7 सितंबर, गुरूवार को वैसे तो देश भर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 70वां जन्मदिन बनाया गया है. लेकिन इसी मौक़े पर देश के अलग-अलग हिस्सों से बेरोज़गार युवाओं ने राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस भी मनाया.
देश के युवाओं के इस प्रदर्शन को प्रमुख विपक्षी दलों का समर्थन भी हासिल था, कई जगहों पर छात्र युवाओं के इस प्रदर्शन में विपक्षी दल के कार्यकर्ताओं-नेताओं को भी शामिल देखा गया.
राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि पिछले छह साल में युवा शक्ति को रोज़गार के नाम पर सिर्फ़ झूठे आश्वासन मिले हैं.
इससे पहले नौ सितंबर को देश के अलग-अलग हिस्सों में युवाओं ने रात नौ बजकर नौ मिनट पर टॉर्च, मोबाइल फ़्लैश और दिए जलाकर सांकेतिक रूप से अपना विरोध ज़ाहिर किया था.
देश के अलग-अलग हिस्सों से बीबीसी के सहयोगी पत्रकार बता रहे हैं, उनके क्षेत्र में पीएम मोदी के 70वें जन्मदिन पर युवाओं ने किस तरह से बेरोज़गार दिवस मनाया.
बिहार के अलग-अलग हिस्सों मे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर बेरोजग़ार दिवस मनाया गया. मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल ने अपने नेता रघुवंश प्रसाद सिंह की मौत के शोक के चलते बेरोज़गार दिवस को लेकर कोई आयोजन नहीं किया.
लेकिन इससे पहले नेता प्रतिपक्ष बुधवार को तेजस्वी यादव ने बयान जारी करके नीतीश सरकार से सवाल किया कि 15 साल में उन्होंने युवाओं के रोज़गार के लिये क्या किया?
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उन्होंने कहा कि बिहार के सात करोड़ युवाओं के सीने में धधक रहे सवालों का नीतीश सरकार जवाब दे.
पटना से सीटू तिवारी

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इस बीच आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन और कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के साथ साथ कई आम युवाओं ने प्रदर्शन करके सरकार से रोजगार के मौके मांगे
पटना में विरोध प्रदर्शन में शामिल सचिन कुमार 2018 में ही बीटेक कर चुके हैं. उन्होंने बताया, “बीते दो साल में चार फॉर्म भर चुके है लेकिन किसी की भी परीक्षा नही हुई. इसका सबसे ज़्यादा असर देश की उत्पादकता पर पड़ रहा है क्योंकि ये हमारी काम करने और देश के विकास मे योगदान देने की उम्र है.’
वहीं पेशे से ड्राइवर विक्की कुमार ने बीबीसी से कहा कि लॉकडाउन ने बेरोजगारी बढ़ा दी है. उन्होंने बताया, “पहले की तरह रोज़ाना काम नहीं मिल रहा है जिसके चलते परिवार चलाने मे बहुत परेशानी हो रही है.”
लेकिन इन सबके बीच श्रेष्ठा का मानना है कि बेरोज़गारी पूरी दुनिया की समस्या है. उन्होंने कहा, “भारत में यह परेशानी ज़्यादा है क्योंकि यह एक विकासशील देश है. लेकिन युवा बेरोज़गारी से परेशान और अवसाद में हैं.”
लखनऊ से समीरात्मज मिश्र

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कहीं ‘मैं भी बेरोज़गार’या ‘आई एम मिस्टर बेरोजगार’ की तख़्ती लगाए, कहीं रिक्शा चलाते और कहीं बेरोज़गारी का केट काटते युवाओं ने 17 सितंबर को राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस मनाया.
प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, बुलंदशहर समेत कई शहरों में प्रदर्शन कर रहे युवाओं को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग भी किया.

