2020 तक भारत हिन्दू राष्ट्र :- अशोक सिंघल
मेरा प्रश्न अशोक सिंघल से है कि भारत अभी क्या हिन्दू राष्ट्र नहीं है ? क्या और करोगे कि भारत हिन्दू राष्ट्र हो जाए ? मैं देता हूँ भारत के हिन्दू राष्ट्र होने के प्रमाण ।
● प्रातःकाल टीवी और रेडियो खोलिए हर चैनल भजन किर्तन से प्रारंभ होते हैं । कभी कुरान की आयतें , गुरवाणी , या बाईबल पढ़ते हुए किसी को देखा है ? नहीं ।
● हर चैनल किसी ना किसी बाबा के दो दो घंटे प्रचार दिखाते रहे हैं , किसी मौलाना या पादरी को देखा है इस्लाम या क्रिस्चियन का प्रचार करते हुए ? नहीँ ।
● कम से कम 10 धार्मिक चैनल सनातन धर्म के आधार पर धर्म के प्रचार करते हुए 24×7 दिख जाएंगे , कभी अन्य धर्मों का अलग से एक भी चैनल देखा है ? था एक क्यू ( कुरान ) टीवी जिस पर प्रतिबंध लगा दिया गया , ए आर वाई भी एक चैनल था जिसे भी प्रतिबंधित कर दिया गया ।
● हम बचपन से आजतक लगभग प्रतिदिन रामायण , महाभारत , श्रीकृष्ण तथा ऐसे ही अन्य धारावाहिक प्रतिदिन देखते रहे हैं और आज भी देखते हैं , किसी अन्य धर्म के ऐसे धार्मिक धारावाहिक प्रसारित होते देखा है ? नहीं ।
● तमाम संघ समर्थित भाजपा के योगी साध्वी साक्षी तोगड़िया , सिहंल , धर्मेन्द्र , भागवत संविधान विरोधी भाषण देते रहते हैं पर देश में इन पर ना मुकदमा दायर हुआ ना देश से ये भागे। एक मुस्लिम समुदाय के धर्मगुरू डाक्टर जाकिर नायक को देश छोड़कर जाना पड़ा ।
● इस देश में तमाम काम-कला साहित्य की मुर्तियां हैं , कामसूत्र जैसी एक कला है, काम क्रीणा करती मुर्तियों से सुसज्जित मन्दिर हैं , कलाकृतियां हैं , परन्तु एक मुस्लिम समुदाय के मकबूल फिदा हुसैन को एक ऐसे ही चित्र के कारण देश छोड़कर जाना पड़ा ।
● देश के किसी भी थाने में चले जाईये एक मंदिर अवश्य मिलेगा । किसी थाने में मस्जिद या चर्च देखा है जो इन विभाग के लोगों ने बनाया हो ? नहीँ ।
●कृष्ण जन्माष्टमी लगभग हर पुलिस लाईन में बनाया जाता है तो कहीं ईद या क्रिसमस मनाते देखा है किसी पुलिस लाईन में ? नहीं ।
● पूरे भारत में ईद और क्रिसमस के दिन बाजार खुले रहते हैं , कभी देखा है परेवा , होली में बाजार खुलते हुए ? नहीं ।
●पूरे भारत में सभी एक दूसरे को नमस्कार करते हैं तो कभी देखा है किसी को सलाम करते हुए जो मुसलमानो के अतिरिक्त हो ।मुसलमान भी हिन्दू भाई को नमस्कार ही करते हैं ना कि हिन्दू भाई सलाम या आदाब करते हैं ।
●भारत के सभी समाचारपत्रों तथा पत्रिकाओं में सनातन धर्म के देवी देवताओं के चित्र भरे पड़े रहते हैं ।कभी देखा है कि ऐसा किसी और धर्म के प्रतीकों का जगह पाना ? नहीं ।
● किसी सरकारी कार्यालय हो थाना हो या अदालतें सनातन धर्म के देवी देवताओं के चित्रों के कलेंडर से दिवारें भरी रहती हैं ।कभी देखा है और किसी धर्म के कलेन्डर ? नहीं ।
