सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा,
हम बुलबुले हैं इसके , ये गुलिस्तान हमारा।
मज़हब नही सिखाता आपस मे बैर रखना ,
हिंदी हैं हम वतन हैं , हिंदोस्ता हमारा।
अल्लामा इकबाल कि ये पंक्तियां आज भी कई लोग गुनगुनाते मिल जाते हैं अक्सर या तो 15 अगस्त या 26 जनवरी या जब हिंदुस्तान पाकिस्तान का क्रिकेट होता है , क्युंकी हमारी देश भक्ति इसी दौरान जागती है, बाकि पूरे साल तो हम हिंदु हैं तो मुसलमान को गाली देते हैं और अगर मुसलमान हैं तो हिंदुओ को । कभी कभी तो हम 15 अगस्त और 26 जनवरी को भी नही छोड़ते । पूरे साल या तो जय श्री राम बोल कर मुसल्मानो को काटते हैं या अल्लाह हो अकबर कह कर हिंदुओ को। पाकिस्तान को बोलते हैं कि आज का पाकिस्तान जिन्ना का पाकिस्तान नही है , अरे नामुरादो, निकम्मो, बेगएरतो तुम्हारा हिंदुस्तान क्या गांधी , नेहरु, आज़ाद या भगत का हिंदुस्तान है। तुम आज इनके हिंदुस्तान को सुपुर्द-ए-खाक कर चुके हो । ये हिंदुस्तान भागवतो, सिंघलो, तोगडियो, ओवैसियो का हिन्दुस्तान है । गाँधी , भगत तो अब इस देश मे पैदा भी नही होंगे ।
ये भागवत, सिंघल, तोगडिया, ओवैसी इस देश के गद्दार हैं इन्हे तो राजपथ पर फांसी देनी चाहिये । अपने सड़े गले मकसदो और वोट बैंक की राजनीति को पूरा करने के लिये ये गद्दार कुछ भी कर सकते हैं किसी भी हद तक जा सकते हैं । एक हिंदु होने के नाते मै ये कह रहा हूँ कि मुझे आर.एस.एस. या हिंदू महासभा या बजरंग दल कि आवश्यकता नही है अपने धर्म कि रक्षा के लिये, और वैसे भी धर्म एक मानव जनित बिमारी है जो नश्वर है । चाहे कोइ भी धर्म हो । जिस प्रकार से इस्लाम के नाम पर कत्लेआम हो रहा है और अनुयाई खुले आम आतंकवादियो का समर्थन कर रहे हैं ये सब एक महान मज़हब को बद्नाम कर उसे गर्त मे ले जा रहे हैं । हमे आतंकवादियो से उतना खतरा नहीं है , हमे ओवैसी जैसो से खतरा है जो इंसानो को विचारो से आतंक्वादी बना रहे हैं । वही हाल 5000 साल पुराने धर्म होने का दम्भ भरने वाले सनातन धर्म का भी होने जा रहा है । आज जो स्थिति इस्लाम मे है अगर भागवत, तोगड़िया, सिंघल जैसे लोगो को अगर नही रोका गया तो सनातन धर्म कि भी हो जाएगी । मेरा ये डर निर्मूल नही है आप मालेगांव, समझौता एक्सप्रेस बम धमाको को ही देख लीजिये। इन्ही गद्दारो ने देखते देखते बाबरी मस्जिद गिरा दि थी । ओवैसी बंधु अपने पिता का नाम बदनाम कर रहे हैं जो एक महान व्यक्ति थे , ये उनका नाम भी डुबा रहे हैं । ओवैसी बंधुओ की पूरी राजनीति सिर्फ हिंदू मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति है। ओवैसी भा.ज.पा कि बी टीम हैं , इन्होने कभी भा.ज.पा को नुकसान नही पहुँचाया ।ओवैसी को 2011-12 के बाद भा.ज.पा ने खड़ा किया ताकि वोटो का ध्रुवीकरण किया जाये । ओवैसी के खुलेआम मोदी को गाली देने के बाद चुप्पी साधे रह्ना ये सिद्ध कर रहा है की अंदरखाने कुछ घालमेल है। ये सभी लोग एक दूसरे को इंधन देते हैं चाहे ओवैसी हो या चाहे भागवत/ तोगड़िया , इनमें से एक ज़हरीला बयान देता है तो दूसरा उस बयान को इंधन बना कर अपनी वोट कि रोटी फुलाता है ।
इनका काम सिर्फ चिनगारी लगाने का होता है , बाकि काम इस देश के मूर्ख हिंदू या मुसलमान कर देते हैं । ये जुलूस निकाल कर एक पत्थर फेंक्ते है और पीछे से आने वाले इनके अंध अनुयाई दंगा कर देते हैं । गुजरात का दंगा इसका उदाहरण है , उस वक़्त भी ओवैसी जैसे कुछ हराम खोरो ने मुट्ठी भर मुसलमानों को बरगला कर साबरमती को आग लगा कर 50 से ज्यादा निर्दोष हिंदुओ को मार डाला जिसमें औरते और बच्चे शामिल थे और इन भागवतो , तोगदियो, सिंघ्लो ने उनकी लाश को दार्शनिक वस्तु बना कर एक ऐसा विस्फोतक मिश्रण