by — नकीबुल हक
आंजेला मर्कल १२ साल हुकूमत करने के बाद एक बार फिर जर्मनी की चांसलर चुनी गयी | अपने प्रथम जनता के संबोधन मे आंजेला मर्कल ने कहा कि इस्लाम ईसाई, यहूदी समेत इस्लाम जर्मन समाज का अभिन्न हिस्सा है जो सदियो से लोग अपनाए हुए है | इस्लाम कभी भी जर्मनी का बाहरी धर्म नही है | हॉर्स्ट सीहोफेर नामक व्यक्ति ने कुछ दिन पहले ही कहा था इस्लाम बाहरी है जिसके जवाब मे आंजेला मर्कल ने यह बात कही |समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार जर्मनी के दौरे पर आए स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन के साथ शुक्रवार को एक संयुक्त प्रेस सम्मेलन में मर्केल ने कहा कि इस्लाम देश की संस्कृति और इतिहास का वैसे ही हिस्सा है, जैसे ईसाई और यहूदी धर्म।
जर्मन में मुसलमानों की संख्या बढ़ रही है। जर्मन की दैनिक पत्रिका दा फेल्ट के अनुसार इस्लाम धर्म जर्मन में अच्छी संख्या में फैल रहा है।
फ्रांस के गृह मंत्रालय द्वारा किये गये अध्ययन ने इस बात की पुष्टी की है, प्रति वर्ष 3600 सदस्य इस्लाम धर्म स्वीकार करते हैं। इसी प्रकार इस अध्ययन में यह संकेत भी दिया गया कि फ्रांस में 2300 मस्जिद, और 70 लाख मुसलमान है। बल्कि इस बात की भी आशा की जा रही है कि वर्ष 2025 के आने तक मुसलमान फ्रांस की आबादी का एक चौथाई हो जायेंगे। जब कि वर्ष 2050 तक मुसलमानों की दर पश्चिम की आबादी में 20% होगी। अन्य कुछ आंकडों से यह भी मालूम होता है कि वर्ष 2040 तक मुसलमान पश्चिम की बहुमत रखने वाली जाति हो जायेगी।
आंकडे बताते हैं कि दस साल बाद हालैण्ड की प्रजा का एक तिहायी इस्लाम स्वीकार कर लेगा। एक अध्ययन इस बात की पुष्टी करता है कि स्वीडन की प्रजा में आश्चर्य रूप से इस्लाम फैल रहा है। किन्तु सरकारी आंकडे इस बात का संकेत देते हैं कि मुसलमानों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और आज कल स्वीडन में मुसलमानों की संख्या 1,20,000 से अधिक है। मस्जिदों के निर्माण की अधिक संख्या भी मुसलमानों के फैलने का संकेत देती है, विशेष रूप से उन मुसलमानों के बढने की जो अपने धर्म का संपूर्ण रूप से पालन करते हैं। किन्तु आंकडे यह बताते हैं कि यूरोप में 25000 से अधिक मस्जिदें हैं, जिससे मुसलमानों का लगाव अधिक है।
जर्मनी मे इस्लाम के बारे मे रोचक जानकरी आ रही है | इस्लामिक साइन्स (इस्लामिक धर्म शास्त्र) के पढ़ाई का ट्रेंड तेज़ी के साथ बढ़ रहा है | 2010 और 2011 में मुंसटर/ओस्नाब्रुक, ट्युबिंगेन, फ्रैंकफर्ट/गीसेन और न्यूरेनब्रग/एरलांगेन में इस्लामी धर्मशास्त्र केंद्र बने | जर्मनी में कई साल पहले शुरू हुई इस्लामी धर्मशास्त्र की पढ़ाई बहुत सफल रही है. मूल्यांकन करने पर पता चला है कि यह इतनी कामयाब है कि पूरे यूरोप के लिए मिसाल बन सकती है | इस्लामी धर्मशास्त्र विषय जर्मन विश्वविद्यालयों में लगातार जड़ें जमा रहा है. जर्मन शिक्षाशास्त्री इसे दूसरे यूरोपीय देशों के लिए आकर्षण बता रहे हैं. स्विट्जरलैंड के बैर्न यूनिवर्सिटी में इस्लाम शास्त्र पढ़ाने वाले प्रोफेसर राइनहार्ड शुल्से कहते हैं, “इस तरह का कोर्स अभी यूरोपीय विश्वविद्यालयों में नहीं है.” जर्मन संसद के शिक्षा आयोग में जर्मनी की दूसरी यूनिवर्सिटियों के प्रोफेसरों ने उम्मीद जताई कि जल्द ही इस्लाम की पढ़ाई का विस्तार होगा |केंद्र सरकार का मानना है कि स्कूलों में इस्लाम की शिक्षा शुरू करने पर 2,200 नए शिक्षकों की जरूरत होगी.इसके अलावा जर्मनी में 1,000 से ज्यादा इमाम हैं जिन्होंने कभी कोई ट्रेनिंग नहीं ली है. उन्हें भी प्रशिक्षित किए जाने की जरूरत है |
