भारत को एक लंबे संघर्ष और असीमित बलिदान के बाद 15 अगस्त-1947 को आज़ादी मिली. अभी आजादी का जशन पूरी तरह मनाया भी नही गया था के हमारा राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मार कर कर दि.इस तरह स्वतंत्र भारत का ए पहला आतंकवादी घटना था और नाथूराम गोडसे स्वतंत्र भारत का प्रथम आतंकवादी था.बहुत आश्चर्य होता है जब आज नाथु राम गोडसे को कुछ संप्रदायिक पार्टीयो द्वारा गोडसे को एक राष्ट्रीए हीरो बनाने की कोशिश चल रही है. इस आतंकवादी को पैदा करने वाला संगठन आर .एस . एस था. इस संगठन की बुनियाद 1925 मे विजयदशमी के दिन केशव हेडगोवार ने रखी जिस का मक़सद हिन्दुत्व के कॉन्सेप्ट को आयेज बडाना था. इस संगठन ने आजादी की लड़ाई मे कभी भी हिस्सा नही लिया बल्के बहुत से दस्तावेज़ से साबित होता है के संघ अंग्रेज़ो की चतुराई मे लगा रता था. संघ ने हमेशा भगवा झंडे को तरजीह दी कभी भी ए लोग राष्टिये झंडे को सल्यूट नही किया.
सत्य- अहिंसा के सबसे बड़े प्रवर्तक महात्मा गाँधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को कर दी गई थी, लेकिन उनकी हत्या की साजिश रचने वालों ने इससे कुछ दिन पहले भी 20 जनवरी को एक प्रार्थना सभा में बापू को मारने का प्रयास किया था हालाँकि वे इसमें असफल रहे।बहरहाल, अगर 20 जनवरी के हादसे को गंभीरता से लिया गया होता तो शयेद बापू बच गये होते.गाँधी जी के हत्या का कारण पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने के लिये सरकार को बाध्य करना और उन का मुस्लिमो के प्रति प्रेम बताया जाता है.लेकिन गन्ही जी के पौत्र तुषार गाँधी बापू की हत्या का यी करण नही मानते, उन्हो ने अपनी पुस्तक ‘ लेट्स किल गाँधी” मे लिखा है के गाँधी जी की हत्या पूर्वनियोजित थी और ब्राह्मण का एक समुदाय जो हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहता था, उसी ने हत्या करवाया क्यो के वे गाँधी जी को अपने राह मे रोड़ा समझती थी.
Why Godse killed Gandhi पुस्तक मे व. टी. राजशेखर लिखते है के गाँधी जी की हत्या के बारे मे संघ को पहले से ही मालूम था, जैसे ही हत्या की खबर मिली मिन्टो मे ही पूरे भारत मे मिठाये संघ के द्वारा बांटी गयी. जिस से लोग नाराज़ हो कर महाराष्ट्र और कर्नाटक मे लोगो ने बहुत से ब्राह्मणो के घर मे आग लगा दी.गाँधी जी हत्या का समय गोवालकर मद्रास मे ब्राह्मणो के एक सभा मे उपस्थित थे, उस के बाद वे नागपुर वापस आ गये, मगर 1 फरवरी 1948 को रात्रि मे उन्हे गाँधी जी की हत्या मे शामिल होने पे गिरफ्तार कर लिया गया. 4 फरवरी को संघ पर पूरे देश मे प्रतिबंध लगा दिया गया. गृह मंत्री सरदार पटेल 18 जुलाइ-1948 के एक पत्र मे श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लिखा के हमारे रिपोर्ट के अनुसार संघ और हिन्दू महासभा खासतौर से संघ ने देश मे घ्रणा का ऐसा माहौल बनाया जिस के करण गाँधी जी की हत्या हो गयी. 11 सितंबेर 1948 को एक और पत्र मे पटेल ने लिखा के जिस तरह गाँधी जी के हत्या के बाद संघ वालो ने खुशी जाहिर की और मिठायी बांटी जिस के करण लोगो मे नाराजगी बड गयी, इसी कारण संघ पर प्रतिबंध लगाना पड़ा.