तैयार किया जिसकी परिणती गुजरात दंगो के रूप मे सामने आयी । यही सब 1992 मे भी हुआ था । ये सभी गद्दार हैं , सभी वैचारिक आतंकवादी हैं , सभी एक कलंक हैं जो हिंदुस्तान जैसे देश के माथे पुते हुए हैं और हिंदुस्तान कि धर्म निरपेक्ष आत्मा को चोट पहुँचा रहे हैं । दुर्भाग्य तो इस बात का है कि एक साथ कई लोगों को बर्गलाते हैं और दिग्भ्रमित करते हैं और कुछ मूर्ख और बेवकूफ व्यक्ती इनका अनुसरण कर्ते हैं । ये लोग इतने अंधे हो जाते हैं की सही गलत कि पहचान तक भूल जाते हैं । इनके द्वारा बरगलाए लोग या तो समझौता ब्लास्ट करते है या मुम्बई ब्लास्ट, या गुजरात के दंगे । अंग्रेजो द्वरा हिंदू मुस्लिम के बीच खीची गयी लकीर को इन्होने खाई बना दिया जिसे अब पाटना मुश्किल है ।
इनका खुलेआम हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र बनाने कि धमकी देणा , आतंकियो का खुले आम समर्थन करना , हिंदुओ और उनके धार्मिक प्रतीकों पर भड़काऊ बयान देना , मुसलमानों के प्रति ज़हर उगलना । ये सारी बातें आम हिंदू और मुस्लिम मे दूरी बना रही है। पिछले 30 सालों मे ये दूरी इतनी बढ़ गयी है की हिंदू मुस्लिम एक दूसरे को काटने को दौड़ रहे हैं । बाबरी मस्जिद विध्वंस और गुजरात दंगो के बाद हो रहे इन वाकयो के कारण देश का साम्प्रदायिक सद्भाव लगातार बिगड़ रहा है । इन वजहो से एक चिंगारी सुलग रही है जो कभी भि एक दावानल का रूप धारण कर सकती है जो इस पूरे मुल्क कि शांति , समृद्धि , एकता , और अखंडता को खा जाएगी जला कर भस्म कर देगी ।
अगर ह्मे अखंड रहना है तो पह्ले एक होकर इन गद्दारो के पिछवाड़े पर एक लात मार कर भगाना होगा । ये काम मुश्किल है क्युकि ऐसे लोग सैकड़ों कि संख्या मे हैं लेकिन इस देश कि शांति चाहने वाले लोग भी लाखो मे है ह्मे एक होकर इन्हे सबक सिखाना होगा ।
मै खबर कि खबर पोर्टल के माध्यम से राश्त्रपति और प्रधानमंत्री महोदय से यह निवेदन करना चाहता हूँ कि आप देश कि शांति , एकता और अखंडता के लिये खतरा बने आर.एस.एस , हिंदू महासभा, विश्व हिंदू परिषद , ए.आइ.एम.आइ.एम जैसे देश द्रोही संगठनों पर रोक लगा कर इन्हे आंतक्वादी संगठनों की सूची मे शामिल किया जाये क्युंकी ये लोगो मे वैचारिक आतंकवाद को फैला रहे है । साथ ही मोहन भागवत, प्रवीन तोगडिया, अशोक सिंघल, असद्दुदीन ओवैसी , अकबरुद्दीन ओवैसी जैसे देश द्रोहियोँ पर देश द्रोह का अभियोग चला कर इन्हे मृत्यु दंड दीया जाये, साथ ही मै देश कि सर्वोच्च अदालत तथा मुख्य न्यायाधीश से यह निवेदन करता हूँ कि वो इनके भड़काऊ भाषणों पर खुद संज्ञान लेकर कार्यवाही करे।
मेरी इस देश के वासियो से निवेदन है कि इनकी बातो पर ध्यान ना दे , आपसी सौहार्द को बनाये रखे क्युंकी इससे ह्म जैसे आम नागरिकों को हि नुकसान होता है इनका कुछ नहीं बिगड़ता। मेरा काम लोगो को जागरूक करना है , बाकि इस देश के लोग खुद ही जागरूक हैं , अपना अच्छा बुरा समझती है ,और ये गांधी, नेहरू भगत ,कलाम, का मुल्क है इसकी एकता और धर्म निरपेक्षता इसकि खूब्सूरती है ।
Ye pagal hai kaya Hindu ke nam par dhoka hai,kehta hai babri masjid giradi.samjota express or malegaon boom explosion.. Gadhe Jo itne salon se bom explosion ho rahe hain WO nahi dikai diye.Hinduon ki sirf ek hi mang bas Ayodhya main Ram KA jam hua sirf WO hume dedo.Ram mandir Hindustan main nahi banega to kaya makka main banega,
Kashmiri main itne log mardiye WO nahi dikhai deta..pehle Ram mandir ko gira kar masjid bani .. Sirf Ayodhya hi nahi pore bharat main .. Hinduon be kisi or jagah ke bare main kuch nahi bol rahe sirf Ayodhya ke liye hi … Bola.
