समाचार आ रहा है कि AIIMS के पूर्व सी.वी.ओ संजीव चतुर्वेदी को मगसेसे पुरस्कार देने कि घोषणा कि गयी है । संजीव चतुर्वेदी वही अधिकारी हैं जिन्हे पिछले साल भाजपा पसंदीदा भ्रष्टाचार को पकड़ने के चलते उन्हे उनके पद से मुक्त कर दिया गया था । संजीव 2002 के आइ. एफ. एस अधिकारी हैं। इन्हे हरियाणा और AIIMS मे भ्रष्टाचार उजागर करने के लिये जाना जाता है । संजीव ने अपनी पहली नियुक्ति से ही भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसनी शुरु कर दी थी । इनकि पहली पोस्टिंग कुरूक्षेत्र मे हुई जहां इन्होने हंसि बुताना नहर के निर्माण कार्य मे शामिल ठेकेदारों के खिलाफ गैर कानूनी तौर पर पेड़ों कि कटाई और शिकार करने के खिलाफ एफ.आइ.आर की थी जिसके बाद इनका स्थांतरन फतेहाबाद कर दिया गया जहां इन्हें अपने उच्चाधिकारियों से सह्योग ना करने के आरोप मे निलम्बित कर दिया गया। इसके बाद इन्होने कई और भ्रश्ताचारो का पर्दा फाश किया और कई भ्रष्ट लोगो और अधिकारियों कि नीँद हराम कि । इन पर कई मुकदमे किये गये और इन्हे कई बार निलम्बित किया गया । बार बार होने वाले ट्रांस्फरो के नाते इनका पारिवारिक जीवन प्रभावित हुआ और इनकी पत्नि ने इनसे तलाक ले लिया । सन 2010 मे हरियाणा सरकार कि धमकियों से आजिज आकर इन्होने केंद्र सरकार से खुद को डेपुटेशन पर बुलाने का आग्रह किया और खुद इसकी शिकायत तत्कालीन राश्त्रपति से भी कि ।
सन 2012 मे केंद्र सरकार ने उन्हे AIIMS का डिप्टी डाईरेक्टर नियुक्त किया और इन्हे सी.वी.ओ का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा जहां इन्होंने कई डाक्टरो के खिलाफ भरश्टाचार सम्बंधित कार्यवाही की और कई सालों से हो रहे भरस्टाचारोन को लोगो के सामने खोला । इन्हे 2014 मे इस पद से मुक्त कर दिया और सरकार ने इसके पीछे यह तर्क दिया की AIIMS मे सी.वी.ओ का कोइ पद नही था इसे एक आंतरिक व्यवस्था के तहत बनाया गया और अब सरकार को इस पद कि कोइ आवश्य्क्त नही दिखाई देती। अब प्रश्न यह है कि जो सरकार कांग्रेस के भ्रस्ताचार को मुद्दा बनाकर सत्ता मे आइ थी और जिसके मुखिया ने आते ही आते ना खाउंगा और ना खाने दुंगा का नारा दिया उसी ने एक ईमानदार अधिकारी को जो देश कि एक प्रतिष्ठित संस्था से भ्रश्ताचार को निकालने का कार्य कर रहा था उसे हटा दीया । सरकार के यह कदम उसकी भ्रष्टाचार क़े खिलाफ सोच मे कालापन दिखाती है ।
आज उसी संजीव को एक प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित करने क एलान किया गया । ये हम भारतीयों का दुर्भाग्य है कि ह्म इन जैसो कि कद्र नही करते हैं चाहे वो संजीव हो ,चाहे कैलाश सत्यार्थी । कैलाश सत्यार्थी को नोबल पुरस्कार मिलने से पहले कोई नही जानता था और जिसके खिलाफ कई मुकदमे भि दर्ज़ थे । कैलाश सत्यार्थी जिसे हमने भारत रत्न के लायक भी नही समझा उसे नोबल दिया गया । संजीव जिसे भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग के चलते हमने और हमारी सरकार ने कहीं का नही छोड़ा उन्हे मैगसेसे पुरस्कार