अब हम आप को गाँधी जी की हत्या के पीछे का एक और सच बताने जा रहा हु जो के संघ की साम्प्रदायिकता जेहनीयात मे पैदा हुआ था, क्यो के गाँधी जी की हत्या पूर्वनियोजित थी इस लिये नाथूराम गोडसे का बंगलोर के एक हॉस्पिटल मे खतना -(Circumcision कराया गया ताके मारने वाला मुसलमान प्रतीत हो सके, जिस के कारण जब ए खबर फैले गी तो मुसलमानो का क़त्लेआम शुरु हो जाये गा , मगर किस्मत का खेल देखिये के जैसे ही गाँधी जी को नाथूराम गोडसे ने गोली मारी वहा पे एक मौजूद आदमी ने कहा के ए नाथु तुम ने ए क्या कर दिया?. हत्या के कुछ देर बाद प्रधानमंत्री जवाहर लल नेहरू ऑल इंडिया रेडियो पे आये और उन्हो ने एलान किया के ‘ बहुत अफसोस के साथ कहना पड रहा है के आज एक पागल हिन्दू ने गाँधी जी की हत्या कर दी.
अब आप स्वंय देखे के आजादी के पहले और बाद मे संघ ने सिर्फ देश के खिलाफ ही काम किया है, और उन के बहुत से सदस्यो ने भी राष्ट्र के लिये काम नही किया है. इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही काहे गे के संघ के सदस्य अटल बिहारी बाजपायी जो के अंग्रेज़ो से लिखित माफी भी मांग चुके है और वो पत्र आउटलुक मे भी प्रकाशित हो चुका है भारत के प्रधानमंत्री बी बन चुके है. इस लिये हम कह सकते है के नाथु रम गोडसे स्वतंत्र भारत का पहला आतंकवादी था और संघ आतंकवाद पैदा करने वाला प्रथम संगठन था.
नाथूरामजी गोडसे बहोत महान थे .उन्हें आतंकवादी कहनेवालों ज़रा उनका चरित्र पढ़ों . गोडसे बहुत बडा देश भक्त था
Bilkul right kaha
वो यहुदि थे !
he is jewish..First terrorist of India.I would have murdered him and given his dead body to dogs to eat.
असल में ये लेख दो साल पुराना है जो नव भारत टाइम्स के अपना ब्लॉग में प्रकाशित हुआ था. इसे इस लिए दुबारा प्रकाशित किया गया क्यों के आज कल गोडसे को राष्ट्रीय हीरो और उन की मूर्ति लगाने की मांग की जा रही है . वही संघ जो की स्वतंत्रता की लड़ाई में हिस्सा भी नहीं लिया आज अपने आप को सब से बड़ा देश भक्त बन रहा है,
अफज़ल भाई घुमफिराकर सब सत्ता की लड़ाई हे हिंदूवादी सत्ता का भोग चाहते हे उसके लिए सबसे जरुरी हे की सेकुलरिज़म को कमजोर किया जाए उसके लिए सबसे जरुरी हे गांधी नेहरू के प्रभाव की काट की जाए इसलिए गांधी नेहरू को तरह तरह से बदनाम किया जा रहा हे एक वीडियो देख रहा था जिसमे अजित डोभाल साहब जो की शायद विवेकानद फाउंडेशन से भी जुड़े रहे जिसका की बकौल तहलका मोदी सरकार लाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही तो पता नहीं शायद उसी के प्रोग्राम में अजित साहब भारत की आज़ादी का क्रेडिट सुभाष चन्द्र बोस को देते हे क्यों ? वो वीडियो और उस पर अपनी बात की क्यों ऐसा कहा जाता हे में लिखता हु
मोदी सरकार के आने के बाद जिस तरह संघ और हिन्दू कट्टरपंथी के हौसले बड़े है ऐसा कभी नहीं हुआ . हयात जी आप देखिये ग के आने वाले दिनों में गोडसे को देश भक्त घोषित किया जाए ग और उस की मूर्ति भारतीय संसद में भी लगे गई . नवभारत के अनुसार ५ मुर्तिया आई है जो भिन्न भिन्न शहरो में स्थापित की जाए गई .
मुझे तो हर तरफ अन्धकार ही दिख रहा है . कट्टरपंथी के कारन ही आज पाकिस्तान का ये हाल है ,अगर भारत ने इन को नहीं रोक को भारत के लिए ये भी खतरा बन जाए गए और भारत की शान्ति सद्भावना मुश्किल में पद जाए गई .
ajjal sahab sare muslim desho mein jab hinduo ke kilaf atyachar hota hai tab koi bhi kuch nahi karta abhi apane desh mein hi kai kisse dharm chhipakar shadi karane ki aayee hinduo ke jabran dharma pariwartan ke aaye tab to kisi ko bhi kuchh najar nahi aa raha tha lekin jaise hi kuchh log ghar wapasi ki sabko mirchi lag gayee aap log kya chahte hai ki bahusankhyank hokar bhi hindu hmesha dabkar rahe maar khata rahe pratiwad bhi naa kare agar hindu pratiwad bhi karta hai to desh ka secularism khatare mein par jaata hai afjal sahab pakistan ka muslaman marata to yahan matam manayee jati hai to apane hi desh ka hindu pakistani kutto ke dwara kayarana dang se bam balast kar ke maar diya jaata tab aaplog kyun chup rahate hai.
