बनता.जैसे चने का नमूना.दाल की पूड़ी.सोहाली.भऊरी -चोखा.लोग खाते -पीते और हंसी मज़ाक़ करते.काम मज़दूर भी करते तो ऊख भोज में गांव बुलाया जाता.दोपहर को जिसके खेत में बुवाई हो रही है वो अपने घर खाना बनवाता था.देगें चढ़तीं.बकरे कटते.आबी नान का तंदूर दहकता.जैसे ही खेत बुवाई वाले लोग दरवाज़े पर आते तो बाल्टियों में पानी और रंग घोलकर तैयार रहता.एक दूसरे पर फेंकते.फाग गाया जाता.गन्ना बोने की मतलब ऊख बुवाई की ख़ुशी मनती…हुक्का जगता.आज आज़मगढ़ के मुसलमानों में इस तरह से रंग खेलना मुमकिन ही नहीं है.सोचा भी नहीं जा सकता.लेकिन मैंने अपनी आंखों से ये देखा है.जब तक मेरे दादा जी जीवित रहे, हमारे यहाँ ऊख बुवाई की धूम होती रही.जबकि और जगहों पर पहले ही बंद हो गई थी लेकिन दादा ने रवायत कायम रखी थी.अफ़सोस कि हम उस रवायत को बरकरार नहीं रख पा रहे हैं.हम चाहें और सिर नीचे और पैर ऊपर कर पूरा ज़ोर भी लगा दें तो कोई मुसलमान अब मेरे साथ रंग खेलने को लिए और फाग गाने के लिए तैयार नहीं होगा.अलबत्ता हम टाट बाहर ज़रूर हो जाएंगे.दरअसल ये ऊख बुवाई वाली बात सन् 1992 के पहले की है .92 में जब बाबरी मस्जिद गिरी तो हिंदोस्तानी समाज दो फाड़ हो गया.सदियों की पुख़्ता दीवारें दरक गईं.हिंदू कट्टर हो गया तो मुसलमान भी कट्टर हो गया.रंग खेलना और फाग गाना ग़ैर इस्लामी करार दे दिया गया.अब ये दूरी बजाय घटने के और बढ़ती जा रही है.इसके ज़िम्मेदार हम सब हैं.मैं भी, आप भी और पूरा हिंदोस्तानी समाज.हिंदू-मुस्लिम सब.कोई बरी नहीं है.. आज़मगढ़ के जिन मुसलमानों ने 1937 में मुस्लिम लीग को आज़मगढ़ से बुरी तरह हराकर सबक सिखा दिया था वो 1992 के बाद इस्लामी पहचान को मज़बूत कर रहा है..चुनावों में एकतरफ़ा वोटिंग कर अपने मुसलमान उम्मीदवार को जिताने के लिए ताकत झोंक देता है. ज़्यादातर कामयाब भी रहता है.मुसलमान हिंदोस्तानी रवायतों को छोड़ रहा है और ख़ालिस इस्लामी रवायतों को अपना रहा है.इसका अंजाम एक दिन पूरा हिंदोस्तानी समाज भुगतेगा.क्या हिंदू क्या मुसलमान दोनों भुगतेंगे.वजह कि दोनों कट्टरता फैलाने के लिए बराबर के दोषी हैं…ख़ैर.
जब गर्मी के मौसम में पानी नहीं बरसता तो आज़मगढ़ के मुसलमानों के गांवों के मुसलमान बच्चे गांव-गांव सबके दरवाज़े जाते और ज़मीन में लोट लगाते हुए गाते कि
“काल कलौती उज्जर धोती.कारे मेघा पानी दे.