● स्वतंत्र भारत में उग्र हिन्दूवादी लोगों ने एक मस्जिद ,संविधान, उच्चतम न्यायालय और संसद को उसकी औकात बता कर ध्वस्त कर दी , किसी अन्य धर्म के लोगाें में है हिम्मत ? नहीँ ।
● इसी भारत में मस्जिद में नमाज अदा करते मुसलमानों को सरकार द्वारा गोलियों से भून दिया गया ।किसी धर्म से संबंधित कोई और उदाहरण है ? नहीँ ।
● वोटर लिस्ट लेकर घर की पहचान की गई और एक समुदाय को काट काट कर गुजरात में फेका गया , 84 में सिखों को मारा काटा गया , भागलपुर मुरादाबाद मुम्बई मेरठ हाशिमपुरा,मुजफ्फरनगर में फोर्स को साथ लेकर एक वर्ग को कत्ल किया गया ? कभी देखा है मुसलमानों का साथ किसी फोर्स ने ऐसे दिया ? नहीं ।
● सनातन धर्म में गोहत्या अपराध है तो प्रतिबंध लगा दिया गया अच्छा किया, अन्य धर्म में सुअर का मांस और शराब हराम है तो लग सकता है प्रतिबंध ? नहीं ।
● हिन्दू अतिवादी नेता बाल ठाकरे डंके की चोट पर बोलते थे कि बाबरी मस्जिद उसने गिरवाई , मुंबई दंगों में उसके लोगों ने कत्लेआम किया । मरते दम तक गिरफ्तार हुआ ? नहीं ।
● कानून या अदालत की औकात नहीं थी कि बाल ठाकरे को गिरफ्तार करे ।कोई मुसलमान यह स्विकार करता कि फलां विस्फोट मैने कराया तो क्या होता ? अब तक जनभावना के आधार पर लटका दिया गया होता ।
● बिना संवैधानिक पोस्ट या किसी भी पद पर रहे कट्टर हिन्दू हृदय सम्राट बाल ठाकरे के मृत्यु के बाद तिरंगा झुका दिया गया ।किसी अन्य के साथ ऐसा हुआ ? नहीं ।
● देश की सरकारी बसें हों या ट्रेने सनातन धर्म के देवी देवताओं की मुर्तियों सुसज्जित रहती हैं । ऐसा क्युँ है ? क्या ऐसी किसी बस ट्रेन में किसी अन्य धर्म के प्रतीक और पूजा देखा है ? नहीं ।
● देश में अधिकांश ट्रेने सनातन धर्म के देवी देवताओं या प्रतीकों के नाम से हैं कि नहीं?है।
● सरकारी शिलान्यास हो या उद्घाटन , सब सनातन धर्म के पूजा पद्धति और परम्परा के अनुसार किया जाता है , कभी देखा है किसी अन्य धर्म के अनुसार उद्घाटन या शिलान्यास ? नहीं ।
● देश में एक धर्म के लोगों को परसेप्शन अर्थात जनभावना के आधार पर फांसी दे दी जाती है और अन्य को छोड़ या रियायत दे दी जाती है । धार्मिक आधार पर पक्षपात । होता है कि नहीँ ? बिल्कुल होता है ।
● फिल्मों की शुरुआत ही सनातन धर्म के श्लोकों तथा धार्मिक प्रतीकों के साथ होती है ।कभी किसी और धर्म के अनुसार ऐसा होते देखा ? नहीँ ।
● भारत में कट्टर अतिवादी गिरोह के लोग सर्वाजनिक रूप से राष्ट्रगान , संविधान , उच्चतम न्यायालय , तिरंगा , राष्ट्रपिता , की आलोचना करते हैं गालियाँ देते है मगर एक एफआईआर तक दर्ज नहीं होती । किसी और धर्म के लोगों द्वारा किया गया ऐसा ? नहीं ।
● इसी भारत में एक कम्पनी कहती है कि मुसलमानों के लिए उसके यहाँ जगह नहीं । ऐसा कोई और उदाहरण ? नहीं ।
● इसी भारत में मुसलमानों को धक्काड़े से देश छोड़कर पाकिस्तान जाने का फरमान सुना दिया जाता है ।कभी सुना है कि किसी ने बहुसंख्यकों को कहा है कि नेपाल जाओ ?