जर्मन के डॉ विलफराइड हॉफमेन ने 1980 में जब इस्लाम कबूल किया तो जर्मनी में हलचल मच गई! उनके इस फैसले का बड़े पैमाने पर विरोध हुआ! उन्होने अपना नाम मुराद हॉफमेन रखा! जर्मनी के दूत और नाटो के सूचना निदेशक रह चुके डॉ मुराद हॉफमेन ने इस्लाम पर कई किताबें लिखी हैं |जिस शख्स की इस्लाम से सच्ची नफरत होती हैं उसकी नफरत को मुहब्बत में बदलने में देर नहीं लगती |
इस्लाम की तारीख में ऐसे कई वाकयात मौजूद हैं जिनमे लोगों ने इस्लाम धर्म से नफरत की इन्तेहा तक पहुँच गए लेकिन इस्लाम धर्म ने उन्हें अपने आगोश में लेकर उनका मार्गदर्शन किया | ऐसा ही एक वाकया जर्मनी में पेश आया जहाँ एक शख्स इस्लाम धर्म से बे इंतेहा नफरत करता था लेकिन जैसे ही उसके सामने इस्लाम की हकीकत पेश आई उसने इस्लाम कबूल कर उसकी खिदमत में लग गया | जैसे की पूरे विश्व में देखा जा सकता हैं कि इस्लाम के मन्नो वालो पर किस-किस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन इस सब के बावजूद, अमेरिकी रिसर्च सेंटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस्लाम दुनिया में सबसे तेज़ी से फैलने वाला धर्म हैं. ऐसा क्यों हैं? ऐसा इसलिए हैं क्योकि अल्लाह ने पवित्र क़ुरान में कहा हैं कि “ईश्वर जिसको चाहता है उसका मार्ग दर्शन करता है”. जिसका जीता जागता सबूत जर्मनी का एक नागरिक हैं | जर्मनी की दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफ़डी) के नेता ने इस्लाम स्वीकार कर लिया है। इस्लाम विरोधी अभियान चलाने वाली इस पार्टी ने एक बयान जारी करके कहा है कि २०१६ मे आर्थर वैगनर के इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया है |
इस्लाम की छवि खराब करने का प्रयास, और मुसलमानों को परेशान करने का भी उलटा असर हो रहा है, जिससे इस धर्म के प्रति ज्ञान प्राप्त करने कि ओर लोग इच्छुक हो रहे हैं। इसी प्रकार इस्लाम धर्म फैलने में अल्लाह की ओर बुलाने वाले समूह का भी प्रयास एक कारण है। इन प्रयासों में से एक यह कि इस्लाम धर्म के वैज्ञानिकों के बीच होने वाली बहस है….. जिस से पश्चिम और अन्य धर्मो के अधिकतर लोगों को वास्तविक रूप में इस्लाम का ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिल रहा है।संयुक्त राष्ट्र की आंकडे बताते हैः इस जगत में मुसलमानों की संख्या बढने का वार्षिक दर 6.4% है, जब कि ईसाइयों के पास यह दर 1% से अधिक नही है।
सदा विभिन्न संस्कृतियों को स्वीकार करने वाला धर्म वाला धर्म इस्लाम है | इस्लाम धर्म के व्यक्तिपरक कारण, उसी उन विशेषताओं में प्रकट होते हैं, जो इस्लाम धर्म को फैलने का योग्य बनाते हैं। वह विशेषताएँ निम्न लिखे जा रहे हैः
१-इस्लाम धर्म के स्तंभ साधारण है। उसका अर्थ बडा गहरा है। उसकी परिभाषा स्पष्ट है। उसकी विधि व्यापक है, और उसकी शिक्षायें सरल है। उसको समझने के लिए अधिक मानसिक क्षमता और निपुण होने की आवश्यकता नही है। इस में न कोई रहस्य है, न कोई अस्पष्टता है, और न जटिलता इस में उपलब्ध है।