अल्लाह के दो बैल पियासे.चुल्लू भर-भर पानी दे ”
औरतें बच्चों के ऊपर दरवाज़े से पानी फेंकतीं. बच्चे ज़मीन में लोट लगाते. कुछ अनाज भी मिलता जिसे बरफ़ वाले को देकर बरफ़ खाते.अगर पानी बरस जाता तो इसे काल कलौती का परसाद मतलब प्रसाद माना जाता. अब मौलानाओं ने इसे ग़ैर इस्लामी करार दे दिया है. हिंदुओं की तरह मुसलमानों में भी शादी के मौक़े पर नाऊ न्योता देने जाता और हल्दी बांटता.नेग पाता.कार्ड का चलन नहीं था.हल्दी की रस्म होती और मेंहदी की भी रस्म का चलन था. तीन दिन की बारात जाती.सेहरा बांध के दूल्हा घोड़ी चढ़ता और गांव भर घूमकर सबके दरवाज़े जाकर सलाम करता. दूल्हे को हर घर से शर्बत मिलता. कहीं दही मिलता तो कहीं मट्ठा.बारात लड़की के गांव बारात पहुंचती तो लड़के वाले बुज़ुर्ग़ खटिया पर खड़े हो जाते और इंतेज़ाम में कमियां निकालकर लड़की वालों को डांट पिलाते. दूल्हे के साथ नाई होता जो दूल्हे की सेवा करता. गर्मियों में पंखा झलता.बारात में ऐसे हिंदू भी होते जो गोश्त वग़ैरह नहीं खाते थे. ऐसे हिंदुओं को नौहड़िया कहा जाता था. मतलब जो अपनी मिट्टी की हड़िया में ख़ुद खाना बनाते थे. कुछ के लिए कहार खाना बनाते थे तो कुछ अपना कच्चा खाना ख़ुद बनाते.मुसलमान लोगों के लिए बकरे कटते.भैंसे का चलन नहीं था और बकरे का गोश्त सस्ता था. सभी बाराती जनवासे में रहते और पूरा गांव घूमते.जनवासे में दनादन हुक्के ताज़े होते रहते थे. मिट्टी के हुक्के जिसकी सोंधी ख़ुशबू तंबाकू के किवाम की लज़्ज़त दोबाला करती थी. दूसरे दिन निकाह होता तो सेहरा पढ़ा जाता और गट्टे की लुटाई होती.मड़वा होता. खिचड़ी खवाई के बाद तीसरे दिन लौटती थी. शारिक़ ख़ुद बचपन में तीन दिन की बारात में शामिल हुए हैं. जब दुल्हन दरवाज़े आती तो नंदें दुल्हन को गोद में उठाकर उतारतीं और फिर लाइन से रखी दऊरी मतलब बड़ी डलिया में पैर रखकर ही दुल्हन घर में दाख़िल होती. दऊरी में एक -एक मुट्ठी चावल के दाने रखे रहते.दुल्हन के साथ नाईन आती थी. फिर सबको नेग बंटता. नाई-नाईन. बरई से लगायत शादी में काम करने वाले सभी को. शहबालों का हिस्सा बंटता.ये सब शारिक़ ने ख़ुद देखा है. लेकिन अब ये सब बंद हो गया है. मौलानाओं ने इन रवायतों को ग़ैर इस्लामी और हिंदुआना घोषित कर दिया है.आजकल सादे निकाह ज़्यादा चलन में हैं जिसमें कोई धूम नहीं होती. पहले बहुत से गांव के ज़मींदार मुसलमान धोती पहना करते थे. अब कोई नहीं पहनता. पहले मुहर्रम पर मलीदा बंटता था और ताज़िया बैठता था.अब ये सब बंद है.ढोल -ताशा बजता. मौलानाओं ने कहा कि ये सब ग़ैर इस्लामी है लिहाज़ा आज़मगढ़ के मुसलमान गांववालों ने बंद कर दिया है. जिनकी आबादी सबसे बड़ी है आज़मगढ़ के मुसलमानों में. छिटपुट कथित छोटी जातियों में कहीं -कहीं और शहर में बस नाम का मुहर्रम होता है क्योंकि शिया यहाँ न के बराबर हैं.गिनती के हैं.अब मुहर्रम की वो धूम नहीं होती. पहले सभी गांव के अशराफ़ सुन्नी मुसलमान भी धूम से मोहर्रम मनाते थे. ये अवध के नवाबी दौर का प्रभाव था जो पच्चीस -तीस साल पहले ख़त्म हो गया.मौलानाओं ने बता दिया कि ये शिर्क है.हराम है और ग़ैर इस्लामी है.
