सुल्तान शाहीन, एडिटर, न्यु एज इस्लाम
मुसलमान सच्चाई का समाना कब तक नहीं करेंगे: अपने आप को ‘खलीफा’ घोषित करने वाले बगदादी को जवाब देने का एक तरीका यह भी है कि उसे यहूदी और मोसाद का एजेंट कहा जाए।
जैसा कि मौलाना अबुल इरफान फिरंगी महली कर रहे हैं, क्या इस से कोई फायदा होगा?
क्या अपने आपको मुसलमानों का खलीफा कहने वाले अबु बकर बग़दादी उर्फ इब्रहिम एक यहूदी हैं और मोसाद के गुप्त एजेंट है? क्या यह मुसलमानों में खून खराबा और लड़ाई झगड़ा करवाने वाली यूरोपीय ताक़तों के हाथ की कठपुतली है? क्या यह उस योजना का अंग है, जो मुसलमान को ऐसे समुदाय के रुप में दर्शाना चाहता है कि ये लोग इस्लाम के नाम पर ख़ून ख़राबे और हिंसा में विश्वास रखते है? इंटरनेट पर बहुत से ब्लागों और पोस्टरो में विभिन्न रिपोर्टों के हवाले से यह प्रश्न उठाए गए हैं, जो यह दावा करते हैं कि अपने आपको ‘खलीफा’ और अमीर-उल-मोमनीन कहने वाले अबु बकर इब्राहिम अल-बग़दादी वास्तव में एक यहूदी है और उन के माता-पिता यहूदी हैं। उन का वास्तविक नाम सिमोन इलिएट है और इन्हें अरब देशों में अल्लाह अर्थात् इस्लामिक खिलाफत का शासन स्थापित करने के बहाने से मध्य एशिया में संघर्ष और ख़ून ख़राबा करने का काम मोसाद और सी आई ए ने सौंपा है।
इन पड़यंत्र वाली कहानियों पर विश्वास करने वाले कुछ लोग यह भी कहते है कि यहूदी पृष्ठभूमि से आने वाले बहुत से नव-मुस्लिमों ने एक पडयंत्र के तहत अल-क़ायदा और अन्य उग्रवादी संगठनों में शामिल हो गए हैं।
ब्रिटेन में 3,000 नव मुसलमानों का आई एस आई एस में शामिल होना भी, उन मुसलमानों के ज़ेहन में संदेह उत्पन्न करता है, जो सहज ही मध्य-एशिया में अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों के खेल के बारे में पड़यंत्र वाली कहानियों पर विश्वास कर लेते हैं। वे यह भी कहते हैं कि इनमें न जाने कितने अमेरिकी और ब्रिटिश एजेंट है या उन के गुप्तचर हैं। अमेरिकी सचेतक रॉबर्ट स्नडेन की रिपोर्ट का भी प्रयोग भी इसी विचार को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है कि बग़दादी अमेरिका और इज़राइल का एजेंट है। और इन्हें मुसलमानों में संप्रदायिक और नस्लवादी संघर्ष पैदा कर करके इन देशों को राजनैतिक और आर्थिक हितों का बढ़ावा देने के लिए ही मध्य एशिया में बैठाया गया है।
यद्यपि, कुछ मुसलमान नई-नई पड़यंत्र वाली कहानियों में विश्वास करके शांत हो जाते हैं, पर पूरी दुनिया में बहुत से मुसलमान बग़दादी को अपना समर्थन दे रहे हैं, उन्हें इस बात का कतई इल्म नहीं है कि यह भी सऊदी वहाबी राजशाही की ही तरह इस्लाम का दुश्मन हो सकता है। सऊदी वहाबी राजशाही नें इस्लामिक इतिहास की लगभग सभी निशानियों को नष्ट कर दिया है।
फिरंगी महल, लखनऊ के वरिष्ठ शिया धर्म गुरु मौलाना अबुल इरफान फिरंगी का इस में आगे दिया गया लेख आँख खोलने वाला है। इससे पता चलता है कि तथाकथिक मॉडरेट (मध्यभागी) मुसलमान इस्लामिक विचार धारा और समुदाय में उग्रवाद के अस्तित्व को नकारने के लिए किस हद तक जा सकते हैं। इस लेख के अंत में दी गई लिंक पर जाकर मौलाना की पडयंत्र की कहानी के स्रोत तक जाया जा सकता हैं।
सऊदी वहाबी वंश के बारे में भी, इसीप्रकार पडयंत्र के विचारों का सहारा लिया जाता है, जिस में राजशाही के राजनैतिक और सैद्धांतिक संस्थापक मुहम्मद बिन सौद और मुहम्मद इब्ने अब अल वहाब, दोनों को यहूदी और ईसाई मूल वाला और ब्रिटिश राजशाही का एजेंट माना जाता है, उन्हें उसी प्रकार से ब्रिटिश एजेंट माना जाता है। जिस प्रकार अब बग़दादी को इज़रायली अमेरिकी एजेंट बाताया जाता रहा हैं। परन्तु मुसलमानों को उन्हें अपने नेता मानने में कोई एतराज नहीं हैं। इसी प्रकार यदि तथाकथिक इस्लामिक राज्य को स्थापना हो जाती है, और सुन्नी राजशाहियों और अमीरात और आम मुसलमान, इसे जितना समर्थन दे रहे, उसे देखते हुए लगता है कि ऐसा हो भी सकता हैं। और यदि ऐसा हुआ तो यह नहीं लगता है कि वैश्विक मुस्लिम समुदाय को इसे अपना नेता मानने में कोई आपत्ति होगी।