२-यह एक मानवीय धर्म है, जो मानव के स्वभाव का ध्यान रखता है। उसकी समस्याओं के अनुसार व्यवहार करता है। इच्छाओं को पूरा करता है। समस्याओं का समाधान देता है। प्रश्नों का उत्तर देता है। वास्तविक जीवन और तत्वों के बीच सद्भाव के रूप में संबंध पैदा करता है। इसी प्रकार सामाजिक अन्याय के हर रूप को अवैध ठहराता है, और मानवता के बीच, अलग-अलग वंशज, भाषा, जाति, और विभिन्न सामाजिक स्थिति के होते हुए भी संपूर्ण रूप से समानता पैदा करता है।
३-वास्तविक धर्म है, जो मानव की वास्तविकता पर निर्भर होता है, और वास्तविक जीवन में घुल-मिल नही जाता है, और न रूप बदलता है। इसी वास्तविकता के कारण इस्लाम वह धर्म है, जो संसार और परलोक को इकट्ठा करता है। इन दोनों के बीच कोई टकराव नही रखता।
४-यह वह धर्म है, जो मानवीय बुद्धि को सम्मान देता है। विचारों को मान देता है, और आपसी समझौता व लाभदायक वाद-विवाद के लिए मानसिक प्रमाण और तार्किक तरीक़े उपलब्ध बनाता है।
५-यह धर्म ज्ञान और उन्नति का विरोधी नही है, बल्कि उसकी ओर प्रेरित करता है। आधुनिक काल में ज्ञान के द्वारा जिन वैज्ञानिक तत्वों की खोज की गयी, यह सारे तत्व 1400 वर्ष पहले पवित्र ख़ुरआन में वर्णन किये हुए बातों के साथ समान है।
६-यह धर्म प्रगति के आंदोलन के साथ-साथ चलता है। निश्चित रूप से समय और स्थान में परिवर्तन के कारण जीवन पर प्रभावी होने वाले सामाजिक परिवर्तन, और विकास के साथ व्यवहार करने की अपनी क्षमता को इस्लाम धर्म ने साबित किया।
७-यह धर्म वास्तविक रूप से मानवीय स्वतंत्रता प्रधान करता है, जो कि उसी समय उपलब्ध हो सकती है, जब कि मानव अपने ईशवर की सच्ची प्रार्थना में एकाग्रचित्त हो जाये। क्योंकि इसी से वह किसी मानव का, या संसार के किसी अन्य जीव का भक्त नही रहेगा।
८-अल्लाह का धर्म एक है, अनेक नही। एक इसलिए है कि उसका स्त्रोत एक है, वह स्त्रोत अल्लाह है जिस ने ब्रह्माण्ड की सृष्टि की। लेकिन कुछ परिस्थितियाँ ऐसी होती है, जिसका ध्यान रखते हुए एक ही धर्म इन परिस्थितियों या जातियों के अनुसार विशेष नियम कि उपलब्धी का अनिवार्य होता है। इसी प्रकार कभी ईश देवत्व के स्त्रोत से दूरी होने का कारण, इस धर्म से लोग फिर जाते हैं, और इस बात की आवश्यकता होती है, किसी नये रसूल को भेजने के द्वारा इस धर्म का पुनर्निर्माण हो। वह रसूल इस धर्म के स्थिर नियमों और क़ानून की पुष्टी करें। इसी कि ओर इस्लाम धर्म के रसूल मुहम्मद की वाणी संकेत देती हैः सारे नबी और रसूल आपस में पैतृक भाई हैं। उनका धर्म एक है, और उनकी माताएँ अनेक हैं। यानी इनका समय और उनके नियम विभिन्न और अलग-अलग है…. इस्लाम धर्म के रसूल मुहम्मद सल्लेल्लाहु अलैहि व सल्लम के युग में मानवता मार्गदर्शनी प्राप्त करली है। क्योंकि इस रसूल का संदेश कुछ ऐसे व्यक्तिपरक कारक अपने अंदर रखता है, जो इस धर्म को नष्ट होने से सुरक्षित रखते हैं, और आवश्यकता के समय इस धर्म का पुनर्निर्माण करते हैं। इसीलिए इस धर्म का सिलसिला कभी नही टूटेगा, और मानवता के अंत तक यह ऐतिहासिक धर्म स्थिर रहेगा।
