Prime Minister Narendra Modi’s assumption that in prehistoric mythological times India had mastered genetic science and plastic surgery is irrational
What do we expect of our prime ministers? This is not a rhetorical question and you’ll soon see why. We expect integrity, commitment, dedication, administrative expertise and, hopefully, a fair modicum of intelligence. But is that all?
As important as all the other qualities, we also expect rationality. We may not always agree with what our prime ministers say or are committed to do but we assume that their thoughts and actions are rational, well-considered and credible. In other words, even if their decisions turn out to be wrong — and that often happens — they won’t offend against common sense.
It is here that I have a bone to pick with Narendra Modi. Speaking at the inauguration of the Sir H.N. Reliance Foundation Hospital and Research Centre last Saturday, he said: “Mahabharat ka kehna hai ki Karn maa ki godh se paida nahi hua tha. Iska matlab yeh hai ki us samaye genetic science mojud tha … Hum Ganeshji ki puja kiya karte hain, koi to plastic surgeon hoga us zamane main, jisne manushye ke sharir par haathi ka sar rakh kar ke plastic surgery ka prarambh kiya hoga.” [It is said in the Mahabharata that Karna was not born from his mother’s womb. This means in the times in which the epic was written genetic science was very much present. We all worship Lord Ganesha; for sure there must have been some plastic surgeon at that time, to fit an elephant’s head on the body of a human being.]
No doubt many Hindus share Mr. Modi’s assumption that in prehistoric mythological times India had mastered genetic science and plastic surgery. As individuals they are free to believe what they want. But for the Prime Minister of India to proclaim this belief as fact — and that too at the inauguration of a hospital — is something else.
Why? This is because it’s not rational to use mythology as the basis for claiming scientific achievements. First, there’s no proof other than the assumption the myth is true and that’s an unwarranted assumption. Second, how do you account for the fact the scientific knowledge and achievements you are boasting of have been lost, if not also long forgotten, and there is no trace of any records to substantiate they ever occurred?
Even worse, Mr. Modi’s views echo those of Dinanath Batra. His books are now part of the curriculum in 42,000 schools across Gujarat and carry messages from Mr. Modi when he was Chief Minister. They claim stem cell research was known in the days of Kunti and the Kauravas, television was invented at the time of the Mahabharata and the motor car existed in the Vedic period. Few would deny this is nonsense. Why wouldn’t you say the same for the claim India mastered genetic science and plastic surgery in prehistoric times?
I have two further points. First, Mr. Modi wants to build smart cities, stresses the need for education and is proud of the successful mission to Mars. He believes in digital India, wants to import bullet trains and ‘Make in India’ state-of-the-art defence weaponry. These are 21st century ambitions. How does all of that sit alongside this belief in unverified mythology? Are they not contradictory?
Second, Greek mythology has centaurs and minotaurs; the Persians have the griffin; the British the unicorn; and fairy tales have mermaids and werewolves. Mr. Modi’s position would also lead us to believe these creatures actually existed. But does anyone believe they did? Surely only in our dreams? Or only whilst we were children?
Ultimately, my problem with the Prime Minister’s comment goes a step further, but it could be the most critical of all. Under Article 51 A (h) of the Constitution it’s the fundamental duty of every citizen to develop a scientific temper. I can’t see how the Prime Minister is doing that by blatantly claiming medical advances on the basis of unverified myths. His views clearly and undeniably contradict this constitutional requirement. In fact, if he thinks about it I feel confident Mr. Modi would not disagree!
These are troubling doubts and for the Prime Minister to be the cause of them is even more worrying. Finally, I’m dismayed this issue has not got greater attention in the media. Nor, to my astonishment, has any Indian scientist refuted the Prime Minister’s claims. Their silence is perplexing. The silence of the media is deeply disturbing. It feels as though it’s been deliberately blanked out by everyone.
(Karan Thapar is a television commentator and anchor of the Headlines Today programme, To The Point)
