भारत में 2006 से 2008 तक हुए बम धमाकों की छह घटनाओं में 120 से ज्यादा लोग मारे गए और 400 से ज्यादा घायल हुए.
प्रारंभिक जांच में इन बम विस्फोटों में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर जुड़े लोगों के नाम सामने आए थे और ये घटनाएँ ‘भगवा आतंक’ या ‘हिंदू चरमपंथ’ के नाम से चर्चित हुईं.
लेकिन आज तक इनमें से किसी भी मामले में किसी को दोषी करार नहीं दिया गया है. कई मामलों में सुनवाई तक नहीं शुरू हुई है. एक मामला तो बंद हो चुका है.
इन सभी मामलों की जांच भारत की प्रमुख एजेंसी एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) कर रही है.
अभियोग पक्ष की वकील रोहिणी सालियां ने इन ‘मुकदमों को कमज़ोर’ करने के गंभीर आरोप लगाए हैं. चाहे सरकार इससे इनकार करती है लेकिन अब एनआईए पर उंगलियां उठनी शुरू हो गई हैं.
एनआईए कोई काग़जी शेर की तरह प्रभावहीन संस्था नहीं है. ‘भारत की एफ़बीआई’ कही जाने वाली एनआईए ने इंटरपोल की मदद से सऊदी अरब में अबु जुंदाल और नेपाल में यासीन भटकल को पकड़ा है.
लेकिन बम विस्फोट से जुड़े इन मामलों में एनआईए को कामयाबी मिलती नहीं दिखती.
गवाह मुकरे, दो मामलों में जांच बंद
बीबीसी ने जानने की कोशिश की है कि क्यों एनआईए के लिए ‘हिंदू चरमपंथ पर नरम पड़ने के इल्जाम’ से बचना मुश्किल होगा.
2008 में मुंबई में हुए हमले के बाद एनआईए का गठन हुआ. अभी एनआईए के पास 102 मामलें जांच के लिए हैं.
इनमें से ज्यादातर मामले आतंकवाद और नक्सल हमलों से जुड़े हुए हैं.
एनआईए को कथित तौर पर ‘हिंदू चरमपंथ’ से जुड़े छह मामले दिए गए थे और साथ ही एक हत्या का मामला भी दिया गया था.
एनआईए को ये मामलें सौंपते हुए यह उम्मीद जताई गई थी कि कई राज्य स्तरीय एजेंसियों को जांच सौंपने की जगह एक एजेंसी को जांच सौंपी जाएगी तो गलतफहमियां कम पैदा होंगी और मामले को सुलझाया जा सकेगा.
लेकिन चार सालों में दर्जन भर गिरफ़्तारियों और आधा दर्जन चार्जशीट के बाद एनआईए के हाथ बहुत मामूली सी सफलता लगी है.
कई अभियुक्तों को ज़मानत मिल चुकी है, कुछ गवाह अपने बयान से मुकर चुके हैं, और दो मामलों में एनआईए ने जांच बंद कर दी है.
संघ के प्रमुख पदाधिकारियों, जिसमें संघ के एक वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार भी शामिल हैं, से अब तक पूछताछ भी नहीं हुई है.
आरोप लगे हैं कि इंद्रेश कुमार ने चरमपंथियों को हमले के लिए उकसाया था और हमलों के लिए आर्थिक मदद भी पहुंचाई थी.
एनआईए अभी तक हमलों के मुख्य साज़िशकर्ता को खोजने में नाकाम रही है.
मालेगांव धमाका, 2006
मालेगांव में आठ सितंबर 2006 को चार विस्फोट हुए थे. इनमें से तीन विस्फोट हामिदा मस्ज़िद में हुए थे. इन हमलों में 31 लोग मारे गए थे और 312 लोग जख़्मी हुए थे.
महाराष्ट्र एंटी टेरर स्कवाड (एटीएस) ने हमलों के संबंध में नौ मुसलमान नौजवानों को पकड़ा था और चार को भगोड़ा घोषित किया था. एटीएस ने 13 के ख़िलाफ़ चार्जशीट दर्ज की थी.
इसके बाद जुलाई 2007 में सीबीआई को यह मामला सौंप दिया गया था. सीबीआई ने 11 फ़रवरी, 2010 को उन्हीं अभियुक्तों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दर्ज की.
इस मामले में उस वक्त एक बड़ा मोड़ आया जब संघ के जीतेन चटर्जी उर्फ स्वामी असीमानंद को मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में गिरफ़्तार किया गया.
उन्होंने अदालत में हिंदू चरमपंथ से जुड़े होने और मालेगांव बम विस्फोट में शामिल होने की बात मानी थी. इसके एक हफ़्ते के बाद एनआईए को मालेगांव बम विस्फोट मामला सौंप दिया गया था.
एनआईए ने क्या किया है अब तक?
2012 से 2013 के बीच एनआईए ने चार लोगों मनोहर नरवारिआ, लक्ष्मण दास महराज, राम लखन दास महराज और कालू पंडित को गिरफ़्तार किया था.
