संघ और तालिबान में कोई विशेस अंतर नहीं, इस्लाम के नाम पर आतंक के सहारे दिलों में जो ख़ौफ़ तालिबान ने डाली हुई है वहाँ के लोगों पर, वही डर संघ द्वारा भारत में भी हिंदुत्व के नाम पर पैदा किया जा रहा है, जिस प्रकार तालिबानी नौजवानों को ‘ब्रेन्वाश’ कर के उनसे आतंकी घटनाओं को आसानी से करवा लेते हैं
, उसी प्रकार ‘ब्रेन्वाश’ करके यहाँ दारा, बाबूबाजरंगी, असीमानंद,प्रगया, आदि से इसी राष्ट्रवाद के नाम पर बड़े बड़े कुकृत्यों की भी आसानी से करवाया जाता है, बस फ़र्क इतना है की तालिबानी कुकृत्यों को अंजाम देकर मुकरते नहीं….यहा बड़े बड़े कुकृत्यों को करवाकर उनसे संबंध तोड़ लिया जाता है, या संबंध ना होने का बहाना बना दिया जाता है बस…और कोई अंतर नहीं…….उनकी सोच की परिणति कसाब द्वारा बड़े हमले पर होती है…..इनकी परिणति असीमनंद द्वारा धमाकों पर हो जाती है…..उनके द्वारा भी निर्दोष ही मरतें हैं यहा भी निर्दोष ही मरतें हैं…..यहाँ दारा तो वहाँ तुफैल…..कोई अंतर नहीं जनाब…वहाँ ओसामा यहाँ असीमा(नंद) क्या अंतर है भाई…..
.इनके लिए तो पूरे देश की मीडिया और जो भी इनकी सच्चाई जनता है सब इनके दुश्मन हो जाते हैं, इनकी नीति बुरी है क्यूंकी इनकी नियत बुरी है, ये लोग अपने अनगिनत कुकर्मो को छुपाने के लिए असंख्य कुतरकों का सहारा लेते हैं तब भी अपने घिनौने चेहरे को नहीं छुपा पाते…..इन्हे लगता है की देश बेवकूफ़ है अरे भाई अच्छे कर्म करोगे तो लोग पागल थोड़े ही हैं जो तुमहरे उपर व्यर्थ आरोप लगाएँगे, मदर टेरेसा ने थोड़े वक़्त में मानवता के लिए कितना महान काम किया क्या देश ने उन्हें सम्मान नहीं दिया, आप बदनाम हैं तो क्यूँ कभी सोचा हैं……
पूरी ईमानदारी से थोड़ा अपने आज़ादी से अब तक के कुकर्मो के लंबे इतिहास का अवलोकन अगर संघ करले लो उसे स्वयं ही खुद से घृणा होने लगेगी संघ द्वारा बार-बार कश्मीरी ब्राह्मणों के राग अलाप से उसकी मानसिकता का पता चल जाता है………
क्या संघ ने कभी गोहाना,मिर्चपुर,खैरलांजी,झज्जर के पीड़ितों की सुध ली है क्या उनके लिए एक भी घड़ियाली आँसू बहाए है,नहीं क्यूंकी वे दलित जो ठहरे….
क्या संघ ने कभी खाप पंछयातों के विरुढ़ कोई व्यापक आंदोलन छेड़ा, नहीं क्यूंकी ये हमारी महान संस्कृति का हिस्सा जो ठहरी….
क्या संघ ने कभी विधवा विवाह को प्रोत्साहित कर नारकिय जीवन जी रही लाखों विधवाओं का दुख दूर करने का प्रयास किया, नहीं क्यूंकी शास्त्रों के विरुढ़ नहीं जा सकते…..
क्या संघ ने कभी सरकारी ज़मीन पर कुकुरमुत्तों तरह की उग आए लाखों करोड़ों मंदिरों को ध्वस्त करने के लिए कुछ किया, नहीं क्यूंकी ये तो धार्मिक स्थल है….
क्या संघ ने कभी उन करोड़ो बेघरों को बसाने के लिए कुछ किया जिनकी पीडिया नालों और फुटपातों पर गुजर गई या गुजर रहीं हैं, नहीं क्यूंकी ये तो अपने पिछले जन्म के पाप काट रहें है….
.क्या संघ ने कभी उन खरबों रुपयों की देश की संपत्ति को निर्धानों को देने की माँग की जो लाखों मंदिरों में चढ़ावे के रूप में ‘भगवान’ को भोग लगने के बाद सड़ रहे हैं, नहीं क्यूंकी वो आस्था का मामला है…..??????