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विषय से अलग कुछ बात– पिछले काफी समय से नेहरू जी की इमेज को डाउन करने और उनके सामने दूसरे नेताओ को खड़ा करने की कोशिश खासकर संघ दुआरा की जा रही हे खेर जनता को सच बता दू की नेहरू की लोकप्रियता का कोई जोड़ नहीं था गांधी के बाद बिलाशक जनता नेहरू को मानती और उनके पीछे चलती थी लोकप्रियता में वो बाकी नेताओ से बहुत आगे थे कुलीन परिवार से थे मगर पूरा ईस्ट यु पि गाव गाव पैदल नाप कर वो जननेता हुए थे दस साल जेल में रहे थे पटेल साहब को पूरा भारत जानता था मगर नेहरू को पूरा भारत पूरी दुनिया जानती थी क्या इसमें नेहरू का कसूर था ? वास्तव में में गांधी जी की दूरदर्शिता से हैरान हे की कैसे केवल दो कांग्रेस कमेटियों के ही नेहरू नाम सुझाये जाने और नेहरू से कई मतभेदों के बाद भी वो जानते थे की एक लोकतान्त्रिक सेकुलर भारत नेहरू ही गढ़ सकते हे सरदार साहब एक ईमानदार नेता और अच्छे प्रशासक थे मगर वो केवल ताकतवर भारत में ही शायद अधिक दिलचस्पी रखते थे जबकि नेहरू एक लोकतान्त्रिक सेकुलर उदारवादी समाजवादी अन्धराष्ट्रववाद विरोधी सबको साथ लेकर चलने वाला सबकी चिंता करने वाला भारत चाहते थे और उन्होंने वैसा किया भी ठीक हे नुक्सान हुआ मगर आदर्शो पर चलने में नुक्सान तो होते ही हे sikander hayat sikander hayat • a day ago
बहुत अफ़सोस हे की नेहरू जी की 125 वी जयंती के साल में ही नेहरू के भारत की आत्मा पर पर सबसे बड़ा हमला हुआ हे की मोदी जी को बहुमत मिल जाना छोटे सरदार साहब की भी दिलचस्पी सिर्फ एक ”ताकतवर भारत ” बनाने में हे बाकी बातो में नहीं जो की भारत की और दुनिया पड़ोसियों की आम बिल्कुल आम जनता के हित में बिलकुल नहीं हे खेर हम पूरी कोशिश करेंगे इस नेहरू विरोधी सरकार को उखाड़ फेकने मेंikander haya sikander hayat • a day ago
”दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। आप इन दोनों की चर्चा किसी एक के बग़ैर कर ही नहीं सकते। पटेल पर ज़रूरत से ज़्यादा ज़ोर का मतलब ही है नेहरू को पीछे करना और नेहरू पर ज़रूरत से ज़्यादा ज़ोर का मतलब है पटेल को पीछे करना। पिछले दिनों पटे” रविश जी बात सही हे मगर ये भी देखिये नेहरू की निंदा करना कितना आसान हे उनके खिलाफ कितना कुछ छपता आया हे कोई भी उन्हें भला बुरा बड़े आराम से कह सकता हे क्यों ? एक तो ये की उनके ऊपर कोई ठप्पा नहीं हे उनके साथ किसी की भावनाय आहत नहीं होती दूसरा वो क्योकि खुद ये भारत का लोकतान्त्रिक बादशाह लेखको कार्टूनिस्टों से कहता था की ”याद रहे मुझे बिलकुल भी बख्शना मत ”जरा सोचिये की भारत के चारो तरफ पचास पचास कोस दूर तक कहा हे लोकतंत्र ? सिर्फ भारत में ही क्यों लोकतंत्र की जड़े गहरी रही हे क्या हम कुछ खास हे ? नहीं फिर कौन हे इसका जिम्मेदार ? गांधी नेहरू
बवाना जैसी ” तू कौन में खामखा ” जैसी घटनाओ के पीछे आपकी ”मोदी फ़ौज़ ” ही हे जिसे खूब अच्छी तरह से पता हे की कोई अच्छे दिन नहीं आने वाले हे उसी झूठे वादे की शर्मिंदगी से बचने के लिए ”मोदी आर्मी ” मोदी समर्थक देश में तनाव फैला रही हे अब देखे की अंतरष्ट्रीय परिस्तितियो के कारण तेल के दाम कम होने पर भी किसी चीज़ के दाम घटने तो दूर उल्टा और बढ़ रहे हे ये मोदी शासन का ही कमाल हे इसी पर नज़रे हटवाने के लिए हिन्दू साम्प्रदायिकता की कवर फायरिंग हो रही हे
karan thapar ne sahi mazmun likha hai . yahi karan thapar ke interview me jab sawaloke jawab modi nahi de paaye to Interviews chod kar bhag gaye the.
सिकंदर हयात • 15 hours ago
एक तरफ संघी विभाजन के लिए नेहरू गांधी को कोसते रहते हे दूसरी तरफ सरदार साहब का महिमांडन करते हे जबकि सच तो ये हे की कॉंग्रेस्स में सबसे पहले विभाजन के पैरोकार सरदार साहब ही हुए थे
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Shailendra Kumar • 11 hours ago
गाँधी की तानाशाही और नेहरु की सत्ता की भूख ने ही सरदार को किनारे लगाया, जब देश की सभी कांग्रेस कमेटियों ने सरदार को चुना तो, देश पर अवांछित नेतृत्व क्यों थोपा गया, अगर यही लोकतंत्र है तो सचमुच हास्यास्पद है, वो सरदार ही थे जो सच्चे उदारवादी थे जिन्होंने ऐसे निर्णय को भी स्वीकार किया, बोस तो इस तानाशाही को स्वीकार नहीं कर पाए, यही वजह है की मोदी जी ने सरदार का चुनाव किया, और अगली बारी शास्त्री जी की है
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सिकंदर हयात Shailendra Kumar • 2 hours ago
इस तरह के झूठ संघ ने फैलाय हुए हे . सरदार साहब की ईमानदारी और प्रशासनिक कुशलता पर कोई शक नहीं किया जा सकता हे मगर सरदार साहब कांग्रेस में जमींदारो पूंजीपतियों व्यापारियों की आवाज़ भी माने जाते थे जमींदारो पूंजीपतियों व्यापारियों को भी कांग्रेस साथ लेकर चलती ही थी इन लोगो के प्रभाव से पूरी तरह बचना संभव भी नहीं था आखिर पैसा तो चाहिए ही चाहिए . नेहरू की समाजवाद की टर्र टर्र जाहिर हे इन्हे पसंद क्यों होगी भला ? जबकि सरदार साहब की रूचि समाजवाद आदि आदर्शो में बिलकुल नहीं थी तो फिर कोई ताजुब नहीं की 14 में से 12 कांग्रेस कमेटिया सरदार साहब को पी एम बनाना चाहती थी ठीक हे तो गांधी जी ने ” वीटो ” करके नेहरू को पी एम बनवा दिया ये पूरी तरह से लोकतंत्र ही था कोई सुपर पावर दस हज़ार एटम बम्ब से लेस अमेरिका का वीटो नहीं था कांग्रेस ने गांधी की बात क्यों मानी किस दबाव में में मानी ? गांधी के पास कौन सा लठ का दबाव था जिन्ना मुस्लिम लीग की तरह गुंडों की फ़ौज़ थी ? सोना था जमीन थी क्या था गांधी के पास ? सिवाय जनता के ? वो भी सबसे कमजोर जनता . इस जनता की ताकत से कांग्रेस में गांधी का वीटो चला तो ये तो सरासर लोकतंत्र का महान नमूना ही हे संघी इसे भी गांधी नेहरू को बदनाम करने वाली हरकत बताते हे बताइये क्या नॉनसेंस हे
Aap se sahmat hu. patel ko RSS walo ne badnam kar diya hai. jab ke hum sabhi jaante RSS pe sab se pahle unho ne ban lagaya tha . is ke atirikt patel sahab pe kabhi bhi un ke uper corruption ka iljaam nahi laga. gaandhi ke kahne pe patel ne pardhanmantri nahi bane balke Nehru ko bana diya tha.