इसे लेख कहा जाए या हर्ष जी के दिल का भड़ास . खैर आप ने सही लिखा है के भारत में जब तक धर्म पे हस्तक्षेप नहीं लगती मतलब धर्म गुरुओ पे तब तक ये सब ड्रामे होते रहे गे. सभी धार्मिक गुरुओ पे रोक लगे और उन के काम पे नजर राखी जानी चाहिए . तभी एकता संभव है ,
भाग्वत ने क्य किआ , र स स का एक उदह्ररन बता दो जिस्से लग्त हो कि वो अतन्क्वदि हैन्
क्या आप को मालूम नही है के संघ का देशभक्ति मे कोई हाथ नही है. गाँधी जी की हत्या करवाया , गाँधी जी की हत्या पे खुशी मनाया और मिठायी बाँटा था . जब पूरा देश आजादी की लड़ाई के लिये अंग्रेजो के लिये लड रहा था तो भाजपा अंग्रेजो की छाँवहगिरि कर रहा था. सब से शर्म की बात है के संघ का कोई रोल आजादी मे नही था . यहा तक के उन के ऑफीस मे भारतीय झण्डा भी नही फहराया जाता .
आप का ऐसा लिखना या तो अज्ञान है या आप का काम
तो दोनो ही स्तिथि में आप अपनी गलती मानो गे तो नही
बस इतना कहना है झुठ से मिलने वाला नही कुछ
और सत्य बहुत कठोर होता है आप जैसे छछुनंदर से डक नही जायेगा
आपको बिल्कुल नहि पता वहब र स स देशभक्त संगठन है और उसके प्रत्येक कार्यालय मे तिरंगा फहराया जाता है प्रत्येक 15 अगस्त व 26 जनवरी को सही से जानकारी कर के तब कुछ बोलो. और शर्म करो ये बोलना से पहले….
bilkul thik likha magar kuch point sut gaye hai jaise kashmir ke alagavwadi india me 80% hindu hai aur hindu majority area me muslim to rahate hai magar 1990 se jo kashmir se hindu nikale gaye hai unaka kya babari masjid ya hindu terrorist ke bomb blast isaka koi sochane wala hindu samarthan karega par yadi musalmano ki dadhi par hath ferane wale congress jaisi kuch party rahi to un dadhi ko katane ki bat karane wali bjp jaisi party apane aap paida hogi
“बाबरी मस्जिद”?? गिरा देी थी….
हर्श जेी क्या आप पुरे सुबुत से साबित कर सकते हे कि अयोध्या मे गिराया गया विवादित ढांचा बाबरी मस्जिद हेी थेी , राम मन्दिर नहेी था ??
आपसेी सदभाव बिगदने का खतरा ऐसे लेखो से भेी कम नहेी हे जिसमे “पता नहेी क्यो” तथ्यो को एक्तरफा तरेीके से पेश किया जाता हे ??
शरद जी जब मामला अदालत में था तब इसकी कदम की क्या जरूरत थी और वह मस्जिद थी जिसे मंदिर को गिरा कर बनाया गया इसे हाइकोर्ट ने भी माना, लेकिन बात यहां ये हो रही है कि बाबरी विध्वंस की आवश्यकता क्या थ। बाबरी मामले का फायदा सबने मिलकर उठाय। सत्य को स्वीकार कीजिए, बात एक तरफा नहीं हो रही ह।
सत्य को स्वीकारने की जरूरत आपकी तरफ से भी है हर्ष जी जो कुतर्को पर आड़े हुए है ? सच लिखिये तराजू के एक पलड़े मे नीचे चुम्बक मत लगाइये:)
जब मामला सुप्रीम कोर्ट तक जाकर तय हुआ था तो फिर नीचे के किसी कोर्ट का रेफरेंस देने का मतलब ?? और इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी विवादित स्थल को मस्जिद नही माना था आप अपनी आंखो से वह फैसला पढ कर तसल्ली कर लीजिये.
महोदय मामला तो अभी तक सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है , यहां बात बाबरी मस्जिद थी या मंदिर इसकी नहीं है, और अगर वो मंदिर थी तो उसे गिराया क्यू गया, आपके ये कहने से कि वो मंदिर था उसका विध्वंस करने वालों के अपराध कम नहीं कर देता. और विध्वंस के बाद मामला हाइकोर्ट में ही चल रहा था जिस पर 4 साल पहले फैसला आय।
आप खुद भी मान रहे है कि केस सुप्रीम कोर्ट मे चल रहा है यानि वह जगह विवादित ही हुई !!