पड़यंत्र की कहानियों ने सऊदी राजतंत्र के लिए मुस्लिम समर्थन को रोका नहीं है और ये अपने को खलीफा बग़दादी कहने वाले मामले में भी नाकामयाब सिद्ध होगी। यह सब रोकने में जो बात प्रभावी सिद्ध हो सकती है और जिसे स्थिर मन से और लगातार कभी प्रयोग नहीं किया गया और जो अब काम कर सकता हैं वह खारजिअतः (Kharjites)अब नए Kharjites के चरमपंथी सिद्धांतों का गंभीरता से जवाब देना।
इस्लाम में पूरे इतिहास में बहुत से चरमपंथी रहें हैं। उन्हें एम आई6, सी आई ए, के जी बी और मोसाद एजेंट नहीं कहा जा सकता है। इस विचारकों को जनता का अलग-अलग स्तर पर समर्थन प्राप्त हुआ है।
उदाहरण के लिए, जब अब्दुल वहाब ने सैद्धांतिक गुरु तकी अद-दिन अहमद इब्ने तैमिया की मृत्यु हुई। उस समय अपधर्म के आरोपों के कारण कई वर्षो से जेल में बंद थे, हजारों लोग उनके लिए दुआ करने के लिए एकत्रित हुए और उन्हें सूफी कब्रिस्तान में दफनाया गया और जिन्हें अभी भी कुछ लोग शेख-उल-इस्लाम कहते हैं।
हम मुसलमान कम से कम हम में से वे लोग जो अपने समाज को इस दल दल से निकालना चाहते हैं, जिस में हमने अपने आप को फंसा लिया है, उन्हें यह सोचना होगा कि सैद्धांतिक धरातल पर हम गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं और हमें इससे निकलने के लिए कठिन परिश्रम करना होगा जिस का आग़ाज बहुत ही बेसिक प्रश्न से होगाः मुसलमान कौन हैं। एक समाज जिस के पास इस प्रश्न का जवाब नहीं है कि किसे इस बात का अधिकार है कि उसे इस समाज का सदस्य कहा जाए, तो ऐसे समाज को आधुनिक दुनिया में शामिल होने में अभी बहुत समय लगेगा।
कृपया नीचे मौलाना अबुल इरफान फिरंगी महली के मूलतः उर्दू में लिखे गए लेख का अंग्रेजी अनुवाद पढ़ें। जब मैंने इसे पहली बार पढ़ा तो मैं तय नहीं कर पाया कि इस पर हँसू या रोऊँ। कृप्या न्यू एज इस्लाम फोरम पर अपनी प्रतिक्रिया दें।
—— सुल्तान शाहीन, एडिटर, न्यु एज इस्लाम
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यहूदी ब शक्ल बग़दादी
अबूल इरफ़ान फिरंगी महल्ली, काजी शहर लखनऊ
22 अक्टूबर, 2014
एक अरसे से इस्लाम दुश्मन ताक़तें इस्लाम को नुकसान पहुँचाने के लिए लगातार नसरानीयों और यहूदियों को मुसलमानों के रूप में अपना एजेंट बनाकर मुसलमानों को आपस में लड़ा रही हैं और फिर उसके द्वारा दोनों हाथों से तेल और गैस की दौलत को लूट रही हैं। यही कारण है कि कभी अंग्रेज जासूस हमफरे तो कभी लॉरेंस ऑफ अरबिया तो कभी मोसाद का यहूदी एजेंट साइमन अलियाट अबू बग़दादी बनकर सीरिया और इराक में प्रवेश हो गया है। जिस के द्वारा ब्रिटेन, अमेरिका और इजराइल दोनों हाथों से मुस्लिम देशों की तेल और गैस की दौलत को लूट रहे हैं। अबू बकर बग़दादी जिसके बारे में अब यह खुलासा हो चुका है कि इस का संबंध यहूदी धर्म से है और मुसलमान बनकर मुस्लिम देशों के लिए खतरा बना हुआ है। यह व्यक्ति अपने आप को पूरी दुनिया के मुसलमानों का खलीफा कह रहा है और उसने दुनिया भर के मुसलमानों से जिहाद की अपील की है। बड़े दुख के साथ कहना पड़र रहा है कि लखनऊ के कुछ तथाकथित मौलवी भी बिना सोचे समझे उसे अखबारों द्वारा मुबारकबाद पेश करते है और किसी ने बग़दादी से खुश होकर अपनी सामाजिक साइट पर यहूदी सरकार का नक्शा लगाकर सुबहान अल्लाह लिख दिया। जब यह बात मीडिया में फैलने लगी तो वो हजरत तरह तरह के रंग बदलने लगे। कुछ बेवकूफों ने कश्मीर में दाइश