सौरभ जी
नमस्कार
आप का खबर की खबर में स्वागत है .
आप सही लिख रहे है के पाकिस्तान में हिन्दुओ की स्थिति सही नहीं है .देखिये मेरे समझ में तो आ रहा है के पाकिस्तान में हिन्दू क्या वह के मुस्लिम भी सुरक्षित नहीं है . जेहाद के नाम पर जिस तरह क़तल हो रहा है इसे रुकना हो ग .अगर आप आंकड़ा देखे तो पता चले ग के जेहाद के नाम पे लाखो मुस्लमान का क़तल किया जा चूका है . असल में जेहाद है नहीं ये तो सिर्फ सत्ता की लालच आहि .
जहा तक धरम परिवर्तन की बात है में तो लालच के द्वारा किया गया धर्म परिवर्तन पे रोक लगाने की मांग करता हु
AFJAL MIYAN TUMHEN ATANKWADI AUR DESH BHAKT MEIN ANTER PATA HAI, AGAR GODSE ATANKWADI THA TO TUMHAR AFJAL GURU AUR KASAB BHAIJAN INDIA KE PAHLE DESH BHAKT THE.
Sachchai chhup nahi sakti banawat ke usulon se.nehru khandan ne apne swarth ke liye is desh ko barbad kar diya,gandhig usi ke sahyogi the.aakhir 55 crore q diya unhone pak ko? Jab batwara ho gya to emotion kaisa?GODSE ko kuchh aur karna chahiye tha but unfortunatly mauka nahi mila.66 sal se Nayak ko khalnayak congress ne banaya hua tha ab haqeekat samne hai.he was super hero
Killer can not treat as terrorist that time what happened in India very sad and due to some people policies therefore the nation was earlier suffered and today also.
so funny agar sala wo na hota to aaj india-
Pak ek hota ye brahmano ne hi Gandhi ji ko
Maara or aaj bhi hamaare desh me aise
Aatankwaadi hai jo kabhi India ka bhala nai
sochte sirf apne baare me sochte hai or
humlog aise logo ko minister bana dete hai
aise logo ko to desh se ghaseet ke nikaal
dena chahiye or tum is link pe padho phir
bolna kon Mahaan tha ye aatankwaadi ya
Gandhi ji jisne desh ko aazaad karaya
सब मोह माया है
All freedom fighters were learned & from elite social background. They sacrificed there life for the cause of nation. Only the approach was different. But it is not proper to eliminate them as they have also played equal roll in FREEDOM FIGHTING. ALL FREEDOM FIGHTERS have fought selflessly only with AIM of FREEDOM. WAY OF EXPRESSIONS & CONCERN differs from person to person in one family also but no family member is driven out from a family permanently on account of his way of expressions. To comment on a person you have to understand him thoroughly.
नाथुराम गोडसे ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश के और टुकूडे होने से बचाया था । गोडसे नहीं हेाते तो देश अलग अलग टूकडों में बंटकर समाप्त हो जाता । गोडये के साथ सैक्यूलरवादियों ने बहुत अन्याय किया और बदनाम किया
गोडसे के जनम दिन को आतंकवादी दिवस घोषित किया जाना चाहिए और सार्वजानिक स्थलों पर उसके पुतले जलायें जैयें. , वैसे होली क दिन होलिका के साथ गोडसे दहन भी क्यों न किया जाये ??