जर्मनी के प्रथम कवि गोतह कहता हैः मैं ने इतिहास में मानव के उच्च नैतिकता की खोज की, तो मुझे यह नैतिकता अरब के रसूल मुहम्मद सल्लेल्लाहु अलैहि व सल्लम में मिली। स्विट्जरलैंड के धर्म शास्त्र वैज्ञानिक डाक्टर हैन्स क्विंग कहता हैः मुहम्मद समग्र रूप से सच्चे नबी हैं। आज तक हमारे लिए यह असंभव है कि हम मुहम्मद को मार्गदर्शक न माने, और मुक्ति के मार्ग की और ले जाने वाला नेता होने का इंकार करे।रूस के प्रसिद्ध दार्शनिक व आलोचक लियो टालस्टय कहता हैः मैं उन लोगों में से एक हूँ, जो मुहम्मद सल्लेल्लाहु अलैहि व सल्लम के व्यक्तित्व से उत्तेजित हूँ, जिनको अल्लाह ने इसलिए चुना कि अंतिम देवत्व संदेश उनके द्वारा भेजा जाये, और अंतिम रसूल भी वही हो।फ्रेंच कवि लामार्टिन कहता हैः किस पुरुष ने उस प्रकार की मानवीय महानता प्राप्त की है, जिस प्रकार मुहम्मद ने प्राप्त की ?। किस मानव ने अद्भुतता के उच्च स्थान को प्राप्त किया, जिस प्रकार मुहम्मद ने प्राप्त किया ?। निस्संदेह मुहम्मद प्रजापति और प्राणियों के बीच मध्यवर्ती की भूमिका निभाने वाले ग़लत सिद्धांतों को समाप्त कर दिया।ऐरलान्ड का लेखक व आलोचक (साहित्य में नोबल पुरस्कार का तिरस्कार करनेवाला प्रसिद्ध व्यक्ति) जार्ज बर्नार्डशाह कहता हैः मै इस्लाम के रसूल मुहम्मद की जीवन चर्या कई बार गहराई के साथ पढा। मैं ने उनके जीवन में केवल वही नैतिकता पायी, जैसी होना चाहिए। कितनी बार मैं ने यह आशा की इस्लाम धर्म इस जगत का मार्ग बन जाये। मै ने मुहम्मद को एक अद्भुत पुरुष के रूप में पढा है, तो मैं ने उसको ईसा मसीह के साथ विरोध करने से बहुत दूर पाया। किन्तु मुहम्मद को मानवता को मुक्ति दिलाने वाला कहना आवश्यक है।
डाक्टर माइकल हार्ट इसके लेखक है। जो खगोल वैज्ञानिक और गणितज्ञ है, और अमेरिकी अंतरिक्ष विभाग में काम किया करते थे।इस लेखक ने इतिहास में शाश्वत रहने वाले 100 व्यक्तियों के नाम चुने, इनमें से सबसे पहले व्यक्ति इस्लाम धर्म के रसूल मुहम्मद सल्लेल्लाहु अलैहि व सल्लम है। लेखक ने इसके कुछ कारण विवरण किये हैं, जो यह है….
उन्होंने इस्लाम का प्रचार किया। सारे धर्मों में प्रमुख धर्म के रूप में इस्लाम को प्रस्तुत किया। वह राजनीतिक नेता, कमांडर और धार्मिक महात्मा बन गये…. उनकी मृत्यु के 13 शताब्दों के बाद भी आज तक मुहम्मद का प्रभाव सर्व व्याप्त और नवीकृत है।
फिर अमेरिकी लेखक यह कहता हैः…. हो सकता है कि इस सूची के प्रथम अंक में मुहम्मद का होना आश्चर्यचकित लगे, क्योंकि ईसाइयों की संख्या मुसलमानों से दुगना है। हो सकता है कि इस सूची में मुहम्मद का प्रथम होना अधिकतर लोगों को भ्रम में रख दिया भी हो, जब कि ईसा अलैहिसलाम नंबर 3 पर, और मूसा अलैहिसलाम नंबर 16 पर हैं।
लेकिन इसके कई कारण है। इनमें से एक कारण यह है कि इस्लाम का प्रचार करने में, उसको मज़बूत बनाने में, और उसके नियमों की स्थाप्ना करने में, मुहम्मद सल्लेल्लाहु अलैहि व सल्लम की भूमिका ईसा अलैहिसलाम से बहुत बडी और महान थी। हालांकि ईसाई धर्म में नैतिक नियमों के ज़िम्मेदार ईसा तो हैं लेकिन सेंट पॉल ने ईसाई धर्म के नियमों की स्थाप्ना की है, और बाईबल में लिखी हुई कई बातों का ज़िम्मेदार वह भी है।
जब कि मुहम्मद सल्लेल्लाहु अलैहि व सल्लम इस्लामिक नियम, धार्मिक क़ानून, सामाजिक व नैतिक व्यवहार, और संसारिक व धार्मिक जीवन में लोगों के बीच होने वाले व्यवहारिक नियम की स्थाप्ना करने के ज़िम्मेदार इस्लाम धर्म के रसूल ही है। इसी प्रकार पवित्र खुरआन केवल उन्ही पर अवतरित हुवा है, और पवित्र क़ुरआन में मुसलमानों ने अपने संसार और परलोक की प्रत्येक आवश्यकता को उपलब्ध पाया है।…. क्या तुम इस बात से आश्चर्यचकित हो रहे हो ?