जब वह जगह विवादित है और एक पक्ष की निगाह मे राम मंदिर और दूसरे की निगाह मे बाबरी मस्जिद है तो आप क्यो खुल्लम-खुल्ला उसे बाबरी मस्जिद साबित करने का सर्टिफिकेट देने मे लगे हो ?? अगर ईमानदार लेखन मे यकीन है तो आगे के कुछ कॉमेंट्स मे उस जगह को राम-मंदिर के नाम से संबोधित कर दीजिये:)
भारत में ही नहीं पुरे उपमहादीप के कोने कोने में साम्प्रदायिक पुरातनपंती कटटरपंथी कठमुल्लवादी ताकते और उनके नेता अब पुरे जोश में हे और भविष्य के’ सुनहरे सपने ” देख रहे हे सबको अपना फ्यूचर ब्राइट लग रहा हे वजह ये हे की जब इन्होने देखा की एक आदमी सम्पादयिकता की सीढ़िया चढ़ते चढ़ते चढ़ते उपमहादीप की सबसे ऊँची और ताकतवर कुर्सी पर जा बैठा हे तो वह इन सभी के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गया हे उसने ही इन सबकी बैटरी फुल चार्ज कर दी हे वह खुद भी इन्ही के कंधो पर बैठ कर दस पंद्रह साल गद्दी सुरक्षित रखना चाहते हे
गोधरा ट्रेन ना जलाई होती तो तो क्या गुजरात दंगा होता ????
क्या जलने वालो को सजा हुई ?????
जौली नहर पर हत्याए ना होती तो क्या मुजफ़्फ़रनगर दंगा होता ???????
मामला 50-50 का है फिर भी सारा दोष हिन्दुओ को ही ?????
किसी भी दंगे का इतिहास उठा के देख लो दोनो कमुनिटी बराबर की भागीदार मिलेंगी
मूर्ख लोग क्रिया और प्रतिक्रिया यही तो करते है हर दंगे मे और यदि क्रिया ही ना हो तो क्या प्रतिक्रिया होगी ????
”गोधरा न होता तो गुजरात ना —–क्रिया पर्तिकिर्या ब्ला ब्ला ” अरे भाई ये घिसी पिटी हज़ारो बार दोहराई बाते पढ़ पढ़ कर जी मितला जाता हे सभी लोगो से अपील हे की प्लीज़ इस साइट पर वो सब घिसी पिटी बाते ना किया करे जो पहले ही नेट पर हज़ारो जगह मौजूद हे कोई नई बात करे भाई कोई नयी जानकारी नयी सोच नए विचार आदि ? रामपुनियानी जी तक का लेख बेहद उबाऊ और घिसाउ था खेर आगे – सिम्पेथी में राजीव जी बहुमत मिल गया था उसके बाद किसी पार्टी या व्यक्ति को बहुमत मिल सकता हे ये किसी ने भी मतलब किसी ने भी सपने में भी नहीं सोचा था ———————- ? सवाल ये हे की गोधरा गुजरात मुजफरनगर जोला ओला का असली बेनिफिशरी कौन हे ——-? हम उन लोगो में से नहीं जो मुसलमानो की हर गलती यानी 9 11 संसद हमला हो गोधरा वगेरह वगेरह हो हर बात को अगले की साज़िश बता देते हे नहीं हम उनकी कड़ी निंदा करते हे मगर ये भी बात हे की कहा जाता हे की गोधरा मुजफरनगर ना भी होता तो भी तैयारी थी की कुछ ना कुछ तो होता मुजफरनगर में भी मार्च 2013 में ही मेरे परिचित ने बता दिया था की जो यु पि जीतेगा वही ———-? उसने कहा था की चुनाव को देखते हुए साम्प्रदायिकता की साज़िश मिलीभगत हो रही हे शायद इरादा ये था की 40 – 40 स्कोर रहेगा मुजफरनगर में जो गाव में हुआ उसमे मुसलमानो की ही गलती थी पहले आपने लड़की छेड़ी फिर एक के बदले दो मार दिए सही हे मगर कहते हे की तैयारी तो थी ही मुज्जफनगर न होता तो कोई और शहर होता मगर होता जरूर नतीजा पूर्ण बहुमत जो किसी ने भी नहीं सोचा था किसी संघी विचारक ने भी नहीं
साम्पर्दयिकता हो तनाव दंगे हो पंगे हो ? सीमा पर तनाव हो तो फिर इस सबका लाभ किसको मिलता हे ? क्या गांधीवादियों को ? वाम को ? राहुल को नितीश को केजरीवाल को ममता को ? किसको इसका फायदा मिलता हे या मिलेगा ?
सबको मिलता है साहब किसी को ज्यादा, किसी को कम
जिसको कम मिलता है उसके लिये हर्ष जी सरीखे विद्वान लेखक है ही जो अयोध्या के विवादित स्थल को बाबरी मस्जिद साबित करने पर तुले हुए है?? जबकि कोई सुबुत सुप्रीम कोर्ट तक मे उसे बाबरी मस्जिद साबित नही कर पाया ??क्या ये सुप्रीम कोर्ट से भी उपर है ??
मियाँ हयात – क्यों दूसरो को नही मिल पाता?
क्यों मुसलमान आज तक देश में रच बस नही गये ?