Atankwadi Gandhi tha jisne apne aap ko ucha dikhane k chakkar me na jane kitno ko marwa diya aur hmesha agrezo se mila rha,
Saheed Bhagat Singh
Chandra Shekhar Azad
Neta Ji Subhash Chandra Bose
ye tin name to aise hai jo sabse jyada krantikari the aur jab inka kad Gandhi se uncha hone lga to Gandhi ne inko marwaya us wqt media nhi tha vrna tbi iski poll khul jati
Nathuram Godse bhi Desh Bhakt the hai aur rhenge aur wo hmesha hmesha amr rhenge
साथियो ना नाथोू राम हे सहेी था ओर ना हेी गान्धेी दोनो हेी देश भ्क्त नहेी थे क्योकि गान्धेी केी चाल के कारण हेी कुच्ह चन्द लोग जो कि देश केी जन्सँख्या का २% भेी नहेी है ने सम्पोूर्ण सेवाओ एव्ँ राजनिति मे कब्जा कर हर जेीच का उपयोग किये जा रहे है ओर बाकेी सभेी लोगो को आपस मे लडा रहे है अब हमे तय करना है कि हमे क्या चाहिए हमे किस प्रकार कि सरकार चाहिए किस प्रकार के लोग चाहिए जब भेी चुनाव आते है हम किसेी अच्च्हे आदमेी को चुअनने के बजाय उसके चुनते है जो या तो किसेी काम का नहेी है या जिस प्र ५० तरह के केस लगे हुए है क्या हम कभेी सोचते है यदि हम रास्ता साफ होगा तभेी आराम से अपना सफर तय कर पायेगे या फिर रास्ते को काटो से भर कर पार करना चाहेयेगे काटो वाले रास्ते मे आप कितना भेी कुच्ह करे आपको काटे तो लगे हेी .
हमारा चुनाव सहेी नहेी है कभेी लोग कहते है हिन्दु खराब है कभेी कहते है मुसलमान खराब है पर तुम सब ये क्यो नहेी सोचते कि हम सब अपने कारण से खराब है वरना तो बनाने वाले ने तो हमे बिना जाति धर्म के हे जन्म दिया है हम अपने स्वार्थ के कारण हेी इन सब के लिए मजबुर हो रहे है वरना तो कभेी उससे बहार निकलकर सोचना समस्याओ का निदान अपने आप मिल जायेगा
गोपाल जी
आप का खबर की खबर में स्वागत है . आप से सहमत हु के नेताओ और पार्टियो के कारन ही आपस में मतभेद बाद रहा है और सभी पार्टिया सिर्फ सत्त्ता की लड़ाई कर रही यही ए सत्ता हथियाना चाहती है और सभी पार्टिया आपस में मतभेद पैदा कर अपना लाभ देखती है मगर कोई भी पार्टी भारत के लिए नहीं सोचती .
क्या महत्मा गांधै देश्भ्क्त थे जो भरत को बट्ट सहि है
स्वतंत्र भारत का प्रथम आतंकवादी- नाथूराम गोडसे! लेख को फेसबुक पे १३०० से अधिकलोगो ने लिखे किया और २५० से अधिक कमेंट आये .
सब से चौंकाने वाली बात ये रही के २५० में से ८० % कमेंट करने वालो ने गोडसे को हीरो क़रार दिया और २० % लोगो ने गांधी को . ८० % कमेंट करने वालो में ६० % लोगो ने गांधी के लिए अपशब्द का इस्तेमाल किया मगर किसी ने भी गोडसे को बुरा नहीं कहा .
ताज्जुब होता है के किस तरह गोडसे अब भारत का हीरो बनता जा रहा है और गांधी जी वैल्यू ख़त्म होती जा रही है . जिस तरह का भारत में माहौल बनाया जा रहा है है आने वाले सालो में गोडसे भारत का हीरो होने वाला है और उसे कोई रोक नहीं सकता .
बहुत अफ़सोस हो रहा है .
batwara hua to gandhi ne pakistan ko jameen bhi achi di aur upar se 55crore ye kuch samaj me nahi aata
Nonsense. He was a patriot
. His patriotism cant be questioned.
Godse ne bandook uthai to kya, uske pahle hi Musalmaanon ne Jinna Nehru Gandhi ne hamare lakhon Panjabiyon, Sindhiyon, Kashmiriyon, Bangaliyon ka beraham katl karke Azad desh ka udghatan kiya tha. Hamare parivar mare kate .Ye paap terrorism nahi tha kya? Gandhi kao maarna paap ho gaya.
Aapne dekha nahi desh ka batvara shayad isliye aap aisa kahte hain?
असल में अफज़ल भाई नेट पर सबसे अधिक उपस्तिति हिन्दू कठमुल्लाओं संघियो बज़रंगियो की ही हे नेट का सबसे अधिक इस्तेमाल और फायदा यही लोग ले रहे हे क्योकि मेनस्ट्रीम मिडिया में और चाहे लाख बुराइया हो मगर कुछ अपवादों को छोड़कर वो हिन्दू कठमुल्लाओं को कोई खास स्पेस नहीं देता रहा हे इसी कारण इनमे भड़ास बहुत भरी रही हे और इसलिए यही लोग नेट पर सबसे अधिक बोलते दीखते हे तो ये हे इसमें कोई शक नहीं हे की अब अगर इन्हे कमजोर करना हे तो भारतीय मुस्लिमो को भी अपने रवैये में कुछ बदलाव लाना ही होगा
nathuram desh ka hiro hai.