क्या संघ ने कभी अपनी 6 करोड़ राष्ट्रवादियों की फौज होते हुए भी राष्ट्र की मूलभूत समस्याओं के निदान के लिए कुछ किया, नहीं क्यूंकी ये राष्ट्रवाद तो ब्राह्माणवाद को स्थापित करने का ढोंग है……
.इनका वास्तविक ध्येय देश या राष्ट्र की उन्नति से तो कतई नहीं है, इनका अंतिम लक्ष्य है राष्ट्रवाद की आड़ में ब्राह्माणवाद की स्थापना, देश में समानता पर आधारित संविधान को स्थगित कर असमानता पर आधारित मनुस्मृति को एक बार फिर से देश का खून चूसने के लिए लागू करना संघ के महान राष्ट्रवाद का नमूना देश सत्तर सालों से देख रहा है…… ,
संघ की राष्ट्रवाद के नाम पर राष्ट्र को खंडित करने की मानसिकता के अनुरूप ही संघ अपने पापों को ढकने के लिए समय समय पर ‘अभिनव भारत’ ‘राम सेना’ आदि नामों से अपने लोगों के द्वारा देश की एकता और अखंडता को छिन्न-भिन्न करने का षड्यंत्र प्रायोजित करवाता है और फिर जब इन लोगों के कुकर्म सामने आ जाते हैं तो बड़ी ही बेशर्मी से इन लोगों का संघ से दिखावे के लिए संबंध ना होने का ढोंग किया जाता है और अप्रत्यक्ष रूप से बड़े-बड़े वकील नियुक्त किए जाते हैं इन को निर्दोष साबित करने के लिए,
कौन नहीं जानता की गोडसे,बाबूबाजरंगी,दारा सिंह,असीमनंद, श्रीकांत पुरोहित,प्रगया ठाकुर, जैसों का जन्म दाता कौन है, आर एस एस ही इन जैसे हज़ारों को पैदा करके उनके दिमाग़ को राष्ट्रवाद के नाम पर ब्राह्माणवाद की अफ़ीम द्वारा पागल कर उन्हें राष्ट्र को लाहुलुहन करने की ट्रेनिंग देकर विहिप,बजरंगदल,जैसे ना जाने कितने ही छद्म हिंदुत्वादी घेराबंदियों द्वारा महान से महान कुकृत्यों को आसानी से अंजाम दिया जाता है,
इतिहास इनके द्वारा राष्ट्र को दिए गये घाओं से लाहुलुहन है, गुजरात, कंधमाल के घाव अभी भी हरे हैं संघ अगर वास्तव में राष्ट्रवाद का समर्थक होता तब वो अवश्य सार्वजनिक तौर पर जातिवाद का विरोध करता परंतु यहा तो हाँथी के दाँत खाने के और दिखाने के और हो जाते हैं, संघ को राष्ट्र की चिंता होती तब ना वो जाती को जड़ से समाप्त करने के लिए धर्मशास्त्रों की मान्यता को निरस्त करने का प्रयास करता, उसे तो राष्ट्रवाद की आड़ में ब्राह्माणवाद की स्थापना करनी है,
भारत में जाती प्रथा का क्या कारण है या था, दलित उत्पीड़न की घटनायें क्यूँ होती हैं महिलाओं की दुर्दशा क्यूँ हैं, इन सब के लिए क्या संघ ने 85 वर्षो में कुछ किया,
गाँधी की हत्या से लेकर गुजरात,कंधमाल में हमने संघ के झूठे राष्ट्रवादी चेहरे के पीछे छुपे असली डरावने चेहरे के कुकर्मो को देखा और सहा है, अरे एकता और अखंडता के नाम पर देश को खंड-खंड करने पर तुले हो और बात करते हो राष्ट्रवाद की…..याद रखो की कुकर्म अधिक दिन च्छुपते नही, सत्तर साल बहुत होते हैं देश संघ की असलियत को जान चुका है…..अभी भी समय है अपने पापों का प्रायश्चित करने का शायद देश माफ़ भी कर दे………. कहीं ऐसा न हो वीरुध मे कोई और हिटलर पैदा हो जाए और तुम्हारा ही सत्यानाश हो जाए जो शाश्वत है !!!!!!!!!