आज भी पाकिस्तान से दोस्ती करेंगे तो U P के मुसलमान खुश होगे
रहेंगे 2100 सदी में मजे सब लेंगे लेकिन देश हित की बात होगी 1400 सदी में पहुँच जायेगे
आपको क्या लगता भागवत, सिंघल, तोगडिया, ओवैसी आदि को फ़ासी देने से सब सही हो जायेगा ए कट्टरपंथ की जमीन उपजाऔ हो गयी है जनाब जितना खाद पानी मिलेगा उतनी ही हरि भरी होगी
वैसे आपके जैसे कितने है समाज मे?????
जरूरी है घिसी पिटी क्रिया प्रतिक्रिया की पुनराव्रती को रोकने की वर्ना बाबू कोडानी याकूब जैसे शैतान पैदा होते रहेंगे
हिन्दू मुस्लिमो को और मुस्लिमो हिन्दुओ का दोष यही तो करते आ रहे है हर दंगे मे
जब तक समाज को यह ना समझाया जाये की ताली दोनो हातो से ही बाजती है तब तक खूब कलम घिसिए भागवत, सिंघल, तोगडिया, ओवैसी जैसो पर और तभी तक ए कमुनिटी के नेता बने रहेंगे
कोई एसी कमुनिटी नाम बता सकते है जिसमे रेप मर्डर लूटपाट ना होती हो ?????
तो फिर यही घटनाये 2 भिन्न कमुनिटी मे हो तो उन्हे धार्मिकता मे क्यो रंगा जाये ?????
हर्ष जी आपने मोदी, भाजपा और संघ को तो आपने खुब खरी खोटी सुनाई, दो चार शब्द कांग्रेस की तुष्टीकरन की राजनीति के बारे मे कह देते । आज तक हिंदुओं का डर दिखाकर मुसलमानों का वोट कौन लेता रहा है ? राहुल गाँधी के कथनानुसार देश को सबसे बड़ा खतरा ” हिंदु आतंकवाद” से ही है । आतंकवाद को हिंदु और मुस्लिम मे कौन बाँट रहा था ? क्या कांग्रेस के शासन काल मे दंगे नहीं हुए हैं ?
अतीवादी हिंदुओं का समर्थन तो हम भी नहीं करते । पर किसी को खुश करने के लिए सबको एक ही डंडे से हाँक देना और सबको एक ही सतह पर रख देना उचित नहीं है । आपने तो मोहन भागवत को आतंकवादी और संघ को आतंकवादी संगठन बता दिया । भागवत की तुलना ओवैशी से की । आपने तो उन्हें फाँसी की सजा भी सुना दी। ये तो ज्यादती है । मोहन भागवत का एक भी भाषण बताइए जिसमे उन्होंने मुसलमानों को मारने की बात कही हो या मुहम्मद साहब को गाली दी हो ? अधिकतर समय कांग्रेस का शासन रहा, फिर भी वो भागवत या संघ के खिलाफ कोई सबुत क्युँ नहीं कर पाई ?
धर्म वीर जी पहली बात मैंने बी जे पी और मोदी को कुछ नहीं बोला मैं यहां बात राजनीतिक दलों पर नहीं कर रहा हूं मैं कट्टरपंथी धार्मिक दलों की बात कर रहा हूं , यदि भागवत ने कभी मुस्लिम समुदाय को गाली नहीं दी तो ओवैसी ने भी कभी हिंदू समुदाय को गाली नहीं दी मैने लेख में उसे भी रगडा है , पता नहीं कैसे भागवत और ओवैसी जैसे लोग देश भक्त कहलाने लगते हैं मैंने तो आज तक भागवत जी को कोई देश भक्ति का काम करते नहीं देखा, इन्होंने तो मदर टेरेसा जैसी महान हस्ती तक पर कीचड़ उछाला है क्योंकि वे दूसरे धर्म की थ। उनके सामने भागवत कुछ नहीं हैं, अक्ल के नाखून लिजिए महोदय हर चीज़ को धर्म के नजरिए से देखना बंद कीजिए इसलिए यह लेख लिखा रही बात कांग्रेस की तो उसकी दुर्गति तो हो ही रही है, अगर कांग्रेस इतनी लायक होती तो आज भागवत और ओवैसी जैसे लोगों का वजूद ही नहीं होत।
शरद जी विध्वंस के समय वो मस्जिद ही थी तभी तोडी गयी अगर उसे मंदिर माना जाता तो विध्वंस नहीं होता सरकारी अभिलेखों में भी वो घटना बाबरी मस्जिद विध्वंस कही जाती है ना कि विवादित ढांचा विध्वंस,
हा हा हा अब क्या बोला जाये 🙂
डिस्कसन हो या असल जिंदगी, गडबड किसी एक पक्ष के हद दर्जे के अडियलपन की वजह से ही शुरु होती है और अंडरस्टॅंडिंग बनाने की कुछ नाकाम कोशिशो के बाद सामने वाले की भी मजबूरी हो जाती है कि वो भी अडियलपन का ही दामन थाम ले ?? आपका अडियलपन सॉफ इशारा करता है कि आपका लेखन किसी मजबूरी (आर्थिक या सामाजिक ) के कारण है अन्यथा तर्को वाली बात तो कोई नज़र नही आती !!