सरकार का काला झंडा लहरा दिया तो कुछ हाजियों ने बगदादी को अपना खलीफा समझकर हज के दिनों में अराफात के मैदान में बगदादी संगठन का काला झंडा लहरा दिया। ऐसी बेवकूफियाँ करने के कारण जहां एक ओर इस्लाम का नाम बदनाम हो रहा है वहीं दूसरी कौमें बेगुनाह मुसलमानों को शक की निगाह से देख रही हैं। बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि जिस तरह से हमफरे और लॉरेंस ऑफ अरबिया को देर से पहचानने के कारण बहुत नुकसान हुआ, उसी तरह से बग़दादी जैसे यहूदी को न पहचानने के कारण नुकसान हो रहा है। हमफरे और लॉरेंस के दौर में इंटरनेट नहीं था, इसलिए ऐसे लोगों को पहचानना जरूर मुश्किल था। लेकिन इंटरनेट के इस दौर में यह काम बहुत आसान है। जिस को भी बग़दादी के यहूदी होने में या अमेरिका, इजरायल और ब्रिटेन का एजेंट होने में संदेह है उसे चाहिए कि वह इंटरनेट पर जाकर अंग्रेजी में अबू बग़दादी इज़ जीव (Abu Baqar Baghdadi is Jew) टाइप कर के इडर्ब स्नो डेन (Edwarb Snow Den) रिपोर्ट देख ले। जिसमें साफ लिखा है कि बग़दादी के माँ बाप यहूदी हैं उसका नाम साइमन एलियाट है। यह मोसाद का एजेंट है और उसके द्वारा ब्रिटेन, अमेरिका और इजरायल की खुफिया एजेंसियां मिडिल ईस्ट में आतंकवाद को बढ़ावा दे रही हैं।
उस व्यक्ति की कई पुरानी तस्वीरें भी इंटरनेट पर मौजूद हैं। इसलिए इस समय बगदादी जैसे यहूदी को पहचानना बहुत आसान है। लेकिन यह काम वही लोग कर सकते हैं जो आतंकवादियों और इंसानी खून से होली खेलने वालों से नफरत करते होंगे। मगर जिन्हें झगड़ा और दंगे करवाने में आनंद आता है या फिर वह सऊदी अरब या क़तर जैसी वहाबी सरकारों या अमेरिकी और इजरायली सरकार के एजेंट हैं वह ऐसा काम कभी नहीं करेंगें इसलिए मैं उन एजेंटों से नहीं बल्कि उन लोगों से जो बगदादी की सच्चाई जानना चाहते हैं यह कहूंगा कि वो इंटरनेट के द्वारा तथ्य जान लें तो उन्हें पता चल जाएगा कि वे बगदादी मुसलमान ही नहीं है बल्कि यहूदी है और वह भी लॉरेंस और हमफरे की तरह ब्रिटेन, अमेरिका और इसराइल का एजेंट है जिसे सऊदी अरब और क़तर ने मिलकर तैयार किया है और वह यहूदी मुसलमान बनकर इस्लाम को बदनाम कर रहा है और इतना ही नहीं बल्कि वे इस्लाम, मानवता और शांति के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है। इसलिए हर एक जिम्मेदार व्यक्ति को चाहिए कि वह अबू बकर बग़दादी जैसे यहूदी और यहूदी एजेंट को खलीफतुलल्लाह समझने के बजाय लानतुलल्लाह समझें और बग़दादी जैसे आतंकवादियों के द्वारा संचालित आई एस आई एस, अल क़ायदा, बोको हराम, अल नुसरह, तालिबान और लश्कर जैसे संगठनों और उन्हें पैदा करने वालों या उनके किसी भी तरह की मदद करने वालों का विरोध करें और साथ ही मूर्ख और जाहिल किस्म के दंगाई मौलवियों से अपने को दूर ही रखें।
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सुलतान शाहीन साहब से रिक्वेस्ट हे की इन्होने जो खबर की खबर से लेख लिए हे उनमे साज़िद रशीद और सुहेल वहीद साहब के लेख के साथ मेरा नाम और फोटो लगा दिया हे तो मेरी इल्तज़ा हे की नाम लेखको का ही दे मेने तो इनके जरुरी लेखो को सिर्फ साभार और बहुत एहतराम के साथ हिंदी नेट के लगातार बढ़ते पाठको के लिए टाइप करके यहाँ प्रस्तुत ही किये हे मेरा नहीं लेखको का ही नाम दे प्लीज़ . नहीं तो हो सकता हे कोई पाठक समझेगा की में दुसरो के लेख अपने नाम से नेट पर डाल रहा हु ये काम मेने नेट या प्रिंट में कभी भी नहीं किया हे हां झूठ नहीं बोलूंगा की प्रिंट में हास्य व्यंगय में जरूर में अपने गुरु ” कृपा शंकर भारदवाज़ ” की एक दो पंच लाइन जरूर एडजस्ट चूका हु
mujhe ye lekh samajhn me nahi aaya hai. aakhir lekhak kahna kiya chaahta hai.