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प्रयागराज में हज़ारों छात्रों ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, विश्वविद्यालय और बालसन चौराहे के पास प्रदर्शन किया.
युवा मंच के बैनर तले बड़ी संख्या में आम प्रतियोगी छात्रों ने उत्तर प्रदेश सरकार की कथित युवा विरोधी नीतियों, 5 साल की संविदा और रोज़गार के मसले को लेकर प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर जमकर नारेबाज़ी की और प्रदर्शन किया.
प्रयागराज में कुछ प्रतियोगी छात्रों ने इस मौक़े पर बेरोज़गार केक काटकर प्रधानमंत्री का जन्म दिन मनाया.
इसमें शामिल एक छात्र अखिलेश्वर वर्मा का कहना था, “प्रधानमंत्री के जन्म दिन को हम लोग इसलिए राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस के रूप में मना रहे हैं क्योंकि जब से वो सत्ता में आए हैं तब से युवा रोज़गार से वंचित कर दिए गए हैं. यूपी में तो लोकसेवा आयोग तक में अफ़सरों का बोलबाला हो गया है. वो जो चाह रहे हैं मनमानी कर रहे हैं. हम लोग इन सब बातों का विरोध कर रहे हैं.”

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वहीं समाजवादी युवजन सभा के कार्यकर्ताओं ने रिक्शा चलाकर अपना विरोध प्रदर्शन दर्ज कराया. इलाहाबाद विश्वविद्यालय की शोध छात्रा नेहा यादव कंधे पर अपनी डिग्रियों की तख़्ती लटकाए रिक्शा चलाकर प्रदर्शन कर रही थीं. कहने लगीं, “डिग्रीधारी छात्रों को नौकरियों में आने से रोका जा रहा है, हर सरकारी संस्था निजी क्षेत्र को बेच दी जा रही है और जब युवा अपना अधिकार मांगने सड़कों पर उतरते हैं तो उन्हें धमकाया जाता है, मारा जाता है और उनके ख़िलाफ़ संगीन धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया जाता है. समझ में नहीं आता कि इस सरकार को युवाओं से इतनी नफ़रत क्यों है?”

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लखनऊ में समाजवादी युवजन सभा के अलावा, एनएसयूआई और आम आदमी पार्टी के युवा विंग ने भी प्रदर्शन किया. एनएसयूआई के छात्रों ने हज़रगंज चौराहे पर जाम लगा दिया जिसे हटाने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा. लखनऊ में कई जगह राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस से संबंधित होर्डिंग्स भी लगाई गई थीं जिन्हें पुलिस ने उतार दिया.
भोपाल से शुरैह नियाज़ी

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में युवकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिवन राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस के रुप में मनाया. शहर के 70 बेरोज़गार युवकों ने अर्धनग्न होकर अपनी डिग्रियों को गले में डालकर विरोध प्रदर्शन किया.
इस दौरान युवकों ने कहा कि केंद्र सरकार युवाओं को रोज़गार देने में पूरी तरह से असफल साबित हुई है. इन लोगों का कहना था कि उनके पास डिग्री है लेकिन इस डिग्री का उन्हें कोई फायदा नही है क्योंकि इनके लिये रोज़गार ही मौजूद नही है.
इस प्रदर्शन को विपक्षी काग्रेंस का समर्थन हासिल था. इसमें स्थानीय काग्रेंस के विधायक आरिफ मसूद भी शामिल हुए और उन्होंने कि सरकार ने आदेश निकाला है कि आगे कोई भी नौकरी नही निकाली जायेंगी. इससे साबित होता है कि सरकार की मंशा युवाओं को नौकरी देने की नहीं है. भोपाल में युवा कांग्रेस ने प्रदर्शन के दौरान पकौड़े तले और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी युवाओं को रोज़गार देने का बात करते रहे हैं लेकिन उनकी सरकार ने 14 करोड़ लोगों का रोज़गार छिन लिया है.
रांची से रविप्रकाश

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राँची समेत झारखंड के कई शहरों में युवाओं ने प्रधानमंत्री का जन्मदिन बेरोज़गार दिवस के तौर पर मनाया. इस आंदोलन को युवा कांग्रेस और कई दूसरे संगठनों का भी समर्थन हासिल था. इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले कुणाल शुक्ला ने बीबीसी से कहा कि हमने अपने अभियान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन की तारीख इसलिए चुनी, ताकि उन्हें उनके वायदों की याद दिलायी जा सके.
इस मौक़े पर कुछ जगहों पर आक्रोश मार्च निकाले गए और युवाओं ने थाली बजाकर अपना विरोध दर्ज कराया. गढ़वा में प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले प्रभात कुमार दुबे ने कहा कि केंद्र सरकार ने रोज़गार के अवसर ढ़ूढ़ने की जगह प्राइवेटलाइजेशन की कोशिश कर लाखों बेरोज़गार युवकों के साथ छल किया है. लॉकडाउन के दौरान भी लाखों युवाओं की नौकरी गई है. ऐसे में हम प्रधानमंत्री जी से रोज़गार की माँग कर रहे हैं.
वहीं, दूसरी तरफ भाजपा ने गुरुवार से सेवा सप्ताह का आग़ाज़ किया. इस अवसर पर अस्पतालों में फलों का वितरण किया गया. बीजेपी के नेता और पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने अपना प्लाज़्मा दान कर सेवा दिवस मनाया;
जयपुर से मोहर सिंह मीणा

