by –ताबिश सिद्दीकी
( 1 ) मुझे याद है जब किसी ने पैगम्बर इस्लाम का कार्टून बनाया था.. मेरा दोस्त अपने अंकल के साथ पाकिस्तान गया हुवा था क्रिकेट मैच देखने.. वो लोग थोडा घूमने टहलने का मज़ा ही ले रहे थे की अचानक कट्टरपंथियों की भीड़ से सामना हुवा.. जो हाथों में खुली तलवार लिए सड़कों पर आग लगते हुवे चल रहे थे.. मेरा दोस्त इतना डर गया और उसे लगा कि अब उसका आखिरी समय आ गया.. मगर फिर वहीं एक टैक्सी वाले ने अपनी जान पर खेलकर उन लोगों को बॉर्डर तक पहुँचाया और किराया भी नहीं लिया!
उम्र बीती जा रही है हमारी फतवों और कट्टर इस्लामिक असहनशीलता देखते हुवे और ताज्जुब होता है जब मुसलमान कहते हैं की PK में आखिर ऐसा क्या था जो लोगों को बुरा लगा? माफ़ कीजियेगा .. आप लोगों के मुह से ऐसी बातें कुछ अच्छी नहीं लगती.. अगर ये फिल्म इस्लाम पर पूरी तरह निर्भर होती तो अभी तक सीन कुछ और ही होता.. आगज़नी.. तोड़फोड़.. जाने कितने फतवे आमिर और पूरी टीम का गला काटने के लिए आ चुके होते.. और सबसे बड़ी बात कि अन्य देशों पर दबाव होता कि इसको रिलीज़ न किया जाए.. कितने समझदार और सहनशील बन जाते हैं हम जब बात दुसरे धर्म की हो.. है न?
ये आपको स्वीकार करना ही होगा की बहुसंख्यक हिन्दू हमसे कहीं कहीं ज्यादा सहनशील हैं.. कुछ मुठ्ठी भर कट्टर लोगों को छोड़कर.. मगर मुसलमान बहुसंख्यक में असहनशील हैं.. कुछ मुठ्ठी भर सहनशीलों को छोड़कर.
मैं तो चाहूँगा की धार्मिक आडम्बरों के खिलाफ फिल्मे बने.. और अब आमिर कह रहे हैं कि PK का दूसरा पार्ट बनेगा और मुझे ये उम्मीद है की इस बार इसका केंद्र इस्लाम रहेगा.. और उसमे पर्दा प्रथा और दहेज़ प्रथा का विरोध नहीं होना चाहिए.. सीधे सीधे कट्टर इस्लामिक ढोंग पर हमला हो.. अगर ये नहीं हुवा तो मैं आमिर और उनकी टीम को मौका परस्त ही समझूंगा
( 2 )वतो इज्जो मंतो शा वतो ज़िल्लो मंतो शा
(अल्लाह जिसे चाहे इज्ज़त दे और जिसे चाहे ज़िल्लत दे) – कुरआन सूरा अल इमरान 26
अल्लाह ने मोदी को pm बनाया.. अल्लाह ने आरएसएस वालों को भी बनाया.. अल्लाह ने हिन्दू बनाया.. अल्लाह ने मुसलमान बनाया.. अल्लाह ने यहूदी बनाया.. अल्लाह ने तालिबान को बनाया.. अल्लाह ने isis को बनाया.. अल्लाह ने बोको हरम वालों को बनाया.. अल्लाह ने लादेन को बनाया.. अल्लाह ने अमेरिका को इतना ताकतवर बनाया.. अल्लाह ने लादेन को भी ताकत दी.. मुसलमान अगर ज़िल्लत उठा रहे हैं तो वो भी अल्लाह के वजह से ही
आप इस बात पर गौर कीजिये कि जो बात ऊपर कही गयी है उनमे से आप ऐसा नहीं कर सकते की एक को गलत मानिए और एक को सही.. अगर एक बात गलत है तो सब गलत होगी और एक सही है तो सब सही होगी.. आप अपने हिसाब से अपने धर्म और अल्लाह के कार्यों की व्याख्या नहीं कर सकते हैं.. आपको हर बात को स्वीकार करना होगा की सब अल्लाह का किया है नहीं तो हर बात से इनकार करना होगा की कुछ भी अल्लाह ने नहीं किया है..
अगर आप धार्मिक हैं और सच्चे हैं और ये स्वीकार कर सकें की सब उसी का किया धरा है जिसको आप अपना भगवान / अल्लाह मानते हैं.. और ये दिल से मान लें तो सारे इर्ष्या और द्वेष उसी दिन समाप्त हो जायेंगे
( 3 ) राजनीति पर क्या लिखा जाए.. दिन रात हम और आप राजनीति ही तो देखते हैं टीवी और अखबारों में.. सारे न्यूज़ चैनल और अखबार मिलकर राजनीति के द्वारा मनुष्य जाती के उत्थान में लगे हुवे हैं और उसके बाद भी क्या मेरा लिखना ज़रूरी है की कश्मीर का cm कोई हिन्दू हो या मुस्लिम?