आज़मगढ़ के बहुत से मुसलमान धोती-कुर्ते के ऊपर टोपी लगाकर नमाज़ पढ़ लेते थे.मौलानाओं ने कहा कि धोती में नमाज़ नहीं होगी वजह कि पीछे से पिंडली दिखती है. लोग पाजामा पहनने लगे. फिर पाजामा थोड़ा ऊंचा हो गया. अब जींस भी ऊंची आ रही है.पहले शादियों में शहनाई बजती थी.बाजा बजता था.ढफली बजती.मौलानाओं ने कहा शहनाई और बाजा बजाना हराम है.ढफली भी न बजाओ. लिहाज़ा अब वो भी बंद है. आजकल रवायतें बदल रही हैं.. मुसलमान अपने कल्चर से दूर हो रहा है और नया कल्चर समाज में जड़ें जमा रहा है.. ये अच्छा नहीं हो रहा है. बहुत ग़लत हो रहा है. जिस समाज का अपना कल्चर ख़त्म हो जाता है वो समाज मरियल हो जाता है
Dr sharik ahmad aap ka lekh ideal hai….. lekin jab tak musli kattrta nhi rukegi tab tak hindu bhi ab alert rahega….. kyu ki dharma ke naam pe pakistan aur bangladesh 2 desh bn chuke hai….. agar hame India ko aage badhana hai to sab se pahle kattrvadi muslimo me prabodhan lana padega… phir hindu ubhe apnate aye hai aur apanayenge. Sirf ek INDIAN ki ki najariye se soch ke dekho.
#MARATHA #JAY SHIVRAY #JAY #SHAMBHURAJE #JAY HIND.
Shambhu Nath
22 hrs ·
जब भी मैं सुनता हूँ कि परशुराम नाम के एक मिथकीय नायक ने 21 बार इस मही से क्षत्रियों का उच्छेद कर दिया था, तो विश्वास नहीं होता. एक तो परशुराम को जिन ब्राह्मणों को पुरखा माना जाता है, उस ब्राह्मण कुल-गोत्र को बाकी के ब्राह्मण त्याज्य समझते हैं. दूसरे ऐसा कैसे हो सकता है कि एक व्यक्ति अपने परशु (फरसे) से अकेले किसी एक पूरी जाति को साफ़ कर दे. लेकिन मिथक है तो ऐसी अवधारणा भी रही होगी. ज़ाहिर है यह बात अत्याचारी शासकों के उच्छेद के लिए सोची गई होगी, कि एक ऐसा एंग्री-मैन पैदा किया जाए, जो अत्याचारी शासकों से भिड़ सके. इसके लिए परशुराम की अवधारणा प्रकट हुई. और उन परशुराम सरीखे व्यक्तित्त्व ने दलितों, मजलूमों, वंचितों और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को एकत्र कर अत्याचारी शासकों का नाश किया. यह किसी जाति विशेष का उच्छेद नहीं बल्कि अत्याचार और उसे पनपाने वाले शासकों का नाश था. एक तरह से परशुराम ने सोशल इंजीनियरिंग के ज़रिये ही अत्याचार को समाप्त किया. आज फिर अत्याचार को ख़त्म करने के लिए लोग आंदोलित हैं. पर नेतृत्त्व अपना और अपनी बिरादरी का चाहते हैं. मेरा मानना कि ऐसे सभी लोगों को जो सही में अत्याचार और अत्याचारी शासकों की प्रजाति का उच्छेद चाहते हैं, उन्हें दलितों और वंचितों की अगुवाई में यह पहल करनी चाहिए.