पगलेट था नाथूराम ( वो उसके पीछे के लोग नहीं ) उसके जिन कोर्ट में दिए बयानों के लिए उसे विद्वान बताया जाता हे कहते हे की वो बाहर से संघी महासभाई थिंक टेंक ने उस तक पहुँचाय थे नाथूराम की मानसिक हालात ठीक नहीं थी वार्ना अगर वो मानसिक जांच के लिए आवेदन देता तो इस आधार पर उसे फांसी से बचा भी सकते थे उसके सपोटर ? फिर दिया क्यों नहीं गया मानसिक जांच का आवेदन ? बचपन में उसे देवी बताकर लड़की तरह पाला गया था बड़े होकर कहते हे की वो अपनी माँ के आलावा किसी महिला को बर्दाश्त नहीं कर पता था ऐसा आदमी मनोरोगी ही हो सकता हे महत्मा गांधी कुछ साल और जीते तो विभाजन को बेमानी कर देते जैसा की एक पाकिस्तानी अधिकारी ने एक पाकिस्तानी नेता के दुआरा उससे ये पूछे जाने पर की अगर गांधी पाकिस्तान आते हे तो उन्हें कोई खतरा तो नहीं होगा तो अधिकारी ने जवाब दिया था ” उन्हें तो नहीं मगर आप लोगो को जरूर खतरा हो जाएगा ”
Killer is killer and not patriot in the eyes of Law. Of the land i.e.IPC.
नाथूराम आतंकवादी था ,है और रहेगा | गांधी की हत्या का आरोपी मानसिक संतुलन खोने वाला पागल नीच और कमीना इंसान था गोडसे | देश द्रोही था |
मे ज्यादा नहीं बोलूँगा सिर्फ यही कहूँगा की अगर महात्मा गाँधी नहीं मरता तो हमारा देश आज पाकिस्तान होता नाथू जी ने हत्या नहीं की थी बल्कि वध किया था. इन्कलाब जिंदाबाद गाँधी के बारे में आप नहीं जानते है नेहरु के पर दादा का नाम गंगू था जो जहागीर के दरबार में एक सूबेदार था जानते हो क्या किया था मेरे मेरे पास समय नहीं है नहीं में आपको बता देता जय हिन्द ( सोरी )
4. मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को
अनदेखा करते हुए 1921 में गान्धी जी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने
की घोषणा की। तो भी केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की
मारकाट की जिसमें लगभग 1500 हिन्दु मारे गए व 2000 से अधिक को मुसलमान
बना लिया गया। गान्धी जी ने इस हिंसा का विरोध नहीं किया, वरन् खुदा के
बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया।4. मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को
अनदेखा करते हुए 1921 में गान्धी जी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने
की घोषणा की। तो भी केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की
मारकाट की जिसमें लगभग 1500 हिन्दु मारे गए व 2000 से अधिक को मुसलमान
बना लिया गया। गान्धी जी ने इस हिंसा का विरोध नहीं किया, वरन् खुदा के
बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया।
GANDHI JI MAHAN
Mahanta no.1 …
शहीदे आजम भगतसिंह को फांसी दिए जाने पर अहिंसा के महान पुजारी गांधी ने कहा था…. ‘‘हमें ब्रिटेन के विनाश के बदले अपनी आजादी नहीं चाहिए।’’ और आगे कहा… ‘‘भगतसिंह की पूजा से देश को बहुत हानि हुई और हो रही है । वहीं (फांसी) इसका परिणाम गुंडागर्दी का पतन है फांसी शीघ्र दे दी जाए ताकि 30 मार्च से करांची में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन में कोई बाधा न आवे ।”अर्थात् गांधी की परिभाषा
में किसी को फांसी देना हिंसा नहीं थी ।
भगत सिंह की फांसी को रोकने के लिए आज़ाद ने ब्रिटिश सरकार पर दवाब बनाने का फैसला लिया इसके लिए आज़ाद ने गांधी से मिलने का वक्त माँगा लेकिन गांधी ने कहा कि वो किसी भी उग्रवादी से नहीं मिल सकते।
गांधी जानते थे कि अगर भगतसिंह और आज़ाद जैसे क्रन्तिकारी और ज्यादा दिन जीवित रह गए तो वो युवाओं के हीरो बन जायेंगे। ऐसी स्थिति में गांधी को पूछनेवाला कोई ना रहता।
Mahanta no.2 ….