ऐसे ऐसे बुद्धिजीवी और इसी में फंसे रहते हैं की कौन CM बने और कौन PM.. हमारे सारे टीवी चैनल दिन रात हमे राजनीति और धार्मिक कर्म काण्ड ही दिखाते रहते हैं.. उसके बाद भी लोगों का पेट नहीं भर रहा और आत्मा तृप्त नहीं हो रही.. आत्मा इस राजनीति से तृप्त नहीं होगी.. क्यूंकि न तो आतंकवाद हिन्दू CM बनने से समाप्त होगा और न मुस्लिम.. जिस क्षेत्र में मुस्लिम बहुसंख्यक होते हैं वहां पार्टियाँ मुस्लिम उम्मेदवार उतरती हैं और जहाँ हिन्दू बाहुल्य वहां हिन्दू.. और आपको लगता है पार्टी धर्मनिरपेक्ष हो कर आपके हित का सोच रही है..
राजनीति पूरी तरह से धर्म (सम्प्रदाय) पर आधारित है भारत की और जब तक धर्म राजनीति से जुड़ा रहेगा तब तक आप किसी को भी CM या PM बनाओ.. कुछ नहीं होना है.. क्यूंकि जो कुछ भी करना है आप ही करोगे.. जब तक हमारी अपनी चेतना का विकास न होगा तो कोई भी PM हमारा उद्धार नहीं कर पायेगा.. जिन देशों में धर्म और राजनीति अलग अलग रही हैं वोही देश आगे बढ़ पाया है और जहाँ धर्म हावी रहा है वहां सिवाए पतन के और कुछ न हुवा..
धर्म और राजनीति अलग अलग होती तो इस पर लिखा जाता.. यहाँ हर चीज़ का आधार धर्म ही है इसलिए धर्म ही पहले समझ लिया जाए तो अच्छा है.. सच्ची राजनीति का समय अभी नहीं आया है भारत में.. अभी हम सब धार्मिक ही हैं.. राजनितिक बिलकुल नहीं.
चेतन भगत -दुर्भाग्य से दुनिया में बहुसंख्यक मुस्लिमों के एक विशाल तबके का यही हश्र है। ‘मध्यमार्गी मुस्लिम’ या ‘शांतिप्रिय मुस्लिम’ असहाय होकर देखता रहता है कि एक तरफ तो थोड़े से कट्टरपंथी धर्म की छवि खराब करते हैं तो दूसरी तरफ गैर-मुस्लिम उन पर कुछ न करने का आरोप लगाते हैं। ऐसे में मध्यमार्गी मुस्लिम क्या करें? इसका जवाब आसान नहीं है। शिक्षित, आधुनिक मुस्लिम पर आरोप लगाना आसान है, जैसे धर्म के नाम पर चल रही बेिदमाग हरकतों को खत्म करना उनके हाथों में है। हालांकि, यदि हम उनकी जगह होते तो हमें अहसास होता कि हमारे विकल्प बहुत सीमित हैं।
भगवान न करे, मान लो कि कट्टरपंथी हिंदू गुट के पास लाखों डॉलर होते हैं। दर्जनभर आधिकारिक रूप से घोषित हिंदू राष्ट्र होते। इन राष्ट्रों के शासक कट्टरपंथियों का समर्थन कर रहे होते और ये हिंसा की अति करने में भी नहीं घबराते तो ऐसे में आधुनिक, उदारवादी, शिक्षित या दूसरे शब्दों में ‘मध्यमार्गी हिंदू’ क्या करता? ऐसे में लगता तो यही है कि मध्यमार्गी इस सबसे दूर ही रहता अौर अपनी जिंदगी जीता रहता। शांति से परिवार का पालन-पोषण करता। इसका मतलब यह तो नहीं कि मध्यमार्गी हिंदू कट्टरपंथी गुट का समर्थक होता या स्वभाव से ही पिछड़ा होता या किसी बात की परवाह नहीं करता। नहीं ऐसी बात नहीं। उसे परवाह है और ऐसी बातें उसे बहुत विचलित करती हैं। हालांकि, खुद को संरक्षित रखने की स्वाभाविक मानवीय प्रवृत्ति बीच में आ जाती है और कोई प्रतिक्रिया ही व्यक्त न करना, एकमात्र रास्ता नजर आता है। लाखों मुस्लिमों के साथ यही हो रहा है, जो दूसरों की तरह आतंकवादी घटनाओं से विचलित होते हैं। वे अपने मज़हब को प्यार करते हैं और इसलिए वे अल्लाह के साथ अपना अलग संबंध बनाकर इन घिनौनी हरकतों से खुद को संरक्षित रखते हैं। बड़ा सवाल यह है कि किया क्या जा सकता है? हम उन करतूतों को खत्म करने के लिए क्या करें, जिन्हें मध्ययुगीन, बर्बर कहा जा सकता है, फर्क इतना ही है कि वे 2014 में घट रही हैं? चेतन भगत भास्कर में छपे लेख अंश
हयात भाई
में आप से सहमत नहीं हु के बहुसंख्यक कही भी हो वे सहनशील होते है . मुझे एक भी मुस्लिम मुल्क बता दे जहा सहनशीलता पायी जाती हो. पाकिस्तान, सीरिया, मिस्र , बशराइन, सुदानं आदि . में ताबिश भाई से इत्तफाक रखता हु के अगर आज यही पि-के फिल्म मुसलमानो के खिलाफ बानी होती तो आज आमिर खान और उस के डायरेक्टर को मुल्क चोदना पड़ता . में आप को एक बात बताता हु तस्लीमा नसरीन की पुस्तक लज्जा में ने पड़ी है उस में एक भी बात मुसलमानो के खिलाफ नहीं है मगर जाहिल मुल्लाओ ने उस पे मौत का फतवा लगा दिया आज वो भागते फिर रही है . अब आप पाकिस्तान में देखिये झूठा इल्जाम लगा कर कितने हिन्दू और मुस्लमान को तौहीने रिसालत के नाम पे लोगो को क़त्ल किया जा रहा है.