बहुत सीधी सी बात हे उपमहादीप के आम लोगो के लिए आम बिलकुल आम हमारी एक बात समझ लीजिये की भूल कर भी हिन्दू यूनिटी या मुस्लिम यूनिटी के पीछे मत भागिए इसका आपके लिए यानी आम लोगो के लिए एक ही नतीजा हे वो हे नुक्सान क्लेश तनाव दंगे पंगे ब्राह्मणवाद सावरणवाद अशराफवाद कठमुल्लवाद और कुछ नहीं आपके लिए कोई हासिल वसूल नहीं अल्लाह भला करे हम तो बचपन में ही भाप गए थे की इन हिन्दू यूनिटी मुस्लिम यूनिटी के तिलो में कोई तेल ही नहीं हे हमेशा याद रखिये मत पड़िये इन चक्करो
मोह्तरम सिकन्दर हयात सहब बेह्तर बात कहि आप्ने
शुक्रिया साथ ही रिक्वेस्ट हे की जितना हो सके इस बात का प्रचार कीजिये जो माध्यम हो उससे इन बातो का पररचार करे लोगो को बताय की फ्रॉम काबुल टू कोहिमा मुस्लिम यूनिटी या हिन्दू यूनिटी की बात वही लोग करते हे इनकी जड़ में वही होते हे जो इन बातो की आड़ में अपने हित साध रहे होते हे वो नेता वो लोग वो पत्रकार वो धर्मगुरु जब चाहो आज़मा कर देख लो
इस मे मुशलमानो की कमी दिखाई नही दी ब्राह्मणो की बुराई कर हिन्दुओ को लडाने का प्रयास कर रहा है ।जो कामयाब नही होगा।जंगली घास की तरह उगी मस्जिदे दिखाई नही देती।संसार भर मे की जारही करतूते नही दिखती ।एक अरब हिन्दुओ मे से पाँच नाम गिनाकर क्या साबित करना चाहते हो।मुशलमाने का तो इतिहास से लेकर वर्तमान सब खराब है।इसलिए अपने आप को भी देखलो।
संघ देशभक्तों और मानवता की शिक्षा देने वाला संगठन है अनेकों अवसर आये हैं जब संघ के स्वयंसेवकों ने तन मन धन से समाज की निःस्वार्थ सेवाकीहै|…………………….जबकि तालिबान ने एक भी मानवताका कार्य नहीं किया है ||
आपने फरमाया —— “संघ और तालिबान में कोई विशेस अंतर नहीं”, इस्लाम के नाम पर आतंक के सहारे दिलों में जो ख़ौफ़ तालिबान ने डाली हुई है वहाँ के लोगों पर, वही डर संघ द्वारा भारत में भी हिंदुत्व के नाम पर पैदा किया जा रहा है, जिस प्रकार तालिबानी नौजवानों को ‘ब्रेन्वाश’ कर के उनसे आतंकी घटनाओं को आसानी से करवा लेते हैं
एक ताजा खबर ——पेशावर में स्कूल पर आतंकी हमला, 100 से ज्यादा मौतें,500 अभी भी तालिबानईयो के कब्जे मे ??
उत्सुक्ता —— सन्घ के खाते मे ऐसे कौन से और कितने हमले हे जबकि तालिबान ने तो दुस्रे बेगुनाहो केी जान लेने क विश्व रिकोर्द बनाया हुआ हे…… ः) ……तालिबान और सन्घ को एक तराजु मे तोलना ??…… आप भेी काफेी अच्चेी कोमेदेी कर लेते हे !!
दर्-असल क़ुरान और हदीस को सबसे जयदा स्पष्टता से इस्लामी आतंकवादियो ने हेी पढ़ा और समझा है !!…..
1-गैर मुस्लिम महिलाओ से रेप जायज !……
2-गैर मुस्लिमो का हर तरह के हथकंडे अपना कर धर्म परिवर्तन करवाना जायज !…..
3-देश के कानूनो और नागरिक संहिता से उपर बाबा आदम के जमाने की शरीयत के नियमो को रखना भी जायज !…….
4-गैर मुस्लिमो के धार्मिक प्रतीक / इबादत की जगहो को तोड़ना भी जायज !!…….. क्या मजहब है इस्लाम जिसमे दूसरो के लिये नफरत के सिवा कुछ भी नही ??
