अफ़ज़ल ख़ान
जब भी किसी धार्मिक व्यक्ति को सुनने का अवसर मिलता है उन साहब के मुंह से फलजड़िय अवश्य निकलती है कि हमारी समस्याओं यहूदी और ईसाइयो की साजिशों का नतीजा है. हमारे और यूरोप में एक बड़ा अंतर यह है कि यूरोप के विद्वानों और ज्ञान को अपने लोगों के प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ता था और कभी कभी उन्हें गंभीर सजा भी भुगतनी पड़ी . लेकिन हमारे समाज में अब सभी अविष्कारों और खोजों पश्चिम से आती हैं और उलेमा उनके विरोध तो बड़े जोर और शोर करते हैं अविश्वास और कुफ़्र के फतवे भी सादर कहते हैं और अविष्कारों और खोजों को यहूदी ईसाई के षड़यंत्र भी बताते लेकिन बदलते हालात धीरे धीरे खुद भी ढल जाते हैं क्योंकि जैसे पानी अपना रास्ता खुद बनाता है, वैसे ही ब्रह्मांडीय सचाई जिन्हें दुनिया विज्ञान के नाम से जानती है को झुठलाने असंभव हो गया है.नीचे कुछ फतवे जो उलेमाओ द्वारा दिये गये थे समय के साथ गलत साबित हुए या काहे के मुसलमानो ने जरूरत के साथ इस को अपना लिया.
मुस्लिम खलीफा के दौर में यूरोप में छापा गृह( PRESS) आविष्कार हुआ और इस पर सबसे पहले शब्दकोश प्रकाशित की गई. इस छापे बॉक्स के आने से मुस्लिम उलेमा आय प्रभावित होने का ख़तरा पैदा हुआ, क्योंकि मुस्लिम उलेमा कि स कुरान और हदीसों की हाथ से लिखा करते थे. उन्होंने आरोप लगाया कि यह राक्षसी मशीन है और हमारी धार्मिक किताबें इस तरह मशीन नहीं छप सकती इसलिए इसके हराम होने का फतवा जारी कहा गया.
इसी तरह जब लौडस्पीकर आया तो उसकी आवाज गधे की आवाज समान ठहराकर शैतानी उपकरण गिना गया और उसे इस्तमाल करने से माना कर दिया गया. लेकिन बदलते हालात आप और इस मद उपयोगिता साबित किया कि इस उपकरण आज किसी घर में तो नहीं है लेकिन हर मस्जिद अनिवार्य हिस्सा है.
रेलगाड़ी को अंग्रेजों ने उपमहाद्वीप में शुरू किया तो हमारे उलेमा ने उस पर भी फतवा लगाया कि पैगंबर की हदीस है कि क़्यामत के संकेतो मे एक संकेत है कि लौह लोहा चलेगा. आज हालांकि हमारे देश में रेल का यात्रा आम है और जहां भी यह सुविधा मौजूद है उसे एक आशीर्वाद बताया जाता है.
विमान जब सार्वजनिक हुआ तो उस पर भी फतवा जारी हुआ कि यह कैसे संभव है कि लोहा हवा में उड़े? उलेमाओ ने फ़तवा दिया के जो भी इस कोमानेगा उसका निकाह फ़ासक होगा.
रक्त के विभिन्न समूहों को न केवल समझा गया बल्कि साईनसदानों एक व्यक्ति के रक्त दूसरे लगाकर मानवता ऐसा तोहफा दिया जो हर व्यक्ति के जीवन में कमोबेश एक बार वास्ता पड़ जाता है. लेकिन उलेमा सीमित ज्ञान केवल यह था कि सौ लकमे भोजन खाएँ तो एक बूंद रक्त बनता है. रक्त सो बूँदें मिलें तो पुरुषों मर्दाना शक्ति का एक कतरा बनता है. इसलिए मना ठहरा इससे विरासत एक व्यक्ति से दूसरे में स्थानांतरित हो जाएगा. यह फतवा भी मौत मरा चारोनाचार मुल्लाओं ने रक्तदान को सिर्फ उचित ठहराया बल्कि रक्त दान करना एक अच्छा काम बताया.