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राजस्थान में कई जगह युवाओं और छात्र संगठनों ने बेरोज़गारी के विरोध में प्रदर्शन किया. युवाओं ने केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की और रोज़गार की मांग उठाई.
युवाओं ने प्रधानमंत्री मोदी से मन बात की जगह रोज़गार की बात करने की मांग की. राजस्थान विश्वविद्यालय से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमए कर रहे स्टूडेंट राजेश चौधरी कहते हैं, “दो बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी ने युवाओं को रोज़गार देने का वादा पूरा नहीं किया. बेरोज़गारी का आलम यह है कि निजी क्षेत्र में भी लोगों को नोकरियों से निकाला जा रहा है.”

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वहीं राजस्थान विश्विद्यालय से फिलॉसॉफी में एमए कर रहीं रितु बराला बेरोज़गारी को इस समय युवाओं के लिए एक महामारी बताती हैं. जिससे युवा वर्ग सबसे ज़्यादा प्रभावित है.
बराला कहती हैं, “हम पढ़े लिखे बच्चे अब पकौड़े और चाय बेचेंगे! हमारे माता पिता आज हमारे भविष्य को लेकर चिंतित हैं. लेकिन केंद्र सरकार भर्तियां नहीं निकाल रही है, भर्तियां आती भी हैं तो समय से एग्ज़ाम नहीं होता और एग्ज़ाम हो तो जॉइनिंग में कई साल लग जाते हैं.”
राजस्थान बेरोज़गार एकीकृत महासंघ के संरक्षक उपेन यादव का कहना है कि, “कोरोना काल से पहले की केंद्र में एक लाख 75 हज़ार भर्तियां बाक़ी हैं. लेकिन अभी तक यह भर्तियां नहीं निकलना युवाओं के साथ अन्याय है.

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यादव कहते हैं कि, “राजनैतिक दल समय पर चुनाव करा कर समय पर ही परिणाम घोषित करते हैं और राजनेता समय पर ही शपथ लेते हैं. ऐसे में सीधा सवाल है कि युवाओं को रोज़गार देने के लिए समय से भर्ती प्रक्रिया क्यों नहीं कराई जाती है?”
छत्तीसगढ़ के अलग-अलग शहरों में बेरोजगारी के मुद्दे पर छोटे-छोटे प्रदर्शन की ख़बर है. बिलासपुर, दुर्ग, कोरबा और रायगढ़ में महत्वपूर्ण चौराहों पर नौजवानों ने एकत्र हो कर रोजगार के मुद्दे पर प्रदर्शन किया.
रायपुर से आलोक प्रकाश पुतुल

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राजधानी रायपुर में बुधवार की देर रात ही तेलीबांधा तालाब इलाके में ‘जुमला दिवस’ का केक काट कर विरोध किया. गुरुवार को भी तेलीबांधा तालाब और अंबेडकर चौक पर नौजवानों ने विरोध प्रदर्शन किया.
नौजवानों की एक टीम का नेतृत्व कर रहे विनयशील ने कहा, “मोदी जी ने सत्ता में आने पर 2 करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया था. अब हालत ये है कि पिछले कुछ महीनों के लॉकडाउन में ही 1.89 करोड़ नियमित वेतन पाने वाले लोगों की नौकरियां चली गईं.”
इधर राज्य के कुछ इलाकों में भारतीय जनता पार्टी ने भी स्वच्छता अभियान और वृक्षारोपण का अभियान शुरु किया है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के वरिष्ठ विधायक धरमलाल कौशिक भी आज बिल्हा में सफाई अभियान में शामिल हुए. उन्होंने कहा-मोदी जी ने हमें जीवन में मन, विचार और शरीर से स्वच्छ व स्वस्थ रहने की प्रेरणा दी है.
असम से दिलीप कुमार शर्मा