● इसी भारत का प्रधानमंत्री मुसलमानों और सिखों के प्रति अपने नफरत का प्रदर्शन अपने व्यवहार से बार बार करता रहा है । कभी किसी अन्य प्रधानमंत्री का ऐसा व्यवहार किसी अन्य के लिए देखा है ? नहीं ।
अगर अभी भी भारत हिन्दू राष्ट्र नहीं है तो यह सब क्या है और हिन्दू राष्ट्र होगा तो और क्या होगा ? हो सके तो नेपाल से सबक ले जो जन्म से हिन्दू राष्ट्र था और अब खुद को धर्म निरपेक्ष घोषित कर चुका है । हम मुसलमान आज की उपरोक्त सभी स्थितों में अभ्यस्त हो चुके हैं व्यवहारिक हो चुके हैं , हम इस संस्कृति को सहर्ष स्वीकार करते हैं हमे कोई समस्या नहीं है मुस्लिम दामादों वाले अशोक सिंघलों , परन्तु बार बार मानसिक यातना मत दो क्युँकि इससे मुसंघी पैदा होते हैं , अकबरुद्दीन ओवैसी पैदा होते हैं जो हमारे इस देश के लिए घातक हैं । आज जो कहता है कि भारत धर्मनिर्पेक्ष राष्ट्र है तो वह महामुर्ख ही नहीं घोंचू भी है , भारत पुर्णतः एक हिन्दू राष्ट्र है और हमें यह इसी रूप में सहर्ष स्विकार है ।
यहाँ भारत को हिंदु राष्ट्र साबित करने के लिए जो तथ्य दिए गए हैं वो बहुत ही हल्के हैं। अगर हिंदु बस मालिक अपनी बसों मे देवी देवताओं की तस्वीर लगाते हैं या हिंदु फिल्म निर्माता अपनी फिल्म अपने धार्मिक मंत्रों से आरंभ करता है तो इसमे क्या आपत्ति है और इससे भारत हिंदु राष्ट्र कैसे बन जाता है ? मुसलमानो को तो ये सब करने के लिए बाध्य नहीं किया जाता । वो भी अपनी गाड़ियों, दुकानो, कार्यालयों और संस्थानों मे अपने धार्मिक प्रतिक लगाते हैं । हिंदु ज्याद संख्या मे है तो जाहिर है कि मंदिर ज्याद होंगे, उनके धर्मगुरू भी ज्यादा होंगे और उनके धार्मिक टीवी चैनल भी ज्यादा होंगे । लेकिन मुसलमानो के धार्मिक चैनल भी हैं । उनके मौलानाओं की संख्या भी कम नहीं है न ही मस्जीदों की । कितने ही मस्जीद तो मंदिरों के बिल्कुल पास हैं।उन्हे तो हज पर सब्सीडी भी दी जाती है। उनके बहुत से मदरसों को भी सरकार पैसा दे रही है । रही बात जाकिर नाईक की तो वो अपने कार्यक्रमों मे अपने धर्म के बारे मे कम बोलते हैं और दुसरे धर्मों की बुराई ज्यादा करते हैं ।
मुसलमानो को यहाँ सम्पुर्ण धार्मिक स्वतंत्रता है ।उनके मत की किमत भी उतनी ही है जितनी हिंदुओं की । वो इस देश के नागरीक है और हमे कोई आपत्ति नही है अगर उन्हे अपना अधिकार मिलता है । कुछ गिनती के लोगों को भले ही आपत्ति हो सकती है। ये देश तालिबान या पाकिस्तान की तरह नहीं है । जहाँ तक साम्प्रदायिक हिंसा की बात है तो उसके शिकार हिंदु और मुसलमान दोनो हुए हैं । मुंबई डोंगरी, गुजरात के गोधरा और मुजफ्फरनगर के जाउली नहर के पास मरनेवाले लोग हिंदु ही थे । हिदुओं को मंदिरो, बाजारो और सार्वजनिक स्थानो पर बमो उड़ानेवाले सभी कट्टरवादी बाहर के नहीं हैं । किस मुसलमान को पब्लिक परसेप्सन के आधार पर फाँसी हुई है ? अफजल गुरू या याकुब मेनन को फाँसी की सजा हिंदुओं के कहने पर दी गई या कानुन के द्वारा तथ्यों के आधार पर ?