हा हा हा शरद जी आर्थिक और सामाजिक मजबूरियां नहीं है मेरी, हाँ समाज के प्रति एक जिम्मेदारी है मेरी, मैं ये कोशिश कर रहा हूं कि मेरी आने वाली नस्ल को हिंदू मुस्लिम का ये वैमनस्य विरासत में ना मिले, जिस तरह से मुझे मिला, मेरे पिता को मिल। हमारा तो पूरा पालन पोषण इसी वैमनस्य में हु। बाकीरह लेख की बात यह मेरी एक कोशिश है कि लोग सच्चाई को समझने की कोशिश करें, बाबरी विध्वंस होने से आम लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ, नुकसान ही हुआ और राम मंदिर बनने से भी किसी को कोई फायदा नहीं होगा, हाँ कुछ मुट्ठी भर लोगों का अहंकार जीत जायेगा तो कुछ का हार जायेग।
जब बाबरी मस्जिद ही साबित नही हो पाई तो विध्वंस के फायदे नुकसान की केलकूलेशन ??
अहंकार की बात आपकी तरफ जयादा नज़र आती है अन्यथा सुप्रीम कोर्ट मे चलने वाले केस पर आप इतनी जिद नही दिखाते , पता नही विवादित स्थल को बाबरी मस्जिद कह कर आप क्यो नाक का बॉल बनाये हुए है ?? कोर्ट जो साबित करेगा वही सभी मान लेंगे तब तक क्यो खुद से चीफ जस्टिस बनना ??
नुकसान तो हुआ है आप मानें भले ना, उसी नुकसान की वजह से ही यह लेख लिखा है
कम से कम आप तो एक जगह पर टिकते शरद साहब ! अभी वह न बाबरी मस्जिद और न राम मंदिर होने का तर्क देकर आप उसे विवादित ढांचा कहने पर भाषण सुना रहे थे और अब खुद ही उसके बाबरी मस्जिद साबित न होने की दुहाई दे रहे हैं ! तो क्या अब उसे राम मंदिर कहें ? और किस अदालत के फैसले के आधार पर कहें यह भी जरा बता देते !
और अगर वह ढांचा बाबरी मस्जिद साबित न हुवा तो उसके विध्वंस की छुट देकर उसके फायदे नुक्सान के केलकूलेशन को सिरे से नकारने वाली कौन से कानून की कौन सी धारा है आपके पास ?? जो आप सुप्रीम जज बनकर खुद ही सुप्रीम जस्टिस सुना रहे हो !!!
शरद जी
अगर इस मुद्दे पे बहस की जाये गी तो बात बहुत आएगे निकल जाये गी . राम मंदिर पे बात हो गी तो सवाल ये भी उठे ग के क्या राम का कोई अस्तित्व है अगर है तो क्या ये वही जगह है . इतिहास के अनुसार अगर मान भी लिया जाए तो राम का जगह उस समः के हिसाब से इंडोनेशिया का एरिया आता है .क्यों के रामायण और महाभारत का हक़ीक़त से कोई वास्ता नहीं है ये सभी महागाथा है मतलब लम्बी कहानी .
राम का अस्तित्व तो है ही वहाब साहब और आप कैसे कहा सकते हैं कि रामायण और महाभारत का हकीकत से कोई वास्ता नहीं, आप तो एक नई बिना सिर पैर की बहस को जन्म दे रहे हैं, हम भी यह कह सकते हैं की पैगंबर मुहम्मद का कोई अस्तित्व नहीं, लेकिन नहीं इश्वर आस्था के विषय हैं, किसी दूसरे के इश्वर पर उंगली उठाने से पहले ये देख लिजिए तीन आपकी तरफ भी उठेंगी, यह लेख भी आप जैसे लोगों के लिए ही है
चिश्तेी साहाब इस्लाम के बारे मे भेी तैयारी पूरी करके आ जाइये , हमेशा केी तरह आपका स्वागत है !!
वहाब साहब, हमारे लिए भी कुरान एक स्वघोषित पैगंबर की मनगढ़ंत बाते ही हैं । हम ऐसी तल्ख बाते नहीं करना चाहते, लेकिन जब आप और आपके जैसे ही कुछ और मुस्लिम भाई इस साईट पर बार – बार हिंदु धर्म पर हमला करते हैं तो हम भी उत्तर देने के लिए विवश हो जाते हैं ।
चलिये चिश्ती साहब आप भी डिस्कसन जाय्न कर लीजिये:) अच्छा ये बताइये कि चौथी सदी से पहले ना मुसलमान होने के सुबूत मिलते है और ना ही इस्लाम के ?? तो फिर आपकी मस्जिदे या तो खाली जमीन पर बनाई गयी होंगी या फिर दूसरे धर्मो की जगहो पर कब्जे करके !!….कुछ फरमाना चाहेंगे ??