फोटोग्राफी पे जितना हंगामा मचा सब को मालूम है, मगर आज के दौर मे इस के बगैर कोई काम नही होता. ये फ़तवा भी समय के साथ असफल रहा..( पहले ही इस पर लेख लिखा जा चुका है.)
एक महत्वपूर्ण टीके कि पोलियो जैसे खतरनाक रोग को इस दुनिया से मिटा के करीब है भी हराम कही जा रही है क्योंकि यह मुस्लिम पुरुषों नपुंसक बनाने के लिए जिम्मेदार है. इस फतवे पर तो मुसलमान इतना यकीन है कि आए दिन पोलियो की वैक्सीन बहुत से मुसलमान भारत मे पिलाते ही नही है, जब के पाकिस्तान मे सरहद और ब्लुचिस्तान मे कुछ क़बीले वाले वॉलंट्री वर्कर (पोलीयो ड्रॉप) पिलाने वेल को गोली मार देते है, फिर भी यही यहूदी, ईसाई वेल अपनी जान दे कर अपना काम करते है.
इसी तरह टेस्ट ट्यूब बेबी की भी भरपूर विरोध किया गया लेकिन इस तकनीक से पहले सफल बेबी बनानीवाले साईनसदान अब तक नौ हजार बेबी बना चुके हैं. चूंकि यह ज्ञान तो आज के लिपिक के सिर के ऊपर से गुजर जाते हैं इसलिए उनके के हल्के विरोध करके यह लोगों पहलू तही जाते हैं और अतीत की तरह हंगामा नहीं मचाती.
अभी ताजा फ़तवा आया है जिस मे कार्टून को भी हरम क़रार दे दिया है, मतलब बच्चे अब कॉमिक्स, खिलौना, कार्टून चॅनेल नही देख सकते.
आप ने उपर कुछ फतवे देखे जो समय के साथ गलत साबित हुए जिस को हराम कहा ग्या आज वो मुसलमानो के लिये जरूरत बन गया. ये तो हमे मानना ही पड़े गा के मज़हब और विज्ञान का टकराव हर धर्म मे होता आया है ये सिर्फ इस्लाम मे ही नही बाकी सभी मज़हबो मे ऐसा हुआ है, इस से कोई ध्र्म अछूता नही रहा है. बाकी धर्मो के विज्ञान से टकराव के बारे मे लेख फिर कभी. सच्चाई ये है के हमारे उलेमा , धार्मिक गुरु सिर्फ फ़तवा देते है समस्या का हल नही बताते. इस लिये फ़तवा का खेल बंद होना चाहिये क्यो के अजीब गारोब फतवे से मुसलमानो की बदनामी और रूसवाई होती है.
धार्मिक गुरु सिर्फ फ़तवा देते है समस्या का हल नही बताते. इस लिये फ़तवा का खेल बंद होना चाहिये क्यो के अजीब गारोब फतवे से मुसलमानो की बदनामी और रूसवाई होती है.
धर्म से ऊपर उठ कर सच्चई के साथ जो आर्टिकल आप ने लिखा अफज़ल खान साब बहुत ही अच्छा लगा अभी हाल की एक घटना याद आती है हमको नई डेल्ही के जमा मशीद से एक फतवा जारी हुआ था राजनीतिक फतवा शयद उसका ही नुकससन हुआ कोंग्रस पार्टी को और भी बहुत सात कारन भी थे, लकिन किसी भी धर्म के गुरु को फतवा जारी या कोई भी व्यतिगत इच्छा सार्वजानिक रूप से जाहिर नै करनी चाइये क्यों की आप की एक मान मर्यादा देश और समाज मे होती है लोग आप की बातो को अल्लाह या भगवान क रूप मे लेते है तो इस तरह जनता या अवाम को गुमराह करना अब बंद करना होगा सभी धरम के गुरु ख़ास कर फतवा गैर मतलब के फतवा से मुशील धर्म को भी अपनी मान सम्मान की रक्षा खुद ही करनी पड़े गी
जनाब अफ़ज़ल साहब आप इतिहास के बहुत पड़े लिखे स्टूडेंट हैं लेकिन आपनी बात साबित करने के लिये कोई भी रेफरेन्स नही दिया है बस जो आपके मन में आया लिख दिया.