दिया जा रहा है । उन्हे उस सरकार ने पद मुक्त किया जिसने भ्रष्टाचार को अपना चुनावी मुद्दा भी बनाया । मोदी जी ने और् ना ही उनकी सरकार ने आज तक भ्रष्टाचार के खिलाफ कोइ सख्त कदम नही उठाया बल्कि उलते उनके मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे । और तो और जो व्यक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्य भी कर रहा था उसे पद मुक्त भि कर दिया । सरकार के इस कदम ने भोजपुरी मे प्रचलित ‘ न खेलब, न खेलय देब , खेलिये बिगाडब कि कहावत को चरितार्थ किया है । मोदी जो अब मौनी हैं उन्होने एक भी मुद्दे पर अपना कंठ और जिह्वा नही खोली है वो तो जुमले फेकने और बाते करने मे व्यस्त हैं।
संजीव चतुर्वेदी वो भारतीय हैं जिनकी गिनती ह्मारे देश मे पगलो मे होती है क्युकि वो भ्रष्टाचार कई खिलाफ लड़ रहे थे । उन्हे जिनको हमने परेशान करने में कोइ कसर नहि छोड़ी उन्हे आज सम्मानित किया जा रहा है । ह्म भारतीय इन लोगों क्ा कोइ सम्मान नही करते और ना ही इनहे काम करने देते हैं ।
भ्रष्टाचार को लेकर हम सब बहुत दार्श्निक हो जाते है और उसका विरोध करने वालो को खुले आम पागल भी बोलते हैं क्युंकि बिना भ्रष्टाचार क़े हमारा काम भी नही चलता । संजीव चतुर्वेदी जैसों को तो हम लोग खुले आम गोली मार देते हैं पुरस्कृत और सम्मानित करने कि बात तो छोड़ हि दीजिये। हमारे पुरस्कार तो राजनेताओं और खिलाड़ियों के लिये आरक्षित हैं जिनकी बोली लगायी जाती है। सरकार चाहे कोइ भी हो मोदी कि या मौनी कि भ्रष्टाचारियों के पांव बारह ही रहते हैं। और उसके खिलाफ लड़ने वालो को हर सरकार मे मुसीबत झेलनी पड़ती है। संजीव को तो अब तक की सबसे भ्रस्त सरकार ने सी.वी.ओ बनाया था और उन्हे उस सरकार ने पद्मुक्त किया जो भ्रष्टाचार को खत्म करने क्ा राग मल्हार गा रही थी ।
ये देश तब तक जीवित है जब तक संजीव जैसे व्यक्ति हैं , यही लोग आज के भारत के महापुरुश हैं बाकि लोग सिर्फ राजनीति करते हैं । इस देश से भ्रष्टाचार संजीव जैसे व्यक्ति ही दूर कर सकतें हैं सरकारें तो सिर्फ बात ही कर सकतीं है । संजीव को ये पुरस्कार जीतनें पर हार्दिक बधाइ इश्वर करे वो इसी तरह से भ्रष्टाचार से लड़ते रहे और जीतते रहे ।
संजीव चतुर्वेदी और अंशु गुप्ता को एशिया का नोबेल इनाम कहा जाने वाला मेगसेसे पुरूस्कार मिला है . भाजपा सरकार के मुंह पे तमंचा है . अफ़सोस होता है के मोदी जी छोटे -छोटे बात पर ट्वीट करने वाले ने अभी तक मुबारकबाद नहीं दिया और न ही कोई भाजपा सरकार का मंत्री ही ने . असल में भारत में ईमानदार अफसर की कोई वैल्यू ही नहीं है जब ऐसे अफसर काम करना चाहते है तो नेता अपने लाभ के लिए उन्हें जंगलो में भेज देती है या उन्हें परेशान करना शुरू कर देती है . हर पार्टी कांग्रेस , भाजपा या राज्य सरकार ईमानदार अफसर को देखना ही नहीं चाहती .अब देखिये उस समय मोदी भक्तो ने संजीव चतुर्वेदी को बेईमान और न जाने क्या क्या बना दिया था —- वह मुल्क कभी तरक्की नहीं कर सकता जहा ईमानदारी की कोई कदर न हो .