और आपका इस साइट पर बहुत बहुत इस्तकबाल हे ताबिश सिद्द्की भाई
मोहल्ला लाइव से सिकंदर हयात September 26, 2012 at 8:42 am
अविनाश भाई और राजीव यादव भाई को बहुत बधाई ऐसे लोगो की जितनी भी तारीफ की जाए कम होगी लेकिन में ये भी समझता हूँ की सबसे बेहतर यही होगा की ये लोग ये देखे की कही भी कोई भी बेगुनाह शख्स तो नहीं पकड़ा गया हे और में ये देखू की जो गुनाहगार हे उनके खिलाफ आवाज़ उठ रही हे या नहीं उनके खिलाफ भी जनता जागरूक हो रही हे या नहीं तो जेसा की हमने विस्फोट पर हुई बहस में कहा हे की खासकर इस दक्षिण एशिया में आम मुस्लिम और और बहुत से गेर मुस्लिमो का जो इस्लाम और मुस्लिमो का सम्मान ही करते हे और उनके साथ खड़े रहते हे उन्हें में दिखाना और ‘बताना चाहता हूँ की सबसे बड़ी समस्या कानून तोड़ने वाले या आतंकवादी या कट्टर पांति ही नहीं हे बल्कि ये कुछ पढ़े लिखे ‘सोबर लोग भी हे भारत में ये कोन कोन हे में नाम नहीं लेना चाहूँगा आप खुद देखिये देश में भी और अपने आस पास भी देखिये समझिये कोन हे कहा कहा हे , और इनका कड़ा विरोध कीजिये वर्ना ये तबाही करवा देंगे .देखिये पाकिस्तान का ये पिशाच बुद्धिजीवी और रिटायर्ड अफसर हे ओरिया मकबूल जान वेसे तो एक चींटी भी खुद मारना ऐसे लोगो के बस की बात नहीं होती पर दूसरो के बच्चो को मरवाना इनके बाय हाथ का खेल होता हे – इस ओरिया मकबूल ने इस फिल्म विवाद पर टीवी बहस में लोगो को खूब भड़काया जाहिर हे फिर जब बवाल हुआ और 20- 25 लोग मारे गये तो फिर ये टीवी पर आकर इस घटना पर लगभग मुस्कुराते हुए किन्तु परन्तु करने लगा तब एक भले पाकिस्तानी पत्रकार ने इन लोगो से पूछा की न तो आपने खुद किसी प्रदर्शन की कयादत की न आगे आगे रहे न आप न आपके बच्चो ने गोली तो छोड़ो एक पत्थर तक नहीं खाया – ( विडियो you tube टाइप
Policy Matters — 22nd Sept 2012 – Orya Maqbool Jaan, Saleem Safi & Zafar Halali विडियो 35:46 मिनट से देखिये ) वही बात जो में भी लगातार कह रहा हूँ की ये हमेशा चाहे कोई मसला हो ये हमेशा दूसरो के बच्चो को मरने के लिए आगे क्यों कर देते हे इन्ही ओरिया मकबूल जानो ज़ैद हमीदो हामिद गुलो के कुछ छोटे -मोटे संस्करण हम भारतीय मुस्लिमो के बीच भी मौजूद हे ये लोग हाफिज़ सईद जेसे आतंकवादियों से भी बड़े गुनाहगार यही लोग हे जेसे मोहल्ला लाइव पर लेख दिखना लगा हे सपा के सेकुलर राज़ का —-पर हुई बहस में मेने भी कहा था की ” 10 – 12 साल पहले जब एक छात्र संघटन पर पर्तिबंध लगा था तो एक महफ़िल में मेरे एक रिश्तेदार तो जो की यु पि में सरकारी इन्जीनियर थे जाहिर हे की खुद भी मस्त जिन्दगी जी रहे थे और अपने अंडर में अपने 4 – 5 कज़ीनो को भी अलीगढ जामिया आदि में डॉक्टर इंजीनियर आदि बना रहे थे ( बदले में वो चारो पांचो उनकी जमकर सेवा करते थे आज वो सब भी सरकारी नौकरी का आनंद उठा रहे हे ) तो इस पर्तिबंध पर नाराज़ हो कर बोले की हां ये संघटन लोगो को