धर्म पवित्र वाणी पर विश्वास रखने और उसकी सारी बातों को संपूर्ण रूप से मानने पर निर्भर होता है। लेकिन इस्लाम ने बुद्धि, तर्क, सोंच-विचार से पैदा होने वाला ज्ञान, जीव और प्रकृति में प्रयोग को अल्लाह पर ईमान (विश्वास) रखने, मुसलमानों की पवित्र पुस्तक खुरआन और इस्लाम के रसूल मुहम्मद पर विश्वास करने का मार्ग बनाया है…. इस्लामी इतिहास में आज तक धर्म और ज्ञान या बुद्धि के बीच कोई टकराऊ या विरोधाभासी देखने में नही आयी है |
भारतीय समाज मे एक पॉज़िटिव सोच का संचार करने का समय आ गया है | लोगो द्वारा दूसरे धर्मो के ग्यान को भ्रमित अंदाज मे पेश करने वालो को नकेल कसने की जरूरत है ताकि आपसी भाईचारा और शान्ती बनाये जा सके औए समाज विकास के पथ पर तेजी के साथ दौड़ सके |
वह शक्ति हमें दो दया निधे, कर्तव्य मार्ग पर डट जावें।
पर सेवा पर उपकार में हम, निज जीवन सफल बना जावें॥
हम दीन- दुःखी निबलों- विकलों, के सेवक बन सन्ताप हरें।
जो हों भूले, भटके, बिछुड़े, उनको तारें खुद तर जावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे….॥
छल, द्वेष, दम्भ, पाखण्ड, झूठ, अन्याय से निशिदिन दूर रहें।
जीवन हो शुद्ध, सरल अपना, शुचि प्रेम सुधारस बरसावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे….॥
निज आन- मान, मर्यादा का, प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे।
जिस देश, जाति में जन्म लिया, बलिदान उसी पर हो जावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे….॥
चाहे वो डॉक्टर विवेक आर्य का लेख हो या या नकीबुल साहब का लेख हो में या अफ़ज़ल भाई इन लोगो से सहमत नहीं हे या कहे की पूरी तरह सहमत नहीं हे मगर हर किसी की बात सामने आनी चाहिए इसलिए मेने ये लेख अफ़ज़ल भाई को मेल किये और ये लेख प्रकाशित किये जा रहे हे
जैसे हम नकीबुल साहब की इस बात से सहमत नहीं हे की जिस प्रकार ये लोग मुसलमानो की बढ़ती आबादी पर बेहद खुश हे वो चाहे कन्वर्जन से बढे या फिर चाहे परिवार नियोजन की धज़्ज़िया उड़ा कर बढे मेरा मानना हे की आबादी ही बढ़ाने पर सबसे अधिक जोर शोषणकारी ताकते देती हे हम सेकुलर लोग हे हमारा मुद्दा शोषण अपमान अत्याचार हे और किसी भी धर्म की संख्या बढे या घटे उससे हम ना दुखी हे ना खुश हे हमे उससे लेना देना नहीं हे हमारे मुद्दे और हे की उससे असमानता और शोषण पर कोई फर्क नहीं पड़ता हे इस्लामिस्टों को ये बात समझनी होगी मेने साफ़ देखा हे और बहुत करीब से देखा हे की शोषणकारी ताकते और उनके एजेंट और उनके बेनिफिशरी लोग ही लोगो को ज़्यादा बच्चो को कहते हे दुनिया में सबसे अधिक अपमान शोषण गैर बराबरी भारत उपमहाद्वीप में हे और यहाँ साफ़ दीखता हे की हिन्दू मुस्लिम कटटरतावादी ताकते परिवार नियोजन के सख्त खिलाफ हे मेने इसी विषय पर इसी से कुछ जुड़ा ये लेख लिखा था —————————————–पदमावती जैसे कांड जो पिछले दिनों हुए देश का इतना दिमाग खाया गया उसके पीछे काम करती हे ज़हरीली सोच की लड़किया औरते इंसान नहीं होते होती हे इज़्ज़त , कोई देता हे कोई लेता हे कोई लूट लेता हे की बकवास इस बकवास के पीछे हे शोषणकारी तत्वों के एजेंट जो हर गली में मौजूद हे लड़कियों