अशोक सिंघ्लो या किसी के भी फ़ालतू ब्यानो को इतनी अहमियत नहीं दी जानी चाहिए क्योकि ये इतनी बेवकूफी की बात करते हे की बदले में आपको भी कुछ फ़ालतू बात करनी पड़ेगी यही इस लेख में लगता हे लेकिन पहले एक बात की अरे धर्मवीर भाई हद हो गयी ? कब का ये सच सामने आ चूका हे की हज सब्सिडी एक झूठ और धोखा और गोटाला ही हे ये कोई सब्सिडी ही नहीं हे फिर भी संघी बिना हज सब्सिडी का जिक्र किये अपना दिन पूरा हुआ ही नहीं मानते हे बाकी पूरा लेख और उसके बिंदु शायद भड़काऊ उर्दू अखबारों से लिए गए हे क्योकि जब उर्दू के सबसे बड़े पत्रकार अज़ीज़ बरनी जी के अखबार अजीजुलहिंद में किन्ही निहाल सगीर ने हम पर झूठे आरोप लगाए तब खेर हमारे तो फरिश्तो को भी खबर नहीं थी इत्तफ़ाक़ से मेरे डॉक्टर कज़िन ने जो उर्दू जानता पढता हे उसने खबर दी थी अब मेरा यही कज़िन सेम यही सब पॉइंट वो भी बोल रहा था सेम टू सेम यही सब इसलिए मेरा अंदाज़ा हे की ये सब बाते उर्दू अखबारों से ली गयी हे जो की अतिश्योक्तिपूर्ण हे जैसे देखे इसी ” हिन्दुराष्ट्र ” में सबसे अमीर मुकेश अम्बानी भी दूसरी बीवी नहीं रख सकता हे जबकि किसी हिन्दू धर्मग्रन्थ में दूसरी बीवी को मना नहीं किया गया हे जबकि मुस्लिम कोई भी हो दूसरी शादी और बीवी रख सकता हे जबकि कई मुस्लिम देशो में इसकी पूरी तरह इज़ाज़त नहीं हे ———
”हम बचपन से आजतक लगभग प्रतिदिन रामायण , महाभारत , श्रीकृष्ण तथा ऐसे ही अन्य धारावाहिक प्रतिदिन देखते रहे हैं और आज भी देखते हैं , किसी अन्य धर्म के ऐसे धार्मिक धारावाहिक प्रसारित होते देखा है ? नहीं । ” इस्लाम में भला कैसा धारावाहिक देखना चाहेंगे आप बताइये कैसा ?
” इसी भारत में एक कम्पनी कहती है कि मुसलमानों के लिए उसके यहाँ जगह नहीं । ऐसा कोई और उदाहरण ? नहीं । ” सही कहा इतने विशाल भारत में ऐसा कोई भी और उदहारण ही नहीं हे बाकी कही और कॉर्पोरेट में और चाहे लाख बुराई हे मगर धर्म के आधार पर और कोई नौकरी से मना नहीं करता ” पूरे भारत में ईद और क्रिसमस के दिन बाजार खुले रहते हैं , कभी देखा है परेवा , होली में बाजार खुलते हुए ? नहीं । ” हिन्दू परंपरा में देखा गया हे की तथाकथित शूद्र यानी निम्न वर्ग के लोग होली बेहद उत्साह से मनाते हे यही वर्ग कामगार भी हे सो दूकान कैसे खुले बाकी हमारी तरफ तो होली पर भी शाम को बाजार ठीक ठाक खुल जाते हे
” इसी भारत में एक कम्पनी कहती है कि मुसलमानों के लिए उसके यहाँ जगह नहीं ऐसा कोई और उदाहरण ? नहीं । ” सही कहा इतने विशाल भारत में ऐसा कोई भी और उदहारण ही नहीं हे बाकी कही और कॉर्पोरेट में और चाहे लाख बुराई हे मगर धर्म के आधार पर और कोई नौकरी से मना नहीं करता ” पूरे भारत में ईद और क्रिसमस के दिन बाजार खुले रहते हैं , कभी देखा है परेवा , होली में बाजार खुलते हुए ? नहीं । ” हिन्दू परंपरा में देखा गया हे की तथाकथित शूद्र यानी निम्न वर्ग के लोग होली बेहद उत्साह से मनाते हे यही वर्ग कामगार भी हे सो दूकान कैसे खुले बाकी हमारी तरफ तो होली पर भी शाम को बाजार ठीक ठाक खुल जाते हे