दीन की तरफ ले जा रहा था तो उसे बेन कर दिया . मेने तब उनसे पूछा की या तो आप ये बतएये की हिंदुस्तान में हम मुस्लिमो के दीन पर किस तरह से खतरा हे ? या फिर कोई स्पेशल या जरुरी तरीके से ये संगटन लोगो को दीन की तरफ ले जा रहा था ? मेने पूछा की दोनों ही हालातो में इतने साल से अब तक क्यों नहीं आपने ये जो आपके अंडर में ये 4 -5 छात्र हे इन्हें क्यों नहीं ये संगटन ज्वाइन कराया ?जाहिर की ये सब सिर्फ दूसरो के बच्चो के लिए उनका जबानी जमा खर्च था (अब यही हाल और विचार उनके हाथो गढे गये उन 4 – 5 लोगो का भी हे ) होता यही हे की ये सयाने लोग अपने हितो का तो पूरा ध्ययान रखते हे लेकिन आम लोगो को गलत राह दिखा कर या गलत राह का बिलकुल विरोध न करके उसका नुकसान करवाते हे यही सबसे बड़ी प्रॉब्लम हे”सिकंदर हयात 24/09/2012 19:27:22
लेकिन बात ये भी हे की करे भी तो क्या करे ? – मुस्लिम भारत और पूरी दुनिया में ही एक बहुत महतवपूर्ण और एक तरह से बेलेंसिंग पोजीशन में हे मुस्लिम मानसिकता में परिवर्तन और इस्लाम के मूल्यों की समयानुकूल – व्याख्या और उदार इस्लाम के साथ ही भारत में ही नहीं सारी दुनिया में बदलाव की लहर चल पड़ेगी और इतिहास की सबसे भयानक असमानता और गरीबी झेल रही जनता को राहत ही मिलेगी मगर क्या दुनिया और भारत और दक्षिण एशिया भारतीय -उप्महादिप पर हावी शक्तिया ये चाहेगी ? नहीं वो ऐसा चाहते ही नहीं मुस्लिम देशो के पास तेल और दुसरे बेहिसाब प्राकर्तिक संसाधन मौजूद हे ऐसे में दिल से वेस्ट और अमेरिका शायद चाहते ही नहीं हे की कट्टरपंथ खत्म हो अमेरिकी बड़ी आसानी से ये तो जानते ही होंगे की इस तरह की घटिया फिल्म बनाने से होगा यही की जनता का गुस्सा भड़केगा उदारवादी बुरी तरह से कमजोर होंगे और इस गुस्से की सवारी करके कट्टरपांति मज़बूत ही होंगे क्योकि कट्टरपंथ के कारण ही ज़हालत हे ज़हालत हे तो वैज्ञानिक औत तकनिकी विकास नहीं हे जिस कारण ये बहुत से मुस्लिम खुद न तेल आदि के खजानों को न निकाल पाते हे न कोई शक्ति बन पाते हे इसमें किस का फायदा हे कट्टरपंथ हे तो भारत पाक अफगान बंगलादेश एक महासंघ नहीं बना पाते खरबों के हथियार बिकते हे और जनता का ध्ययान भी बड़ी आसानी से शोषण से हटाकर कर कश्मीर आदि पर लगा दिया जाता हेKamal 22 hours 38 minutes ago
Hi Sikandar,
I am agree with you. Indian Muslim have a different mind set and time has come when Some leader from Indian Muslim community should lead the Muslim world. We can not except from the West to help the us. This is in their interest Otherwise there is no reason that America and west worlds support the autocratic governments in most the Arabian World.
But the problem in the India is that we don’t have any Muslim leader. which is capable to lead the minority as well as he has the Acceptability in the Majority.