हमारे विरोधी मोदी समर्थक शैलेंद्र साहब बनारस से लिखते हे की Shailendra Kumar • 10 hours ago
एक और हास्यास्पद तर्क २ कमेटियां गरीबों की थी बाकि कांग्रेस कमेटियां पूंजीपतियों के कब्जे में थी और गाँधी उसे नहीं बदल पाए, अगर ऐसा ही था तो उसी जनता की ताकत से ऐसी कमेटियों को भंग कर देना चाहिए था लोकतान्त्रिक गांधियों की फेहरिस्त लंबी है वीटो का एक नमूना हमने अभी अभी 10 साल तक देखा है एक ऐसे नेता को देश पर थोप दिया जिसे जनता ने चुना ही नहीं जो अपनी पार्टी का भी नेता नहीं रहा किसने आवाज़ उठाई अब अपनी ही टिप्पणी को ठीक से पढ़े ऐसा ही तो कांग्रेसी भी कहते है
१. “ठीक हे तो (सोनिया) गांधी जी ने ” वीटो ” करके (मनमोहन) नेहरू को पी एम बनवा दिया ये पूरी तरह से लोकतंत्र ही था कोई सुपर पावर दस हज़ार एटम बम्ब से लेस अमेरिका का वीटो नहीं था कांग्रेस ने गांधी की बात क्यों मानी किस दबाव में में मानी ?(सोनिया) गांधी के पास कौन सा लठ का दबाव था ”
२. “सोना था जमीन थी क्या था (सोनिया) गांधी के पास ? सिवाय जनता के ? वो भी सबसे कमजोर जनता . इस जनता की ताकत से कांग्रेस में गांधी का वीटो चला तो ये तो सरासर लोकतंत्र का महान नमूना ही हे”
देश को वही मिलना चाहिए था जो उसने चाहा था, आप क्यों मानते है की बुरा ही होता सरदार सबके नेता थे नेहरु सिर्फ अंग्रेजों के चमचे थे ये एकमात्र उपलब्धि पर्याप्त थी उनके चयन के लिए सिकंदर हयात • 19 minutes ago
मनमोहन के केस से केसी तुलना भला क्या तुक हे ? इस देश में देवगौड़ा गुजराल चरण सिंह चंदेर्शेखर भी तो पि एम बने थे ? सोनिया खुद बन नहीं सकती थी राहुल तैयार नहीं थे अब भी नहीं हे तो मनमोहन को न बनाती तो किसे शरद पवार को ? ” देश को वही मिलना चाहिए था जो उसने चाहा था, आप क्यों मानते है की बुरा ही होता सरदार सबके नेता थे नेहरु सिर्फ अंग्रेजों के चमचे थे ये एकमात्र उपलब्धि पर्याप्त थी उनके चयन के लिए ” बकवास की भी हद होती हे जाकर पता कर लो गैर संघी साहित्य और इतिहास से कोई और नेता नेहरू जैसी लोकप्रियता रखता ही नहीं था कांग्रेस आज़ादी से पहले सभी को साथ लेकर चलती थी वो कोई माओवादी बोल्शेविक नहीं थे जो जमींदारो उद्योगपतियों के खून के प्यासे हो उनका भी महत्व था उन्हें भी महत्व मिलता था उसी कारण वो सरदार साहब को बनाना चाह रहे हो तो क्या ताज़्ज़ुब ? मगर गांधी के सामने किसी ने हलकी से भी चु नहीं की सरदार साहब हो या आपके आजकल के छोटे सरदार दोनों ही पैसे के मामले साफ और अच्छे प्रशासक हे मगर भारत जैसे जटिल देश में सबको साथ लेकर चलने वाला गुण इनमे नहीं था ये एक मंत्री के रूप में बहुत अच्छे हे मगर देश चलाने के लिए नहीं इसी कारण गांधी जी ने नेहरू को सत्ता सौपी मगर राहुल के निकम्मेपन के कारण मोदी को सत्ता मिल गयी जो की बहुत बुरा हुआ और वो ये साबित भी कर रहे हे ये सरकार 80-90 करोड़ आम बिलकुल आम ( मतलब प्रॉपर्टी जमीन सरकारी नौकरी से महरूम ) लोगो का अहित ही करेगी सिकंदर हयात • 3 minutes ago
इसके अलावा सरदार साहब को 1946 से पहले ही दो दो दिल के दौरे पड़ चुके थे वो खुद जानते थे की अब वो लम्बे नहीं चलेंगे इसलिए वो किसी बड़ी बहस में कई मुद्दो में नहीं पड़ना चाहते थे सिर्फ एक मज़बूत बड़े भारत की नीव डालना चाहते थे इसलिए कांग्रेस में विभाजन के सबसे पहले और मुखर पैरोकार भी वो ही हुए थे क्योकि उन्हें पता था उनके पास समय कम हे इसी कारण न वो विभाजन रोकने के लिए किसी लम्बे संघर्ष के पक्ष में थे ना समाजवाद सेकुलरिज़म सामाजिक न्याय अंतरिष्ट्रीय शांति सम्बन्ध ,यु एन , एशियाई एकता , आदि बातो में उन्हें रूचि थी सही भी हे उनके पास उम्र समय और एनर्जी नहीं थी इन बातो के लिए , नेहरू के पास थी तो क्या इसमें नेहरू का दोष था ? गांधी की महान दूरदर्शिता देखिये की उन्होंने नेहरू को पि एम बनवाया और सरदार साहब को गृहमंत्री अब आगे जो बकवास की जाती हे कश्मीर की तो वो भी झूठ हे नेहरू कश्मीर चाहते थे भारतीय सेकुलरिज़म को मजबूत करने के लिए अब जाहिर हे सरदार साहब की इन बातो में रूचि नहीं थी तो कश्मीर के पचड़े में सरदार साहब पड़ना ही नहीं चाहते थे वो सिर्फ कश्मीर पर दबाव बनाकर हैदराबाद का निपटारा चाहते थे