………….और अब मासुम बच्चो के सामुहिक नरसंहार को भी उन्ही तालिबान ने अंजाम दिया है और कड़वा सच देखिये कि वे सभी बच्चे मुसलमान है ??…..अरे शुतुरमुर्गी मुस्लिम लेखको ? अब तो इस्लामी आतंकवाद के असली रूप पर भी दो शब्द लिख दीजिये ?? क्या अब भी पेशावर मे तालिबान द्वारा सेकदो बच्चो की जान लेने जैसी घटनाओ के लिये अमेरिका और इज़राइल को गुनाहगार ठहराओगे ??…… आपका कुछ नही हो सकता
आप मानसिक रूप से बीमार लगते है। शब्दों से खेल लेने भर से कोई लेखक हो जाता तो आप जैसे बुद्धिहीन को तो पद्मश्री मिल चूका होता।
अरे भाई कुछ दिन पहले कोई “रज़ा अकादमी” चर्चा मे आई थी जो मुसलमानो की इतनी हितैषी थी कि दूसरे देश म्यांमार मे मुसलमानो पर जुल्म की “खबर मात्र” से ही उसका भाईचारा इस हद तक जागा कि म्यांमार तक जाने मे टाइम वेस्ट करने की बजाय 50,000 जाहिलो को मुम्बई मे इकट्ठा करके अपने ही शहीदो के स्मारको पर तोड-फोड़ शुरु कर दी ?? बाद मे मालूम हुआ कि म्यांमार की खबर एक अफवाह भर थी.
इस बार भी खबर दूसरे देश पाकिस्तान से है जहा तालिबान ने एक स्कूल मे घुसकर “जेहाद किया है” और वह भी नन्हे-मुन्ने मासूमो के खिलाफ !! घटना मे 140 से जयदा मुसलमान मारे गये है जिनमे 132 “मुसलमान” बच्चे है और ये अफवाह नही बल्कि हकीकत है….देखना दिलचस्प होगा कि इस बार क्या करेगी “रज़ा अकादमी” ??
@अनसरि तलिबन और सन्घ मै सब्से बद अन्तर ये है तलिबन के रज मै गैर मुस्लिम जिन्द न्हि रह सक्त और सन्घ के रह्ते हुए तुम इत्न बोल ग्ये अगर सन्घ तलिबन जेस होत तो तुम इत्न बोल हेी नहि पते और अब तक मार दिये जाते .
बिलकुल आपने सही कहा ऐसा ही हे बस ये हे की इसका क्रेडिट गांधी नेहरू को हे जिन्होंने निजाम ही ऐसा बिल्ड किया दूसरा की तालिबानी कमीने भी हे और आत्मघाती जबकि जैसा की हमने मुज्जफरनगर दंगो की साज़िशों में देखा की कुछ लोग आत्मघाती नहीं होते हे https://www.youtube.com/watch?v=83F_gMuh7wY
पाकिस्तान में आरएसएस नहीं है रोज बम फूटते हैं। अफगानिस्तान में आरएसएस नहीं है रोज क़त्ल होते हैं। इराक में आरएसएस की शाखा नहीं है रोज लोग मरते हैं। नाइजीरिया में आरएसएस नहीं है रोज लोग जलाये जा रहे हैं। बर्मा में आरएसएस नहीं थी जब शांति वाले आतंकियों को बर्मा वालो ने भगाया। फिलिस्तीन में आरएसएस नहीं है मगर सड़के खून से लाल है। मोगाधिशू में कोई भगवा झंडा नहीं मगर वहाँ कोई सरकार नहीं बन सकी रोज कत्लेआम। सीरिया में कोई आरएसएस नहीं मगर दमिश्क की सड़के बच्चों के खून से लाल।। मिश्र का तहरीर चौक बिना किसी आरएसएस के ही खून से लाल हुआ। फिर भी आरएसएस जैसा राष्ट्रवादी संगठन कुछ नीच लोगो को राष्ट्रविरोधी लगता है।। हाँ मै आर एस एस का समर्थन करता हूँ,क्योकि मैं स्वाभिमानी हिन्दू हूँ । दिल से कहता हूँ वन्देगौमातरम ।। जय माँ भारती।
शान्तिदूत गज़ब के हैं****** माना बहुत दुखद है ये …per****जो बोया था वो काट रहे ! हरे खून वाले शांति केमसीहाओं ने ….. दो तरह के लोगहैं,पहले जो आतंकवादी हैं,दूसरेजो आतंकवादी नही हैं।दूसरे वाले पहलेवालों को बचाते फिरते हैं औरपहले वाले दूसरों को भी नही छोड़ते…!! हमारी और तुम्हारी सोच मेंबुनियादी फर्क ये है की जबतुम हमारे बच्चों को मारतेहो (Kashmeri Hindu) तो तुम्हारी पूरी कौमखुश होती है … लेकिन जब तुम खुद ही अपनेमासूम बच्चों को मारतेहो तो हमे दुःख होता है** (we saluit to
हन्नान सर बहुत हि बेह्तरेीन लेख
अंसारी जी आप सकल से सरीफ लेकिन अक्ल से गधे नजर आते हैं. और सुन लो संघ और तालिबान को एक साथ जोड़ना तुम्हारी बेवकूफी है. क्योकि संघ एक देशभक्त संस्था है,और तालिबान आतंकी. संघ ने आज तक कितने बेगुनाहों, बच्चो और महिलाओ पर अत्याचार किया है, कोई सबुत है तुम्हारे पास लेकिन तालिबान …….. जब देश में कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो सेवा लिए संघ आगे होता है, कश्मीर में कितनो लोगो की जान संघ ने बचाया तब तालिबान कहाँ गया.