”इस देश में तमाम काम-कला साहित्य की मुर्तियां हैं , कामसूत्र जैसी एक कला है, काम क्रीणा करती मुर्तियों से सुसज्जित मन्दिर हैं , कलाकृतियां हैं , परन्तु एक मुस्लिम समुदाय के मकबूल फिदा हुसैन को एक ऐसे ही चित्र के कारण देश छोड़कर जाना पड़ा । ” पूरी बात बताइये ऐसे ही चित्रो और ऐसे ही देश के कारण मकबूल करोड़ो अरबो कमाते थे ? उन्होंने देश छोड़ा अपनी कायरता के कारण या तो अपने चित्र वापस ले लेते या जैसे की उनके हिन्दू समर्थक उनके पक्ष लिए एक से एक तर्क में लेख लिखते थे ( जनसत्ता में लम्बी बहस ) या तो उनसे अपना मुकदमा लड़ते और बरी होते हैरत हे की नब्बे की उम्र में भी उन्हें हमले का मौत का भय था मौत तो फिर भी आई ही ? जिस गांधी नेहरू आज़ाद के देश और उसकी धर्मनिरपेक्षता ने फ़िदा हुसेन को इतना मकबूल किया इतनी दौलत इज़्ज़त दी उसी के मुह पर तमाचा मारकर मकबूल लंदन में दफ़न हुए पंढरपुर में नहीं इसके लिए मकबूल फ़िदा हुसेन को कभी माफ़ नहीं किया जाएगा इसमें कोई शक नहीं की ये कायरता की मिसाल हे
बाल ठाकरे वाले पॉइंट जायज़ हे सही बात हे मगर ये भी तो देखे की इसी देश का कब से खून पी रहे कश्मीर के स्विट्ज़र्लॅंडवादी यानी हुर्रियत वाले भी तो खुले घूमते हे ज़हर उगलते हे कश्मीरी पंडित जैसी निरीह आबादी को भगाते हे जिनका कही कोई पंगा दंगा विवाद तक ना था तब भी तो भला कितनो को फांसी दे दी गयी ? उल्टा शायद गिलानी साहब के कैंसर का इलाज़ सरकारी खर्च पर होता हे इसी देश की एक मस्जिद जो की एक राष्ट्रिय धरोहर हे उस पर निजी जायदाद की तरह एक परिवार काबिज़ हे अरबो के आरोप हे इलाके में डॉन की तरह हुकुम चलाते हे तो कौन सी कार्यवाही हुई ? ठाकरे पर डर था की मुंबई जल उठेगी तो इन पर डर हे की दिल्ली जल उठेगी ? —- जारी
आप ( उर्दू अखबार ) कहते हो की भारत सेकुलर देश नहीं हिन्दू राष्ट्र हे खेर लेकिन इसी देश में मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड भी तो हे क्या इस आधार पर कभी भारत पर सेकुलर देश ना होने की बात कही गयी ? एक बात ये की भारत सेकुलर देश अगर नहीं हे तो फिर दुनिया का कौन सा देश सेकुलर हे ?
जाहिद साहब आपको मुबारकबाद एक निहायत ही बिना सर पैर वाले लेख के लिये! मैने भी एक ऐसी ही घटिया कोशिश की है आपके लेख के प्रत्येक बिन्दु का जवाब देने की!
वो काफी लम्बी हो गयी थी तो उसे एक लेख की तरह से प्रकाशित होने को भेजा है! अफजल सर चाहेंगे तो वो प्रकाशित हो जायेगा अन्यथा मैं उसे टूकडो में यहाँ पोस्ट करूँगा!
आपका पोस्ट पढ़ा। सबसे पहले तो ये बता दूँ की मुझे किसी नेता, किसी पार्टी या किसी समाजफोड़ू संगठन से कोई लेना-देना नहीं है। मै सिर्फ उसी के साथ हूँ जो अच्छा काम करके दिखाए।
सबसे पहले तो आप मुझे उत्तर दें की अगर इस देश में 85% हिन्दू की जगह 85% मुस्लिम होतें, तो क्या स्कूल, दफ्तर, स्टेशनों, सरकारी कार्यालय, विज्ञापनों
में राम, शिव या दुर्गा आदि के फोटो होतें ? और टीवी – रेडियो पे सुबह-सुबह भजन होतें ?