आजाद भारत में पहली बार देखने को मिला के अरविन्द केजरीवाल ईमानदार अफसर को लाना चाहते है मगर केंद्र सरकार उन्हें अफसर देना नहीं चाहती , जैसे केजरीवाल संजीव चतुर्वेदी की मांग कर रहे है और ऐसे दस अफसरों की लिस्ट उन्हों ने दी है मगर अभी तक केंद्र सरकार ने नहीं दी है . ऐसे भी दिल्ली भाजपा के चमचा नजीब जंग के हाथ में है , केजरीवाल को काम करने नहीं दिया जा रहा है ……
अफज़ल भाई नजीब जंग की मोदी भाजपा भक्ति और ”नमक हलाली ” देख कर पुराने संघी और भाजपाई भी शर्मा जाए इन साहब की नज़र शायद उपराष्ट्रपति पद पर हे आज अगर फ़र्ज़ कीजिये कांग्रेस या कोई और सरकार होती तो यही साहब लेख लिख लिख कर गुजरात दंगो या बाबरी विध्वंस की बात उठा रहे होते इसी तरह के कई और मुस्लिम करेक्टर हे भी इस लिस्ट में एम जे अकबर और बिहार भाजपा के एक संदिग्द मुस्लिम नेता का नाम भी देखे और उधर आम मुस्लिम का माइंडसेट ऐसा कर दिया गया हे की वो किसी ऑफिस में भी जाते हे तो चपरासी भी देखता हे की कितने मुस्लिम हे या नहीं इस साइकि से बाज़ आना चाहिए क्या मुस्लिम प्रतिनिधत्व के नाम पर आप नजीब जंग अहमदी और एम जे अकबर जैसे लोग देखना चाहते हे
अगर नजेीब जन्ग या एम जे अकबर नहेी तो क्या ओवैसि या जेीलनेी जैसे प्रतिनिधि चाहिये?
संजीव चतुर्वेदी जी के बारे मे हमने कई बार अपनी आवाज़ उठाई है और ऐसा ही ऐसा ही एक कॉमेंट यहा दे रहे है जिसे आप नवभारत टाइम्स पए “ब्लॉग” सेक्शन मे श्री सतीश मिश्र जी के ब्लॉग “मोदी बाबू! ये पब्लिक है, सब जानती है” पर देख सकते है
<> एक ईमानदार ऑफीसर ढूंढ़ना भूसे के ढेर मे सुई ढूंढने जैसा है….अगर सरकार ने एक ईमानदार ऑफीसर के साथ अन्याय किया है तो उसे इसकी पूरी कीमत चुकानी पड़ेगी !!….मोदी जी को हम उनके काम करने की वजह से बेहद पसंद करते है पर अगर संजीव चतुर्वेदी सरीखे ईमानदार ऑफीसर के साथ बीजेपी का कोई नेता अन्याय करता है और केस पूरे देश की निगाहो मे आने के बाद भी कुछ ना हो तो मोदी जी अपनी जिम्मेदारी से बच नही सकते !!….
लिन्क्
htt p://blogs.navbharattimes. indiatimes.com /apninazarse/entry/public- sees-knows-and-understands-mr-modi (remove the spaces)
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हड़बड़ी मे हमारे मेसेज पर प्रतिक्रिया देने से पहले जान लीजिये कि वह मेसेज 23 ऑगस्ट 1014 का है जब संजीव चतुर्वेदी जी के साथ मुट्ठी भर लोग भी खड़े नही होते थे.