वाह देश भक्ति कि कोइ एक भि मिसाल आप दे देते तो मैं आपको जवाब दूँ !!
आर.एस.एस. अपना सांप्रदायिक रूप छिपाने के लिये अपने संगठनों के सामने भारतीय राष्ट्रीय जैसे शब्द लगाता है. देशद्रोही क्रिया-कलापों के लिये उस पर कई बार पाबंदियाँ लगाई गयी.
1. भारतीय जनता पार्टी (1980)
कार्य: पहले जनसंघ था, अब भाजपा है. राजनैतिक क्षेत्र में ब्राहमणवादियों का वर्चस्व एवं प्रभाव बनाना. बहुजनों को उनके अधिकारों से वंचित रखने के लिये यह क्षेत्र महत्वपूर्ण है. ओबीसी के मंडल आयोग के खिलाफ रामरथ यात्रा निकालकर ओबीसी के खिलाफ होने का प्रमाण दिया. सत्ता की चाबी हाथ में रखकर पूरे देश पर नियंत्रण रखने का मकसद, फिलहाल कुछ राज्यों में भाजपा की सत्ता है, अतः मकसद में कुछ पैमाने पर कामयाब.
2. विश्व हिन्दू परिषद (1964)
कार्य: जातिवादी ब्राहमण धर्म का प्रचार प्रसार कर वर्णव्यवस्था का समर्थन करना, देश में जातीय दंगे भड़काना, राममंदिर निर्माण का बहाना बनाकर देश में अशांति फैलाना.
3. भारतीय मजदूर संघ (1955)
कार्य: कामगार क्षेत्र में घुसकर मनुवादी प्रवृत्ति को जागृत करना, बहुजनों को गुमराह करना.
4. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (1948)
कार्य: स्कूल एवं कालेज के छात्रों में जातिवाद की प्रवृत्ति जागृत कराना, मंडल आयोग एवं आरक्षण का विरोध करना.
5. भारतीय जनता युवा मोर्चा
कार्य: युवा पीढी को सांप्रदायिकता का प्रशिक्षण देकर बहुजनों के प्रति उनके मन में नफरत निर्माण करते रहना.
6. दुर्गा वाहिनी
कार्य: कथित हाई कास्ट महिलाओं को हल्दी कुमकुम एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर संगठित कर मनुवाद के प्रचार प्रसार के लिये तैयार करना.
7. राष्ट्रीय सेविका समिति (1936)
कार्य: सरकारी एवं चैरिटेबिल संस्थाओं का लाभ कथित हाईकास्ट की महिलाओं को पहुंचाना, देश सेवा के नाम पर मेवा खाना.
8. वनवासी कल्याण संस्था (1972)
कार्य: आदिवासियों को गुमराह करके हिन्दुत्व के प्रभाव में रखना.
9. राष्ट्रीय सिख संगत (1986)
कार्य: सिख धर्म के लोगों को हिन्दुत्व के प्रभाव में रखना.
10. सामाजिक समरसता मंच
कार्य: सामाजिक समरसता की नौटंकी रचाकर बहुजनों में गुलामी की प्रवृत्ति को बढ़ाने का प्रयास करना.
11. भारतीय किसान संघ (1977)
कार्य: किसानों की समस्याओं के लिये लड़ने का नाटक रचाकर उन्हें हिन्दुत्व की राह पर लाना.
12. अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत
कार्य: संघ ने हर क्षेत्र के लोगों को संगठित किया है, यहां तक कि ग्राहक लोगों का भी संगठन तैयार किया है, अर्थात समस्याओं से उनका लेना देना नहीं. बस जातिवाद की भावना उनमें जागृत करना मुख्य मकसद है.
13. सहकार भारती (1978)
कार्य: सहकार क्षेत्र में सांप्रदायकता एवं वर्णवाद की भावना प्रबल कर ब्राहमणों का वर्चस्व बनाना और कथित हाईकास्ट के लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना.
14. विद्या भारती (1977)
कार्य: शैक्षणिक क्षेत्र में ब्राहमणों का वर्चस्व रखना. संशोधन के नाम पर अध्ययन की किताबों में गलत इतिहास लिखना, ब्राहमणों को श्रेष्ठ बनाना, बहुजनों को बदनाम करना.