सही कहा वहाब साहब मुझे भी पल्ले नहीं पड़ा मेरा ख्याल हे की ये अनुवाद का लोचा हे लेख शायद अंग्रेजी से हिंदी में अनुवादित हे अनुवाद में अक्सर ऐसा ही होता हे
Jitendra naagar ji.
Ham chanakya neeti ko pehle se jante hain,
Chanakya ji ne apne
Sare jeewan me hamari kitab qur’aan paak ka sanskrit anuwad kiya hai.
Aap pehle study kar lo
1435 saal pehle islam me kaha gaya hai ki.
Jaahil ( aap jaise ) logo se waaz ( debate ) na karen,
Chanakya ji ne ye baat qur’aan paak se seekhi hai,
Aap bhi seekhiye…
Ap hamari hi neeti ham ko hi bata rahe ho,
Pehle study kijiye,
चानक्य जेी ईसा जेी के पुर्व पैदा हुये थे !कुरान तो ईसा जेी के बहुत बाद कि है इस्लिये आपकेी बात ज्यदा गलत है !
जनाब शादाब अंसारी जी ,चाणक्य जी का जन्म इस्लाम धर्म के आने से भी लगभग सात सौ साल पहले हुआ था ,फिर कुरान-ए पाक से ये संस्कृत में अनुवाद किस तरह किया होगा ये आप बेहतर बता सकते हैं,बरहाल आपसे गुजारिश है कि थोडा बहुत इतिहास भी पढ़ लीजिये,
Dr Sunil Yadav ke sawaal Aap bhi dekhein सवाल है जो बहुत हि सोचने लायक है, जैसे कि – 1:- सभी देवी देअवताओ ने भारत मे हि जन्म क्यो लिया, क्यो किसी भी देवी देवता को भारत के बाहर कोइ नही जानता ? 2:- जितने भी देवी देवता देवताओ की सवारीया है उन्मे सिर्फ वही जानवर क्यो है जो कि भारत मे पाये जाते है, एसे जानवर क्यो नही को कि सिर्फ कुछ हि देशो मे पाये जाते है जैसे कि कंगारु, जिराफ आदी !! 3:- सभी देवी देवता हमेशा राज घरानो मे हि जन्म क्यो लेते थे ? क्यो किसी भी देवी देवता ने किसी गरीब या शुद्र के यहा जन्म नही लिया ! 4:- पोराणीक कथाओ के मे सभी देवी देवताओ की दिन चर्या का वर्णन है जैसे कि कब पार्वती जी चंदन से स्नान किया गणेश के लिये लड्डु बनाये, गणेश ने लड्डु खाये आदी, लेकीन जैसे हि ग्रंथो कि स्क्रीप्ट खत्म हो गयी भगवानो कि दिन चर्या भी खत्म तो क्या सभी देवीदेवताऔ का देहांत हो गया ?? 5:- ग्रंथो के अनुसार पुराने समय मे सभी देवी देवताओ का प्रथ्वी पर आना जाना लगा रहता था जसे कि किसी को वरदाब देने या किसी पापी का सर्व नाश करने लेकीन अब एसा क्या हुआ जो देवी देवताओ ने प्रथ्वी पर आना बंद हि कर दिया !! 6:- जब भी कोइ पापी पाप फैलाता था तो उसका नाश करने के लिये खुद भागवान किसी राजा के यहा जन्म लेते थे फिर 30-35 की उम्र तक जवान होने के बाद वो पापी का नाश करते थे, एस क्यो पाप का नाश जब भगवान खुद हि कर रहे है तो 30-35 साल का टाइम क्यो भगवान सिधे कुछ क्यो नही करते जीस प्रकार उन्होने अपने भक्तो का उत्तराखण्ड मे नाश किया ? (7) अगर हिन्दू धर्म कई हज़ार साल पुराना है,तो फिर भारत के बाहर इसका प्रसार क्यों नहीं हुआ और एक भारत से बाहर के धर्म “इस्लाम” को इतनी मान्यता कैसे हासिल हुई कि वो आपके अपने पुरातन धर्म से ज़्यादा अनुयायी कैसे बना सका? (8) अगर हिन्दू धर्म के अनुसार एक जीवित पत्नी के रहते, दूसरा विवाह अनुचित है, तो फिर राम के पिता दशरथ ने चार विवाह किस नीति अनुसार किये थे? (9) अगर शिव के