….इसके बाद कुरान ….फिर इसलामेी सुलतानो कि अय्याशिया…..फिर खुन्खराबे से सराबोर उदाहरनो के बेीच अमन के मजहब पर गुफ्त्गु….उस्के बाद इस्लाम कि सामाजिक बदहालियो पर आपकेी अनमोल राय !!….तैयारेी रखियेगा ः)
हर्ष जी, आप बीजेपी की तुलना ओवैशी की पार्टी से कर रहे थे । आपका मानना है कि ओवैशी ने कभी हिंदु धर्म के बारे कुछ नहीं कहा, जो कि गलत है । ओवैसी ने कहा था कि अगर 15 मीनट के लिए पुलीस हटा लिया जाए तो वो हिंदुओं को अपनी ताकत दिखा देंगे । उसने श्री राम, उनकी माता का भी अपमान किया ।
मोहन भागवत ने मदर टरेसा की आलोचना की । आलोचना का अधिकार लोकतंत्र मे सबको है । कई लोगों ने संघ एवं उसके नेताओं की भी आलोचना की है । कांग्रेस ने सुभाष चंद्र बोस की आलोचना की थी । बहुत से लोग गाँधी जी की आलोचना करते, कई लोग मोदी की भी आलोचना करते हैं । लेकिन हम इन आलोचना करने वालो को आतंकवादी तो नहीं कह सकते ।
संघ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की बात करता है । बहुत से लोग उनकी विचारधारा से सहमत नहीं हो सकते हैं । वो उनकी आलोचना कर सकते हैं । लेकिन बिना किसी सबुत के संघ को आतंकी संघठन घोषित करना और उसके अध्यक्ष को फाँसी देने के लिए कहना उचित नहीं है । संघने समाज सेवा के क्षेत्र मे भी बहुत काम किया है ।
जैसे हाफिज सईद् पाकिस्तान मे करता है?
ये गद्दार क्या चीज़ होती है? वफ़ादारी का पैमाना क्या है? आज आप जिनको गद्दार कह रहे हैं, वो किसी के लिए देश-भक्त हैं, और वो तथाकथित गद्दार भी अपने आप को देश-भक्त ही मानते होंगे.
मैने ये देखा है कि लगभग सभी लोगो के दिमाग़ मे एक शत्रु बैठा हुआ है. किसी के लिए ये मुसलमान है, किसी के लिए काफ़िर, किसी के लिए संघी, किसी के लिए पाकिस्तान, किसी के लिए यूपी बिहारी. जब तक हम अपने ऊपर इन पहचानो का लबादा ओढ़े रखेंगे, दुनिया काली-सफेद, वफ़ादार-देशभक्त मे ही विभाजित रहेगी.
उदाहरण के लिए “वन्दे मातरम” को शीर्क समझ कर नही गाने वाले मूर्ख, गद्दार हो जाते हैं, जबकि अपने आप को देश-भक्त कहने वाले कुछ लोग, राष्ट्रगान को ब्रिटिश राजा की स्तुति कह कर उसको बदलने की अपील करके भी राष्ट्रवादी बने रहते है.
बाकी आपके लेख की भावना अच्छी है.
श्रेी हर्श् जेी “गद्दार ” किसे कहते है ?
जो इस देश केी कुच् गुप्त बातो को देश के बाहर् प्रकत करे या दुस्रे देश्के साथ मिल्कर अप्ने देश्के लोगो को नुक्सान् पहुचाह्ये
अब आप बतलिये इस लिश्त मे कौन आते है !
जिन नेताओ का आप्ने जिकर किया है उन्को आप देश को कम्जोर करने का दोशेी जरुर कह सक्ते है ! देश को और समाज को कम्जोर कर्ने मे अन्य लोग भि अते है जैसे रिश्वत् खोर मिलावत् खोर् दहेज हत्यरे, कन्य भुर्ध हत्यरे , अन्य अपार्धि भि !