इसी प्रकार एक ओर महान्क्रा न्तिकारी जतिनदास को
जब आगरा में अंग्रेजों ने शहीद किया तो गांधी आगरा में ही थे और जब गांधी को उनके पार्थिक शरीर पर मालाचढ़ाने को कहा गया तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया
अर्थात् उस नौजवान द्वारा खुद को देश के लिए कुर्बान
करने पर भी गांधी के दिल में किसी प्रकार की दया और सहानुभूति नहीं उपजी, ऐसे थे हमारे अहिंसावादी गांधी ।
Mahanta no.3 …
जब सन् 1937 में कांग्रेस अध्यक्ष के लिए नेताजी सुभाष और गांधी द्वारा मनोनीत सीतारमैया के मध्य मुकाबला हुआ तो गांधी ने कहा… यदि रमैया चुनाव हार गया तो वे राजनीति छोड़ देंगे लेकिन उन्होंने अपने मरने तक राजनीति नहीं छोड़ी जबकि रमैया चुनाव हार गए थे।
Mahanta no.4 ….
इसी प्रकार गांधी ने कहा था, “पाकिस्तान उनकी लाश पर बनेगा” लेकिन पाकिस्तान उनके समर्थन से ही बना । ऐसे थे हमारे सत्यवादी गांधी ।
Mahanta no.5 …
इससे भी बढ़कर गांधी और कांग्रेस ने दूसरे विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का समर्थन किया तो फिर क्या लड़ाई में हिंसा थी या लड्डू बंट रहे थे ?
पाठक स्वयं बतलाएं ?
Mahanta no.6 …
गांधी ने अपने जीवन में तीन आन्दोलन (सत्याग्रह) चलाए और तीनों को ही बीच में वापिस ले लिया गया फिर भी लोग कहते हैं कि आजादी गांधी ने दिलवाई ।
Mahanta no.7 ….
इससे भी बढ़कर जब देश के महान सपूत उधमसिंह ने इंग्लैण्ड में माईकल डायर को मारा तो गांधी ने उन्हें पागल कहा
इसलिए नीरद चौधरी ने गांधी को दुनियां का सबसे बड़ा सफल पाखण्डी लिखा है
इस आजादी के बारे में इतिहासकार CR मजूमदार लिखते हैं “भारत की आजादी का सेहरा गांधी के सिर बांधना सच्चाई से मजाक होगा । यह कहना कि सत्याग्रह व चरखे से आजादी दिलाई बहुत बड़ी मूर्खता होगी।इसलिए गांधी को आजादी का ‘हीरो’ कहना उन क्रान्तिकारियों का अपमान है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना खून बहाया ।”
गोद्से हम्ारे देश के हिरो है क्योकि मुल्लो को दुस्रा देश और मिल जाता और देश २-३ तुक्देथो जाते
आगर देश क बातवार ना होता तो आज देश मे ६० करोद मुस्लिम होते औ शयद हिन्दु मुस्लिमो के बिच नफरत कि दिवरे ना होति सभि मिल्कर दिवलि और इद मनते….
ऐसा कुछ दावे के साथ नहीं कहा जा सकता हे अंग्रेज़ो ने ग्रहयुध के पुरे इंतज़ाम कर दिए थे उन्हें पूरी उमीद थी की भारत स्टेबल हो ही नहीं पायेगा खेर पार्टिशिन और गांधी जी की शहादत के कारण नेहरू जी को पुरे दस साल मिल गए इन्ही दस सालो के दौरान नेहरू ने एक शुद्ध लोकतान्त्रिक सेकुलर भारत की जड़े पूरी तरह जमा दी जो हुआ सो हुआ अब हमें महासंघ की कोशिशो में लगना होगा
महाज्ञानी, परम विद्वान तेजस जी, जो गाँधी, नेहरू जैसे लोगो को जिन्होने इस देश की बुनियाद लिखी, को नीचा दिखाने के लिए भगत सिंह और गोडसे जो दो ध्रुव हैं, को एक साथ हीरो बताते है, को सलाम्. असल मे उनकी विचारधारा सिर्फ़ गाँधी को गलियाकर सत्ता की कुर्सी पाना है. क्यूंकी भगत सिंह को जानकर हीरो मानने वाला, कभी गोडसे को भला इंसान ही नही मान सकता, और इसका उल्टा भी उतना ही सही है.
अब देखिए गाँधी जी ने भगत सिंह के लिए 29 मार्च 1931 को ‘यंग इंडिया’ मे क्या लिखा है.
भगत सिंह और उनके दो सहयोगियों को फांसी दी जा चुके हैं। कांग्रेस ने उनकी जान बचाने के लिए कई प्रयास किए हैं और सरकार के रवैये से भी इसकी उम्मीदे थी, लेकिन सभी व्यर्थ गया.