Shailendra Kumar सिकंदर हयात • 3 hours ago
हद है घोर तानाशाही को लोकतान्त्रिक घोषित करने की कोशिश कर रहे है आप, लोकतन्त्र की खूबी यहीं है यहाँ सेल्फ करेक्सन है लेकिन जब चीजें थोप दी जाती है तो ये मेकनिज़्म काम करना बंद कर देता है, दूसरी बात गैर संघी साहित्य को ही पढ़ कर अपन बड़े हुये है, विकल्प कोंग्रेसियों ने छोड़ा ही कहाँ था इतिहास का दूसरा पक्ष अब आने को है, जो सत्य होगा टिकेगा इतनी बौखलाहट क्यों, कमाल की बात है सरदार मरने वाले थे, क्या नेहरू अमृत पी कर आए थे वो नहीं मरे
सिकंदर हयात Shailendra Kumar • a few seconds ago
नेहरू जी सरदार साहब से 14 साल छोटे थे 1947 में पूरी तरह फिट थे चीन ने
उनकी विश्व लोकप्रियता से जल कर उनकी पीठ में छुरा ना भोका होता तो और कई
साल जीते और साहब में कांग्रसियो के नहीं गांधी नेहरू की बात कर रहा हु
मेने संघी और गैर संघी साहित्य पढ़ा हे . हमने कौन से बोखलाहट दिखाई हे आपसे
तीन गुना अधिक लिख कर तर्क देना क्या बोखलाहट की निशानी होती हे ? इतिहास
का दूसरा पक्ष लाइए सामने आखिर इसकी भी इज़ाज़त नेहरू ने ही दी और सख्ती से
दी नेहरू चाहते तो गांधी हत्या के बाद संघ महासभा को मक्खी की तरह मसल
देते मगर इस तरह लोकतंत्र नहीं जमता जिसकी जड़े नेहरू ने जमानी थी आज
आप की बहुमत से सरकार बनी हे तो इसका भी क्रेडिट नेहरू को हे इसलिए आपके
सबसे बड़े नेता अटल जी भी नेहरू मुरीद मुत्तसिर थे इसी कारण भी उन्होंने
आडवाणी जी की मोदी को ना हटाय जाने की मांग मान ली थी वार्ना आपके प्रिय
मोदी जी कभी के राजीनीतिक दर्शय पटल से गायब हो जाते नेहरू का अहसान मानिये
सिकंदर हयात • 14 minutes ago
मोदी मिजाज देश को ही नहीं जल्द ही भाजपा को भी इरिटेट करने लगेगा खाने वो देंगे नहीं यानी डायरेक्ट करपशन नहीं होगा लेकिन ”इनडायरेक्ट” से उन्हें ऐतराज़ नहीं हे एक नमूना देखिये की तेल के दाम इतने गिरने पर भी किसी चीज़ के दाम नहीं गिरने दिए जा रहे हे ताकि बड़े ही नहीं छोटे छोटे लोकल अम्बानी अडानी जो मोदी जी के कटटर सपोटर हे उन्हें भी बड़े बनने का मौका मिले – फिर मोदी जी अपने चमचो के सिवा किसी और आगे ना बढ़ने देने पर कमर कसे हुए हे यानी ना खाने देंगे ना आगे बढ़ने देंगे ऐसे में भाजपा में भी असंतोष पनपेगा विपक्ष को तैयार रहना चाहिए जरुरत पढ़े तो सुषमा ,राजनाथ जी या आडवाणी जी को पी एम के लिए समर्थन देने को मोदी मिजाज और सरकार आम आदमी के लिए गंभीर खतरा बन रही हे आज उनके कटटर सपोटर वेद परताप वैदिक जी ने भी सीमा पर दोनों तरफ बेगुनाह लोगो के मारे जाने के लिए —– दिल्ली चुनाव में एक एक एक आम आदमी का वोट केजरीवाल को पड़ना चाहिए सही हे केजरीवाल के पास भी कोई जादू की छड़ी नहीं हे मगर इस समय आप की मज़बूती में ही आम आदमी की भलाई हे
Shailendra Kumar – सिकंदर हयात • 5 hours ago
“नेहरू चाहते तो गांधी हत्या के बाद संघ महासभा को मक्खी की तरह मसल
देते” वाह वाह चाहते तो क्या करना बाकी रह गया था, क्या लिख कर उदाहरण देना पड़ेगा, कौन सी कमी इन्दिरा ने भी की, मसल नहीं पाये इसी की तो पीड़ा है आपको, इन अत्याचारों ने ही हमें मजबूत बनाया है, इतिहास का पुनर्लेखन आसन्न है इसे कोई रोक नहीं सकता सत्य को कितना भी दबाये सामने आने का रास्ता ढूंढ ही लेता है सिकंदर हयात Shailendra Kumar • 5 minutes ago