पुत्र गनेश की गर्दन शिव ने काट दी, तो फिर यह कैसा भगवान है, जो उस कटी गर्दन को उसी जगह पर क्यों नहीं जोड़ सका, क्यों एक निरीह जानवर (हाथी) की हत्या करके उसकी गर्दन गणेश की धढ पर लगाई? एक इंसान के बच्चे के धढ़ पर हाथी की गर्दन कैसे फिट आ गयी? (10) अगर हिन्दू धर्म में मांसाहार वर्जित है, तो फिर राम स्वर्ण मृग (हिरन) को मारने क्यों गए थे? क्या मृग हत्या जीव हत्या नहीं है? (11) राम अगर भगवान है, तो फिर उसको यह क्यों नहीं पता था कि रावण की नाभि में अमृत है, अगर उसको घर का भेदी ना बताता कि रावण की नाभि में अमृत है, तो उस युद्ध में रावण कभी नहीं मारा जाता। क्या भगवन ऐसा होता है? (12) तुम कहते हो कि कृष्ण तुम्हारे भगवन हैं,तो क्या नहाती हुई निर्वस्त्रस्त्र गोपीयों को छुपकर देखने वाला व्यक्ति, भगवान हो सकता है, अगर ऐसा काम कोई व्यक्ति आज के दौर में करे, तो हम उसे छिछोरा कहते हैं। आप भगवान क्यों कहते हो? (13) हिन्दू ओ में बलात्कारी योंका प्रमाण अधिक ही क्यों होते हैं? (14) शिव के लिंग (पेनिस) की पूजा क्यों करते हैं? क्या उनके शरीर में कोई और चीज़ पूजा के क़ाबिल नहीं? (15) खुजराहो के मंदिरों में काम- क्रीड़ा और उत्तेजक चित्र हैं, फिर ऐसे स्थान को मंदिर क्यों कहा जाता है, क्या काम-क्रीडा, हिन्दू धर्मानुसार पूजनीय है? सवाल तो और भी बहुत है लेकेन पहले इनके जवाब मिल जाये बस !
शांत भाईजान शांत, आपने हिन्दू धर्म पर इतने सवाल उठाये आपकी मेहनत को सलाम !! पर आप ऐसा करने वाले पहले मुस्लिम नही है…..हमारा अब तक का अनुभव यही रहा है कि मुसलमान सिर्फ दूसरे के मजहब की कमिया गिनाने और उन पर खुल कर डिस्कसन करने तक ही टिका रहता है और जब भी उससे इस्लाम के बारे मे सामने वाला सवाल करता है तो वह मैदान छोड़ कर भाग जाता है 🙂 आशा है आप ऐसा नही करेंगे और अपने जिस मजहब पर आपको इतना भरोसा है उसके बारे मे हमारे कुछ बुनियादी सवालो पर अपना जवाब अवश्य देंगे …..लीजिये सवालो का इस्लामिक पेक…..
1-अल्लाह एक है वही सब करता है तो फिर अल्लाह को 1,20,000 फ़रिशतो की जरूरत क्यो पड़ती ह्रे ??
2-उन 1,20,000 फ़रिशतो के बारे मे कही कोई जानकारी क्यो नही मिलती ??
3-अल्लाह निराकार है (बिना शरीर वाला) तो उसके इबादत के लिये मस्जिद की जरूरत क्यो पड़ती है ??
४- मुसलमानो मे चार-2 शादिया करने का नियम आज भी क्यो जारी है
4-अल्लाह ने सारी कायनात (स्रष्टि) बनाई है सारी दिशाये भी…तो फिर नमाज़ एक विशेष दिशा की तरफ मूह करके ही क्यो पढी जाती है ??
5-क़ुरान को आसमानी किताब क्यो कहते है ?? इसे किसने लिखा था?? इसे सिर्फ अरबी भाषा मे ही क्यो लिखा गया था ?? क्या अल्लाह अरबी मुसलमानो के अलावा बाकी मुसलमानो को मुसलमान नही मानता ??……
6-इस्लाम के नाम पर खून खराबा करके निर्दोधो की जान लेने वाले आतंकवादियो और आम मुसलमानो की क़ुरान क्या एक ही है ?? अगर एक ही है तो आतंकवादी कैसे उसी क़ुरान को पढ कर हत्याए करते है और बाकी मुस्लिम उसी क़ुरान के हवाले से शान्ति की बाते करते है ?? क्या एक ही क़ुरान दो अलग-2 लोगो के हिसाब से अलग अलग दिखती है ??.