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असम में भी नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया के सदस्यों समेत कई छात्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन को राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस के तौर पर मनाया.
जोरहाट ज़िले के मरियानी शहर में धरने पर बैठ एनएसयूआई के सदस्य रोहित शाह ने बीबीसी से कहा,”हमारे प्रधानमंत्री जी का आज जन्मदिन है और उन्हें प्रधानमंत्री बने छह साल से ज्यादा समय हो गया है लेकिन युवाओं के रोज़गार के लिए जो उपाए करने चाहिए थे वैसा कुछ भी नहीं किया गया. इसलिए आज हम उनके जन्मदिन पर बेरोज़गारी की इस समस्या को लेकर यहां धरने पर बैठे है. आज जो युवक अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा है उसके पास न कोई नौकरी है और ना ही कोई रोज़गार है. ऐसे हालात में युवा अपनी जिंदगी कैसे जीएगें. मैंने मरियानी कॉलेज से बी.काम की डिग्री हासिल की है.”
“हम लोगों ने कई बार नौकरी के लिए अप्लाई किया है पर कुछ रिजल्ट ही नहीं निकला. प्रधानमंत्री जी रोज़गार को लेकर इतने बड़े दावे करते है लेकिन इस समस्या का अभी तक कोई समाधान ही नही निकला है. हम चाहते है कि प्रधानमंत्री जी हमारी बात भी सुने और रोज़गार की व्यवस्था करके दें.”
दरअसल राज्य में आज विश्वकर्मा पूजा होने के कारण कई छात्र संगठनों ने अपना धरना कार्यक्रम रद्द कर दिया लेकिन अधिकतर ने सोशल मीडिया खासकर ट्विटर पर टॉप ट्रेंड हो रहें राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस का समर्थन किया है.

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25 साल के भानू प्रताप उरांग अपनी बेरोज़गारी को लेकर बहुत परेशान है. वह कहते है,”मेरे पिता की अचानक हुई मौत के बाद घर का ख़र्च चलाने के लिए मुझे बी.कॉम की पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी. प्रधानमंत्री जी के जन्मदिन पर मैं उन्हें शुभकामना देता हूं और साथ ही आग्रह करता हूं कि वो हम सभी के लिए रोज़गार की व्यवस्था करें. पिछले छह साल में असम पुलिस से लेकर सेना में भर्ती तक एक दर्जन से ज्यादा नौकरियों के लिए अप्लाई कर चुका हूं. कही कुछ नहीं मिला. जबकि कई बार फिजिकल टेस्ट में पास भी हुआ हूं. इतना पैसा भी नहीं है कि कहीं छोटी-मोटी दुकान खोल सकूं.”
सोशल मीडिया पर #NationalUnemploymentDay या #राष्ट्रीय_बेरोज़गार_दिवस को लेकर पीएम मोदी के जन्मदिन से जुड़े हैशटैग्स से ज़्यादा हलचल देखने को मिली है.
क्या है बेरोज़गारों की स्थिति
लॉकडाउन और आर्थिक सुस्ती की वजह से लाखों लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है और बड़ी संख्या में लोगों का रोज़गार ठप हो गया है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने अनुसार इस साल अप्रैल-जून तिमाही में देश की जीडीपी में 23.9 फ़ीसद की गिरावट दर्ज की गई थी, जो पिछले 40 वर्षों में सबसे भारी गिरावट है. इतना ही नहीं, सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के आँकड़ों के अनुसार छह सितंबर वाले सप्ताह में भारत की शहरी बेरोज़गारी दर 8.32 फ़ीसद के स्तर पर चली गई.
सेंटर फ़ॉर इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आँकड़ों के मुताबिक़, लॉकडाउन लगने के एक महीने के बाद से क़रीब 12 करोड़ लोग अपने काम से हाथ गंवा चुके हैं. अधिकतर लोग असंगठित और ग्रामीण क्षेत्र से हैं.
सीएमआईई के आकलन के मुताबिक़, वेतन पर काम करने वाले संगठित क्षेत्र में 1.9 करोड़ लोगों ने अपनी नौकरियां लॉकडाउन के दौरान खोई हैं.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और एशियन डेवलपमेंट बैंक की एक अन्य रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है कि 30 की उम्र के नीचे के क़रीब चालीस लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नौकरियाँ महामारी की वजह से गंवाई हैं. 15 से 24 साल के लोगों पर सबसे अधिक असर पड़ा है.
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