को दे आज़ादी और बराबरी आपके ही शोषण से जुड़ा मुद्दा हे ये भी -दो घटनाएं देखे और आम आदमी आम मध्यमवर्गीय निम्न मध्यमवर्गीय जिनका देश में बहुमत हे वो देखे और समझे की उन्हें लड़कियों को आज़ादी और फुल बराबरी देनी ही होगी वैसे तो आज पहले के मुकाबले लड़कियों के लिए बहुत बेहतर समय आ गया हे मगर फिर भी एक आम आदमी एक मध्यमवर्ग का आदमी और बहुत से समाज में आज भी लड़कियों और महिलाओ को बरांबरी नहीं हे इसी का एक नज़ारा देखने को मिला जब एक तरफ भड़ास मिडिया पर ये खबर पढ़ी https://www.bhadas4media.com/article-comment/14549-bhagi-huyi-ladkiyan की कुछ लड़किया घर से भाग गयी बाहर रही ठोकरे खायी होटलो में रही पर घर नहीं गयी और वजह वो भी नहीं की कोई लड़का या कोई प्रेम प्रसंग या कोई और अप्रिय घटना पुलिस जाँच में पता चला की फरारी के दौरान इन लड़कियों ने ना किसी के साथ कुछ गलत किया ना इनके साथ कुछ बुरा हुआ इनका कहना था की इनके घर वाले इन्हे घर में बंद रखना चाहते थे और फिर ज़ाहिर हे की पहली फुर्सत में बिना कुछ देखे भाले स्वजातीय लड़के से इनकी शादी चाहते होंगे इन लड़कियों का इस सबसे दम घुट रहा होगा उनका कहना था की वो सिर्फ जीना चाहती हे घूमना चाहती हे पढ़ना चाहती हे ना की जैसा की होता ही हे की घर में बंद रहना और फिर जल्द से जल्द शादी करके बच्चे पालना इन लड़कियों को ये मंजूर ना था वो घर से भाग गयी उन्हें पता था की ये बहुत जोखिम हे मगर जीने की प्यास में उन्होंने ये कदम उठाया दूसरी तरफ दिल्ली में अंकित नामके लड़के की ऑनर किलिंग हुई संघियो ने मौका देख कर हमेशा की तरह इसे कम्युनल रंग दिया जबकि भारत में अपने ही धर्म में भी प्रेमविवाह फिर नाराज़ घर वालो द्वारा हत्याओं का लम्बा और रोज़मर्रा का इतिहास रहा हे वो मुस्लिम लड़की अगर किसी मुस्लिम ही लड़के से प्रेम और विवाह चाहती तब भी ये सब हो सकता था अंकित अगर मुस्लिम नहीं किसी और जाती या वर्ग की हिन्दू लड़की से प्रेम करता तो भी ये हो सकता था होता आया हे असल मुद्दे कुछ और हे लोग आखिर क्यों लड़कियों को आज़ादी नहीं देना चाहते इसमें क्या घबराहट हे कौन हे जो उन्हें उकसाते हे कौन हे जो उन्हें बताते हे की लड़कियाँ इंसान नहीं होती हे हमारी तरह , बल्कि घर की ” इज़्ज़त ” होती हे हर समय हमें इस इज़्ज़त की हिफाज़त और चिंता करनी चाहिए और लड़कियों के घर से बाहर निकलने से और निकलने के कारण गैर मर्दो के संपर्क में आने फिर प्यार होने से लड़की के अपनी मर्ज़ी से शादी करने से हमारी इज़्ज़त ख़राब होती हे इतनी ख़राब और बेहूदा सोच आज भी कौन लोग फैलाते हे उनका क्या मकसद होता हे इस सबके पीछे ————— ? , यहाँ तक भी देखा गया हे की लड़कियों के अपनी मर्जी से शादी करने पर माँ बाप भाई कई साईं साल बाद बच्चे होने के बाद भी आ आकर ऑनर किलिंग करते हे ज़ाहिर हे की कोई हे जो उन्हें भड़काते हे ये कौन लोग हे हम आपको बताते हे की ये हे शोषणकारी तत्व और उनके एजेंट ये ही आम लोगो को भड़काते हे की वो अपनी लड़कियों दबाकर रखे उनकी खुशिया छीने किसलिए ताकि इनका शोषण और वर्चस्व कायम रहे जी हां लड़कियों को दबाने के पीछे शोषणकारियो की यही भावना काम