7-क़ुरान को सातवे आसमान से कौन और किस यातायात के जरिये लाया गया था ??
8-इस्लाम मे बुतपरस्ती हराम है तो फिर हज़रत निज़ामुद्दीन, अजमेर शरिफ की दर्गाहो.के पत्थरो पर मुसलमान क्या करने जाता है ?? दफनाने के बाद पत्थर की क़ब्र क्यो बनाते हो ?? काबा का काला पत्थर भी तो बूत ही है, ताजमहल भी बूत ही है :)……
9-इस्लाम किसी अवतार को नही मानता (अच्छी बात है) , मगर फिर मोहम्मद साहब कौन है ?? और एक बार नही बल्कि अनगिनत बार मुस्लिम ब्लॉगर्स मोहम्मद साहब को हिन्दुओ के अवतारो जैसा साबित करनेके तुक्के भिडाते नज़र क्यो आते है 🙂
10-अल्लाह निराकार (बिना शरीर वाला) और उसका नबी मोहम्मद साहब साकार (शरीर वाले) ?? ऐसा कैसे संभव है ??
11-अल्लाह एक, नबी भी एक, क़ुरान भी एक और इस्लाम की शिक्षा भी एक !! तो फिर मुसलमान आपस मे ही इतनी मार-काट क्यो करते है ?? दुनिया मे मुसलमान सबसे जयदा मुसलमान के हाथो ही क्यो मरते है ??
12-अल्लाह अगर सर्वशक्तिमान है तो उपर से ही सभी को मुसलमान पैदा करके क्यो धरती पर नही भेजता ?? मुसलमानो को गैर मुस्लिमो को मुसलमान बनाने की मुहिम क्यो चलानी पड रही है ?? अल्लाह इस काम को खुद करे ताकि बेमतलब का खूनखराबा और निर्दोषो की जान बचाई जेया सके ??
13-अजान पूरी ताकत स चिल्ला कर लाउद-स्पीकर से ही पढी जाये ऐसा आपके किस धर्मग्रंथ मे लिखा है ? (हम हिन्दुओ द्वारा रात को लाउद-स्पीकर इस्तेमाल् का भी खुला विरोध करते है)
14-खतना करने की हिदायत आपके कौन से धर्मग्रंथ से मिलती है , उस आयत का नंबर बताइये ??…………..
15-यहा की लाइफ को जहन्नुम बना कर “पता नही कौन सी दूसरी दुनिया” की गलतफहमी मे लगे रहते है ?? किसी ने देखा है 72 हूरो को ?? खयाली पुलाव के चक्कर मे क्यो दुनिया को जहन्नुम बना रहे हो ????
असल सवाल अभी बहुत सारे बाकी है है ये कुच् सवाल सिर्फ ट्राइयल पेक है , आशा है आप इन सवालो पर अपनी राय जरूर रखेंगे और अगर नही रखेंगे तो आगे से दूसरे धर्मो के बारे मे अनाप-शनाप बोलने का आपको कोई हक नही है ……
अफ़ज़ल साहब, हयात भाई और इस साइट पर मौजूद बाकी मुस्लिम पाठको से हम क्षमा चाहते है मगर जिस तरह ये सनातन धर्म पर सवाल पूछने का हक रखते है वैसी ही उत्सुकता दूसरो को इनके मजहब के बारे मे भी हो सकती हैशुक्रिया
haaaa…….akhir wahi gadho wale sawaal puch liye naaa….jika jawab allah ne kuran me already de diye hai.isiliye hum log tumhe kaafir kahete hai..allah ne quran me pahele hi bata diya hai ki huzoor mohammad mustafa (s.w.s) koun hai..ye saare sawalo ke jawab jo aapne pooche hai quran me hai..aur yakin kijiye aap ko aapke sare sawalo ke jawab quran padhne ke baad mil jayenge..par muslim jo hindu dharm ke baare me sawal karte hai ..uska jawab to aapke baap daado ke pass bhi nahi hai..jaise ki bus itna bata dijiye ke 33 crore devi devtao ke naam jise aap phujte hai..are jane do min 1 crore ke hi bata dijiye..nahi pata na ? are honge to bataonge na..to aap kaise de sakte hai hamare sawalo ke jawab…so plz first read quran and then ask any question…i know quran will give all the answer for u r questions…so i am inviting u to read quran from ur heart…
33 crore devi devta nahi hote he 33 koti devi devta hote he 33 Prakar k .