अब देखिए, मायावती का राज आज़ादी के बाद का सबसे अच्छा राज था. तब हर कुकर्मी को सजा मिलती थी, भले ही वह उनकी पार्टी का ही क्यों नहीं हो.————————————————–
Narendra Nath
17 April at 12:55 ·
लगे रहये। लगातार दबाव बनाए रखये। अभी अरुण जेटली जी ने ट्वीट कर भरोसा दिलाया है कि जल्द हालत ठीक होगी। फिनांस मिनिस्ट्री के एक सीनियर ऑफिसियल ने इन्फॉर्म किया है कि उन्हें भी बहुत नेगेटिव फीडबैक मिला है। लोग गुस्से में हैं।
मतलब इस हफ्ते हालात सुधर सकते हैं। फिर भी नजर रखये। आपका पैसा और जरूरत पर उसे लेना आपका हक भी है। अपना हक और पैसा लेकर चलो।
हां, बीच मे कुछ सरकार अंध समर्थक जरूर टोकेंगे-“पैसे की जरूरत क्या है? हमें तो कोई दिक्कत नहीं होती है? सुलभ वालों को ऑनलाइन पेमेंट कर क्यों नहीं टट्टी करने जाते” टाइप तर्क के साथ। उन्हें इग्नोर मारें।
Abhisar Sharma
12 April at 17:33 ·
मै तुम्हे बताता हूं कि बीजेपी क्यों कुलदीप सेंगेर के साथ खड़ी है, क्यों आसिफा के बलात्कारियों का खुला साथ दे रही है , क्यों महिला सांसद इस शर्म पर खामोश है . क्योकि उन्हे लगता है कि जनता मूर्ख है और वोट के दिन हिंदू मुस्लिम, फेक राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों पर वोट दे देगी . वो तुम्हे सल्फेट समझते हैं और कसम से तुम हो भी . वो तुम्हे बरगलाते हैं कि हमारे सिवा इस देश का कोई भला नहीं कर सकता. हमारे सिवा कोई विकल्प नहीं है . ये तुम्हारी मूर्खता तो है ही, जिसकी मुझे परवाह नहीं , मगर उससे ज्यादा ये प्रजातंत्र की हत्या है . जिसका मुझे अफसोस है . जब जनता अपने हितों के अंदेखी करके जुमलों पर विश्वास करने लगती है . ये तुम्हारी नियति है
Abhisar Sharma
12 April at 17:51 ·
आसिफा की मौत ने सिर्फ उसकी बर्बरता के लिए नहीं हिला दिया है मुझे . इसलिए नहीं कि बेटी का बाप हूं. नहीं. बल्कि जनता की बेबसी पर रहम आता है . जब सत्ताधारी पार्टी खुलेआम बलात्कारियों के साथ खड़ी हो , जब बलात्कारियों , क्रूर लोगों के साथ वकील और हिंदुत्व का झंडा बुलंद करने वाले लोग खड़े हों , तब लगता है कि आप किस कदर हर तरफ से फंस गए हैं. मुझे अब भी उम्मीद है कि ये गिने चुने लोग हैं जो वहशी हैं , जो जानवर बनने को आमादा हैं , मुझे उम्मीद है कि खोमोश बहुमत इससे नाराज़ है . कोई भी सरकार या सोच जो बलात्कारियों के साथ खड़ी हो , वो सभ्य समाज का हिस्सा नहीं हो सकती. नहीं. ये गलत है . जायज नहीं है . तुम्हे अपनी जिंदगी नाजायज करनी हो या उस रसातल मे खुद को दफ्न करना हो , वो तुम होगे . मैे नहीं. मैं नहीं. मै अपने बच्चों के लिए आदर्श बनना चाहता हूं . उनके लिए मिसाल . कम से कम कोशिश तो कर सकता हूं ना . तुम राक्षसों के सामने सजदा करो , ये तुम्हारी त्रासदी है . तुम्हारा नसीब. तुम्हारा दुर्भाग्य
इस साइट पर बहुत दिनो बाद आया हूँ. यह बताइए की अफ़ज़ल भाई का बेटा कैसा है? सिकंदर भाई की तो सक्रियता रवीश के कस्बा पर दिखती रहती है, उम्मीद है, वो और उनका परिवार काफ़ी हद तक सामान्य हो पाया होगा.
जाकिर भाई अफ़ज़ल भाई के बेटे का अपोलो दिल्ली में इलाज चल रहा हे डॉक्टरों ने खतरे से बाहर बताया हे में भी जाता रहता हु हॉस्पिटल , भाई के उस हादसे से तो निकल आये मगर चैन नाम की कोई चीज़ नहीं हे जिंदगी झंड हुई पड़ी हे और मसला वही भारत की वयवस्था एक भाई तो गया दूसरे ने अपनी मर्जी से शादी की थी ससुराल वालो ने बहाने बनाकर उनसे लाखो रुपया उधार ले लिया अब इस साल फरवरी में उनका पेसो की वापसी को लेकर झगड़ा हुआ तो उनके ठग ससुर ने दहेज़ देने की मांग का केस कर दिया जबकि सारे सबूत हे की दहेज़ लेना तो छोड़ो उल्टा भाई ने उनको लीगली काफी पैसा दिया हे लेकिन जैसा की होता ही हे परेशान हम हो रहे हे दोसो किलोमीटर दूर कचहरी में धक्के हम खा रहे हे भारत में शरीफ आदमी का जीना मुहाल हे
व्यक्तिगत रूप से इतनी परेशानी झेलने के बाद भी आपके प्रयास निरंतर जारी है. ये बहुत बड़ी बात है.
