अफ़ज़ल ख़ान
बीबीसी न्यूज की खबर के मुताबिक मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की अंगूठी जिस पर राम लिखा था उस की नीलामी हो गयी है., इस अंगूठी पर देवनागरी लिपि में भगवान राम का नाम लिखा है। अपनी अनुमानित कीमत से 10 गुना से भी अधिक पर करीब 14,287,665 रुपये में इसकी नीलामी हुई। टीपू सुल्तान को मेसूर के शेर के नाम से जाना जाता था, अंग्रेज़ उसे बिर्टिश साम्राज्य के रुकावट के लिये सब से बड़ा खतरा मान रहा था, इसी लिये एक साजिश के तहत टीपू सुल्तान को युद्ध के दौरान धोखे से मारा गया. टीपू सुल्तान की दहशत इतनी थी के अंग्रेज़ उस के मरने के बाद भी उस के करीब जाने से हिचक रहे थे.
बताया जाता है कि श्रीरंगपट्टिनम में 1799 में ब्रिटिश इंडिया कंपनी के सैनिकों से लड़ाई में टीपू सुल्तान के मारे जाने के बाद उनके शव से यह अंगूठी निकाली गई थी। क्रिस्टी ने इसके बारे में उल्लेख किया, ‘यह अदभुत है कि महान मुस्लिम योद्धा हिंदू देवता के नाम वाली अंगूठी पहने हुए था।’
टीपू सुल्तान को मेसूर के शेर के नाम से जाना जाता था, अंग्रेज़ उसे बिर्टिश साम्राज्य के रुकावट के लिये सब से बड़ा खतरा मान रहा था, इसी लिये एक साजिश के तहत टीपू सुल्तान को युद्ध के दौरान धोखे से मारा गया. टीपू सुल्तान की दहशत इतनी थी के अंग्रेज़ उस के मरने के बाद भी उस के करीब जाने से हिचक रहे थे.
जिस शासक ने अपने मुल्क के लिये अंग्रेजो के खिलाफ जिद्डोजहद की आज उसी शासक की अमूल्य समन की नीलामी हो रही है. भला हो विजय माल्या का के आज से क़रीब 9 साल पहले टीपू सुल्तान की मशहूर तलवार की जब नीलामी हो रही थी तो उसे खरीद कर भारत लाये और सरकार को सौंप दिया , इस तरह टीपू सुल्तान की मशहूर तलवार भारत मे वापस आ सकी. हमरए लिये और अपने भारत सरकार के लिये बड़े शर्म की बात है के अपने मशहूर शासको की विरासत वाली समन की विदेसो मे नीलामी हो रही और दूसरे मुल्क वाले खरीद रहे है. हमारे सरकर को इस के लिये क़दम उतनी चाहिये और उन को सुनिश्चित करनी चाहिये के अपने किसी भी भारतीय की समान की अगर बिक्री हो रही है तो उसे खरीद कर वापस भारत ला कर अपनी धरोहर को बचानी चाहिये. उमीद है के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस मुद्दे की तरफ धयान दे गे.
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अफ़ज़ल ख़ान
खबर की खबर
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ख़ाँ साब, नमस्कार, लेख अच्छा और समसामयिक है, लेकिन अगर दिवंगत सुल्तान के लिये ‘उसके’ की जगह ‘उनके’ शब्द का प्रयोग करते तो बेहतर होता था. मेरा कतई कोई अन्यथा आशय नही है, बस ध्यान चला गया. साभार…
एक दम सही लिखा
इतिहास मे कहा जाता है औरन्जेब की बेटी जेब्बुनिशा कृष्ण की भक्त हो गई थी वो हिन्दू धर्म अपना लि थी उसकी बेटी को भी हिन्दू राम और कृष्ण का तो यानी भगवान का डर तो था ही ठीक उस्सी प्रकार टीपू सुल्तान को भी राम का डर हमेशा से उसके साथ था इसलिये वो राम की अंगूठी हमेशा वो पहने रखता था किऊँकी राम और कृष्ण का ही हमेशा से आस्तितिव है और कोई अल्लाह का प्रूफ नही है मुहम्मद पैगंबर को भी हमेशा से भगवान शिव का डर था इसलिये तो आज भी मक्का मे बिना सिले हुए कपड़ा पहन के हिन्दू रीति रिवाज़ की तरह हाज़ी जाते है वहा हिन्दू रीति रिवाज की तरह ही मुण्डन करवाते है और हिन्दू रीति रिवाज की तरह ही मक्का का 7 चक्कर लगाते है लेकिन उल्टा जो की दुनिया का किसी मस्जिद मे नही होता है यानी की मुहम्मद पैगंबर को हमेशा से भगवान शिव का डर था तभी तो ऐसा प्रथा को मक्का मे उन्होने चालू रखा और दुनिया के किसी मस्जिद मे ऐसी प्रथा नही होती है और तो और हमने सुना है की मक्का मस्जिद के अंदर भगवान कृष्ण और माता योसोदा का पुराने जमाने का वित्ति चित्रा है जिसको ए मुसलमान लोग माता मरियम बुलाते है और कभी भी इसको अरबी मुसलमान इसको सार्वजनिक नही करते हमेशा काले कपड़े से अंदर धक के रखते है अगर आप मुसलमानो को थोड़ा सा भी डर नही है तो अंदर सबकुछ खुलेआम करे सार्वजनिक करे मक्का वो जगह है जहां हमारे भगवान भगवान विष्णु वामन अवतार मे पहला पग रखे थे इसलिये मक्का हम हिन्दू के लिये भी दुनिया का सबसे बड़ा तीर्थ है और मक्का को ही हमलोग मक्केश्वर मंदिर बुलाते थे जो की सबसे ज्यादा पवित्रा था जिसको आज कल मुस्लिम लोग अज्ञान की बजह से कब्जा किये हुए बैठे है अगर आप मुसलमानो को कोई भगवान का कोई डर नही है तो खुल के सारा चीज समाज के सामने किऊन नही रख देते किऊन छुपा रहे हो जो गुप्त बात और और असली बात ?