अमेरिका, इंग्लॅण्ड आदि बहुत से देश हैं जो धर्म-निरपेक्ष देश हैं, तो क्या वहां रेडियो-टीवी पर सुबह-सुबह हरी-कीर्तन या अलाहु अकबर होता है ? क्या वहां के दफ्तरों में काबा या अमरनाथ के फोटो लगे हैं ? क्या वहां के थानों में मंदिर या मस्ज़िद है ? वहां हर सरकारी विभाग में क्रिसमस मनाया जाता है, लेकिन ईद भी मनाया जाता हो, मैंने तो नहीं सुना।
जाकिर नायक आपको अच्छे लगतें हैं तो ये आपकी कमी है, मुझे भी अच्छे लगतें अगर वो समाज फोड़ने के बजाय समाज के विकाश में धन लगातें। अगर वो जनता का पैसा लूटने का कारोबार बंद कर देतें। क्या कभी किसी ने सुनामी में , जलजले में, बाढ़ आदि आपदाओं में जाकिर नायक या उसकी टीम को पीड़ितों की मदत करते देखा है ? आप मुझे बताएं की जाकिर ने कितने मुफ़्त अस्पताल बनवाएं हैं, कितने मदरसों को यूनिवर्सिटी में बदला है।
इस देश में चाहे हिन्दू हो या मुसलमान, अगर वो बड़ा आदमी है तो क्या उस पर केश करना आसान नहीं है, और अगर केश हो भी जाता है तो क्या उसके जीते जी फैसला आता है क्या ? इसलिए ये भी सोचना भी गलत है की मुस्लिम नेताओं पर आसानी से केश हो जाते हैं और अगर हो भी गए तो तुरंत फैसले हो जातें हैं। आतंकवादियों को छोड़कर आप मुझे मुस्लिमो में ही दिखाए की कौन सा बड़ा आदमी सजा काट रहा है।
रही बात सलाम की तो शायद ही कोई गैर मुस्लिम “सलाम आलेकुम” का अर्थ जानता होगा। लेकिन “गुड मॉर्निंग” का अर्थ लगभग सभी जानते हैं इसलिए उसका प्रयोग होता है।
संविधान में गौ हत्या पर प्रतिबन्ध है या नहीं ये मै नहीं जानता, लेकिन इतना तो जानता हूँ की यदि गौ हत्या पर प्रतिबन्ध होता तो आज भारत में कसाईखाने नहीं होतें।
रही बात फिल्मो में श्लोकों से आरम्भ होने की तो जनाब ये उस पर डिपेंड करता है जो फ़िल्म का निर्माता है। और आपके इस पत्र का उत्तर भी फ़िल्म वालों के ही पास है। वो ऐसे – फ़िल्म निर्माता भले ही मुस्लिम हो और उसके एक्टर भी भले ही मुस्लिम हो, लेकिन उनकी ज्यादेतर फिल्मो में उसकी स्टोरी और एक्टरों के नाम हिन्दू के पर ही होतें हैं। क्यों ????? ……… अगर एक मुस्लिम निर्माता 10 फिल्में बनाता है तो उसमे 1 या 2 ही मुस्लिमों पर आधारित होती है, क्यों ? ……… क्योंकि बात 85% वालों की है। तो सोचिए जब मुस्लिम भी 85% को ध्यान में रख कर ही कोई काम करता है तो क्या टीवी चैनलों वालों की मति मारी गयी है जो सुबह-सुबह मुल्ला-मौलवियों के प्रवचन सुनाए, ताकि उनके चैनल की ट्रैफिक कम हो जाय।
आपकी शिकायत बिलकुल वैसी है जैसे की एक गरीब की अपने ससुराल जाने पर होती है। कुछ इस तरह – यदि दामाद समझ कर उसकी आवाभगत में जरुरत से ज्यादे खर्च कर दिए तो भी उसके मन में शिकायत हो जाती है की ” मै गरीब हूँ न! इसलिए वो दिखा रहे थें की मेरे पास कितना पैसा है, मेरे पास ये है मेरे पास वो है आदि।” और अगर आवाभगत में कमी रह गयी तो भी शिकायत रहती है की ” मै गरीब हूँ न इसलिए मेरी कोई इज्जत नहीं है” ।
एक बेहद वाहियात लेख जिसके हर पॉइंट का बेहतर जवाब दिया जा सकता है मगर जाहिद साहब की वजह से हम नही चाहते कि बाकी मुस्लिम पाठको को बुरा लगे सेम्पल के लिये सिर्फ एकाध् उदाहरण देकर बात यही खत्म करेंगे…..
आज गुरबानी और बाइबिल पढने वाले लोग भी कुछ गिनती के चेनल्स पर दिखते है और रोज मगर वे सिर्फ अपने बारे मे ही बोलते है ना दूसरो से तुलना करते है और ना ही उनको नीचा दिखाने की कोशिश करते है !!
और कितना प्रचार करोगे इस्लाम का ?? कुछ मुट्ठी भर अपवादो को छोड़ कर हर फोरम (न्यूसपेपर , वेबसाइट) पर लगभग सारे मुस्लिम इस्लाम, मस्जिद, कब्रिस्तान, मदरसा के अलावा कौन सा प्रचार करता है ?? और कौन से धार्मिक धारावाहिक बनाओगे जब खुद अल्लाह ही निराकार है और उनकी तस्वीर पर कई जगह से सीधे-2 मौत का फ़तवा आ जाता है ?? गनीमत है देवी देवताओं के चित्र भरे रहने के बाद भी लोगो पर हमले तो नही होते…..कहा हम भेी आपके चक्कर मे आकर पत्थर पर सर मार रहे है ?? आपने तो मुसलमान को पता नही कौन सी दुनिया का एलियन समझ लिया है ??