* प्रेस पर किस मुफ़्ती ने फ़तवा दिया, क्यों दिया, कब दिया आपने कुछ नही बताया. एह तो सुनी सुनाई बात हुई.
* लौडस्पीकेर पर आपने कुछ नही बताया.
* रैलगाड़ी, हवाईजहाज़, ब्लड, फोटोग्रफी, पोलीयो एह तो सब सुनी सुनाई बाते हैं जनाब आपने कोई प्रूफ नही दिया है.
* और टेस्ट ट्यूब बेबी कोई बिग्यान पैदा नही कर रहा है.
इस तरह के गलत सलत इल्ज़ाम आप मुस्लिम्स पर क्यों लगा रहा है मेरी समझ से बाहर हैं.
बहुत ही सुन्दर लेख अफजल भाई. आप ऐसे ही समाज को सही राह दिखाते रहें, यही दुआ है मेरी.
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अफजल भाई, लेख के अंत मे भी आपने बहुत ही सुन्दर बात कही की “मज़हब और विज्ञान का टकराव हर धर्म मे होता आया है”. पर आज जब करीब सारे धर्मो के लोग बिना विग्यान के शायद 10 दिन भी ना रह पाएँ. ऐसे मे आज के समय मे किसी भी धर्म या मजहब के लोग किसी विग्यान के आविष्कार को मना करते हैं तो वो उनकी बेवकूफी के अलावा कुछ नहीं.
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अब कुछ ही देर मे कुछ मासूम लोग आयेंगे तो अपनी चिकनी चुपडी बातों मे मजबहब और अंधविश्वास का जहर घोलेंगे और एक “सतयुग” वाली सच्चाई का दर्शन करवाने की बेकार कोशिश के साथ आपको गलत साबित करने का प्रयास करेंगे.
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“लोगों को अंधविश्वास से दूर ले जाना, हकीकत से रुबरु करवाना, एक ऐसी सोच पैदा करना जिससे की उनका सही तरीके से विकास हो” अगर ए सारी गलतियाँ हैं तो में आपसे अनुरोध करूंगा की आप ऐसी गलतियाँ हर रोज करे. समाज की भलाई ऐसे संदेशो से होती है, ना की आसाराम के उपदेशो से.
म्मुल्ला को अपनी दुकान चलनी है वो तो फतवे देते रहेगे लेकिंग खुदा ने मुसलमानो को अक्ल भी तो दी है उसका इस्तमाल करे और सोचे फिर उस पे अमल करे जब तक मुसलमान मुल्ला के चुंगल से आज़ाद नही होगे तब तक तरक्की मुमकिन नही पढ़ो लिखो एसा कुछ इजाद करो जिससे दुनिया का फायदा फायदा हो सारी के सारी चीजे ईसाई लोगो ने इसज की उनकी चीजे का इस्तमाल कर और उनको ही गाली दो और चुन चुन कर मारो (केनिया) ए दोहरा पन छोड़ के भाईचारा अपनाओ
आम मुस्लिम फतवो के विषय में मौलाना वहीदुद्दीन खान साहब का ये लेख जरूर पढ़े और समझे ताकि रोज रोज होने वाले विवादों का अंत हो ”http://tehelkahindi.com/%E0%A4%AB%E0%A4%A4%E0%A4%B5%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%9D%E0%A4%BE%E0%A4%B5-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%9B/
में कन्फर्म नहीं मगर लगता हे की भारतीय उपमहादीप में अरब देशो से आना वाला चंदा एक बड़ी समस्या हे जब आप किसी से भी पैसा लेते हे तो फिर आपको थोड़ी बहुत नमक हलाली या फिर कुछ न कुछ रिज़ल्ट दिखाना ही पड़ता हे मेरा अंदाज़ा हे की ये उलजुलूल फतवे देकर अरब देशो को सन्देश देने की कोशिश की जाती हे की देखो हमें ही इस्लाम पता हे हमें ही फ़िक्र हम ही जनता को सचेत कर रहे हे वगेरह वगेरह