भगत सिंह जीना नहीं चाहता था। उन्होंने कहा कि हम क्षमा नही चाहते हैं, या यहां तक कि एक अपील दायर करने के लिए मना कर दिया। भगत सिंह अहिंसा का भक्त नहीं था, लेकिन वह हिंसा के धर्म का भी सदस्य नही था। वह लाचारी और अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए हिंसा पर उतर आए थे. अपने पिछले पत्र में भगत सिंह ने लिखा था ” मुझे एक युद्ध छेड़ने के आरोप मे गिरफ्तार किया गया है। मेरे लिए कोई फाँसी नही हो सकती. मुझे भले एक तोप के मुंह में डाल दो और उड़ा दो, मुझे कोई भय नही” इन नायकों ने मृत्यु के भय पर विजय प्राप्त की थी। हम उनकी बहादुरी के लिए उन्हें एक हजार बार सलाम करते हैं।
लेकिन हमे उनके अभिनय की नकल नहीं करनी चाहिए। हमारे देश, जहाँ लाखो ग़रीब और अपंग है मे अगर हम हिंसा के माध्यम से न्याय प्राप्ति का अभ्यास करेंगे, एक भयानक स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. हमारे गरीब लोग हमारे अत्याचारों के शिकार हो जाएगा। हिंसा को एक धर्म बनाने से, हम अपने खुद के कार्यों के फसल की कटाई करेंगे.
इसलिए हम इन बहादुर पुरुषों के साहस की प्रशंसा करते हैं, हालांकि हमे उनकी गतिविधियों का कभी अनुसरण नहीं करना चाहिए। हमारा धर्म, हमारी क्रोध को निगल कर अहिंसा के अनुशासन का पालन करना और हमारा कर्तव्य बाहर ले जाने के लिए है.
नेहरू ने भगत सिंह के ये विचार व्यक्त किए.
Bhaghat Singh did not become popular because of his act of terrorism but because he seemed to vindicate, for the moment, the honour of Lala Lajpat Rai, and through him of the nation. He became a symbol, the act was forgotten, the symbol remained, and within a few months each town and village of the Punjab, and to a lesser extent in the rest of northern India, resounded with his name. Innumerable songs grew about him and the popularity that the man achieved was something amazing……
I was very much pained to see the distress of the heroes. They have staked their lives in this struggle. They want that political prisoners should be treated as political prisoners. I am quite hopeful that their sacrifice would be crowned with success.
जाकिर हुसैन साहब महाज्ञानी और परम विद्वान तो यहाँ कोई भी नहीँ ! और अगर कोई हो भी तो हो , मैं तो नहीँ !
अब बात रही गोडसे के समर्थन की तो , मैं समर्थन नहीँ करता किसी भी ऐसे कृत्य का जिसमे किसी की जान लेना शामिल हो ! चाहे वो गोडसे के द्वारा प्रयोजित हो या केजरीवाल द्वारा !
लेकिन किसी के विचारों से और समय समय पर किये गये कामों से सहमती रखना या ना रखना अपनी सोच के दायरे मे आता है !
जैसे आपने कुछ लाइन्स दी हैं गाँधी और नेहरू के लेखन से वैसे ही मैने भी उन्ही तथ्यों को रखा है जो सत्य है !
गाँधीजी भले ही कितने महान क्यों ना माने जाते हों पर उन्होने कई ऐसे काम किये जो गलत थे और जिनमे स्वार्थ निहित था !
मैं भगत सिंह का समर्थक हूँ , और रहूंगा भी ! साथ ही साथ गाँधी नेहरू का आलोचक हूँ और रहूंगा भी !
यही तो अवसरवादिता थी गाँधी और नेहरू की ! करते कुछ और थे जबकि दिखाते कुछ और थे !