कमाल हे शैलेंदर भाई फिर वही मेरी मुर्गी की तीन टांग ? अरे भाई में कांग्रेस या इंदिरा जी या इमरजेंसी की नहीं गांधी नेहरू की महानता की बात कर रहा हु जिनका ही क्रियेशन दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक और सेकुलर देश भारत हे ये कह रहा हु में तो मेने कब इंदिरा जी का गुणगान किया हे अच्छा इमरजेंसी भी गलत थी मगर ये भी नेहरू का ही लोकतान्त्रिक खून था की जिस वजह से जनवरी 77 में न केवल रातो रात इमरजेंसी हटा ली गयी जबकि तब न भारत न दुनिया में इमरजेंसी पर इंदिरा जी के खिलाफ कोई बलवा होना जा रहा तब भी ? इंदिरा जी ने न केवल इमरजेंसी हटाई चुनाव करवाये कोई धांधली नहीं की पार्टी तो हारी खुद भी चुनाव हारी भला कौन पी एम खुद भी चुनाव हारता हे मगर इंदिरा जी हारी ना वोट लुटे ना खरीदे यही नहीं उन्हें सत्ता से हटाने वाले गांधी नेहरू की ही परम्परा के जे पी की महानता देखिये इंदिरा जी को बुरी तरह से हराने के बाद जाकर खुद उनके सर पर हाथ रखते हे और उनका हौसला बढ़ाते हे ये कहकर की ” इंदु मेहनत से तुम फिर से जनता का विश्वास जीत सकती हो ” और आप लोगो को मसलना तो छोड़ो संसद में खुद पर ताबड़तोड़ हमले कर रहे संघ के युवा अटल को नेहरू जी शाबाशी देते हुए कहते हे ” अटल तुम गुणी हो एक दिन पी एम बनोगे ” तो ये हे इसलिए हम कहते हे की गांधी नेहरू की आत्मा पर सबसे बड़ा हमला हुआ हे मोदी जी को बहुमत मिलना और उसके लिए आप जैसे कुंठित मध्यमवर्गीय ही सबसे अधिक जिम्मेदार हे
sikander hayat
November 10,2014 at 02:43 PM IST
सत्ता के लिये केसी घिनोनि राजनीति पर उतर आये है मोदी जो नक़वी 16 साल पहले ही राज़्य मंत्री बन गये थे और जो इन सालो मे लगातार जरूरत से भी ज़्यादा जोश के साथ भाजपा का पक्ष रखते है उन्हे भी सिर्फ राज़्य मंत्री बनाया सोचिये 16 साल मे वही के वही किस लिये सिर्फ हिन्दू कठमुल्लाओ की खुशी के लिये ? घिन आती है इस सरकार से sikander hayat को जवाब )- sikander hayat
November 10,2014 at 03:57 PM IST
10 साल से भाजपा सत्ता से बाहर थी इन सालो क्या मजाल है की एक भी दिन मुख़्तार अब्बास आंखो से ओजल हुए हो लगातार भाजपा के लिये बक बक करते दिखे इनकी तुलना कॉंग्रेस के कपिल सिब्बल जेसे मक्कारो से करिये जो लगातार सत्ता की मलाई खाते रहे सत्ता की आनद लेते रहे मगर अब पार्टी को अपने हाल पर छोड़ कर शायद मंगल पर चले गये है कही दिखाई तक नही देते और फिर भी मुख़्तार से पहले दंगो के आरोपो बालियाँन ब्लातकार के आरोपी मेग्वाल सास बहू सीरियल की ”आरोपी ” ईरानी तक को तो केबिनेट मे लिया नक़वी को नही क्यो ? ताकि हिन्दू कठमूल्लवादीयो के खुशी मिलती रही है जो मोदी जी का सबसे बड़ा सरमाया है (sikander hayat को जवाब )- Ashish
November 10,2014 at 02:35 PM IST
इस सरकार से घिन आती है तो जाके नहा ले. तेरे दिमाग की घिन है यह.
(Ashish को जवाब )- sikander hayat
November 10,2014 at 03:43 PM IST
बिरजू भाई इनके लोगो के लिये ”ना खाता ना बही जो मोदी कह दे वही सही ” य जिंदगी से परेशान लोग है मोदी जी के सपोटर दो तरह के लोग है एक बड़े छोटे व्यापारी जो मोदी राज़ मे जम कर माल पीटेंगे दूसरे य जिंदगी से परेशान लोग निम्न या मध्यमवर्गीय लोग जिनके आग बढ़ने के रास्ते बंद है जिससे य पूरी तरह कुंठित है यही कुंठित लोग मोदी जी के बड़े सपोटर है मोदी दीवानगी की माध्यम से इन्हे अपनी सड़ियल जिंदगी मे कुछ मकसद भरता दिखाई देता है उन्हे लगता है मोदी जी तो देवता है ही , हम उनके दीवाने समर्थक हम भी कुछ है , महान देशभक्त है इसलिये य मोदी जी के लिये पागल है बिरजू भाई मुस्लिम कट्टरपंथ की भी यही कहानी है हताश निराश कुंठित नौजवान कट्टरपन मे अपनी बेमकसद जिंदगी मे मकसद ढूंढता फिरता है फिर उस मकसद और कटरपन्ति बातो के माद्यम से खुद को ही अपने को महतवपूर्ण समझता है .
हयात भाई आप शायद भूल रहे है कि इसी भाजपा ने शहनवाज़ हुसैन साहब को मात्र 33 साल की उम्र मे ही केन्द्रिय मंत्री बनाया था जो आज भी देश की राजनीति मे “सबसे युवा केबिनेट मिनिस्टर” का एक रेकॉर्ड है !!