15. भारतीय अध्यापक परिषद
कार्य: अध्यापक लोगों को मनुवादी संस्कार छात्रों पर डालने के लिये तैयार करना, शिक्षण क्षेत्र में ऐसे अध्यापक बहुजन छात्रों को जानबूझकर फेल करते हैं और उन्हें पिछड़ा रखते हैं.
16. हिन्दू सेवक संघ
कार्य: हिन्दुत्व रक्षा के लिये कार्यकर्ताओं का दल तैयार करना.
17. भारतीय सेवक संघ
कार्य: देशभक्ति के नाम पर सांप्रदायिकता का प्रचार प्रसार करना.
18. सेवा समर्पण संस्था
कार्य: विविध बैरायटी संस्था रजिस्टर कर ग्रान्ट का मलिन्दा खाना.
19. संस्कार भारती (1981)
कार्य: संघ शाखा शिविर द्वारा बच्चों के कच्चे मन पर वर्गवाद के संस्कार डालना. उनके मन में धार्मिक अल्पसंख्यकों तथा आरक्षण के खिलाफ नफरत के बीज बोना.
20. भारत भारती
कार्य: देश सेवा के नाम पर संघ की प्रसिद्धि करना, इमेज बनाना, फोटोग्राफर एवं वार्ताकार लेकर भूकम्प, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जाना और थोड़ा काम करके ज्यादा पब्लिसिटी करना.
21. भारतीय विकास परिषद
कार्य: समाजसेवा के नाम पर शासकीय योजनाओं का लाभ उठाना.
22. इतिहास संकलन समिति
कार्य: इतिहास संशोधव के नाम पर गलत इतिहास लिखाना, ब्राहमणों के अपराध छुपाकर उनका गुणगौरव करना.
23. राष्ट्रीय लेखक मंच
कार्य: ब्राहमणवादी लेखकों को संगठित कर ब्राहमणों के पक्ष में साहित्य निर्मित करना.
24. विश्व संवाद केन्द्र
कार्य: विश्व के विविध देशों में रहने वाले हिन्दुओं को संगठित कर हिन्दुत्व को बढ़ावा देना.
25. विश्व संस्कृत प्रतिष्ठान
कार्य: संस्कृत को देववाणी का दर्जा देकर उसका प्रचार प्रसार करना.
26. भारतीय सैनिक परिषद (1992)
कार्य: फौज में ब्राहमणवाद को बढ़ावा देना जो देश की एकता के लिये महा खतरा है.
27 भारतीय अधिवक्ता संघ
वकीलों को संगठित कर हाईकास्ट के लोगों को बड़े-बड़े अपराधों से बचाना. दलित बहुजनों को छोटे-छोटे गुनाहों पर कड़ी सजा दिलवाना.
28. राष्ट्रीय वैद्यकीय संघ
कार्य: कथित हाईकास्ट के डाक्टरों को संगठित कर संघ की विचारधारा का प्रचार प्रसार करना.
29. भारतीय कुष्ठ रोग निवारण संघ
कार्य: भाजपा की वोट बैंक मजबूत करने के लिये कुष्ठ रोगियों तक को संगठित करना.
30. दीन दयाल शोध संस्थान
कार्य: सामाजिक एवं आर्थिक नीतियों पर रिसर्च करने हेतु आने वाले शोधकर्ताओं में ब्राहमणवादी व्यवस्था का ध्यान रखना.
31. स्वामी विवेकानन्द मिशन
कार्य: अध्यापन के क्षेत्र में भी हिन्दुत्व प्रणाली को मजबूत करने हेतु कार्यरत संस्था.
32. महामना मालवीय मिशन
कार्य: सामाजिक कार्य के नाम पर सांप्रदायिकता के बीज बोना.
33. बाबासाहेब आमटे स्मारक
कार्य: स्मारक के बैनर तले संघ की गतिविधियों को संचालित एवं मजबूत करना.
34. अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद
कार्य: अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर संघ की प्रतिभा उज्जवल करना.
35. भारती अपना संघ
कार्य: संघ की गतिविधियों को संचालित करने हेतु रिसर्च करना.
36. मीडिया कन्ट्रोल सेन्टर
कार्य: गोबेल्स प्रचार तंत्र से पेपर मीडिया एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर कार्य करना, कथित हाईकास्ट की प्रतिभा उज्जवल करना, Sc, st,ओबीसी तथा अल्पसंख्यक समाज के बारे में गलतफहमियों का निर्माण करना, उन्हें नालायक, हीन, नाकाबिल एवं गुणवत्ताहीन बताना । दीदा फाड़के के पढ़िएगा
नहीं संघ और तालिबान एक ही सिक्के के दो पहलू नहीं है . अगर सच में ऐसा होता तो संघ के खिलाफ लिखने और बोलने वाले कब के मार दिए गए होते . आप खुद यहाँ उनके खिलाफ लिखने के लिए जीवित नहीं होते .