रही हे बेचारे आम लोग इसे पहचान नहीं पाते वो कही अपनी लड़कियों की जीने की चाह का गला घोटते हे तो कही ऑनर किलिंग करके अपने पुरे परिवार को तबाह कर लेते हे और पीछे मुस्कुराते रहते हे शोषणकारी तत्व ताकते और उनके एजेंट पहले केस की बात करे तो जिसमे लड़किया रो रो कर कह रही हे की उनके अपने उन्हें पढ़ने नहीं देते जीने नहीं देते घूमने नहीं देते तो फिर वो अपने जो लड़कियों को इस तरह से दबाकर रखना चाहते हे वो फिर क्या चाहते होंगे आख़िरकार —————- ? यही ना की जल्द से जल्द इन लड़कियों की शादी कर दी जाए जल्द से जल्द शोषणकारी तत्वों के एजेंट यही समझाते हे की जल्द से जल्द लड़कियों की शादी कर दो बला टालो लड़किया इंसान नहीं हे घर की इज़्ज़त हे और इज़्ज़त इसी में हे जल्द से जल्द शादी कर दो पुराने ज़माने में ही नहीं आज भी यही सोच हे भारत में बहुत हे ही , इस सोच को बढ़ावा देते ध्यान से गहराई से देखेंगे तो जड़ में मिलेंगे आपको आपको शोषणकारी तत्व ताकते और उनके लोग , जानते हे ये ऐसा क्यों करते हे ये ऐसा इसलिए करते हे की जैसा की रविश कुमार ने कहा था की प्राइवेट स्कूलों और प्राइवेट हॉस्पिटल्स ने लोगो को गुलाम बना लिया हे इसके आगे भी आयाम हे स्कूल इनके हे हॉस्पिटल्स इनके हे बैंक में पैसा इनका हे बिल्डर ये हे नेता इनके हे तो ये चाहते हे की लोग जल्द से जल्द शादिया करे जल्दी शादिया होंगी तो बच्चे अधिक होंगे और इनके स्कुल और हॉस्पिटल भरे रहेंगे भरे रहते हे भारत की आबादी सवा अरब से भी बहुत अधिक हो चुकी हे इसमें शोषणकारी ताकतों का कोई नुक्सान नहीं हे इनका तो फायदा हे अधिक आबादी तो इनके स्कुल और हॉस्पिटल्स में तिल धरने को जगह नहीं मुँह मांगे दाम और अधिक आबादी तो उसके लिए अधिक मकान बिल्डर ये हे मनमाने दाम लेते हे फिर मकान के लिए लोन और ब्याज बैंक में पैसा इनका हे जो आप लोन लेकर सारी जिंदगी चुकाते हो फिर जल्द बीवी बच्चो घर ग्रहस्ती की चक्की में लोग पीस जाए तो उनके पास सोचने का मौका नहीं होगा ( इसलिए मेने देखा की हमारे यहाँ का एक महाभरष्ट करोड़पति जिसका सिर्फ एक लड़का हे कोई पोता पोती नहीं शादी को छह साल हो गए , फिर भी वो मेरी जान खाता हे की शादी करो बच्चे पैदा करो जबकि मेरी मदर के पहले ही 11 नातिया पोतिया हे सोचिये ऐसा क्यों ताकि में उसका गुलाम बनु —————————— ? ) इसलिए आपने देखा होगा की शोषणकारी तत्वों को जे एन यु जैसे संस्थानों से हिस्टीरिया की हद तक नफरत हे जहा बड़ी उम्र के लड़के और लड़किया पढ़ते हे चिंतन करते हे इसी चिंतन से इन्हे अपनी पोल खुलने की चिंता रहती हे – शोषकारी तत्व इसलिए लड़कियों को दबाने की पैरवी करते हे ताकि वो जल्द शादिया जल्द शादिया होंगी तो आबादी भी अधिक होगी घर ग्रहस्ती के ही बोझ से लोग दबे रहेंगे तो कुछ ना सोच पाएंगे ना कर पाएंगे ना कुछ बदलाव होगा लोग इनके भेड़ बकरी बने रहेंगे जिन्हे ये जब चाहे अपने फायदों को इस्तेमाल और बलि कर ते रहेंगे – जिससे लोगो की खुद भले ही जिंदगी नर्क हो जाए मगर उससे शोषणकारी तत्वों का तो फायदा ही फायदा हे एकतरफ खरीदार अधिक होंगे दूसरी तरफ पूंजी और सस्ती लेबर का उसे लाभ मिलेगा अपने चारो तरफ देख