साम्प्रदायिक समस्या का सरलीकरण बेहद गलत और भ्रामक हे ज़ाहिद साहब इस समस्या को इस तरह से समझना की भोले भाले डरे सहमे सीधे साधे भारतीय मुसलमानो को हिन्दू कटटरपन्तियो से बेहद खतरा हे ये एक बहुत ही सरल व्याख्या हे इस तरह की व्याख्या या तो कोई ”नासमझ ” करेगा या कोई बेहद ” चतुर ” ही करेगा ये वो चतुर होते हे वो हज़ारो लाखो लोग हे जिन्होंने कटट्रपंथ समाप्दयिकता में अपना कैरियर बना रखा हे हमारा तो मानना हे की ना नासमझ बनो न चतुर सेल्फिश बनो बल्कि समझदार बनो समझदारी इसी में हे की हम इस बात को समझे की फ्रॉम काबुल टू कोहिमा तक हिन्दू मुस्लिम कटटरपन्तियो कठमुल्लाओं के बीच लालकिले पर पूर्ण कब्ज़े की जंग हे ये एक सनक ही हेइसी सनक की ”अभिवयक्ति ” ही अशोक सिंघल का ब्यान हे जाकिर साहब की हरकते हे और हिन्दू महसभा तक बयान हे की इसी ”अभिवयक्ति ” से अरबो का माल कूट लिया गया हे इसके आलावा पुरे देश में फैले छोटे बड़े जाकिरो का भी हाल आप तो जानते ही होंगे तो अधिक से अधिक लोगो को ”समझदार ” बनाकर उन्हें पूरी तरह इस सनक से मुक्त कर देना ही साम्पर्दयिकता से सबसे बड़ी लड़ाई हे
पहली नजर में ही खारिज किये जाने वाली पोस्ट है यह ! लेकिन रुकिए !! ऐसा सिर्फ हमारे लिए हो सकता है लेकिन यही वह ढूंढ ढूंढ कर लाइ गई बाते हैं जो पढ़े लिखे और सेकुलर लोगों के दिमाग में भी चिंगारी की तरह घर कर जाती है और दिमाग के किसी कोने में छिपी रह जाती है और जो बाद में मोहम्मद जाहिद साहब जैसे लोगों के हाथ के कलम से निकलती है ,दंगाइयों के हाथ में पत्थर से निकलती है और आतंकवादियों के गोली से यह कोई न भूलें |
और मुझे तो लगता है यह सिर्फ नमूना है जिसने मोहम्मद जाहिद साहब जैसे लेखकों के कलम में पता नहीं कैसे यह सन्माननीय स्थान पा लिया लेकिन इसके लिए जाहिद साहब को सुनाने की जगह मैं तो धन्यवाद देना चाहूँगा की ऐसी और इससे भी घटिया पोस्ट के कट्टरपंथियों में वजूद होने की बात तो सामने आई और इसमें इसके अंजाम क्या होना है और इससे हिन्दू बुरा साबित होना है मुस्लिम खुदगर्ज देशद्रोही ? इससे ज्यादा इस देश को क्या हासिल होना है यह सोचने पर सफेदपोशों को मजबूर तो होना पड़ेगा ! मोहम्मद साहब अगर हमें ऐसी बात को लेकर आरोप प्रत्यारोप करने होते तो इससे भी घटिया प्रचार की पत्रिकाएं हिन्दू मुस्लिम दोनों और से मैं पेश कर सकता हूँ जो मुस्लिमों के भारत के इस्लामीकरण,लव जिहाद के लिए मुल्लों का योगदान ,कश्मीर को बांग्लादेश का बदला समझना, मुस्लिम पैदाइश का बढ़ावा ,आतंकवादियों का समर्थन आदि कई कई मुद्दों पर अकबरुद्दीन ओवैसी ने भी क्या बोला होगा उससे भी घाटियाँ पोम्प्लेट्स के न सिर्फ होने का बल्कि मस्जिदों और मदरसों में बांटे जाने का सबुत दे सकता हूँ ! और हिन्दुओं में ऐसे किसी पत्रकों का सार तो आप पेश कर ही चुके हो ! बताइये क्या इरादा है ?