Reply0
सिकंदर हयात 20 hours 51 minutes ago
कमल भाई नयी क्रन्तिकारी सोच के भारत और दुनिया को भी नयी राह दिखाने वाले सच्चे इस्लाम के हजरत उमर जेसे सादगी समानता समाजवाद और गेर मुस्लिमो को 100 % बराबर मानने वाले मुस्लिम लीडर केसे सामने आएंगे भला ? मुस्लिम कट्टरपन्तियो – कठ्मुल्लाओ भ्रष्ट और बदमिजाज रहनुमाओ की तो बात ही छोड़िये – गेर मुस्लिमो से भी भला क्या सहयोग मिलता हे ?अमेरिका इजराइल वेस्ट आदि का असल फायदा किस्मे हे ये मेने ऊपर बताया ही हे भारत में ही क्या हाल हे ?ये कोई नहीं चाहता ( मुस्लिम गेर मुस्लिम दोनों ही की शोषण कारी ताकते ) की क्रन्तिकारी मुस्लिम मानसिकता सामने आये
अफज़ल भाई ये मेरे नहीं चेतन भगत के विचार हे ( जो कोई वाम नहीं बल्कि पक्के मोदी परसत हे ) दूसरी बात हिंदुत्व इसलिए सहनशील हे उदार हे जो भी हे वो इसलिए हे की हिंदुत्व को भारत में कोई चुनौती थी ही नहीं हिन्दू भी इसलिए उदार और शांतिप्रिय हो गए की दुनिया की हर नेमत भारत में मौजूद थी ही फिर सेवा करने के लिए करोड़ो दलित आदिवासी हाथ थे जिन्हे अगले जन्म में भुनने वाला चेक दिया जाता था जो वो ख़ुशी ख़ुशी लेते थे कोई पंगा था ही नहीं इसलिए सहनशीलता आ गयी अपवादसवरप जब बोध धर्म चुनौती बनने लगा तो उसे पूरी असहिष्णुता के साथ उखाड़ फेका गया इस्लाम का मामला उलट था उसे फैलने के लिए कोई खाली जमीन नहीं थी प्राकर्तिक संसधान भी बेहद कम थे चारो तरफ बड़े बड़े महान मज़हब -देश मौजूद थे पारसी ईसाई बोध हिन्दू यहूदी आदि अगर इस्लाम आता और सिर्फ और सिर्फ शान्ति उदारता सहिष्णुता सवर्धमसम्भव की ही बाते करता ( या पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब एक महान सेनापति भी ना होते वो धार्मिक सामाजिक सांस्कर्तिक आर्थिक के साथ सैनिक नेतर्तव भी ना देते तो ) तो फिर तो होता यही की इस्लाम उसी तरह से पिट पिटा कर गायब हो जाता जैसे बोध धर्म अपनी ही जमीन भारत से गायब हो गया था तो ये था इसका मतलब ये नहीं हे की में आज कठमुल्लाओं दुआरा फैलाइए असहिष्णुता का बचाव कर रहा हु नहीं में तो कह ही रहा हु की देखिये चाहे वो आपत्तिजनक कार्टून या फिल्म विवाद या रश्दी विवाद हो इन पर अरब देशो में तो कुछ नहीं होता और पाकिस्तान में ये ओरिया मक़बूल जान जैसे लोग तूफ़ान मचवा देते हे क्योकि पेट्रो डॉलर के चंदे खा खा फूल रहे इन हराम चर्बी के ड्रम ( में नहीं कहता यही लोग कहते हे एकदूसरे को जैसे ज़ैद हामिद मौलना ताहिर अशरफी को ) लोगो को मुफ्त का माल खा खा कर फिर कुछ न कुछ खुराफात सूझती रहती हे
Lets Accept Bitter Truth of Indian Muslims… Yes ..So Many Indian Muslims r Terrorists….Lets Start Accepting this Truth instead of Defending this Muslims… who r BLACK SHEEP on the name of Islam….Yes I Agree and Condem… There r so Many Indian Muslims of Both Gender ..Yes including Female.. r Involved in Terrorists Activities….. We have to Accept this Truth…How many of U have Guts to Accept this Bitter truth instead of Defending this Criminals who r Black Dabbha on Islam??
लेकिन अफज़लताबिश भाई जैसा की मेने तब ताबिश साहब के लेख पर रोना रोया था की एक एक शुद्ध सेकुलर लिबरल भारतीय मुस्लिम भारत में किस कदर मुश्किलो और अपमानों और तनावों से घिरा रहता हे कोई भी तो उसे सपोर्ट नहीं देता अब यही एक उदहारण देखिये की मेने नेट पर लिखने की शुरुआत फरवरी 2011 से उसी साइट पर की थी अब तो वहा पुराना सब मिट चूका हे लेकिन तब दो साल मेने वहा बहुत लिखा बहुत लिखा लेकिन क्या मजाल हे की हमें संपादक जी ने कोई भाव दिया हो सवाल ही नहीं हे जी और अब भी देखिये की हमारे रश्दी तस्लीमा वाले लेख को भी इन्होने फ्रंट पर देना उचित नहीं समझा जबकि परवीन गुणनानी जैसे संघी दुष्प्रचारको ( जिन्होंने जानबूझ कर पि के खिलाफ लेख में आमिर को ही निशना बनाया क्योकि इसी में भाजपा का फायदा हे ) जैसे लोगो तक के लेख ये अपनी साइट पर लगाना उचित समझते हे बहुत ही तकलीफदेह रवैया
कश एसे अच्छे ब्लॉग कॉंग्रेससी सरकारो मे पढने मिल जाते तो कॉंग्रेससी कभी भी मुसलमानो को वोट बैंक ना समजते..