तेजस जी, मैने आपकी उस बकवास आरोप की गाँधी के मन मे भगत सिंह के लिए दर्द नही उपजा, के जवाब मे गाँधी के लिखे लेख का अंश आपको बतलाया. जहाँ गाँधी, भगत सिंह से प्रभावित होते हुए, उसको सलाम करते हुए उसके उद्देश्य को पवित्र बताते हुए उनकी तारीफ. नेहरू के विचार, गाँधी से कुछ अलग थे, और उन्होने मुक्त कंठ से भगत सिंह की तारीफ की. लेकिन आप कह रहे हैं की वो अवसरवादी थे. तो जनाब, नेहरू ने तो भगत सिंह के विचारो की भी तारीफ की थी. लेकिन आप उन नेकरछाप संघियो के लिए क्या कहोगे, जो कामरेड भगत सिंह की फोटो तो अपने मुख-पत्रो पे दर्शाते हैं, लेकिन नास्तिकता और साम्यवाद को देश का दुश्मन मानते हैं. उन ज़्यादा नीच और अवसरवादी तो भगत सिंह के मामले मे शायद इस दुनिया का कोई संगठन नही होगा. गाँधी, भगत सिंह के तरीके को सही नही मानते थे, लेकिन उसके विचारो की उन्होने तारीफ की. नेहरू ने तो उनके विचारो की भी तारीफ की, और उसके तरीके पे भी सवाल नही किए. नेहरू की पार्टी ने भगत सिंह के चेहरे को लेके राजनैतिक लाभ उठाने की कोशिश नही की. लेकिन संघी लोग, भगत सिंह के विचारो से नफ़रत करने के बावजूद उसके चहरे को मुख-पत्र मे छपते हैं, बेशर्मी से. पहले भगत सिंह को जान तो लो, फिर उसकी इज़्ज़त करना. ये लेख पढ़ो.
http://hindinest.com/nibandh/019a.htm
जाकिर साहब मैं किसी का भी अंध समर्थक नहीं हूँ ! गाँधी का अहिंसा का विचार हो या नेहरू का सहिष्णुता का मैं इनका उतना ही समर्थन करता हूँ जितना उन दोनो के अवसरवादिता का विरोध !
मैं यथार्थ का समर्थन करने मे विश्वास करता हूँ !
अब रही बात संघियों की तो मैं उनके साम्प्रदायिकता का विरोध करता हूँ परंतु उनकी सेवा भावना का सम्मान भी !
मैंने सिर्फ विरोध करने के लिये विरोध और समर्थन करने के लिये समर्थन करना नहीं सीखा है !
मैंने आपके कॉमेंट्स पढ़े हैं और उनका समर्थन करता हूँ वहीं आपके किसी भी कीमत पर गाँधी नेहरू के समर्थन करने वाले रव्वैये का विरोध भी करता हूँ !
Galat post hai nathu ram godse ek sacha desh bakt tha …
सच्चाई स्वीकार करो दोस्त
गांधी न होता तो इस देश में काेई आतंकी न होता। न कोई्र हिंदू होता न कोई मुसलमान होता। उसे शायद आजादी से पहले मारा जाना चाहिए था।
1926 में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी
श्रद्धानन्द की अब्दुल रशीद नामक मुस्लिम युवक ने हत्या कर दी, इसकी
प्रतिक्रियास्वरूप गान्धी जी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस
कृत्य को उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गल राष्ट्र-विरोधी तथा
हिन्दु-मुस्लिम एकता के लिए अहितकारी घोषित किया।
6. गान्धी जी ने अनेक अवसरों पर छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू
गोविन्द सिंह जी को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।
यह गान्धी जी ही थे, जिसने मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आज़म की उपाधि दी।
9. कॉंग्रेस के ध्वज निर्धारण के लिए बनी समिति (1931) ने सर्वसम्मति से
चरखा अंकित भगवा वस्त्र पर निर्णय लिया किन्तु गाँधी जी कि जिद के कारण
उसे तिरंगा कर दिया गया।
10. कॉंग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत
से कॉंग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गान्धी जी पट्टभि सीतारमय्या का
समर्थन कर रहे थे, अत: सुभाष बाबू ने निरन्तर विरोध व असहयोग के कारण
पदत्याग कर दिया।
मोहम्मद अली जिन्ना ने गान्धी जी से विभाजन के समय हिन्दु मुस्लिम
जनसँख्या की सम्पूर्ण अदला बदली का आग्रह किया था जिसे गान्धी ने
अस्वीकार कर दिया।
14. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्दिर का सरकारी
व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया, किन्तु गान्धी जो कि
मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के
प्रस्ताव को निरस्त करवाया और
13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का
सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।
15. पाकिस्तान से आए विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में
जब अस्थाई शरण ली तो गान्धी जी ने उन उजड़े हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध,
स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात
बिताने पर मजबूर किया गया।
Well said…
This is the fact of Brahmin Terrorist Natthuram Godse.
This Alien Brahmins should be chased away from India.
Sorry I must say…. This Alien Brahmins must be wiped out from this earth, in order to save humanity.
There is no other option left.
नाथूराम गोडसे को आतकंवादी वही लोग कहते है। जो बच्चपन में अठ्ठनी के लिए परोसी को बाप बोलते थे।