मुझे हैरत तो इस बात की है की आप जैसे की नजर से शाहबानो प्रकरण छुट गया ! वरना आपके सौ सुनार की के लिए उतनी एक बात ही एक लुहार के बराबर होती और आप जैसों का मुंह ,जब दुनिया में किसी इस्लामिक या सेकुलर देश में भी ऐसा उदाहरण ढूंढ कर भी नहीं मिलता तो मुंह दिखाने लायक न रहा जाता ! तल्खी के लिए खेद है लेकिन …….जरुरी भी है ! धन्यवाद
और याद रहे सेकुलरों को आप जितना एक दुसरे कट्टरपंथियों पर नजर रखते हो उससे कहीं ज्यादा नजर रखनी पड़ती है ! बस हमारे और आप लोगों के मकसद में बुनियादी फर्क होता है !!
मुज्हे अफ्सोस ह कि लेखक केवल मुसल्मन को भत्क रह है , जित्ने भरत मे मुसल्मन सुरक्शित है उत्ने कहेी पर नहेी
bangala desh bhi apne ko sekular kahata hai kya us desh me kalpit devi evatao ke git pesh hote ?hai
gova jaiye vahaa par aapko baso me isa ji ke chitr khub mil jayenge ! kya kashmir me kalpite devtao ke git gaye jate hai / jisne jo sikha hai vahi to vah kahega jis desh me jiska bahumat ho ga lagbhag vahi tarika bhi sarkaro me chalta hai !
is tarah se yah lekh bekar ki shikayato par adharit hai !
ज़ाहिद साहब के सारे पायंट्स हिंदू राष्ट्र की तरफ इशारा नहीं करते. जब देश की 85 % आबादी हिंदू होगी तो ज़ाहिर है उन्ही का हर जगह माहौल दिखे गा लेकिन इसका यह भी मतलब नहीं की वो हमारी उपेक्षा करते हैं . देश की ज़्यादा तर हिंदू आबादी मुस्लिमो से अच्छे ताल्लुक़ात की पक्ष धर है. कुछ गंदी मानसिकता के लोग दोनो तरफ हैं. हम पर जब जब दुख पड़ता है हिंदू भाइयों ने हमेशा फराख दिली का . मुज़ाहरा किया है. अगर हमारे बीच राजनीति को शून्य कर दिया जाय तो भारत मे कभी हिंदू मुस्लिम विवाद पैदा ना हो. आज जो देश का माहौल खराब कर रहे हैं ( हिंदू या मुस्लिम) अपने किए पर ज़रूर पछताएँ गे क्योंकि ये देश इतनी आसानी से अपनी भाई चारे की प्रवृत्ति से आज़ाद नहीं हो सकता…
लेख मे सब कुछ बकवास है, लेकिन एक सवाल सही है, 2020 या 2030 जब भी आप इस देश को हिंदू राष्ट्र बना दोगे, उसका स्वरूप क्या होगा? हिंदुत्व का झंडा लेके निकल तो गये हैं, ये लोग, लेकिन जाना कहाँ है, इसका कोई अता-पता है?
साक्षी महाराज, साध्वी एक्स वाय ज़ेड हमारी रहनुमा नही है इसीलिये बहुत बड़ी सांख्या मे हिन्दुओ द्वारा ऐसे उलजुलूल बयानो का खुल कर विरोध होता है , हिन्दू राष्ट्र मुस्लिम राष्ट्र सेकुलर राष्ट्र की बक-बक करने वालो ने दिमाग खराब करके रखा हुआ है ….क्या इनमे से कोई ये बतायेगा कि देश मे भय, भूख, भ्रष्टाचार और आतंकवाद कम करवाने का उनके पास कोई प्लान है ??
मैं ऐसा नहीं कहुँगा कि सभी मुसलमान कट्टर होते हैं या फिर कोई हिंदु कट्टर नहीं होता । लेकिन मुसलमानों पर सांम्प्रदायिक सोच ज्यादा हावि होती है । खासकर मुस्लिमबहुल क्षेत्रों मे ये सोच और प्रबल होती है। वहाँ सेक्युलर सोच वाले बहुत कम पाए जाते हैं । ये एक कड़वी सच्चाई है । यही कारन है कि य 68 साल पहले मुस्लिम लीग को मुसलमानों का इतना समर्थन मिला और वो धर्म के नाम पर देश का विभाजन कर पाए ।