Bhai aap logo ko ek baat bata du ki sher puri duniya me h.chuha puri duniya me h .bagh puri duniya me h.saap puri duniya me h or to or mor puri duniya nme h.ab batao or sanatanm kv dharm prchar nhi karta.europe me shiv ling h.or to or khud makka me shiv h to bolo sab jagah to h.issliye hum duniya k sabse purane dharm or sabhyta h
hahahahhaha…. to bhai tumne kaise sawaal utha diye bina padhe hindu dharm grantho ko??? aur jis quran ki baat kr rhe ho maine padhi h usme in sabhi sawaal k jabab kaha pr h?? mujhe to najar nhi aaye!!! hindu se pooche gye sawaal ka ans. to mil gya bt islam k in sawaal ka ans. mujhe ab tk nhi mila.
इन सारी बातों का जवाब हम आपको देते हैं, ——-
1-यदि आप न जानते हों तो ये बात जान लें कि पहले पृथ्वी पर भूभाग कम और जलीय भाग ज्यादा थे, यही स्थल भूभाग के रूप में पहले ऊपर आता है, फिर इस सृष्टि में पहले देवताओं का ही अवतरण होता है, उसके बाद सृष्टि का आरंभ होता है और इन देवताओं के वंशजों के रूप में हम मनुष्य पृथ्वी पर आते हैं, यही वजह है कि देवी देवता सिर्फ इसी भूमि पर पहले आते हैं, चूँकि सनातन धर्म अनादि काल से चला आ रहा है, इसलिए सारे देवी देवता सिर्फ सनातन धर्म में ही पैदा हुए, बाकी के सारे मनुष्य इन्हीं सनातनियों के कालांतर में आबादी बढ़ने के, सृष्टि के बढ़ने के साथ साथ जैसे जैसे भूभाग उभरते गए, मनुष्य आबादियां सुविधानुसार उस तरफ बढ़ती गईं, परंतु देवी देवता नहीं बढ़े वो जितना थे उतने ही रहे, इसलिए हिन्दू देवी देवताओं को भारत के बाहर लोग नहीं जानते । दूसरा जो महत्वपूर्ण कारण है वो यह है कि हम हिन्दू इन देवी देवताओं की सच्चाई और शक्ति जानते थे, हमारे पूर्वज ब्राह्मण और ॠषि मुनियों ने इसी वजह से इन शक्तियों को (देवी-देवताओं) को गुप्त रखा इसका प्रचार नहीं किया ताकि कोई बुरा या राछसी प्रवृत्ति का व्यक्ति इन शक्तियों को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके पहले के राछसों की तरह लोगों का जीना हराम न कर दें, यह भी एक मुख्य वजह है जो हम अपने देवी-देवताओं को बाहर लोगों में प्रचारित प्रसारित नहीं कर सके ।
2- चूंकि मूल सृष्टि का आरंभ स्थल यही भूभाग है, बाकी भूभाग और आबादियां बाद में बढ़ते बढ़ते अन्य स्थलों तक फैलीं, इसलिए उस समय जो जीव इस भूभाग पर मौजूद थे और जो सुगम्य थे वो जीव इन देवी-देवताओं के वाहन बने, परंतु ऐसे जीवों के उदाहरण भी हैं जैसे गरुड़ -इसे आप प्रागैतिहासिक काल का जीव भी कह सकते हैं, शरभ जो उड़नेवाले डायनासोर की तरह होता है या चीनी ड्रैगन से थोड़ा ज्यादा विशालकाय होता है।
3- क्योंकि सबसे पहले देवताओं के बाद इस सृष्टि का प्रारंभ ब्राह्मणों से हुआ था, सतयुग के अंत तक सिर्फ ब्राह्मण थे, अंत से थोड़ा पहले छत्रियों की उत्पत्ति हुई, लेकिन द्वापर के समय के थोड़ा व्यतीत होने के आसपास जब सृष्टि की आबादियां बढ़ने लगीं तब मनुष्यों ने अपनी सामाजिक सुविधानुसार अन्य कर्मों के हिसाब से जातियों में स्वयं को ढालना शुरू किया, इसलिए ज्यादातर देवी देवताओं ने राजघराने में जन्म लिया, शूद्र एवं अन्य जातियाँ बाद में स्थापित हुई,
4- ये बोलना सिर्फ मूर्खता है कि ग्रंथों में सभी देवी-देवताओं की दिनचर्या का वर्णन है उसके बाद नहीं क्योंकि सारे ग्रंथ एक कथानक हैं, तो इनके दिनचर्या का वर्णन उस कथा का भाग होता है, पूरी कथा नहीं, पूरी कथा में देवी-देवताओं की कथा और घटनाओं का वर्णन करने के बजाय सिर्फ दिनचर्या का ही वर्णन करना मूर्खता के अलावा कुछ नहीं, ऐसा प्रश्न करनेवाला या तो महा बुद्धिहीन जीव है या फिर पागल, ऐसे मूर्ख के प्रश्न का जवाब नहीं दिया जाता उस पर सिर्फ हँसा जाता है ।