लीजिये की जो ऊपर कहा सेम वही हो रहा हे यानि और शोषणकारी वयवस्था के बेनिफिशरी या फिर उनके एजेंट ही लड़कियों को दबाकर रखने उन्हें हमारी तरह इंसान नहीं बल्कि” इज़्ज़त ” मानने की पैरवी करते हे या नहीं ——– ? अब इसी तरह बात आगे देखे तो जैसा की अंकित के केस में हुआ की लड़किया फिर भी नहीं दबती खतरे उठाकर भी वो घर से बाहर निकलती हे अपनी जिंदगी जीती हे प्रेम करती हे प्रेम विवाह करती हे तो इससे फिर शोषणकारी तत्वों का गुस्सा बढ़ता हे प्रेम से इन्हे सख्त चिढ हे कारण की प्रेम इंसान को उदार बना देते हे और फिर वो जाती धर्म के ठेकेदारों की जकड़बन्दियों में नहीं पड़ता हे उसे ये सब बेमानी लगने लगता हे प्रेम में पड़ा इंसान सॉफ्ट हो जाता हे वो औरो से भी प्रेम करने लग सकता हे इस सोच से शोषणकारी तत्वों के ही एजेंट धर्म और जाती आदि के लोकल ठेकेदार राजनीतिबाज़ चिढ उठते हे उन्हें इस सोच से अपनी सत्ता खिसकती हुई लगती हे फिर वो अपने लोगो को नीचे तक चार्ज करते हे और आख़िरकार जोड़ो के परेंट्स के कान में ये बात फूंक दी जाती हे की इस प्रेमविवाह से आपकी इज़्ज़त धूल में मिल गयी हे और फौरी भावनाव के उबाल में वो ऑनर कीलिंग जैसा अपराध करके अपना पूरा का पूरा परिवार तबाह कर लेते हे वो तो तबाह हो जाते हे मगर शोषक तत्व इस पर खुश होते हे की इन काण्ड के बाद दूसरे लड़के लड़कियों को भी सबक मिलेगा और उनकी सत्ता सुरक्षित रहेगी और पाठको सत्ता से कोई नहीं हटना चाहता हे अब ये देखना आम आदमी को हे वो लड़कियों को दबाकर डराकर उनकी खुशिया उनकी इंसान के रूप में डिग्निटी छीन कर अगर सोचता हे की वो अपनी इज़्ज़त की रक्षा कर रहा तो एकबात ठन्डे मन से सोच ले की असल में तो ये सब आपकी इज़्ज़त आपकी डिग्निटी पर सबसे बड़ा हमला हे लड़कियों को दबाकर रखने की सीख देने वाले लोग असल में उस वयवस्था से जुड़े हे डायरेक्ट या इनडायरेक्ट वो लोग जो असल में आपको गुलाम बनाकर रखे हुए और रखना चाहते हे इस गुलामी से छुटकारा चाहिए तो पहला काम कीजिये लड़कियों को बराबर इंसान मानिये नार्मल रहिये ये रवैया क्रांति होगा फिर देखिये धीरे धीरे इससे ही आपको एक गुलामी से छुटकारा मिलेगा ——————————जारि
आज भारत में हिन्दू कठमुल्लावाद के पास सबसे अधिक पैसा हे पॉवर हे तो खेर उस की मलाई खाने और पी एम् पद से लेकर लाइक्स तक की इतनी लूट और पागलपन मचा हुआ हे दंगे फ़र्ज़ी वीडियो फ़र्ज़ी खबरे तो ये करते ही अब पागलपन हिस्टीरिया इस हद तक पहुंच गए हे की किताब लड़की लाइक्स फॉलोवर आदि को लेकर हिन्दूकठमुल्लेकटटरपन्ति लुच्चे और लफंगे तत्व सोशल मिडिया पर आपस में ही बुरी तरह से भीड़ गए हे एकदूसरे के कपडे फाड़ रहे हे और एक दूसरे को लड़कियों से लेकर दर्जियो मज़दूरों का दलाल तक बता रहे हे देशभक्ति को यु ही नहीं ” लफंगो की आखिरी शरणस्थली ” कहा जाता हे ये तो होना ही था दक्षिणपंथ में निष्काम कर्म नहीं होता हे सब अपने मतलब के यार होते हे देशभक्ति धर्मभक्ति सब फर्जीवाड़ा होता हे
Agar islam best dharm hai toh
Kyu allah muslimo ko christian aur Jews se dosti karne par mana karte hai
Kyu allah aurto ko jannat mei 72 aadmi nahi dega