शरद भाई पहली बात तो वो अटल थे तो हमने भी उस समय अटल जी का भी पूरा समर्थन किया था अटल जी ने भी सही सरकार चलायी थी अटल जी कोई आज की तरह 15 हज़ार करोड़ की मदद से पि एम नहीं बने थे जितना मुझे याद हे 99 के चुनाव के बाद कोई महगाई की लहर नहीं उठी थी अटल जी नेहरू वादी नेता ही थे ये अटल जी के मिजाज का ही कमाल था की कश्मीर में अंदर और बॉर्डर दोनों जगह बन्दुक थम गयी थी गुजरात दंगे ना होते या फिर तब मोदी जी को हटा दिया जाता ( आडवाणी मोदी के लिए अड़ गए और आज — ? ) तो अटल जी फिर से पि एम शायद बनते ही इस हिसाब से देखे तो भाजपा के दो दो शिखर पुरषों का कॅरियर का बुरा अंत मोदी जी के कारण हुआ देश में सोनिया मन मोहन राहुल सिब्ब्बल खुर्शिदो के खिलाफ इतना गुस्सा था की आडवाणी जी भी बड़े आराम से गठबंधन सरकार में नितीश ममता नवीन की मदद से पी एम बनते और मोदी जी से बहुत बेहतर पी एम साबित होते जहा तक हमारे अब मोदी जी के कड़े विरोध का कारण हे तो सभी को उमीद थी की एक बार सत्ता मिल जाने पर मोदी भी अटल के रास्ते पर चलेंगे हमने कोई मोदी का अंध विरोध नहीं किया हमने तो लिखा था ” सिकंदर हयात
May 18,2014 at 05:18 PM GMT+05:30
कुछ नही होगा अफ़ज़ल भाई सब कुछ पहले जेसा रहेगा मेरा खयाल है की मोदी फिलहाल मुसलमानो और पाकिस्तान से रिश्ते सुधरेंगे——- ” हर किसी को उमीद थी मगर मोदी जी की सत्ता की प्यास ने सब गड़बड़ कर दिया मोदी को पता हे की इस बार तो कोंग्रस मनमोहन सोनिया राहुल आदि की कृपा से सत्ता मिल गयी मगर असली परीक्षा आगे होगी उसी के लिए मोदी जी चाहते हे की वो हिन्दू कटटरपन्तियो को खुश करते रहे ताकि वो हर हाल में वोट करे इसी वर्ग से आगे उन्हें सत्ता की उमीद हे
हमारे देश में कहावत हे की सयाना कौवा —- खाता हे कहते हे की गडकरी मोदी को पी एम प्रोजेक्ट के खिलाफ ही थे आडवाणी जी भी सिर्फ इतना चाहते थे की सब कुछ मोदी को ना सौपा जाए कम से कम , मगर भाजपा के कई सयानो ने उनका काम तमाम किया मतलब हटाया और मोदी जी के लिए लालकालीन बिछाते गए अब देखे की ये इन सयाने — ने कैसे अपना नुकसान किया अगर आडवाणी नितीश ममता जयललिता नवीन की गठबंधन सरकार में पी एम बनते तो उनकी उम्र को देखते हुए कौन जाने वो पांच साल रहते या नहीं बीच में पद छोड़ देते या पांच साल में तो शर्तिया यानी बाकी सभी भाजपा नेताओ के लिए आसार बने रहते हे मगर अब मोदी शाह की जोड़ी अगले दस पंद्रह साल किसी को भी न उभरने देने को कमर कैसे बैठी हे भाजपा के सयानो का अंजाम
हयात भाई, हम तो गुजारिश ही कर सकते है कि बिरजू अकेला जैसे ब्लॉग्स के स्तर तक अपना स्तर मत गिराइए…उनमे और आपमे जमीन आसमान का फर्क है, नवभारत टाइम्स पर भी कोई रेग्युलर पाठक उनके ब्लॉग्स की तरफ रुख करना ठीक नही समझता….बाकी आप जैसा मुनासिब समझे.
हम भी आपसे गुजारिश करते हे शरद भाई की आप भी अपना स्तर———- ? आप क्यों मोदी के मूढ़ समर्थको ( मोदी जिनके लिए जीने का अपने जीवन के कुछ महत्व का सहारा हे ) की भीड़ में खड़े हुए हे इतने दिन हो गए हमें भी आपसे ये उमीद न थी आप जिस जोश से केजरीवाल के खिलाफ लिख देते हे वाही जोश मोदी जी के मामले में क्यों गायब हो जाता हे ? चुनाव के बाद हर चीज़ के दाम बढे आप चुप ? पिछले साल प्याज़ ने कांग्रेस को कबर खोदी थी अब प्याज़ का सौ होने स ज़्यादा जनता के लिए घातक हे आलू का 60 होना आप — ? मोदी जी ने अपनी जय जयकारे के बदले अमेरिका को दवाइयों के दाम बढ़ाने की सौगात दी आप — ? में नहीं समझता की अमेरिका वाले अपनी दवाइयों की दाम बढ़ाने चाहते हे तो इसमें उनकी गलती हे भई उनकी नज़र में तो भारत अम्बानियों अडानियों और सबसे अधिक बढ़ते करोड़पतियों का देश हे वो ज़्यादा मांगते हे तो कोई गलत नहीं मगर 90 करोड़ आम लोगो की चिंता तो आपके मोदी जी को करनी थी आपने कुछ कहा——– ? मंत्री मंडल में बलात्कार के आरोपी दंगो के आरोपी और केबिनेट में सासबहु सीरियल की आरोपी आपने कुछ कहा और इन सभी लोगो मुख्तार अब्बास से बहुत अधिक अहमियत -जो बीसियो बरसो खट रहा हे किस लिए ? साफ़ हे की हिन्दू साम्पर्दायिको की तसल्ली के लिए आपने कुछ कहा ————————— ? अरुण जेटली के मित्र अरुण पूरी की ही मैगज़ीन इंडिया टुडे तक में पाकिस्तान के साथ हुर्रियत के मसले पर बातचीत तोड़ने को गलत कहा गया क्या अटल जी मुर्ख थे कम देसभक्त थे जो उन्हें हुर्रियत से मिलने न मिलने को कभी मसला नहीं बनाया ? साफ़ हे की उपचुनाव में हार के बाद अपने मुर्ख सपोटरो को और मुर्ख बनाने के लिए उन्हें चार्ज करने के लिए पाकिस्तान से बातचीत तोड़ी गयी आपने कुछ कहा ?काले धन पर अब सौ किन्तु परन्तु — हमें भी आपसे ये उमीद नहीं थी खेर कोई बात नहीं हम तो पूरी कोशिश करेंगे इस सरकार के खिलाफ जनजागरण की