Ashutosh Kumar Pandey
25 April at 19:01 ·
प्रेमकुमार मणि जी की यह टिप्पणी ब्राह्मण और राजपूत अवश्य पढ़ें
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रवीन्द्रनाथ टैगोर का एक लेख है -‘ ए विज़न ऑफ़ इंडिया ‘ . उम्मीद है ,आप में से बहुतों ने पढ़ा होगा . इस लेख को बहुत पहले पढ़ा था . मेरी आदत रही है ,कुछ पढ़ने के बाद , आवश्यक समझा तो ,कभी -कभार , डायरी में अपनी प्रतिक्रिया नोट कर लेता हूँ . आज पुरानी डायरी का अवलोकन करते हुए इस लेख पर प्रतिक्रिया मिली . वह लेख भी निकाला . उसे उलटते-पुलटते कुछ बातें मन में आयीं . सब बातें इस लेख में ही है ऐसा नहीं कह सकता . कुछ मेरी बातें भी है . इन्हे आपसे साझा करना चाहूंगा .
लेकिन इससे भी पहले बांग्ला और हिंदी के बुद्धिजीवियों के अंतर को थोड़ा स्पष्ट करना चाहूंगा .मुझे प्रतीत होता है , हिंदी के लेखक -बुद्धिजीवी विश्लेषणात्मक क्षमता या प्रतिभा कम ही रखते हैं . लेकिन बांग्ला रचनाकारों -बुद्धिजीवियों की यह पहली शर्त होती है . बंकिम बाबू से लेकर हाल तक के किसी भी विशिष्ट लेखक को लीजिए ,उसकी तीक्ष्ण बौद्धिकता आपको प्रभावित करेगी . अनेक बांग्ला लेखकों ने रामायण ,महाभारत या दूसरे मिथकीय कथाओं का अपनी तरह से विश्लेषण किया है और उसके नए -नए अर्थ सृजित किये हैं . बंकिम बाबू ,रवीन्द्रनाथ और इधर के बुद्धदेव बासु को इस क्षेत्र में महारत हासिल थी . हिंदी में लकीर के फ़क़ीर अधिक हुए . नए के संधान में लेखकों को डर लगता है . अपनी पौराणिक कथाओं के भी विखंडन – विश्लेषण नहीं कर सकते . कोई जोडक मिजाज का जैसे ही दिखता है ,उसकी पूजा शुरू कर देते हैं . उसका एक पंथ निर्मित हो जाता है . रामविलास शर्मा को अपना पंथ बनाने में कोई कठिनाई नहीं हुई .
मुझे अपने मुद्दे पर लौटना होगा ,अन्यथा विषयांतर होने का भय है . तो मैं रवीन्द्रनाथ के उपरोक्त लेख की बात कर रहा था . इस लेख को पढ़ने के बाद कई सवाल मन में उठते हैं . पहला तो यह कि यह मनु कौन था ? जिसकी स्मृति इतनी चर्चित व विवादित है . उसे ब्राह्मणवादी विचारों का आदि स्रोत बतलाया जाता है . आज तो वह प्रतिगामी सामाजिक चिंतन का आधार ही माना जाता है . रवीन्द्रनाथ कहते हैं मनु तो स्वयं ब्राह्मण नहीं था ,वह क्षत्रिय था ;क्योंकि वह राजा था और राजा क्षत्रिय ही होता था . एक क्षत्रिय राजा ने स्वयं को कमतर और ब्राह्मण को श्रेष्ठतर कैसे बनाया ? रवीन्द्र इस पर गहराई से विचार करते हैं . वह बतलाते हैं जब क्षत्रियों को सत्ता चाहिए होती थी ,तब वे उनका समर्थन लेने केलिए उनकी महत्ता का समर्थन करते थे . ब्राह्मण सीधे सत्ता में नहीं होते थे . उनके मनोकामनाओं की पूर्ति और स्वार्थों की रक्षा क्षत्रिय राजा करते थे . ऐसे राजाओं को ब्राह्मण मर्यादा पुरुषोत्तम कहते थे . राम ऐसे ही राजा थे . क्षत्रिय ; लेकिन द्विज हितकारी ,विप्र सेवक . शम्बूक का शिरोच्छेद और सीता को घर निकाला देकर राम ने यह विरुद हासिल किया था .