पुराने समय में पृथ्वी का वातावरण, वायु शुद्ध एवं पवित्र रहता था, उसमें इतना प्रदूषण नहीं रहता था, सात्विक शक्तियाँ सिर्फ पवित्र एवं शुद्ध वातावरण में निवास करना या प्रविष्ट होना पसंद करती हैं, अशुद्ध या अपवित्र वातावरण में उन पर अशुद्धि दोष आता है जिससे उनकी पवित्रता पर धब्बा या विकार उत्पन्न होता है, इसलिए पवित्र शक्तियाँ जल्दी अशुद्ध या अपवित्र वातावरण में नहीं आतीं, कलियुग घोर अशुद्धि का युग है, यही कारण है कि सिर्फ एक शक्ति कृष्ण को छोड़कर अन्य शक्तियाँ इस काल महजल्दी प्रगट नही होतीं ।
6- ये गलत बात है कि भगवान ने किसी खास उम्र तक पापियों का नाश किया है उसके बाद नहीं । पापियों का नाश करने के बीच का समय भी वो इसलिए लगाते थे ताकि अन्य लोगों को सही सबक भी मिले, भगवान की सत्ता का उन्हें एहसास भी हो और उन्हें गलत करने का कलंक भी न लगे । ये बात भी गलत है कि उन्होंने उत्तराखंड में अपने भक्तों का नाश किया, इस उत्तराखंड में ज्यादातर काले जादू की सिद्धि करनेवाले नीच किस्म के तांत्रिक साधुओं की भीड़ काफी बढ़ गई थी, जो हरामजादे अपनी इन गंदी और नीच शक्तियों के साथ सीधे सादे गृहस्थों का जीना हराम कर रहे थे, इन हरामजादों का नाश ही उचित था, इनके साथ जो अन्य गए वो भाग्य अनुसार था ।
7- इस्लाम धर्म नहीं सिर्फ पंथ है विचार है, आपके इस सवाल का जवाब ऊपर दिया जा चुका है, चूंकि हमारी शक्तियाँ सत्य और अपरिमित थीं उनका किन्हीं गलत हाथों में पड़कर मानवता का नुकसान न हो, संपूर्ण मानवता खतरे में न पड़ जाए इसलिए हमारे ब्राह्मणों ने इसके प्रचार में रूचि नहीं ली, जबकि इस्लाम में मुर्दों की पूजा की जाती है, तो वो भगवान कहां हुआ वो तो लौकिक एवं छुद्र ताकत हुई, चूंकि ये इसी पृथ्वी के मरे हुए जीव थे, इसलिए इन्हों
sab bakwaas hai….agar kalyug me devi devtaye nahi aa sakte to aap jinhe agnidev,vayudev,jaldev,gangadevi,suryadev,chandradev aise devone bhi apna boriya bistar kyu pack nahi kiya..kyu ye yahi par rah gaye ye dusre devtao ke tarah kyu nahi bhaag gaye…are ye to un bhuddho ki banai hui baatr hai jinhe kaam dhandha nahi tha pahele.ye log to sirf naye bhagwan bana kar raja maharajao ko lutthe the aur mandir ke niche unki sampatti jama kar ke rakhte the…mostly lutne ka kaam brahman hi kiya karthe the pahele aur aaj bhi kahi hindu mandiro me franchisee khol kar baithe hai..aur unki dukan tab tak band nahi hongi jab tak aap log waha jaana band nahi kar denge….murty pooja to kisi bhi haalat me sahi nahi hai…are jo waqt ane par apna rakshan nahi kar sakta wo dusre ki kya raksha karenga…to isliye sudhar jao..abhi waqt hai….
शादाब शेख साहब जिन देवी देवताओं का आप मजाक बना रहे हो उनका वास्तव मे क्या अरथ हे । हिंदू धर्म मे हर उस चीज को पूजा जाता हे जो मानव जीवन के लीए उपयोगी हे हमे पाण
देती हे तो वायू देव । सूयॅ हमे रोशनी देता हे तो सूयॅ देव । हिंदू धमॅ मे तो माता पिता को भी भगवान का दर्जा हे । और दूसरा सबसे बड़ा फायदा यह होता हे की आदमी अपने धर्म मे ही खोया रहता हे आतंकवादी नहीं बनता हे । समझें शादाब साहब । और वे से मुसलमान एक खुदा को मानते हे तो ईसमे क्या बड़ा काम कर दिया सारा मुस्लिम जगत हिंसा का घर हे । इसके अलावा ईरान इराक अफगानिस्तान पाकिस्तान मे दुनिया के सबसे ज्यादा समेक का नशा करने वाले लोग पाएँ जाते हे । जयोतीश । योग । ये सब का ईसलाम को कोई ज्ञान नहीं हे । ये सब इन लोगों के लिए झूठ हे ।
ur right khan shaab
me muslmano ka sacha dost hu
33 करोड़ नही 33 प्रकार के देवी-देवताओं का उल्लेख है
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