मोदी जी को सबसे अधिक समर्थन ( पैसा नहीं ) कुंठित निन्म मध्यमवर्गीय और मध्यमवर्गीय के लोगो ने दिया था ये वर्ग बुरी तरह कुंठित हे उदारीकरण के बाद इसकी आँखों में सपने तो खूब झोके गए इसका दोहन किया गया इससे खूब मेहनत करवाई मगर इसके आगे बढ़ने के रास्ते बंद किये गए इस वर्ग के आगे बढ़ने के रास्तो पर एक बड़ा ताला अंग्रेजी का भी हे जैसा की हमने सी सेट विवाद में साफ़ देखा लोगो को इस विषय में मोदी से बड़ी उमीदे थी लेकिन मोदी हिंदी का फायदा जरूर लेते हे लेकिन हिंदी के सम्बन्ध में कोई कदम वो उठा ही नहीं सकते ये देख कर सी सेट के आंदोलनकारी भी चकित रह गए थे लेकिन हमें तो कोई ताज़्ज़ुब नहीं हुआ क्योकि मोदी जो को विशेष ”समर्थन ” देकर पि एम बनाने के लिए पूंजीवादी पिशाचों ने भी दिया था और ये वर्ग हिंदी का जानी दुश्मन हे अंग्रेजी के खिलाफ एक लफ़्ज़ भी इसे कबुल नहीं हे शरद भाई ने इस विषय पर भी मोदी जी को अपना मूक समर्थन दिया
आपके लेटेस्ट तीनो कॉमेंट में सटीक सवाल उठाये गए हे शरद भाई में सुबह जवाब लिखते हु और ये बाते मत कीजिये की आगे से नहीं लिखेंगे क्यों भाई ?क्या आप नहीं चाहते की ज़्यादा से ज़्यादा अच्छी हिंदी साइट हो और चले जबकि आप देख ही रहे हे की प्रिंट और इलकोट्रॉनिक मिडिया का क्या हाल हो चूका हे
Shailendra Kumar सिकंदर हयात • 17 hours ago
आपने ठीक से पढ़ा नहीं मैंने कहा है इंदिरा ने भी मतलब नेहरू सहित दूसरी बात सत्य अहिँसा तो देश ने गाँधी के बाद जाना और दूसरे के विचारों से सहमत न होते हुए भी उसे अपनी बात कहने देना तो देश ने नेहरू के बाद ही जाना इससे पहले तो देश में कभी ये सिद्धांत था ही नहीं यहीं कहना चाहते है आप›
सिकंदर हयात Shailendra Kumar • 14 hours ago
बिलकुल था मगर उस पोधे या पेड़ को कुशल माली तरह पाल पोस कर लोकतंत्र और सेकुलरिज़म का विशाल बरगद गांधी नेहरू ने बनाया इसमें कोई शक ही नहीं हे वास्तव में इसी बरगद की गहरी जड़े आप के ”गैंग ” के लोगो में खीज पैदा करती हे इसीलिए आप गांधी नेहरू को कोसते हे और दूसरे नेताओ को चढ़ाते हे ताकि इस बरगद की जड़े हिले मगर ऐसा हो नहीं सकता
Shailendra Kumar सिकंदर हयात • 11 hours ago
कब सुधरेंगे आप लोग जो चीज़ हमारे पास सहस्त्राब्दियों से है उसका श्रेय आप गांधी नेहरू को देना चाहते है सत्य अहिंसा और पंथनिरपेक्षता के मामले में भारत का इतिहास पढ़िए अगर न मिले तो मैं आपको जरूर उपलब्ध करा दूंगा ये 5000 साल से भी ज्यादा वर्षों पुरानी ऋषि परंपरा की देन है नेहरू गांधी में भी उसके कुछ संस्कार हो सकते है लेकिन उन्होंने ही किया ये एक मूर्खतापूर्ण दावा है देश की वर्तमान पीढ़ी में भी अगर इसके कुछ संस्कार है तो इसका मैं अपनी समृद्ध परंपरा को दूंगा जिसके गांधी नेहरू शिष्य हो सकते है शिक्षक या जनक़ नहीं सिकंदर हयात Shailendra Kumar • 6 minutes agoलो जी शैलेंदर भाई बहुत अच्छे टोटल संघी साहितय लेखन को यहाँ कॉपी पेस्ट कर दिया पढ़ा हमने भी सभी को हे मगर हम कॉपी पेस्ट नहीं बल्कि पढ़ाई और जीवन की पाठशाला से मिले अनुभव अपने विचारो में ढाल कर लिखते हे . अब बहस में हार गए हमसे आधा भी ना लिख पाये तर्क न सूझे तो भाग कर छुप गए ”महान भारतीय सभ्यता संस्कर्ति ” की आड़ में जो दुनिया में सबसे महान थी ये थी वो थी बाकी सारी दुनिया कीड़े मकोड़े की थी और भारत की सभ्यता महान लोगो की थी जिसमे हर समस्या का तिया पांचा हज़ारो साल पहले ही कर दिया गया था यानी अब अगर हम इनकी बात काटेंगे बहुत सी बाते रखेंगे तो हम नेचुरली भारतीय सभ्यता संस्कर्ति के दुश्मन हो जाएंगे और शैलेंदर भाई बैठे बिठाए महान ? क्योकि ये भारतीय सभ्यता संस्कर्ति का गुणगान कर रहे हे सेम यही कम्फर्ट जोन हमारे साथ बहस में मुस्लिम कटटरपन्ति बना कर रखते हे हम जमीनी हालात की बात करते हे और मुस्लिम कटरपन्ति जमीनी हालात से आँख मूँद कर हर बात पर इस्लाम का गुणगान हर समस्या का हल इस्लाम को बताकर करके अपना कम्फर्ट जोन बनाते हे की आओ अब हमारी बात काटोगे तो इस्लाम के खिलाफ हे ये वो हे की तोहमत अपने ऊपर लगवाओगे . खेर शैलेंदर भाई आपसे मनवाया तो सही की नेहरू संस्कार . वर्ना नेहरू को तो आपके गैंग ने ऐसा बना रखा हे जैसे नेहरू कुछ थे ही नहीं सब कुछ पटेल थे खेर अल्लाह माफ़ करे मगर पटेल साहब से बहुत अधिक जनप्रिय थे नेहरू एक बार अनपढ़ किसानो की एक सभा ने नेहरू पटेल साथ थे वहा पटेल साहब ने खुद नेहरू की बेपनाह लोकप्रियता को स्वीकार किया था भारतीय सभ्यता संस्कर्ति चाहे जितनी महान हो मगर इसमें कोई शक ही नहीं हे आधुनिक लोकतान्त्रिक सेकुलर वैज्ञानिक भारत नेहरू गांधी की देन हे आप लोग सड़ियल राज़नीति को देखते हुए इस सच को स्वीकार करना नहीं चाहते