aapne jo comment likha hai wo bahut hi durbhagypurn hai aur aapki GANDI MANSIKTA ko batata hai, AAPKI SOCH BAGDADI KI SOCH SE MILTI HAI JO IRAQ AUR SEERIYA ME SHIYA AUR DUSRE ISLAMIC LOGO KO GAIR ISLAMIC MANKAR UNKA NARSANHAAR KAR RAHA HAI AUR AB BHARAT ME AAP JAISE SAATHIYO KI MADAD SE HINDUWO KA NARSANHAAR KARNE KI CHETAWANI DE RAHA HAI KYOKI HINDU TO JANMJAAT KAAFIR HOTE HAI AUR UNKI HATYA KARNA HI ISLAM KA MUKHY KAAM HAI , SHARM AANI CHAHIYE EKTARFA LEKH LIKHKAR AAP APNE KO EXPERT SAABIT KARNE KI BHOOL MAT KARE YE HAMESHA HAMLE KARE AUR HINDU MERKAR BHI KUCH NA KARE , AGAR HIMMAT HAI TO ISLAM KE BAARE ME LIKHO GADHE KI TARAH DECHU DECHU MAT KAR VERNA AB HINDU BHI JABAB DEGA
क्षमा चाहूँगा जरा देर से प्रस्तुत हो रहा हूँ ! लेकिन शरद जी के कमेन्ट पढ़ कर हंसी आ गई इसीलिए कहना पड़ रहा है की हर्ष जी शरद जी ने बड़ी चालाकी और मासूमियत से आपके पुरे लेख के मूल उद्देश्य को बगल दे कर चर्चा अपने हक़ में मोड़ ली और जाने अनजाने आप भी उसमे अपने आप को लपेटे में लाने से नहीं रोक पाए ! वाह शरद जी ऐसे तो लोगों पर विषयांतर और मुख्य रास्ता छोड़ पतली गली से निकलने का आरोप लगाते रहे और अब खुद इस लेख में विवादित ढाँचे को बाबरी मस्जिद कहे जाने के बाल को पकड़ कर झुलने और सब को झुलाने लगे ? क्यूँ ? सुप्रीम कोर्ट का आदर सिखाते सिखाते कल्याणसिंह की वादाखिलाफी पर दो शब्द भी क्यूँ नहीं फूटे आपके तार्किक कलम से ?? और क्या था भाई मुख्य मुद्दा यहाँ पर ? वो विवादित ढांचा मंदिर था या मस्जिद ?? फिर आप पतली गली में क्यूँ घुस गए ??? चलिए आप यह तो मानते हैं न की वह राम मंदिर था ? फिर आप जैसे जो और भी इसका रात दिन स्यापा करते नहीं थकते उनमे से कितनो ने उसे गिराने की जिम्मेदारी सहर्ष ली ? या आज भी कोई माई का लाल ये कह रहा हो तो बताएं ! औरों की छोडिये क्या आप खुद ये हिम्मत कर पाए ये कहने की की जो हुवा अच्छा हुवा ? वह ढांचा गिराने वाले ही सच्चे देशभक्त हैं ?? आप खुद भी मज़बूरी की माला जप कर देशभक्ति की ,हिंदुत्व की कौन से परिभाषा सिखा रहे हैं ???? कब तक अप कभी मज़बूरी के नाम पर किसी की हत्या को जायज ठहराओगे और कभी किसी विध्वंस को जायज ठहाओगे ?? जो आँखे हर्ष जी को दिखा रहे हो की वो अपने आप को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर न समझे फिर जिन्होंने कानून हाथ में ले विध्वंस किया उनके तारीफ़ में भी कुछ कसीदे पढ़ देते 🙂
हर्ष जी ने मात्र उस विवादित ढाँचे को मस्जिद कह दिया तो वो जिद,अड़ियल ,एकतरफा हो गए ? इतने की आप भी उसी पर चर्चा की जिद पर अड़े रहे और जिन्होंने कानून हाथ में ले लिया और लेने दिया तो वो सिर्फ मजबूर ? उनमे आपको कोई जिद्दी ,कोई अड़ियल , कोई कोर्ट, कानून से अपने आप को ऊपर रखता नहीं नजर आया ! वाह !! शरद साहब ! क्या तर्क करते हैं आप !!!!
महीने भर बाद सो सो कर जागते हे ?? अपनी ट्यूब लाइट बुद्धि के दम पर आप क्या साबित करना चाहते हे समझ के बाहर हेः)
बात काही की किस्से काही के ?? अरे जब हमने विवादित ढांचे को बाबरी मस्जिद कहने पर ऐतराज किया तो हर्ष जी को या तो साबित करना था कि वह बाबरी मस्जिद हे जो उन्होने किया नहीं और कुतर्को पर आड़े रहे जिसकी वजह से बिना वजह डिस्कसन बिना किसी दिशा के आगे बढ़ता गया…..
आपने हर्ष जी से जानने कि कोशिश कि थी कि क्यो वे बाबरी मस्जिद कि जिद पकड़े रहे ?? खाया पिया कुछ नहीं गिलास तोड़ा 12 आने ??
It has been noted that the RSS volunteers participated in the Bhoodan movement organised by Gandhian leader Vinobha Bhave, who had met RSS leader Golwalkar in Meerut in November 1951. Golwalkar had been inspired by the movement that encouraged land reforms through voluntary means. He pledged the support of the RSS for this movement.[80] Consequently, many RSS volunteers led by Nanaji Deshmukh participated in the movement.[1] But Golwalkar has also been critical of the Bhoodan movement, on other occasions for being reactionary and for working “merely with a view to counteracting Communism”. He believed that the movement should inculcate a faith in the masses that can make them rise above the base appeal of communism.[
The RSS has advocated the training of Dalits and other backward classes as temple high priests (a position traditionally reserved for Caste Brahmins and denied to lower castes). They argue that the social divisiveness of the Caste system is responsible for the lack of adherence to Hindu values and traditions and reaching out to the lower castes in this manner will be a remedy to the problem.[107] The RSS has also condemned “upper-caste” Hindus for preventing Dalits from worshipping at temples, saying that “even God will desert the temple in which Dalits cannot enter”.[108]