ilmo ko banane bale tum paas krne bale tum to isme muslmano ko kyu dosh dete ho ham to filmo ko haram kahte hai duniya sirf muslmano ko badnaam krne pr lgi hai maine post krne bale se puchha na chahuga ki humne kabhi filmo ko dekhne ka huqm nhi diya hai sare kam tum krte ho dosh muslmano ko dete ho humre liye to sirf pk hi nhi sari filme haram hai
hamne kisi film ko sahi nhi kaha hai hamne to sabhi filmo pr haram ka fatwa dediya hai hamara filmo se koi taluk nhi hai
भारत को एक सूत्र में बांधने का महत्त्व देश के आध्यात्मिक महापुरुषों ने समझा था और इसको समाज में उतारने का प्रयास विवेकानंद ,महर्षि दयानंद राजा राम मोहन राय महर्षि रमन आदि हज़ारों महापुरुषों ने किया इसी क्रम को महात्मा गांधी ने देश की आज़ादी के लिए आगे बढ़ाया और अहिंसा जीवन की पद्धति सेवा जीवन का कार्य और सत्य जीवन का लक्छ्य बनाकर एकता को आध्यात्मिक स्वरूप दिया इसके लिए समाज से उंच नीच की भावना को समाप्त करने के लिए उन्होंने दलित उत्थान का कार्य हाथ में लिया साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए हिन्दू मुस्लिम एकता को मजबूत करने का प्राण पण से प्रयत्न किया और इसी कार्य में वह शहीद भी हो गए उनके तीब्र विरोध के बाद भी देश विभाजित हो गया और आज भी हिन्दू मुस्लिम एकता कायम नहीं हो सकी आज़ादी के बाद भी दंगे हो रहे हैं न हिन्दू गांधी जी के बलिदान को महत्त्व दे रहा है और न मुसलमान नेता लोग इस भेद को बढ़ाने में और दंगा कराने में अपना योगदान देते रहते हैं मुसलमान ईद में और मुहम्मद साहब के जन्म दिन पर अमन चैन और देश की खुश हाली की दुआ मांगने की बात करते रहते है किन्तु देश में ऐसी कोई ईद नहीं होती है और न मुहम्मद साहब का जन्म दिन होता है जब इस अवसर पर देश के किसी न किसी कोने में हिन्दू मुस्लिम दंगा न होता हो कल मुहम्मद साहब के जुलुस में हमेशा की तरह अलाहाबाद आगरा आदि शहरों में दंगे हो गए ऐसा लगता है की जैसे मुसलमान और हिन्दू दंगा करने के लिए तैयार रहते हैं और छोटी से छोटी घटना को दंगो का कारण बना लेते हैं मुसलमान अल्लाह से अमन चैन की दुआ मांगते होते तो कम से कम त्यौहार पर तो दंगे नहीं होते देश में बिखराओ ही बिखराओ दिखाई देता है लोग एकता की नकली बातें करते दिखाई देते है और बिखराओ का प्रयत्न पूरी शिद्दत से करते है सरदार वल्लभ भाई पटेल जो गांधीजी के एकता के मिशन को अन्य गांधी वादीओं की तरह देश में आगे ले जाने के लिए जीवन भर कांग्रेस के माध्यम से प्रयत्न करते रहे राजनेताओं का और जातिवादिओं का स्वारथी करिश्मा देखो की आज उनका भी उपयोग कांग्रेस के विरोध में किया जा रहा है देश की जनता को बिखराओ को रोकने और एकता स्थापित करने के लिए खुद भागीरथी प्रयत्न करना होगा
मुस्लिम समाज और मानसिकता में आज जो अतिवाद और कटट्रपंथ की समस्या उस सम्बन्ध में सबसे महत्वपूर्ण बात पाकिस्तानी सामाजिक कार्यकर्त्ता फौज़िया सईद साहिबा ने बताई हे( https://www.youtube.com/watch?v=ZC1Y_-49D3g – 23 ; 40 से ) की एक से लेकर दस तक के पॉइंट होते हे और हम लोग एक से लेकर नौ तक मुह में दही जमाकर रखते हे फिर जब बम फटता हे तो या कुछ होता हे तब हम उछाल कूद करते हे अब परसो की ही बात हे में एक अपने रिश्तेदार बहुत पढ़े लिखे जीजा जी को बता रहा था की हमने साज़िद साहब का लेख जाकिर नाइक साहब पर था वो पब्लिश कराया हे तो उन्होंने फ़ौरन मतलब निकाला की जाकिर साहब तो इस्लाम के बारे में बताते हे और तुम उनका विरोध कर रहे हो अच्छा अछा मतलब तुम इस्लाम के खिलाफ हो तब इंजिनियर कज़िन सिस्टर ने मेरा बचाव किया तब जाकर मुझ पर से ब्लासफेमी का आरोप हटा तो ये हे की लोग एक से लेकर नौ तक ख़ुशी ख़ुशी साथ चलते हे इसी में कोई गरीब कोई भावुक कोई बेवकूफ कोई मानसिक रोगी बेचारा फंस जाता हे और दसवा स्टेप उठा लेता हे जैसा की अभी हैदराबाद बेंगलोर में हुआ की कुछ पढ़े लिखे लोग आई एस के आर्कषण में अपनी जिंदगी खराब करवा बैठे और वो लोग पतली गली से खिसक गए होंगे जो एक से नौ स्टेप तक खूब बढ़वा ( जबानी हमारे जीजा जी की तरह ) दे रहे थे
नरोत्तमस्वामी
आप का खबर की खबर में स्वागत है .