क्षत्रियों के मोटे तौर पर दो समूह थे . एक समूह सत्ता पसंद था , दूसरा ज्ञान पसंद . जब क्षत्रियों को ज्ञान की भूख होती थी ;वे ब्राह्मणों से टकराने लगते थे . ब्राह्मण इसे पसंद नहीं करते थे . वह क्षत्रियों को कमतर मानते थे और ज्ञान जैसे क्षेत्र केलिए सर्वथा अयोग्य . बावजूद इसके जब क्षत्रियों ने ज्ञान केलिए अपनी जिद कायम रखी ,तो ब्राह्मणों के बीच से परशु या फरसाराम उठ खड़ा हुआ . परशुराम दरअसल ब्राह्मणों की अधीरता और उनके बीच छुपी खूंखार हिंसा का परिचायक है . संभवतः यह एक प्रवृति है . क्योंकि परशुराम रामायण में भी है और महाभारत में भी . इस तरह यह ब्राह्मणों और क्षत्रियों के एक बहुत लम्बे संघर्ष की सूचना देता है . यूँ भी इक्कीस दफा क्षत्रिय संहार का मतलब लम्बा संघर्ष ही है . संभव है परशुराम के मिथक की संरचना क्षत्रियों ने ब्राह्मणों को नीचा और दुष्टतापूर्ण दिखाने केलिए की हो . क्योंकि इस तरह के निकृष्ट नायक की रचना ब्राह्मणों ने स्वयं की होगी ,यह विश्वसनीय नहीं प्रतीत होता . परशुराम तो पुरंदर ( इंद्र ) का विकृत रूप लगता है . इतना लम्पट कि अपनी मां की हत्या करने में भी नहीं हिचकता .
क्षत्रिय जब सत्ताप्रिय होते थे तब ब्राह्मणों -क्षत्रियों का युग्म अथवा संयुक्त मोर्चा बनता था . इस मोर्चे की मजबूती के साथ ही शूद्रों और वैश्यों के बुरे दिन आ जाते थे .जब क्षत्रिय ज्ञानप्रिय होते थे वे ब्राह्मणों से जूझते टकराते थे . ऐसी स्थिति में उनका शूद्रों और वैश्यों से संयुक्त मोर्चा बनता था . यह तथाकथित निम्नवर्णीय समूहों के लिए अनुकूल समय होता था . भारत के वर्णवादी समाज का यही आत्मसंघर्ष या अंतर्संघर्ष था . टैगोर ने रामायण और महाभारत पर भी अपनी तरह से विचार किया है . रामायण के राम कृषि केंद्रित समाज के नायक होना चाहते थे अथवा थे . उनके गुरु विश्वामित्र की सीख के तीन बुनियादी बिंदु थे – १. बर्बरता का ख़ात्मा ,जिसके तहत राम ने ताड़का वध और दूसरे समाजविरोधी तत्वों का सफाया किया . आज उसे कानून का राज स्थापित करना कह सकते हैं . २ . अहल्या उद्धार – अर्थात अहल्या भूमि (अकृषिकारी भूमि )को हल्या यानि हल (जोतदार भूमि ) के अधीन लाना . आज के अर्थ में कृषि पर जोर . ३ . नीचे के वर्णों से समझौता . अर्थात ब्राह्मणों की श्रेष्ठता प्रदर्शित करनेवाली वर्णव्यवस्था की अवहेलना . राम ने अपने जीवन के पूर्वार्द्ध में में यह किया . निषादराज से लेकर आदिवासियों तक से उन्होंने समझौते किये . जीवन की शुरुआत ही अयोनिजा (योनि से न जन्मी यानि वर्णहीन )सीता से विवाह करके किया . जनक के दरबार में उनके भाई लक्ष्मण ने परशुराम की जम कर ऐसी -तैसी कर दी . परशुराम को भागना पड़ा . वशिष्ठ की सीधी उपेक्षा करते हैं राम .परशुराम और वशिष्ठ की ही कड़ी में रावण भी है , जो राम की स्त्री का अपहरण कर लेता है . वह दक्षिण का ब्राह्मण है . (सीता की खोज में जब हनुमान लंका पहुँचते हैं तब उनने अपनी बात संस्कृत में रखनी चाही ,लेकिन हनुमान को तुरत इस बात का भान हुआ कि संस्कृत तो ब्राह्मणों की भाषा है . सीता मुझे रावण मान लेंगी . इसलिए उन्होंने भाषा में बात की .) लेकिन उत्तरार्द्ध के राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनना है . वह उन शक्तियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर देते हैं ,जिनके विरुद्ध अब तक लड़ते रहे थे .. राम का यह भयानक पतन है ,जो उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम बना देता है . विश्वामित्र परिदृश्य से अनुपस्थित हो जाते हैं .