संघ और तालिबान एक बताना वैसे ही है जैसे दूध और नाली के पानी को एक सा बताना .
संघ लड़कियों को शिक्षित करने पे विश्वास रखता है और तालिबान लड़कियों को शिक्षा नहीं दिलाना चाहता।
तालिबान लड़कियों के स्कूल जाने पे उन को गोली मर देता है संघ नहीं।
संघ लड़कियों की इज़्ज़त करने को सिखाता है लेकिन तालिबान ऐसा नहीं कहता .
संघ में भारत के सबसे जादा देशप्रेमी पैदा हुए है तालिबान सिर्फ इस्लाम को पूरे दुनिआ पे लागु करना छठा है चाहे जैसे भी हो उसके लिए वो लोगो को गोली भी मारते है।
तो ऐसे मूर्खतापूर्ण लेख न लिखे क्युकी हम मुर्ख नहीं हैं।
जो शक्ति की पूजा करते हैं ना वो darponk होते हैं डियर !!!!!!!!!!!!!!!!!
वो कैसे 🙂 थोड़ा खुल कर बताने की मेहरबानी कीजिये साहेब क्योकि ये कॅल्क्युलेशन समझ से बाहर है……अल्लाह भी एक शक्ति ही है, इस हिसाब से तो सारे मुसलमान भी डरपोक ही हुए !! क्या मुसलमान अल्लाह की इबादत नही करते ??
संघ और तालिबान एक ही सिक्के के दो पहलु
अच्छा मजाक है,
क्या क्या कह डाला बातो मे यार एक सिपाही पर इल्जाम लगा पुरी सरकार लग गइ चार्जशीट तक नही बना लोग राजनितीक और धार्मीक कारनो से आत्म निरीळन के वजाय हिन्दु आतंकवाद का रट लगा रहे है
राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ का सिक्रेट जाहिरनामा (Declaration)
1) विस्फोटक चीजों (बाँम्ब,बारूद,बंदूके इ.) का सप्लाय बढाओं।
2) एक्सपायर और खतरनाक(सेहत के लिए हानिकारक) इंजेक्शन शुद्रों के बच्चों को मोफत(फ्री) मे दो।
3) पिछडे जातियों के लडकियों को वैश्या बनने के लिए मजबूर करो।
4) दंगल के समय शुद्र महिलांओ पर सामुहिक बलात्कार करो।
5) जो मंदिर हिंदू नही उन मंदिरों के जमिन मे हिंदू मुर्तियां छुपाओं और बताओं कि यह पुरानी मुर्तियाँ हैं।
6) बौद्ध लोगों के खिलाफ किताबें लिखकर उनका प्रकाशन बढाओं और राजा सम्राट अशोक बौद्ध नही थे यह साबित करो।
7) ब्राम्हणों के खिलाफ लिखे गए साहित्य को खत्म करो और अंबेडकरी साहित्य को भी नष्ट करो।
8) अनुसूचित जाति-जनजाति का बैकलाँग जैसा है वैसा रहने दो।
9) साधू और बुवा के माध्यम(द्वारा) से पिछडे वर्गो को आध्यात्मिक(Spiritual) बनाओं।
10) कम्यूनिस्टों पर हमला बढाने के लिए पिछडे वर्गों का ईस्तेमाल करो।
11) शिख, बौद्ध, जैन इनको हिंदू बनाना शुरू करो। जैनों के मंदिरों मे राम कि पुजा को बढाओं।
12) शुद्र और पिछडे वर्गों मे दंगल होने के लिए उन्हे उत्साहित करो।
13) डाँ.बाबासाहब अंबेडकर इनके पुतलों का अवमान(अपमान) करना शुरू करो।
14) चाणक्य निती शुरू करो।
15) नशिले पदार्थों का सेवन कर अंबेडकरवादी लडकियों से संभोग करो किंतु निरोध(कंडोम) का ईस्तेमाल मत करो। उनकि तस्विरे निकालो।
16) पिछडे वर्गों के शराब मे जहर डालो, उनके खाने मे स्लो-पाईझन डालना शुरू करो।
17) अखबारों के संपादक(Editor) को हिंदूओं के प्रभाव के निचे रखो।
18) मंडल आयोग कमिशन का विरोध करो।
19) हिंदू और ब्राम्हणों के खिलाफ जानेवालें लोगों कि हत्या करो।
20) हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर बनाओ।
21) मंदिरो पर राम राम लिखो।
22) अंबेडकरवादियों का विरोध करो।
23) मुसलमानों का विरोध करो।
24) अंबेडकर नगर, भिम नगर जैसे मोहल्लों के बाजू मे शराब कि दुकाने लगाओ। इससे बौद्ध समाज शराब पिकर बरबाद हो जाएगा।
25) अंबेडकरवादी डाँक्टर, ईंजिनीअर इनके बच्चों के दिमाग को कमजोर करनेवाली दवाईयाँ भेजो।
26) हिंदू देवी-देवताओं कि संख्या बढाओं और लोगों के मन मे डर पैदा करो।
27) अंबेडकर का झुठा ईतिहास लिखो।
28) बुद्ध का झुठा ईतिहास लिखो।
संदर्भ:-
लोकमत समाचार(तारिख-23/01/1993)………………….. दुधे दाँत से मक्का नहीं चबाया जाता ॥
DES PAR KOI VIPTI ATI HAI TO RSS APNE ADMIO KO SEWA KE LEYE BHEJATA HAI KASMIR ME BHI
इस लेख से पुर्णतय सहमत
संघ का सच सामने आ ही गया
दुनिया मे कुछ लोग अपने धर्म, राष्ट्र, संस्कृति या भाषा को सबसे महान और अन्य धर्मो मे खामियाँ मानते हैं. कुछ के लिए कुछ लोगो को आँकने का तरीका किताबे ही हैं. उनकी किताबे ईश्वर के लिखे शब्द, और दूसरो की किताबे धूर्त लोगो की साजिश. उनका मानना है की दुनिया को चलना, फिरना, धोना, खाना हमने सिखाया. वरना दुनिया जहालत मे दुबई थी. अब ऐसे लोग पूरी दुनिया को उन्ही किताबो का मानते हैं. कोई उन किताबो पे अंगुली उठा दे तो तमाम तर्क, वितर्क कुतर्क द्वारा उन्हे सही ठहराने की कोशिश चलती है. और बाकी दूसरी किताबो को ग़लत मानने मे उन्हे रत्ती भर समय नही लगता.
संघ और तालिबान इन अर्थो मे समान है. एक की नज़र मे वेद, पुराण, उपनिषद् दुनिया के महानतम ग्रंथ हैं, जिसने दुनिया को सभ्यता सिखाई, बाकी बाइबल, क़ुरान वग़ैरह वग़ैरह बकवास हैं.
दूसरे के लिए क़ुरान और हदीसे ही दुनिया मे जीने का सही तरीका बताती है. जो इनमे खामियाँ ढूँढे वो जाहिल. बाकी दूसरे धर्मो मे तो शोषण और अत्याचार ही है.
इन मेंढको को उनकी किताबो (कुओं) से बाहर निकालो. दुनिया इन किताबो से भी परे है. दुनिया मे और भी रंग है. जिस दिन इस झूठे श्रेष्ठता के दंभ से बाहर निकलोगे. खुद भी खुश रहोगे, और लोगो को भी खुश रखेंगे.
चंद मुट्ठी भर आई एस आई एस वालो ने तमाम इराकी मुल्क को जहन्नुम में तब्दील कर दिया चर्च से लेकर गैर मुस्लिम को कुत्तो कि तरह से मार दिया, एक माँ (मुस्लिम) को उसके ही बेटे का गोश्त खिला दिया …शुक्र है कम से कम संघ मनुष्य भक्षी नही है . और संघ में तो तकरीबन 6 करोड़ सक्रिय कार्यकर्ता है है और निष्क्रिय करीब 8 करोड़ अब आप पढ़े लिखे मालूम होते है शक्ल से, तो इतना तो अंदाज़ा लगा ही सकते है कि अगर संघ और आई एस आई एस एक जैसे होते तो क्या हो सकता था गैर हिन्दुओ के साथ… बस आपकी तकलीफ इतनी है कि बहुसंख्यक के ऊपर एक रक्षक आवरण क्यों है ? जितने आप सेक्युलर होने का ढोंग करते है है न श्रीमान उस सेकुलारिस्म कि परिणति इराक, ईरान, जॉर्डन, सीरिया, लिबिया, केन्या, पाकिस्तान, बांग्लादेश में अछे से नज़र आ रही है ….आपको सलाह है आप अपने घर के कचरे को समेटे हमारे घर कि समाश्या (आपके अनुसार) कि चिंता न करे ….