लेकिन बाकी बचे हुए अभियुक्त अब तक फरार है और एनआईए की ओर से मुख्य अभियुक्त बनाए गए सुनील जोशी की 2007 में हत्या हो चुकी है.
एनआईए को इस हत्या का मामला यह सोच कर सौंपा गया कि उनकी हत्या के पीछे उन्हीं लोगों का हाथ है जो बम विस्फोट में शामिल रहे हैं.
लेकिन एनआईए से लेकर हाल ही में यह मामला मध्यप्रदेश पुलिस को सौंप दिया गया है.
इसके अलावा गिरफ़्तार किए गए चार अभियुक्तों पर अब तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है.
एटीएस की ओर से गिरफ़्तार किए गए नौ मुसलमानों को ज़मानत मिल चुकी है लेकिन किसी को भी अब तक मामले से बरी नहीं किया गया है.
इस में कोई शक नहीं के जब के भाजपा सरकार आई है हिन्दू आतंकवादियों को बचने की कवायद शुरू हो गयी है . सरकारी वकील का ब्यान ने इस बात की पृष्टि भी कर दी है . जिस तरह से अदालत हर हिन्दू मुजरिम, अपराधी को छोड़ रही है आने वाले दिनों में सभी हिन्दू आतंकवादी छूट जाये गए . हेमंत करकरे की म्हणत ख़राब चली जाये गई ……….. बहुत सोचने वाले बात हा के आखिर इस मुल्क का क्या हो ग.
मोदी और संघ की पहली प्रथमिकता यही है के जितने हिन्दू आतंकवादी क़ैद है उन्हें रिहा कर दिया जाये और उस पर काम शुरू भी हो गया है , इसी कर्म में उस सरकारी वकील को हटा भी दिया गया है और उस की जगह किसी दलाल वकील को लाया जाये गअ जैसे आज कल दलाल जज भी अदालत में बैठ रहे है. मोदी सरकार ने अदालत को भी बदनाम कर दिया है लोगो का अब अदालत से भी यकीं ख़त्म होने लगा है.
भारत में मृत्यु दंड केवल मुसलमानों के लिए हैं…?
गुजरात दंगो में हज़ारो मुसलमानों का कत्ले आम कर दिया गया उनके घर उनकी दुकाने जलाई गयी उनकी माँ, बहन, बेटियों की इज़्ज़त पर हमले हुए यह सब करने वाले कितने लोगो को फंसी पर चढ़ाया गया…?
बाबू बजरंगी, माया कोडनानी और अन्य नरसंहार करने वालो को फंसी पर क्यों नहीं चढ़ाते…??
जब पंजाब की सरकार खालिस्तानी आतंकियों के और तमिल सरकार तमिल आतंकियों के समर्थन में खुल कर आती हैं और उनकी सजा माफ़ करने का प्रस्ताव लाती हैं तब हंगामा क्यों नहीं होता…?
वाहिद मियाँ, आपकी बात मान भी लें, तो भी इन मुस्लिम आतंकवादियो की तरफ़दारी का क्या तुक? इन टिप्पणियो मे इन लोगो के प्रति प्रेम नज़र आता है. इससे हमे ही नुकसान है. मैने ऐसे ही कई लोगो को प्रगया ठाकुर से हमदर्दी जताते देखा, दूसरे समुदाय के आतंकियो के बहाने.
गुजरात मॉडल !!! जहाँ दंगाइयों को सज़ा देने वाली जज को जान के लाले हों..हाईकोर्ट के जज दंगाइयों के दबाव में सुनवाई से मना कर दें !
किसी को ऐसा लगता है कि सरकार हिंदू चरमपंथियो के प्रति नरम है तो इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया जाए, लेकिन इसके लिए याक़ूब मेनन की सज़ा को ना-इंसाफी की तौर पे दिखाने की क्या ज़रूरत है?
ओवैसी, शायद इन हथकंडो से भले ही, अपनी सियासत की दुकान चमका ले, लेकिन वो मुस्लिम क़ौम के लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं. आम मुस्लिमो से भेदभाव के खिलाफ और तरक्की के लिए लड़े, लेकिन याक़ूब, आम मुसलमान नही है, ये याद रखे.
हिन्दू हो या मुस्लिम या पाकिस्तान का झंडा फहराने वाला हो इन सब आतंकवादियों को कठोर से कठोर सजा मिलनी चाहि
आतंक करने वाले दया के पात्र नहीं ह
Are bhailog Hindu aur Musalman ki baat karte rhoge to na Hindu ka Ghar bachega na Musalman ka..
Ye politicians to lge hi hain apni Roti sekne me..
Owaishi kahte hai ki Khuda ke naam par Musalmano ek ho jao, Aur Baba log kahte hain ki Bhagwan ke naam par Hinduon ek ho jao..
Ab ye log to MahaGyani thahre…
Intejaar to hume us Murakh ka hai jo aake ye kahe ki Apne Desh ki Mitti ke liye Hindu Aur Musalmano dono ek ho jao..
Agar tum ek ho gye na to nahi Baba kuchh kar payenge aur na hi Maulana..
Koi to Aisa bhenjo mere Prabhu jo hume ek dhage me piro de….!!!