महाभारत को टैगोर कौरव – पांडवों का संघर्ष नहीं मानते . यह संघर्ष कृष्ण को मानने और नहीं मानने वालों के बीच का संघर्ष था . कृष्ण का जन्म विवादास्पद है . पांडवों का भी यही हाल है . दुर्योधन का तो यही कहना था कि ये सब पाण्डु की जायज संतान नहीं हैं . जन्म और वर्ण की शुद्धता -अशुद्धता के मुद्दे पर यह संघर्ष हुआ ,जिसमे कृष्ण ने वर्ण और जन्म के मुकाबले मनुष्यता का पक्ष लिया .टैगोर का यह दृष्टिकोण महाभारत को एक नया अर्थ दे जाता है . कन्नड़ लेखक भैरप्पा ने महाभारत को लेकर जो उपन्यास ‘ पर्व ‘ लिखा है ,उसकी प्रेरणा संभवतः टैगोर के इस दृष्टिकोण से ही मिली है .
हम इतिहास ,पौराणिकता और महाकाव्यों का नए अंदाज़ में विश्लेषण करते हैं ,तब वे हमें नए अर्थ देते हैं . कोई जरुरी नहीं है कि हर काल में एक ही तरह का अर्थ फूटे . एक समय था जब महाभारत का कर्ण अनेक लेखकों का प्रिय पात्र बना . जब समाज के निचले तबकों से लेखक रचनाकार निकले ,तो उन्होंने कर्ण को ख़ारिज कर दिया . इसलिए कि वह एक कुंठित पात्र है और उसकी कोशिश येनकेन ऊँचे वर्णक्रम में शामिल होने की है . वह शूद्र से क्षत्रिय बनना चाहता है . दुर्योधन ने उसे राजा बना कर उसका भरपूर शोषण किया . कर्ण किसी भी स्थिति में नागों और एकलव्य से समझौता करने की बात नहीं सोचता . वह दुर्योधन से समझौता करता है ,जैसे आज भी रामविलास पासवान ,उदितराज और अठावले भाजपा से समझौता करते हैं . इसलिए आज संघर्ष का प्रतीक एकलव्य है ,न कि कर्ण .
साहित्य के युवा अध्येताओं को टैगोर का यह लेख जरूर पढ़ना चाहिए . इससे उन्हें ऊर्जा मिलेगी .
INDIA ki unity khatre me a jaye aisi post mat dalo.
Aap ka ye lekh muslim kattarpanthi vichar dhara ki aur zuk raha hai…. its wrong.
#MARATHA #JAY SHIVRAY #JAY SHAMBHURAJE #JAY HIND
Ganesh M
2 August at 08:33 ·
सभी मूलनिवासी भाइयो को जै भीम! ???