History does not accept Tipu Sultan as overrightly secular ruler. It is hardly believable that he being a stauch follower of Islam would have wear a ring having Hindu God name. All these are the brain child of our secular historians
khaan shaab kis sultaan ki baat kar rahey hai aap jiskey vanshaj aaj bhart ki sadko par riksha chala rahey hai ha wahi tipu sultaan jinki aad aulaad aaj dar dar ki khikhari ho chuki hai teepu sultaan ak mahan sasak they unho ney bhe desh ke leya jo ban pada keya bhartiya itihaas ko zara gaur say dakha jaye tou ya pahli bar nai ho raha hai aisa kai bar ho chuka hai aur hota rahey ga khaas taur par puri cheej ya purani bato say yaha kisi ko fark nai padta aur batey badi badi ki jati hai nilam tou bharat ki atma ko bhe kai bar bar bar keya jata raha hai abhi haal mey he mahatma gandi ki kuch niji letter bhe nilam keye gaye they ager aap bhartiya rajneeti ko zara dhyaan say dakhey tou ghandi ha mahatma ghandi ke vanshajo ko he congrace party may ticket nai milta aur nirdaliya chunav ladtey huey deekhai detey hai yaha kisi ke naam ka istamal karna sab jantey hai sanskriti tharohar ki bat karna bemani si he lagti hai bachi kuch ashimita bhe nilami ke kagar par hai congrace gov ney sab ko kuch tou nilam karwa deya desh ki izzat abru dhan daulat zaldi he apni puri bat akado aur saboot ke sath aap ke he portal par he khaber ke madhyam say bhajney ki kosis karo ga khaan shaab asha karo ga tab shyaad deepu sultaan ya mahatma ghandi ke vanshjo ko unka sahi adhikaar aur bharat ki sanskaiti aur uski dharohar ke prati aam janmanas jagruk ho baki ummed ab modi ji say he acchey din ke leye congraace ney tou dil bhe loota desh bhe aur janey kya kya …
pardeep ji
Asal me hamare mulk ke liye badkismati hai ke, hamare purane shasak jin ka khastaurse 1857 me baadshaho ne jo mulk ki pahli azaadi ki ladai angrezo ke khilaf ladi, un ke khandan walo ka koi puchne wala nahi hai. dusri in ki amuly cheeze jo ki yaha se angrez utha kar le gaye lakho , caroro me bik raha hai. lekin hukumat sirf munh dekh rahi hai.
Teepoo na to secular tha na hi badshah woh aur usaka pita Haider Ali userper tha Maysur ki gaddi ka. Sath hi Bahadur Shah Zafer 1857 ki ladai ka neta nahi tha balki majboori men naam ka neta bana thaa. Haan Zafer ek achchhe shayar jaroor the. Teepoo jaise communal ke hath Ramnami anguthi sach nahi prateet hoti waise akhiri dino men usaki kattarata kam ho gayee thee aur usane kuchh hindu dharmsthalon ke liye bhi grant diya thaa to yah bhi sahi ho sakata hai. Hinduon ke liye woh kisi kasai se kam nahi thaa atah usake vanshaj yadi bheekh maang rahe hain ti ise kudarat ka nyay hi kaha ja sakate hai. Aurangjeb ke vashajon ki bhi yahi sthiti hai.
हिन्दू कितना बाड़ा झूठा धर्म हैं?????? ब्राह्मण को पूरी स्वतन्त्रा हासिल हैं|जो चाहे हिन्दू समाज मे करे किसी की भी बहू बे लेले उसे कुछ भी नही कहा जाएँगा और जिसका भी माल खाले उसके लीए जायज़ हैं| शूद्र ब्राह्मण की सेवाके लिए जन्म लिया उसका सबकुछ ब्राह्मण के लिए हैं|शूद्रा को मंदिर मे पूजापाठ करने की यहा तक के मंदिर मे जाने की अनुमति नही हैं (मनुशत्रा) मे हैं ” जब कोई ब्रहमन पैदा होता हैं तो वहा संसार मे सर्वस्रेस्ट प्राणी हैं| वह सारे प्राणियो का राजा हैं | जो कुछ इस संसार मे हैं वह ब्रहमन का माल हैं | क्योंकि वह प्राणियो मे सबसे बड़ा हैं कुल चीजे उसी की हैं| ” क्यों क्या बाकी सब रावण के पेट से जन्म लिए क्या सिर्फ ब्राहम्ण क्या आसमान से उतरा हैं ( मनुशत्र प्रतम अधय) ” ब्राहम्ण को यदि आवशकता हो तो वह बिना किसी पाप के अपने दास कमाल बलपूर्वक ले सकताज़ा हैं|इस अनुसूचित रूप से उसपे कोई जुर्म लागू नही होता क्योंकि दास जयज़त का मालिक न्ही हो सकता| उसकी कुल जायज़ाद ब्रह्मन का माल हैं|” ( ( मनुशत्र अधय आठ) “जिस ब्राह्मण को ऋग्वेद याद हैं|वह गुनाह से पाक हैं यदपि वह तीनो लोगो का नाश करदे