सिर्फ मुसलमानो के जुलुस में हंगामा नहीं होता है . और भी धर्मो के जुलुस में इस से भी ज्यादा हंगामा होता है . आप को भी मालूम है के मुसलमानो के साल में १-२ जुलिस निकलता है और हिन्दुओ के साल में २०-२५ धार्मिक जुलुस निकलते है . सच बात है के धर्म के नाम पे कोई भी लड़ाई , झगड़ा या दंगा करता है वे सभी दोषी है . इस को धर्म से न जोड़े .
भारतीय उपमहादीप में ये जुलुस का चक्कर बहुत ही ख़राब हे यहाँ आबादी बहुत ज़्यादा हे हर जगह विभिन्न समाज के लोग रहते हे अब होता यही हे की जुलुस का हिस्सा बनकर कुछ असामाजिक तत्व अपनी कुंठाय निकालते हे ये कुछ कायर असामाजिक तत्व समूह का हिस्सा बनकर ही अपनी सड़ियल बहादुरी दिखाते हे . बारिश के महीने में तो ये ”जुलुस ” बनकर पुलिस तक पर धोस दिखाते हे सभी गाड़ियों को नई नवेली बहु की तरह सिमट कर चलना पड़ता हे अच्छा अफज़ल भाई जितना की में जानता हु की हम सुन्नी देवबंदी लोग तो न कोई जुलूस निकलते हे ना ही किसी जुलुस का हिस्सा बनते हे
आज पहली बार ” खबर की खबर ” को देखा ।वह भी आपलोगों के द्वारा दिए गए स्पोन्सर्ड पोस्ट के द्वारा ।कुछ आर्चीवड पोस्टे भी पढ़ी ।बहुत अच्छा लगा । यह सत्य है कि किसी भी धर्म या समाज में व्याप्त रूढ़ियों , अन्धविश्वास , कट्टरता , धार्मिक असहिष्णुता , कुरूतियों और गलत मान्यताओं – परम्पराओं को दूर करने या सोच , मान्यताओं , परम्पराओं में समय और काल के अनुरूप बदलाव लाने के लिए उसी धर्म या समाज के प्रबुद्ध चैतन्य वर्ग द्वारा सत्य और विवेक का उदघोष् करना आवश्यक होता है ।मुस्लिम समाज में इस आवश्यकता की पूर्ति आपलोग कर रहें है
हिन्दू समाज में तो यह काम सदियों से होता आया है ।हिन्दू धार्मिक पुस्तकों में लिखी कुछ गलत बातों का विरोध हिन्दू समाज के बीच से ही होता आया है ।अब यह मत कहियेगा की इन गलत बातों का विरोध सिर्फ भुक्त भोगियों द्वारा ही किया जाता है ।क्योंकि यह गलत होगा ।इसी प्रकार कुरीतियों की बात हो या गलत धार्मिक मान्यताओं या परम्पराओं की बात हों , हिन्दू समाज के ही महापुरुषों द्वारा तार्किक और प्रभावशाली आवाज उठती रही है ।ईश्वर आराधना या साधना के भी अलग अलग मार्ग अपने अपने अनुभव और सफलता के आधार पर संतो द्वारा बताये जाते रहे हैं और अपनी अपनी प्रवृति – प्रकृति के अनुसार लोग उनके अनुयायी भी बनते रहे हैं ।सदियों से चल रही इसी प्रकिया के ही कारण हिन्दू धर्म और समाज अधिकांशतः उदार है । मैं आपलोगों के किसी पोस्ट में हिन्दू समाज की उदारता के लिए भौगोलिक या क्षेत्र विशेष की परिस्थियों के तर्क से सहमत नहीं हूँ ।सत्य सत्य ही होता है ।और विवेकशील और ज्ञानवान लोग स्वयं ही सत्य की और अग्रसर होते हैं ।धर्म या यों कहे कि ईश्वर आराधना के मार्ग को फ़ैलाने के लिए सेनापति या शक्ति की आवश्यकता नहीं होती और न ही यह उचित रास्ता है ।हाँ कई बार दुष्ट प्रवृति के राजाओं और लोगों से सज्जन लोगों को बचाने के लिये अवश्य अच्छे सेनापति और सेना की आवश्यकता होती है ।
मुस्लिम समाज में यह काम आपलोग कर रहे हैं । बहुत ही गहरी जानकारी , समझ और विवेक के साथ ।सतही पोस्टें तो हजारों देखी है पर प्रभावित आप ही लोगों ने किया है ।आपलोगों के कुछ विचारों से मतभिन्नता के बावजूद आपलोगों की सकारात्मकता की सराहना करता हूँ और शुभकामना देता हूँ कि आप लोगों का दायरा बढे और आपलोगों के विचार मुस्लिम समाज के अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचे ।अपना यह काम जारी रखें । इसी में मुस्लिम समाज और देश का भला है ।
सधन्यवाद !