Shailendra Kumar सिकंदर हयात • 17 hours ago
आपने ठीक से पढ़ा नहीं मैंने कहा है इंदिरा ने भी मतलब नेहरू सहित दूसरी बात सत्य अहिँसा तो देश ने गाँधी के बाद जाना और दूसरे के विचारों से सहमत न होते हुए भी उसे अपनी बात कहने देना तो देश ने नेहरू के बाद ही जाना इससे पहले तो देश में कभी ये सिद्धांत था ही नहीं यहीं कहना चाहते है आप
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सिकंदर हयात Shailendra Kumar • 14 hours ago
बिलकुल था मगर उस पोधे या पेड़ को कुशल माली तरह पाल पोस कर लोकतंत्र और सेकुलरिज़म का विशाल बरगद गांधी नेहरू ने बनाया इसमें कोई शक ही नहीं हे वास्तव में इसी बरगद की गहरी जड़े आप के ”गैंग ” के लोगो में खीज पैदा करती हे इसीलिए आप गांधी नेहरू को कोसते हे और दूसरे नेताओ को चढ़ाते हे ताकि इस बरगद की जड़े हिले मगर ऐसा हो नहीं सकता
Shailendra Kumar सिकंदर हयात • 11 hours ago
कब सुधरेंगे आप लोग जो चीज़ हमारे पास सहस्त्राब्दियों से है उसका श्रेय आप गांधी नेहरू को देना चाहते है सत्य अहिंसा और पंथनिरपेक्षता के मामले में भारत का इतिहास पढ़िए अगर न मिले तो मैं आपको जरूर उपलब्ध करा दूंगा ये 5000 साल से भी ज्यादा वर्षों पुरानी ऋषि परंपरा की देन है नेहरू गांधी में भी उसके कुछ संस्कार हो सकते है लेकिन उन्होंने ही किया ये एक मूर्खतापूर्ण दावा है देश की वर्तमान पीढ़ी में भी अगर इसके कुछ संस्कार है तो इसका मैं अपनी समृद्ध परंपरा को दूंगा जिसके गांधी नेहरू शिष्य हो सकते है शिक्षक या जनक़ नहीं सिकंदर हयात Shailendra Kumar • 6 minutes ago
लो जी शैलेंदर भाई बहुत अच्छे टोटल संघी साहितय लेखन को यहाँ कॉपी पेस्ट कर दिया पढ़ा हमने भी सभी को हे मगर हम कॉपी पेस्ट नहीं बल्कि पढ़ाई और जीवन की पाठशाला से मिले अनुभव अपने विचारो में ढाल कर लिखते हे . अब बहस में हार गए हमसे आधा भी ना लिख पाये तर्क न सूझे तो भाग कर छुप गए ”महान भारतीय सभ्यता संस्कर्ति ” की आड़ में जो दुनिया में सबसे महान थी ये थी वो थी बाकी सारी दुनिया कीड़े मकोड़े की थी और भारत की सभ्यता महान लोगो की थी जिसमे हर समस्या का तिया पांचा हज़ारो साल पहले ही कर दिया गया था यानी अब अगर हम इनकी बात काटेंगे बहुत सी बाते रखेंगे तो हम नेचुरली भारतीय सभ्यता संस्कर्ति के दुश्मन हो जाएंगे और शैलेंदर भाई बैठे बिठाए महान ? क्योकि ये भारतीय सभ्यता संस्कर्ति का गुणगान कर रहे हे सेम यही कम्फर्ट जोन हमारे साथ बहस में मुस्लिम कटटरपन्ति बना कर रखते हे हम जमीनी हालात की बात करते हे और मुस्लिम कटरपन्ति जमीनी हालात से आँख मूँद कर हर बात पर इस्लाम का गुणगान हर समस्या का हल इस्लाम को बताकर करके अपना कम्फर्ट जोन बनाते हे की आओ अब हमारी बात काटोगे तो इस्लाम के खिलाफ हे ये वो हे की तोहमत अपने ऊपर लगवाओगे . खेर शैलेंदर भाई आपसे मनवाया तो सही की नेहरू संस्कार . वर्ना नेहरू को तो आपके गैंग ने ऐसा बना रखा हे जैसे नेहरू कुछ थे ही नहीं सब कुछ पटेल थे खेर अल्लाह माफ़ करे मगर पटेल साहब से बहुत अधिक जनप्रिय थे नेहरू एक बार अनपढ़ किसानो की एक सभा ने नेहरू पटेल साथ थे वहा पटेल साहब ने खुद नेहरू की बेपनाह लोकप्रियता को स्वीकार किया था भारतीय सभ्यता संस्कर्ति चाहे जितनी महान हो मगर इसमें कोई शक ही नहीं हे आधुनिक लोकतान्त्रिक सेकुलर वैज्ञानिक भारत नेहरू गांधी की देन हे आप लोग सड़ियल राज़नीति को देखते हुए इस सच को स्वीकार करना नहीं चाहते
शरद भाई मोदी सपोर्ट पर अपने जवाब में जो कॉमेंट यहाँ ना आने पर आपने मुझे मेल किया था पता नहीं उस पर क्या तकनीकी ” काला जादू ” हो गया हे की वो मेने लाख कोशिश करके देख लिया मगर वो यहाँ नहीं पेस्ट हो रहा हे टुकड़ो में भी नहीं इसी उठापटक मेरा कॉमेंट भी आपने नाम से पेस्ट हो गया हे