भाइयों, क्या आपको पता है जिस क्रिकेट के विश्व विजेता बन कर ये मनुवादी इतना इतरारे फिरते हैं उसकी खोज एक दलित ने की थी, और उसका नाम “भीमक्रीड़ा” था। ये वही खेल है जिसका आविष्कार बाबा साहेब ने किया और कपटी मनुवादियों ने इसे क्रिकेट का नाम दे दिया।
एक बार बाबा साहेब आँखे बंद कर दलितों के हित के लिए उनका भविष्य देख रहे थे तभी कुछ मनुवादी बाबा साहेब पर कंकड़ उछाल कर उनका ध्यान भंग करने लगे. बाबा साहेब ने पास पड़े भीमवृक्ष की एक टहनी को उठाया से हर पत्थर को अपनी कुटिया की सीमा रेखा के पार भेजने लगे। जितनी बार वो मनुवादी लोग कंकड़ बाबा साहब पर फेंकते बाबा साहब उसे मारकर सीमा रेखा के पार कर देते। बाबा साहेब की अलौकिक प्रतिभा के आगे सभी मनुवादी झुक गये. और इस तरह ‘भीमक्रीड़ा’ नामक खेल का निर्माण हुआ।
बाबा साहेब ने भविष्य देख लिया था। बाबा साहेब ने इस भीमक्रीड़ा का प्रचार प्रसार करने का निर्णय लिया और चंपानेर गाँव पहुंचे। वहां एक दुष्ट मनुवादी रसेल कुमार के खिलाफ 11 लोगों का भीमदल बनाया। इस भीमदल में सभी जाति के लोग थे। ये ब्रह्माण्ड का पहला ऐसा भीमदल था जिसमे मनुवादी और दलित एक साथ थे।
बाबा साहब के कठिन प्रशिक्षण के दम पर मनुवादी कप्तान भुवन सिंह ने रसेल कुमार को हरा तो दिया लेकिन बाबा साहेब के अहसान को भूल गया।
भाइयों और बहनों, एक दलित गेंदबाज़ कचरा प्रसाद की बेहतरीन गेंदबाजी की वजह से इन मनुवादियों का ३ गुना लगान माफ़ हुआ लेकिन सारी वाहवाही, क्रेडिट वो मनुवादी भुवन सिंह ले गया। भुवन सिंह जैसे मनुवादी के लिए २ कन्या की व्यवस्था था. एक देशी तो एक विदेशी. लेकिन हमारे दलित भाई कचरा के लिए कोई नहीं थी। क्या दलितों को हक़ नहीं प्यार करने का?
मनुवादियों के इस धोखे से बाबा साहेब बहुत दुखी हुए। वो चंपानेर का त्याग कर दिया और एक दलित देश वेस्ट इंडीज आ गए। वहां उन्होंने सिर्फ दलितों की टीम बनाई और महादलित कलादीप लॉयड के नेतृत्व में 11 दलितों का एक भीमदल बनाया। बाबा साहेब की असीम कृपा से उनकी टीम 1975 और 1979 में भीमकप जीती।
1983 फाइनल में जब फिर से बाबा साहेब अपनी दलितो-शक्ति से टीम को जीत दिलाने जी वाले थे, तभी एक यशपाल शर्मा नामक कपटी ब्राह्मण ने चुपके से बाबा साहेब की चाय में जमालघोटा मिला दिया। बाबा साहेब दिन भर रनिंग बिट वीन द बाथरूम करते रहे और मनुवादी कपिल देव सिंह ने भीमकप पर कब्जा कर लिया।
तब से ही क्रिकेट पर मनुवादियों का कब्ज़ा हो गया। मनुवादियों ने दलित विनोद कांबली की बजाए उनकी नक़ल करके खेलने वाले मनुवादी ब्राह्मण सचिन को मास्टर ब्लास्टर का खिताब दिया। हर तीसरे महीने चमारा सिल्वा और चमारा डिसिल्वा की टीम को हराकर ये दलितों का अपमान करते रहे।
भाइयों, आइये हम भीमक्रीड़ा को उसका जायज हक़ फिर से दिलाएं। हम सब मिलकर भीमकप पर फिर से कब्जा करेंगे।
वो दिन दूर नही जब फिर से महान दलित देश वेस्टइंडीज. महादलित किशन गेल राव के नेतृत्व में भीमकप पर कब्जा करेगा।
चढ़ मनुवादियों की छाती पर
बटन दबाएं हाथी पर !
जै भीम! जै रिजर्वेशन !!