हरि प्रकाश लाटा
आपका इस साइट पर में संपादक अफज़ल भाई की तरफ से बहुत बहुत स्वागत करता हु ये आपने बड़ी करारी बात कही की ” सतही पोस्टें तो हजारों देखी है ” बहुत सही कहा नेट पर सतही सामग्री की भरमार हे जो बहुत खतरनाक हे क्योकि भारत में लगातार नेट तक लोगो बच्चो किशोरों की आमद बढ़ ही रही हे उनके विचार प्रदूषित होने का बहुत खतरा हे हम अपनी तरफ से इस खतरे को काबू करने का पूरा प्रयास करेंगे आपसे रिक्वेस्ट हे की आते रहे और अपने सभी परिचितों को भी इस साइट के बारे में बताय आगे भी हम आम आदमी के काम के बहुत से विचार पेश करने की कोशिश करेंगे हमारा एक ही मकसद हे आम आदमी की भलाई के विचार सरल भाषा में उस तक पहुचना
यह फिल्म न आमिर ने बनाई है न निर्देशित की है, निर्माता निर्देशक दोनो हिन्दू हैं. आमिर तो सिर्फ कलाकार है अगर किसी को विरोध करना भी है तो निर्माता निर्देशक का करे. यदि आडंबरों पर ही फिल्म बनती तो कोई विरोध नही होता, ओह माई गॉड भी बनी थी, पर फिल्म मे यह कहना की कोई मंदिर सिर्फ डर के कारण जाता है यह गलत है. अन्य बातों पर किसी को भी ऐतराज नही हो सकता. हिन्दू धर्म के आडंबरों का हमेशा से फिल्मों मे विरोध हुआ है जिसे हिन्दू समाज ने समाज सुधार की दृष्टि से देखा है. मैने भी ब्लॉग लिखा है पीक पर ह्त्त्प://रेअडेरब्लॉग्स.नवभारत्तिमेस.इंडियतिमेस.कॉम/ज़ैज़वन्ज़ैखिसन/एंट्री/%ए0%आ4%आ-%ए0%आ4%95-%ए0%आ4%94%ए0%आ4%ब0-%ए0%आ4%9फ-%ए0%आ4%ब5-%ए0%आ4%9आ-%ए0%आ4%आ8%ए0%आ4%ब2-%ए0%आ4%आ%ए0%आ4%ब0-%ए0%आ4%एसी%ए0%आ4%ब9%ए0%आ4%ब8
हिन्दू सहनशील एवम सामंजस्यवादी होता है। एक है जो खुद के आलावा किसी और को बर्दास्त नही कर सकते अगर कर रहे है किसी मजबूरी में। एक और है वे गाड के सिवा दूसरा कोई है ही नही। हिन्दू ही एक मात्र विश्वमे है जो बहुलता को प्यार के साथ जीते है। विश्व में कोई एक देश बतायो जहाँ मुसलमान बहुमत में हो और वहन अन्य धर्मावलम्बियों को अपनी धार्मिक गतिबिधियों को करने की सार्वजनिक स्वतन्त्रता हो।
आपको इस पूरी तरह से बेतरफ़ और सुलझे हुए बयान के लिए तह-ए-दिल से मुबारकबाद ताबिश भाई । आप जैसे सही नज़रिये वाले इन्सानों की ज़रूरत सिर्फ़ इस्लाम को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को है, इंसानियत को है, आलम-ए-ख़ाक को है । दुनिया के हर नेकदिल और इंसानियत से लबरेज़ शख़्स की तरफ़ से सलाम करता हूँ आपको ।
जितेन्द्र माथुर
अल्लाह ताला आपको लंबी ज़िंदगी और सेहत से नवाज़े ताबिश भाई । आप जैसे सुलझे हुए और इंसानियत से लबरेज़ लोगों की ज़रूरत आज हर जगह और हर कौम में है । आपकी ज़हनियत और इंसानियत को मेरा सलाम ।